दोस्ती एक ऐसा अनमोल रिश्ता है, जो शब्दों से भी अधिक गहरा होता है। यह वह बंधन है, जो न केवल सुख एवं संवेदनाओं को साझा करता है, बल्कि मुश्किल वक्त में भी साथ खड़ा रहता है। हमारी जिंदगी में एक सच्चे मित्र की बहुत बड़ी पहचान होती है। परंतु कभी-कभी मित्रता सही न होने से हम बुरी संगति में भी फंस सकते हैं। यदि आप अच्छे व्यक्ति से संगति करते हैं, तो अवश्य ही आप एक अच्छे मित्र की संगति में जाएंगे। परंतु आप बुरे व्यक्ति से मित्रता कर रहे हैं, तो आप बुरी संगति में भी फंस सकते हैं। एक सच्चा दोस्त वही होता है, जो आपके बारे में सब जानता हो और विश्वास रखता हो। और आपके अच्छे वक्त के साथ बुरे वक्त में भी सदैव खड़ा रहे।
अच्छे मित्र की 10 महत्वपूर्ण निशानियां
- सहायक (Supportive):
सर्वप्रथम, यदि आपका मित्र आपकी हर परिस्थिति में सहायक नहीं है, तो वह आपका सच्चा मित्र नहीं हो सकता क्योंकि सच्चे मित्र की सबसे बड़ी पहचान यही है कि वह आपकी हर परिस्थिति में आपके साथ सहायक बनकर खड़ा रहे।
दोस्ती का रंग होता है सबसे प्यारा, साथ निभाना ही है इसका असली नारा।
- वफादारी (Loyalty):
वफादारी का मतलब है एक-दूसरे के साथ जुड़े रहना, हमेशा साथ खड़े रहना और विश्वासघात न करना। मित्रता का यह गुण दोस्ती के बंधन को मजबूत बनाता है। वफादार मित्र वही होगा, जो आपकी पीठ पीछे आपकी बुराई न करे और हमेशा आपकी गलतियों के बारे में आपको बताए। वे आपको हमेशा आपके लक्ष्य और सपनों को आगे पूरा करने में आपका साथ देता हो।
- ईमानदारी (Honesty):
जीवन में ईमानदारी एक ऐसा गुण है, जिसे अपनाने से व्यक्ति का मान-सम्मान एवं विश्वास सदैव बना रहता है। ईमानदार दोस्त वही है, जो बिना किसी शर्त के आपके साथ खड़ा रहे। प्रेम भाव रखे और आपको सही रास्ते पर चलने के लिए मदद करे। ईमानदार दोस्त वही होगा, जो बिना किसी कपट भाव के आपके साथ सच के रास्ते पर चले।
- सम्मान (Respect):
जीवन में सम्मानित व्यक्ति ही दूसरे व्यक्ति का सम्मान कर सकता है। सही मित्र वही होता है, जो आपको हमेशा मान-सम्मान दे। सम्मान एक ऐसी चीज़ है, जो कभी भी छीनकर नहीं ली जा सकती बल्कि उसे अपने अच्छे स्वभाव के कारण ही प्राप्त किया जा सकता है। यदि कोई भी व्यक्ति आपके साथ अपमान या कोई गलत कार्य करता है, तो वह आपका परम मित्र नहीं हो सकता।
- प्रोत्साहन (Incentive):
एक सच्चे दोस्त का प्रोत्साहन आपके जीवन के मैराथन में गर्जनापूर्ण भीड़ की तरह है। जीवन के इस दौड़ में यदि कोई व्यक्ति आपको समय-समय पर प्रोत्साहित करता है, तो वाकई में वह आपके जीवन के लक्ष्य में सदैव आपके साथ खड़ा रहेगा। यदि कोई व्यक्ति आपके सामने आपकी बुराई बताता हो तो उसे दूरी बनाने की बजाय उसे अपना परम मित्र बनाएं क्योंकि वही व्यक्ति जीवन के आखिरी दौर में काम आते हैं, जो हमारी सभी बुराइयों को बताते हुए अच्छे मार्ग पर ले जाने के लिए प्रोत्साहित करें।
- अच्छा श्रोता (Good listener):
सच्चा मित्र वही है, जो आपकी हर बात को एक अच्छे श्रोता की तरह ध्यानपूर्वक सुने। अच्छा श्रोता वही होता है, जो दूसरे की बात को सुने और समझने की कोशिश करे। दूसरे व्यक्ति को ऐसा लगे कि उसकी सभी बातें सुनी जा रही हैं। अच्छे श्रोता ध्यान से सुनते हैं और सामान्य बात को सार्थक बातचीत में बदल देते हैं।
- रहस्य रखता हो (Keeps secrets):
हम अपनी छोटी से बड़ी परेशानी को एक सच्चे मित्र के साथ हमेशा साझा करते हैं, जिससे हमें शांति महसूस होती है। परंतु जो मित्र हमारे हर एक बात को दूसरों के सामने साझा करता हो, वह हमारा सच्चा मित्र नहीं हो सकता है क्योंकि रहस्य बनाए रखना दोस्तों के बीच एक लिखित शपथ है। सच्चा दोस्त वही है, जो आपके सभी निजी बयानों को खजाने की तरह सुरक्षित रखे। कोई दोस्त आपके रहस्य को अपने पास रखता हो तो वह निश्चित ही विश्वास की तिजोरी होने जैसा है।
- उदारता (Generosity):
उदारता बदले में कुछ भी उम्मीद के बिना स्वतंत्र रूप से देने, साझा करने और योगदान करने की इच्छा है। इसमें दूसरों के प्रति दयालु भावना, करुणा और निस्वार्थ कार्य शामिल होते हैं। एक उदार व्यक्ति आपका परोपकारी दोस्त होता है। वही मित्र उदार है, जिसके अंदर कोई भेद-भाव न हो और आपके साथ आत्मीय भाव रखता हो।
इस दुनिया में कोई भी व्यक्ति बेकार नहीं है जो किसी और का बोझ हल्का करता है। – चार्ल्स डिकेंस
- क्षमा (Forgiveness):
निश्चित रूप से किसी भी रिश्ते में टकराव अवश्य पैदा हो सकते हैं। हालांकि, अच्छे दोस्त सहानुभूति, समझ और क्षमा के साथ असहमति से निपट लेते हैं। वे छोटी-मोटी शिकायतों की अपेक्षा अपने रिश्ते को बनाए रखने की प्राथमिकता देते हैं तथा सौहार्दपूर्ण समाधान और प्रगति के लिए प्रयास करते रहते हैं।
- समय और समर्पण (Time and Dedication):
एक अच्छा मित्र वही है, जो आपको समय और समर्पण दोनों दे रहा हो। समर्पण का अर्थ है किसी के प्रति अटूट विश्वास होना। मित्रता में यह मायने रखता है कि कौन आपकी जिंदगी में आकर दुबारा कभी नहीं गया हो।
कौन है हमारा सच्चा मित्र?
इस जीवन में हर कोई व्यक्ति अपने पिछले कर्मों की वजह से जुड़ा हुआ है। वास्तव में आंतरिक भावनाओं को समझने वाला भगवान है क्योंकि वह हमें अंदर और बाहर दोनों से जानता है। आपके दोस्त केवल आपको सांत्वना दे सकते हैं, लेकिन वास्तव में आपका दुःख दूर नहीं कर सकते। केवल सर्वोच्च ईश्वर के पास ही हमारे सभी दुखों को दूर करने की क्षमता और शक्ति है। सच तो यह है कि मनुष्य का सबसे परम मित्र ईश्वर ही हो सकता है।
भगवान को अपना मित्र बनाओ, तुम सदैव लाभ में रहोगे
यदि हम अपने जीवन में भगवान को मित्र बनाएं, तो सदैव लाभ ही लाभ में रहेंगे। परमात्मा ही आत्मा का सच्चा मित्र है।
अवश्य देखिए अनमोल सत्संग परमात्मा हमारा सच्चा साथी है
FAQ
प्रश्न 1. सच्चे मित्र की क्या पहचान है?
उत्तर 1. सच्चा मित्र वही है, जो आपकी हर परिस्थिति में आपके साथ सदैव खड़ा रहे।
प्रश्न 2. मनुष्य का सच्चा मित्र कौन है?
उत्तर 2. मनुष्य का सच्चा मित्र पूर्ण परमात्मा है।
प्रश्न 3. मित्रता का गुण क्या है?
उत्तर 3. मित्रता का सबसे बड़ा गुण है कि वह ईमानदारी और वफादारी के साथ रहे।
प्रश्न 4. आत्मा का साथी कौन है?
उत्तर 4. आत्मा का साथी पूर्ण परमात्मा है।