परमात्मा, हम सभी आत्माओं के जनक हैं, जो समय-समय पर पृथ्वी पर आकर अपनी प्यारी आत्माओं और दृढ़ भक्तों से मिलते हैं। ऋग्वेद मंडल 9, सूक्त 82, मंत्र 1-2 में बताया गया है कि सर्वोत्पादक प्रभु प्रकाशस्वरूप सद्गुणों की वृष्टि करने वाले और पापों को हरण करने वाले हैं। वे राजा के समान दर्शनीय हैं और पृथ्वी आदि लोकों के चारों ओर शब्दायमान हो रहे हैं। वे दृढ़ भक्तों को पवित्र करते हुए प्राप्त होते हैं, जैसे विद्युत स्नेहवाले स्थानों को आधार बनाकर प्राप्त होता है। परमात्मा उपदेश करने की इच्छा से महापुरुषों को प्राप्त होते हैं और कविर्देव हैं, जो सर्व को उपदेश देने की इच्छा से आते हैं।
परमात्मा का आगमन और सत्यलोक की जानकारी
परमात्मा अपने सच्चे भक्तों को उपदेश देने के लिए पृथ्वी पर संत के रूप में आते हैं। वे चारों युगों में पृथ्वी पर आते हैं और सत्यलोक की जानकारी देते हैं। परमात्मा कबीर जी चारों युगों में अलग-अलग देहधारण कर आते हैं।
सतयुग में परमात्मा का आगमन
सतयुग में परमात्मा सतसुकृत जी के रूप में महर्षि मनु जी को मिले और उन्हें ज्ञानोपदेश दिया। उन्होंने महर्षि मनु को सत्यलोक की वास्तविकता से अवगत कराया और उन्हें सच्ची भक्ति की शिक्षा दी।
त्रेतायुग में परमात्मा का आगमन
त्रेतायुग में परमात्मा मुनींद्र जी के रूप में नल-नील, मंदोदरी, और विभीषण जी को मिले और अपनी शरण में लिया। उन्होंने इन भक्तों को सत्यभक्ति का मार्ग दिखाया और उनकी आत्माओं को उन्नति के पथ पर अग्रसर किया।
द्वापरयुग में परमात्मा का आगमन
द्वापरयुग में परमात्मा करुणामय जी के रूप में सुपच सुदर्शन नामक भक्त को मिले और उन्हें सतभक्ति प्रदान की। सुपच सुदर्शन ने परमात्मा से प्राप्त ज्ञान को फैलाने का कार्य किया और कई लोगों को सत्यलोक का मार्ग दिखाया।
कलयुग में परमात्मा कबीर जी का आगमन
कलयुग में परमात्मा कबीर जी अपने वास्तविक नाम से काशी में लहरतारा नामक तालाब में प्रकट हुए। उन्होंने दोहों के माध्यम से अपने ज्ञान का प्रचार किया और विभिन्न स्थानों पर भिन्न-भिन्न समय पर कई भक्तों से मिले। बाद में, भक्तों ने कबीर परमात्मा के सामर्थ्य को अपनी वाणियों में व्यक्त किया।
आदरणीय धर्मदास जी
आदरणीय धर्मदास जी को परमात्मा कबीर जी जिन्दा महात्मा के रूप में मथुरा में मिले और सतलोक दिखाया। उन्होंने अपनी वाणी में कहा: “धन धन सतगुरु सात कबीर भक्त की पीर मिटाने वाले”
आदरणीय दादू साहेब जी
जब दादू साहेब जी 7 वर्ष के बालक थे, तब पूर्ण परमात्मा जिन्दा महात्मा के रूप में मिले और सत्यलोक ले गए। होश में आने के बाद उन्होंने कबीर परमात्मा का गुणगान करते हुए वाणी बोली: “जिन मोकु निज नाम दिया, सोइ सतगुरु हमा। दादू दूसरा कोई नहीं, कबीर सिरजनहार।।”
आदरणीय मलूकदास जी
मलूकदास जी को 42 वर्ष की आयु में पूर्ण ब्रह्म मिले। वे दो दिन तक अचेत रहे और फिर उन्होंने वाणी उच्चारण किया: “जपो रे मन सतगुरु नाम कबीर। जपो रे मन परमेश्वर नाम कबीर।।”
आदरणीय गरीबदास साहेब जी
गरीबदास साहेब जी का जन्म 1717 में हरियाणा के छुड़ानी गाँव में हुआ। दस वर्ष की आयु में परमात्मा कबीर साहेब जी के दर्शन नला नामक खेत में हुए। उन्होंने सतलोक का आँखों देखा वर्णन अपनी अमृतवाणी ‘सद्ग्रंथ’ में किया: “अजब नगर में ले गया, हमकूं सतगुरु आन। झिलके बिम्ब अगाध गति सूते चादर तान।।”
आदरणीय नानक जी
आदरणीय नानक जी को परमात्मा जिन्दा का रूप बनाकर बेई नदी किनारे मिले और उनकी आत्मा को सतलोक ले गए। बाद में, उन्होंने गुरुग्रंथ साहेब की रचना की और कहा: “हक्का कबीर करीम तू, बेऐब परवरदिगार। नानक बुगोयद जुन तुरा, तेरा चाकरां पाखाक।। मैं किता ना जाता हरामखोर, उह किआ मुँह देसा दुष्ट चोर। नानक नीच कह विचार, धानक रूप रहा करतार।।”
शेख फरीद जी
शेख फरीद जी को परमात्मा कबीर साहेब जी तब मिले जब वे कुएं में उल्टा लटकर कठिन तप कर रहे थे। परमात्मा ने उन्हें कुएं से बाहर निकाला और सतभक्ति प्रदान की।
तैमूरलंग जी
मुग़ल शासक तैमूरलंग जी को 18 वर्ष की आयु में परमात्मा जिन्दा के रूप में मिले। तैमूरलंग ने परमात्मा को भोजन कराया और उन्हें सात पीढ़ियों तक राज मिला। अपने शासन के अंतिम दौर में परमात्मा उन्हें फिर मिले और ज्ञान सुनाया, जिसके पश्चात तैमूरलंग ने राज अपने पुत्र को सौंप दिया और मोक्ष प्राप्त किया।
अन्य प्रमुख भक्त
कबीर साहेब जी ने राजस्थान के जम्भेश्वर जी, पीपा जी, हज़रत मूसा जी, हज़रत मुहम्मद, नामदेव, रामदेव पीर, और मीरा बाई जी को भी सतज्ञान प्रदान किया। वे सभी परमात्मा के ज्ञान से प्रेरित होकर सत्यभक्ति के मार्ग पर चले और अन्य लोगों को भी इस मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया।
वर्तमान समय में संत रामपाल जी महाराज
वर्तमान समय में संत रामपाल जी महाराज परमात्मा के ज्ञान को जन-जन तक पहुँचा रहे हैं और सतभक्ति प्रदान कर रहे हैं, जिससे लाखों लोग सुखी जीवन यापन कर रहे हैं। वे परमात्मा कबीर जी के अनुयायी हैं और उन्हीं के उपदेशों के आधार पर समाज को दिशा देने का कार्य कर रहे हैं।
परमात्मा का उद्देश्य
परमात्मा का मुख्य उद्देश्य है अपनी प्यारी आत्माओं को पापों से मुक्त करना और उन्हें सच्चे मार्ग पर चलाना। वे समय-समय पर पृथ्वी पर आकर अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हैं और भक्तों को सत्यभक्ति का मार्ग दिखाते हैं। यह मार्ग उन्हें मोक्ष की ओर ले जाता है और उन्हें जीवन के चक्र से मुक्त कराता है।
सत्यलोक की महिमा
सत्यलोक को परमात्मा का धाम माना जाता है, जहाँ केवल सत्य और दिव्यता होती है। यह स्थान अपार शांति और आनंद का स्रोत है, जहाँ आत्माएं अपनी सच्ची प्रकृति को प्राप्त करती हैं। सत्यलोक की महिमा का वर्णन करते हुए परमात्मा ने कहा है कि यह वह स्थान है जहाँ कोई दुःख, कष्ट या पाप नहीं है। यह आत्माओं का अंतिम गंतव्य है, जहाँ वे परमात्मा के साथ एकाकार हो जाती हैं।
निष्कर्ष
हमने देखा कि कैसे परमात्मा समय-समय पर पृथ्वी पर आकर अपनी प्यारी आत्माओं को उपदेश देते हैं और उन्हें मोक्ष प्राप्ति का मार्ग दिखाते हैं। परमात्मा कबीर जी ने अपने ज्ञान से अनेक भक्तों का उद्धार किया और वर्तमान में संत रामपाल जी महाराज इस ज्ञान का प्रचार कर रहे हैं। उनका उद्देश्य मानवता को सही दिशा में मार्गदर्शन देना और सत्यभक्ति के माध्यम से मोक्ष की प्राप्ति कराना है।
इस ज्ञान को समझकर और अपनाकर, हम भी अपनी आत्मा को शुद्ध कर सकते हैं और परमात्मा की शरण प्राप्त कर सकते हैं। संत रामपाल जी महाराज के उपदेशों का पालन कर हम अपने जीवन को सुखमय बना सकते हैं और मोक्ष प्राप्त कर सकते हैं।