नमस्कार दर्शकों! स्वागत है आपका खबरों की ख़बर का सच कार्यक्रम में। आज के स्पेशल कार्यक्रम में हम, देश – दुनिया में मेडिकल साइंस की तरक्की और चिकित्सा केंद्रों में डॉक्टरों की भूमिका के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।
डाक्टरों का प्रोफेशन सेवा से व्यवसाय में तब्दील हो चुका है
अक्सर हमने देखा है कि मौत के मुंह में जा चुके मरीजों को मौत के मुंह से निकाल कर लाने वाले डॉक्टरों को आम जनता भगवान का दर्जा देती है। परंतु आज डाक्टरों का प्रोफेशन सेवा से अधिक व्यवसाय बन चुका है। डाक्टरों की मंहगी फीस और उनके द्वारा लिखे गए मंहगे टेस्ट और दवाईयां लोगों को उनके पास इलाज के लिए जाने से रोकते हैं। इन मंहगे डाक्टरों के पास इलाज के लिए वही लोग जाते हैं जो या तो सरकारी कर्मचारी होते हैं और डाक्टर व अस्पताल सरकार के पैनल में शामिल होते हैं । तथा प्राइवेट अस्पतालों में इलाज के लिए वही लोग जाते हैं जिन लोगों ने पहले से साल भर का मैडिकल इंश्योरेंस ले रखा हो। घर के महीने भर के राशन के दाम से भी कहीं मंहगे हो चुके हैं डाक्टर और बीमारी का इलाज । मरीज़ सरकारी अस्पताल में इलाज करते हुए दम तोड़ना मंज़ूर कर लेता है क्योंकि मंहगे डाक्टरों का मंहगा इलाज कराने में पैसा खर्च करने से उसके सिर पर से छत भी छीनने का खतरा बन जाता है।
जैसा कि हम सभी जानते हैं कि मानव सभ्यता की शुरुआत से ही इलाज के लिए लोग वैद्यों के पास इलाज के लिए जाया करते थे जो मुफ्त हुआ करते थे । पहले के समय में डॉक्टरों को वैध कहा जाता था। वैध आयुर्वेद पर निर्भर थे तथा जड़ी-बूटियों और औषधियों का प्रयोग कर दीर्घ और जानलेवा रोगों को ठीक कर दिया करते थे। इसके अलावा सिद्धि शक्ति युक्त कई ऋषि- महर्षि, मुनि भी अपनी आध्यात्मिक ऊर्जा से ही शारीरिक पीड़ाओं को दूर किया करते थे। पुराणों में प्रकरण मिलता है, दानवों के गुरु शुक्राचार्य संजीवनी मंत्र से मुर्दों तक को जीवित कर देते थे। रामायण में भी प्रकरण मिलता है कि जब लक्ष्मण जी रावण के साथ हो रहे युद्ध में मूर्छित हो गये थे तो उन्हें संजीवनी बूटी द्वारा होश में लाया गया था । कलयुग में गोरखनाथ जैसे सिद्ध ने अपनी आध्यात्मिक शक्ति से मुर्दों तक को जिंदा कर दिया था । प्राचीन समय में अधिकतर इलाज आध्यात्मिक शक्तियों से हुआ करते थे।
यदि हम वर्तमान समय की बात करें तो विज्ञान ने आज इतनी तरक्की कर ली है कि हम किसी भी तरह की असाध्य बीमारी के इलाज की दवा की खोज करने में सक्षम हैं। प्लास्टिक सर्जरी, हार्ट ट्रांसप्लांट,कीडनी ट्रांसप्लांट, डायलिसिस, पोस्ट मॉर्टम, हेयर ट्रांसप्लांट, प्रोस्थेटिक इंप्लांट (कृत्रिम अंग लगाना) इत्यादि आविष्कारों ने मेडिकल साइंस में लोगों का भरोसा जीत लिया है। परिणामस्वरूप आज लोग डॉक्टरों व चिकित्सा केंद्रों पर अधिक से अधिक विश्वास भी करने लगे हैं।
लेकिन सतयुग, द्वापरयुग, त्रेतायुग के समय के मुकाबले अब कलयुग में लोगों को हर रोज़ नई नई शारीरिक बिमारियों का सामना करना पड़ रहा है। बिमारियों के इलाज से जुड़ी दवाईयों और इलाज में आज अनगिनत सुविधाएं उपलब्ध हैं परंतु देश की आधी से अधिक आबादी इन सुविधाओं का लाभ उठाने में उतनी समर्थ नहीं है जिसका मूल कारण पैसे की कमी तथा सुविधाओं के बारे में जानकारी का अभाव भी है। गरीब तथा आम जनता इन महंगे चिकित्सा केंद्रों या अस्पतालों में गरीबी के कारण अपना इलाज नहीं करवा पाते। इसके अलावा हम दिन प्रतिदिन डॉक्टरों और अस्पतालों के फर्जीवाड़े की खबरें अखबारों में पढ़ते रहते हैं। आज देश दुनिया में चिकित्सा एक सेवा का कार्य नहीं बल्कि एक धंधे का साधन मात्र बनकर रह गया है। टेक्नोलॉजी के इस दौर में ठगों ने फर्जीवाड़े के तरीके भी नए नए बना लिए हैं। सोशल मीडिया एक ऐसा प्लेटफार्म बनकर उभरा है जहां धोखा देना और धोखा खाना सबसे आसान बन गया है। ऐसे में लोगों को सतर्क रहने की बहुत ज़रूरत है। इसके अलावा मेडिकल की परीक्षाओ में भी भ्रष्टाचार, रिश्वतखोरी और भाई भतीजावाद के दम पर भी डॉक्टर बन जाते हैं। हालाँकि समय समय पर सरकार द्वारा ऐसे फ़र्ज़ी डाक्टरों और उनकी डिग्री पर कारवाई भी की जाती है । इसके साथ साथ कई अस्पतालों को बंद भी कर दिया जाता है और नकली डाक्टरों से उनकी डिग्री सदा के लिए छीन ली जाती है।
भारतीय चिकित्सा परिषद विनियम, 2002 के अनुसार, मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा मान्यता प्राप्त योग्यता और मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया स्टेट मेडिकल काउंसिल के साथ पंजीकृत डॉक्टर के अलावा किसी भी व्यक्ति को आधुनिक प्रणाली का अभ्यास करने की अनुमति नहीं है। एक पत्रिका में छपे लेख के मुताबिक राजस्थान के नागौर जिले में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने साल 2015 में लगभग 220 फर्जी डॉक्टरों की सूची तैयार की थी जो लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहे थे।
ओनलाइन हिंदुस्तान अख़बार में छपे लेख के अनुसार
ऐसे पकड़ते हैं फर्जी डॉक्टरों को फर्जी डॉक्टर मिलने की सूचना मिलती है तो चीफ डिस्ट्रिक मेडिकल ऑफिसर संबंधित इलाके में रेड मारता है। कई दफा इन फर्जी डॉक्टरों की सांठ गांठ पुलिस तक होती है, इस कारण भी उन्हें पकड़ना थोड़ा मुश्किल होता है। फिर भी फर्जी डॉक्टरों को पकड़ने के बाद काउंसिल में उनके बारे में शिकायत पहुंचती है, जिसके बाद पुलिस इनके खिलाफ केस दर्ज करती है।
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आज पैसों के लालच में कई अस्पताल और कंपनियां मरीजों द्वारा करवाए गए मेडिकल बीमों से भी पैसे हड़पने का कार्य करती हैं। देश में निजी अस्पताल और प्राइवेट डॉक्टर इतने महंगे हो गए हैं की लोग अस्पताल और डाक्टरों के पास जाने की बजाय किसी तांत्रिक के पास जाकर झाड़फूंक करवाने वाले के पास चले जाते हैं। इसमें कोई दो राय नहीं है कि साल 2020 में कई जगह डाक्टर्स ने कोरोना की आड़ में जनता को लूटने का कार्य भी किया है। सोशल मीडिया पर रोज़ ऐसे सैकड़ों वीडियो अपलोड हो रहे हैं जहां या तो मरीज खुद या फिर उनके नाते रिश्तेदार अपनी पीड़ा को उजागर कर रहे हैं। जहां इलाज के नाम पर मनमानी राशि वसूले जाने से लेकर, अस्पतालों की नरकीय हालत और स्टाफ की लापरवाही से डरे हुए लोग अब अस्पताल जाने के नाम से ही घबराने लगे हैं।
भारत में डॉक्टरों का फर्जीवाड़ा
यदि आप गूगल पर भारत में डॉक्टरों का फर्जीवाड़ा लिखकर सर्च करेंगे तो आपको सैकड़ों खबरें देखने और पढ़ने को मिलेंगी। भारत में लगभग हर दिन 100 से भी अधिक चिकित्सकीय फर्जीवाड़े देखे जाते हैं। जिनमें से अधिकतर की शिकायत पुलिस या मीडिया तक पहुंच नहीं पाती। ( गूगल सर्च के रिजल्ट वीडियो में स्क्रॉल करके चलाए)
भारत बन रहा है विश्व स्वास्थ्य विजेता
भारत एक ऐसा देश बनकर उभरा है जिसके वैज्ञानिक कोरोना जैसी महामारी की वैक्सीन बनाने में कामयाब हुए हैं तथा भारत में बनी कौरोना वैक्सीन भारतीय प्रधानमंत्री अन्य देशों में भी भिजवा रहे हैं। देश और दुनिया में कोरोना की तीसरी लहर शुरू हो चुकी है और लगातार पॉजिटिव केसों की संख्या भी दिन प्रतिदिन शीघ्रता से बढ़ती जा रही है।
देश में लोगों को कोरोना से बचाव के लिए वैक्सीन लगानी शुरू हो चुकी है। कोरोना जैसी ही अन्य अनेक बिमारियां ऐसी हैं जिन को जड़ से खत्म करने के लिए वैज्ञानिक दिन रात एक कर रहे हैं।
यदि हम भविष्य की चिकित्सा स्थिति की बात करें तो भविष्य में पूरे देश में सभी को मुफ्त इलाज दिया जाएगा। चुकीं शारीरिक इलाज मनुष्य की एक मुख्य ज़रूरत है, यह सरकार का प्रथम कर्तव्य बनता है की इसे मुफ्त में उपलब्ध करवाया जाए। आपको यह जानकर खुशी होगी कि जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी के सानिध्य में भविष्य में एक ऐसा समाज तैयार होगा जहां कोई भी चिकित्सा कर्मी फर्जीवाड़ा नही कर पायेगा, और किसी भी मनुष्य की गरीबी , भूखमरी और बीमारी के कारण मृत्यु नहीं होगी। वर्तमान समय में भी संत रामपाल जी महाराज जी के सानिध्य में उनके अनुयायी निशुल्क रक्तदान व देहदान का आयोजन करते रहते हैं।
दरअसल , कोई भी बीमारी मनुष्यो को उसके पिछले जन्मों के पाप कर्मों के कारण होती है और पाप कर्म को केवल पूर्ण संत ही काट सकते हैं।
संत रामपाल जी महाराज जी के लाखों अनुयाई जो पहले कैंसर, एड्स, डायबिटीज, टीबी आदि जैसी जानलेवा बीमारियों से ग्रस्त थे; संत रामपाल जी ने उनके पाप कर्म काट कर उनको उन बीमारियों से सदा के लिए छुटकारा दिलाया है। बीमारियों से निजात पाने के लिए तथा असली वैध अर्थात सतगुरु रामपाल जी महाराज जी की शरण ग्रहण करना अति अनिवार्य है क्योंकि जन्म मरण रूपी दीर्घ रोग को केवल संत रामपाल जी महाराज ही समाप्त कर सकते हैं। संत रामपाल जी महाराज जी के ज्ञान को समझकर जो भी व्यक्ति मर्यादा में रहकर सतभक्ति करेगा वह सदा निरोगी रहेगा और निरोगी व्यक्ति को कभी डाक्टर,दवाई और टेस्ट करवाने की ज़रूरत नहीं होती। सतभक्ति करने वाले डॉक्टर, वैज्ञानिक और अस्पताल के अन्य स्टाफ भी यदि सतभक्ति करेंगे तो समाज को लूटने का धंधा भी समाप्त हो सकेगा। धन्यवाद।