Subhash Chandra Bose Jayanti 2024: जानिए जय हिन्द का नारा देने वाले सुभाष बाबू के बारे में

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भारतवर्ष के स्वतंत्रता के महान सेनानियों में से एक नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 126वीं जयंती (Subhash Chandra Bose Jayanti) 23 जनवरी यानी आज पूरे देश में मनाई जा रही है। भारतीय सरकार ने इसे पराक्रम दिवस (Parakram Diwas 2024) के रूप में मनाने का ऐतिहासिक फैसला किया है। पाठक यह भी जानेंगे कि राष्ट्र सेवा के अतिरिक्त मनुष्य जीवन का उद्देश्य पूर्ण परमात्मा की प्राप्ति भी है।

Table of Contents

Parakram Diwas 2024 (Subhash Chandra Bose Jayanti) के मुख्य बिन्दु

• ‘पराक्रम दिवस’ के तौर पर मनाई जा रही है सुभाष चंद्र बोस की जंयती (Subhash Chandra Bose Jayanti)
• 23 जनवरी को प्रधान मंत्री नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती के अवसर पर कोलकाता जाएंगे
• सभी विश्वविद्यालयों और अन्य उच्च शिक्षा संस्थानों में आयोजित होंगे कार्यक्रम
• उद्देश्य है राष्ट्र के प्रति सुभाष बाबू की अदम्य भावना और निस्वार्थ सेवा को सम्मान देना
• राष्ट्र सेवा के साथ परमात्मा की प्राप्ति करना भी मनुष्य जीवन का उद्देश्य है

Subhash Chandra Bose Jayanti: भारत सरकार ने 23 जनवरी को Parakram Diwas के रूप में मनाने की घोषणा

भारत सरकार ने प्रत्येक वर्ष 23 जनवरी को “पराक्रम दिवस” के रूप में मनाने की घोषणा की। यह 23 जनवरी, 2024 से प्रारंभ हो रहा है। भारत सरकार ने बोस की 126 वीं जयंती को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मनाने का निर्णय भी लिया है। कार्यक्रमों को तय करने के लिए एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया है।

Parakram Diwas क्या है उदेश्य?

भारत सरकार ने नेताजी के जन्मदिन 23 जनवरी को “पराक्रम दिवस” के रूप में मनाने के निर्णय पीछे उद्देश्य हैं-

  • राष्ट्र के प्रति सुभाष बाबू की अदम्य भावना और निस्वार्थ सेवा को सम्मान देना
  • उनके समर्पण को स्मरण करना
  • देश के लोगों विशेषकर युवाओं को प्रेरित करना
  • विपत्ति में धैर्य के साथ काम करने का जज्बा नेताजी से सीखना
  • देशभक्ति की भावना का संचार करना

Parakram Diwas 2024 कैसे मनाया जाएगा?

23 जनवरी को प्रधान मंत्री मोदी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती के अवसर पर स्वयं कोलकाता जाएंगे और आयोजित पराक्रम दिवस समारोह को संबोधित करेंगे। प्रधान मंत्री ने ट्वीट करके बताया है:

‘पश्चिम बंगाल के भाइयों और बहनों, मैं पराक्रम दिवस के पवित्र अवसर पर आपके बीच रहकर सम्मानित महसूस करूंगा। कोलकाता के दौरे में वीर नेताजी सुभाषचंद्र बोस को हम श्रद्धांजलि देंगे.’

भारत सरकार की अधिसूचना के अनुरूप विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) पूरे देश में अपने अंतर्गत सभी विश्वविद्यालयों और अन्य उच्च शिक्षा संस्थानों में कार्यक्रम आयोजित करवा रहा है। सभी उच्च शिक्षा संस्थान नेताजी के जीवन और शिक्षाओं पर वेबीनार, ऑनलाइन व्याख्यान, चित्रकला, वर्चुअल पोस्टर, लघु फिल्म, नुक्कड़ नाटक स्किट, वृत्तचित्र एवं क्रीड़ा प्रतियोगिताएं आयोजित कर रहे हैं। कोविड-19 महामारी के मानक संचालन प्रक्रियाओं (एसओपी) का पालन करना अनिवार्य किया गया है।

कैसा था नेताजी सुभाष चंद्र बोस जी का जीवनकाल?

सुभाष बाबू का जन्म 23 जनवरी, 1897 को उड़ीसा डिवीजन, बंगाल प्रांत में (वर्तमान में उड़ीसा प्रांत) के कटक शहर में एक कायस्थ परिवार में हुआ था। माता प्रभावती दत्त बोस और पिता जानकीनाथ बोस के 14 बच्चों वाले परिवार में नौवें स्थान पर थे।

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प्रारम्भिक शिक्षा के लिए भाइयों और बहनों की तरह कटक के प्रोटेस्टेंट यूरोपियन स्कूल में जनवरी 1902 में भर्ती कराया गया था। 1909 में उन्हें रेवेनशॉ कॉलेजिएट स्कूल (Ravenshaw Collegiate School) में प्रवेश दिलाया गया। मैट्रिक परीक्षा में उन्होंने दूसरा स्थान हासिल किया और 1913 में आगे की पढ़ाई के लिए उन्होंने प्रेसीडेंसी कॉलेज कोलकाता में प्रवेश लिया लेकिन घोर राष्ट्रवादी गतिविधियों में शामिल होने के कारण उन्हें वहाँ से निष्कासित कर दिया गया।

Subhash Chandra Bose जी ने क्यों त्याग दी भारतीय सिविल सेवा की नौकरी?

कॉलेज से निष्कासित होने के पश्चात सुभाष बाबू कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय चले गए जहां उन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की। वर्ष 1919 में सुभाष चंद्र ने लंदन जाकर भारतीय सिविल सेवा (Indian Civil Services- ICS) परीक्षा की तैयारी की और उस परीक्षा में उन्नत हुए। अंग्रेजी हुकूमत के साथ कार्य नहीं कर पाने के कारण उन्होंने सिविल सेवा से त्यागपत्र दे दिया।

Subhash Chandra Bose Jayanti: सुभाष बाबू के आध्यात्मिक और राजनीतिक गुरु भी थे

16 साल की उम्र में उन्हें स्वामी विवेकानंद और रामकृष्ण की शिक्षाओं ने अत्यधिक प्रभावित किया। वे स्वामी विवेकानंद को अपना आध्यात्मिक गुरु मानते थे। दूसरी ओर चित्तरंजन दास को वह अपना राजनीतिक गुरु मानते थे। वर्ष 1921 में उन्होंने चित्तरंजन दास की स्वराज पार्टी के मुखपत्र ‘फॉरवर्ड’ का संपादन कार्य भी किया। यहाँ यह जानना आवश्यक है कि 16 वर्ष की अवस्था में उनकी आत्मा ने परमात्मा मिलन का संदेश दिया था। लेकिन सुभाष बाबू उस कार्य को पूरा करने की अपेक्षा सांसारिक कार्यों में उलझ गए।

सुभाष चंद्र बोस पर लिखी गई कविता (Poem on Subhash Chandra Bose)

है समय नदी की बाढ़ कि जिसमें सब बह जाया करते हैं।
है समय बड़ा तूफ़ान प्रबल पर्वत झुक जाया करते हैं ।।
अक्सर दुनिया के लोग समय में चक्कर खाया करते हैं।
लेकिन कुछ ऐसे होते हैं, इतिहास बनाया करते हैं ।।

Subhash Chandra Bose Jayanti: कुशल राजनीतिक समझ थी उनमें

वर्ष 1923 में सुभाष बाबू के कुशल राजनीतिक समझ के कारण उन्हें अखिल भारतीय युवा काँग्रेस का अध्यक्ष और साथ ही बंगाल राज्य कांग्रेस का सचिव भी चुना गया। वर्ष 1925 में उग्र सुभाष को क्रांतिकारी आंदोलनों में शामिल होने के कारण माण्डले (Mandalay) कारागार में भेजा गया। कहते हैं उसी जेल में वह तपेदिक बीमारी से ग्रसित हुए। आगे की यात्रा जारी रखते हुए भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस के अध्यक्ष पद का चुनाव जीता। 1939 में महात्मा गांधी और कांग्रेस आलाकमान के साथ अनबन होने के कारण तुरंत हटा दिया गया।

Parakram Diwas: किसी भी कीमत पर अंग्रेजों से समझौता न करने के पक्षधर थे Subhash Chandra Bose

नेताजी सुभाष चंद्र बोस प्रखर राष्ट्रवादी थे। एक ऐसे क्रांतिकारी नेता जो किसी भी कीमत पर अंग्रेजों से कोई समझौता नहीं करने के पक्षधर थे। उनका एक मात्र ध्येय भारत को अंग्रेजों की बेड़ी से स्वतंत्रता दिलाना था। वर्ष 1930 के दशक के मध्य में बोस ने यूरोप की यात्रा की। द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान अंग्रेजों के विरुद्ध युद्ध करने के लिए जापान के सहयोग से उन्होंने आजाद हिन्द फौज गठित की।

Credit: MocomiKids

जापान और जर्मनी से मदद लेने की कोशिश करने के कारण बोस ब्रिटिश सरकार को खटकने लगे और 1941 में उन्हें खत्म करने का आदेश दिया। 5 जुलाई 1943 को नेता जी सुभाष चंद्र बोस ने ‘सुप्रीम कमाण्डर’ के रूप में सिंगापुर के टाउन हाल के सामने सेना को सम्बोधित किया और दिल्ली चलो! का नारा दिया। जापानी सेना के साथ मिलकर सुभाष ने बर्मा, इम्फाल और कोहिमा में ब्रिटिश व कामनवेल्थ सेना से एक साथ जमकर संघर्ष किया।

स्वतंत्र भारत की अस्थायी सरकार गठित करने की घोषणा की

21 अक्टूबर 1943 में सुभाष चंद्र बोस ने आजाद हिंद फौज के सर्वोच्च सेनापति के रूप में स्वतंत्र भारत की अस्थायी सरकार बनाई। इस सरकार को जर्मनी, जापान, फिलीपींस, कोरिया, चीन, इटली, मान्चुको और आयरलैंड सहित 11 देशों ने मान्यता प्रदान की थी। जापान सरकार ने अस्थायी सरकार को अंडमान व निकोबार द्वीप भी दिये।

सन 1944 में आजाद हिन्द फौज ने अंग्रेजों पर पुनः जोरदार आक्रमण करके भारत के कुछ क्षेत्रों को अंग्रेजी हुकूमत से आजाद करा लिया। कोहिमा का भयंकर युद्ध वर्ष 1944 में 4 अप्रैल से 22 जून तक जिसमें जापानी सेना को पीछे हटना पड़ा जो एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ।

Subhash Chandra Bose Jayanti: जय हिन्द का नारा दिया था सुभाष बाबू ने

उन्होंने ‘जय हिंद‘ का नारा दिया जो आज भी भारत का राष्ट्रीय नारा है। उन्होंने ‘तुम मुझे खून दो मैं तुम्हे आजादी दूंगा’ का नारा भी दिया जो आज भी देश के युवाओं को प्रेरित करता है। भारतवर्ष में लोग उन्हें ‘नेता जी’ के नाम से सम्बोधित कर गर्वित महसूस करते हैं। आज़ाद हिंद रेडियो पर एक प्रसारण में बोस ने 6 जुलाई, 1944 को महात्मा गांधी को ‘राष्ट्रपिता’ के रूप में संबोधित किया।

क्या सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु रहस्यमय है?

कुछ लोग कहते हैं कि 18 अगस्त, 1945 को जापान शासित फॉर्मोसा (Japanese ruled Formosa) (वर्तमान में ताइवान) में एक विमान दुर्घटना में सुभाष बाबू की मृत्यु हो गई थी। लेकिन यह निश्चित रूप से नहीं कहा जा सकता।

सुभाष बाबू बचपन से आध्यात्मिक थे फिर सांसारिक कार्यों में क्यों उलझ गए

जीव जब भी जन्म लेता है उसकी आत्मा उसे सदैव परमात्मा की ओर जाने को प्रेरित करती है। लेकिन काल और माया उसे घेर लेते हैं और किसी अन्य कार्य में इस प्रकार उलझा देते हैं जिससे वह अपने वास्तविक लक्ष्य को भूल जाता है। सुभाष बाबू भी कोई अपवाद साबित नहीं हुए। परमात्मा की सतभक्ति करने के विरुद्ध इस लोक की नकली लड़ाई में फंस गए। हमें काल माया जाल को भली भांति समझना चाहिए।

क्या है वास्तविक उद्देश्य मनुष्य जन्म का?

मनुष्य जीवन का वास्तविक ध्येय है कि काल माया के जाल को समझे और उससे कैसे अलग रहे यह भेद भी समझे। पूर्ण परमात्मा कि खोज करने में कौन सतगुरु सहायक हो सकते है उन्हें चिन्हित करके उनकी शरण में जाए। श्रीमदभगवत गीता में जिस तत्वदर्शी संत और कुरान शरीफ में जिस बाखबर के बारे में कहा गया है उसको जाने।

Credit: Satlok Ashram

कौन हैं तत्वदर्शी संत या बाखबर ?

वर्तमान में पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब की गुरु शिष्य प्रणाली के संत रामपाल जी महाराज जो पूर्ण परमात्मा द्वारा सूक्ष्म वेद में दिए गए ज्ञान के आधार पर सतभक्ति प्रदान करते हैं उसी से पूर्ण परमात्मा के अमरलोक सतलोक को प्राप्त किया जा सकता है और काल माया के लोक से मोक्ष प्राप्त करके जन्म मृत्यु से छुटकारा पाया जा सकता है। उनके द्वारा दिए गए तत्वज्ञान को सरल भाषा में समझने के लिए संत रामपाल जी महाराज द्वारा लिखित पवित्र पुस्तक ज्ञान गंगा और जीने की राह को पढ़ें और उनके सत्संग सतलोक आश्रम यूट्यूब चैनल श्रवण करें।

Parakram Diwas (Subhash Chandra Bose Jayanti) QUOTES: नेताजी सुभाष चंद्र बोस के उद्धरण

भारत बुला रहा है, खून खौल रहा है उठो हमारे पास खोने का समय नहीं है

तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा

एक व्यक्ति एक विचार के लिए मर सकता है, लेकिन वह विचार उसकी मृत्यु के बाद एक हजार जन्मों में जीवित रहेगा

अगर कोई जोखिम नहीं उठाता है तो जीवन अपना आधा हिस्सा खो देता है

यह न भूलें कि घोर अपराध अन्याय और गलत के साथ समझौता करना है।

शाश्वत नियम याद रखें यदि आप पाना चाहते हैं तो आपको अवश्य देना चाहिए

इतिहास में कभी भी सिर्फ विचार-विमर्श से कोई वास्तविक परिवर्तन नहीं हो सकता

हमें अपने जीवन को सत्‍य के सिद्धांतों पर खड़ा करना होगा

आज हमारे पास बस एक ही इच्छा होनी चाहिए ताकि भारत जीवित रह सके

सैनिक जो हमेशा अपने जीवन को न्योछावर करने के लिए तैयार रहते हैं, वे अजेय होते हैं

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