Top 10 Countries in Generating Plastic Waste Production

Top 10 Countries in Generating Plastic Waste Production

1. विश्व प्लास्टिक अपशिष्ट उत्पादन में भारत शीर्ष 10 देशों में पहले स्थान पर उभरकर सामने आया है, जो कि देश के लिए बना हुआ है गम्भीर चिंता का विषय।

2. अध्ययन के अनुसार, भारत में प्रतिवर्ष लगभग 5.8 मिलियन मीट्रिक टन प्लास्टिक ठोस कचरा खुलेआम जलाया जाता है तथा प्रति व्यक्ति प्रति दिन 0.12 किलोग्राम प्लास्टिक अपशिष्ट का करता है उत्पादन। 

3. पर्यावरण को बचाने के लिए उचित कदम उठाने की है आवश्यकता।

विश्व प्लास्टिक कचरा उत्पादन में भारत पहले स्थान पर

नेचर जर्नल में प्रकाशित नए शोध में कहा गया है कि भारत प्रति वर्ष लगभग 9.3 मिलियन मीट्रिक टन प्लास्टिक उत्सर्जन करते हुए सूची में प्रथम स्थान पर आ गया है। आमतौर पर चीन को सबसे बड़ा प्लास्टिक उत्सर्जक माना जाता था, परंतु अध्ययन में भारत को वैश्विक प्लास्टिक उत्सर्जन में लगभग पांचवें हिस्से के लिए ज़िम्मेदार ठहराया गया है और चीन को चौथे स्थान पर रखा गया है। पुराने डेटा के अनुसार भारत में प्लास्टिक कचरे का उत्पादन 2015 से 2021 के बीच लगभग 16 लाख टन से बढ़कर 41 लाख टन प्रति वर्ष हो गया था। नए अध्ययन के अनुसार, प्लास्टिक प्रदूषक देशों के डेटा इस प्रकार हैं:

1.भारत – 9,275,777 टन प्रति वर्ष

2.नाइजीरिया – 3,532,479 टन प्रति वर्ष

3.इंडोनेशिया – 3,352,229 टन प्रति वर्ष

4.चीन – 2,808,179 टन प्रति वर्ष

5.पाकिस्तान – 2,567,461 टन प्रति वर्ष

6.बांग्लादेश – 1,748,215 टन प्रति वर्ष

7.रूस – 1,702,453 टन प्रति वर्ष

8.ब्राज़ील – 1,444,824 टन प्रति वर्ष

9.थाईलैंड – 995,718 टन प्रति वर्ष

10.कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य – 963,328 टन प्रति वर्ष

प्लास्टिक प्रदूषक देशों में चीन चौथे नंबर पर

लीड्स विश्वविद्यालय के द्वारा किए गए अध्ययन के अनुसार सबसे अधिक प्लास्टिक का उत्सर्जन दक्षिणी एशियाई, उप-सहारा अफ्रीकी और दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों में किया जा रहा है। अध्ययनकर्ता और अध्ययन के सह-लेखक एड कुक ने बताया पिछले अध्ययनों में चीन अपशिष्ट प्रबंधन पर पुराने डेटा इस्तेमाल करने के कारण उच्च प्लास्टिक प्रदूषक के रूप में सामने आया था, परंतु नए अध्ययन में शीर्ष से चौथे स्थान पर है। हालांकि, चीन ने पिछले 15 वर्षों में अपशिष्ट प्रबंधन में काफी सुधार किया है। 

प्रति व्यक्ति प्लास्टिक अपशिष्ट उत्पादन दर पर चीन और भारत की स्थिति 

स्थानीय और राष्ट्रीय अपशिष्ट प्रबंधन प्रणालियों के डेटा में प्रति व्यक्ति दर पर खामियां नजर आई हैं। अध्ययन में पाया गया कि चीन दुनिया का चौथा सबसे बड़ा प्लास्टिक अपशिष्ट उत्सर्जक है, लेकिन प्रति व्यक्ति आधार पर 153वें स्थान पर है तथा भारत विश्व का पहला प्लास्टिक उत्सर्जक है। यहां प्रति व्यक्ति दर पर 127वें स्थान पर है। 

भारत में प्लास्टिक प्रदूषक समस्या का कारण

दैनिक जीवन में प्लास्टिक सस्ता होने के कारण सिंगल यूज़ प्लास्टिक का अत्यधिक उपयोग किया जाता है। जिसके बाद इसका रिसाइकिल ना करके ग्रामीण इलाकों में जला दिया जाता है अथवा अनुचित तरीके से निपटारा कर दिया जाता है। ऐसे कई कारणों से भारत दुनिया के सबसे बड़े प्लास्टिक प्रदूषकों में शीर्ष स्थान पर उभरकर सामने आया है। 

एड कुक ने कहा कि भारत में बढ़ती हुई आबादी और अधिक समृद्ध होती जा रही है, जिससे देश में अधिक कचरा और कचरा प्रबंधन सेवाएँ प्रदान करने में गति बनाए रखने के लिए संघर्ष का सामना करना पड़ रहा है। देश के डंपिंग स्थलों में अनियंत्रित तरीके से भूमि निपटान होना तथा इनकी संख्या सैनिटरी लैंडफिल से 10 गुना अधिक होने के कारण प्लास्टिक प्रदूषण की समस्या निर्मित हो जाती है। अध्ययन में भारत के लिए प्लास्टिक संग्रह के औसत आंकड़े 81% दर्शाते हैं। जबकि भारत यह अध्ययन दावा करता है कि उसका राष्ट्रीय अपशिष्ट संग्रहण कवरेज लगभग 95% है। 

अन्य देशों में प्लास्टिक प्रदूषण की स्थिति

ग्लोबल नॉर्थ और ग्लोबल साउथ में प्लास्टिक छंटाई और पुनर्चक्रण प्रणालियों से निकले अपशिष्टों के कुप्रबंधन से पर्यावरण में लगभग 1 मीट्रिक टन प्रतिवर्ष प्लास्टिक अपशिष्ट का उत्सर्जन होता है। ग्लोबल साउथ में इकट्ठा न किया गया कचरा प्लास्टिक प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण है, परंतु अध्ययनकर्ताओं ने कोई भी वैश्विक प्लास्टिक प्रदूषण मॉडल में इकट्ठा न किए गए प्लास्टिक कचरे को प्रदूषण के मुख्य स्रोत के रूप में स्पष्ट रूप से नहीं रखा है। इसे कुप्रबंधित प्लास्टिक कचरे के साथ जोड़ दिया गया है।

अध्ययन में, उच्च आय वाले देशों में कूड़ा-कचरा प्लास्टिक उत्सर्जन का सबसे बड़ा स्रोत उभरकर सामने आया, जो मलबे के उत्सर्जन का 53% तथा वैश्विक उत्तरी क्षेत्र में प्लास्टिक अपशिष्ट उत्सर्जन का 49% है। वही ग्लोबल साउथ में अपशिष्ट उत्सर्जन का 68% और सभी मलबे उत्सर्जन का 85% है। उच्च आय वाले देशों में पाया गया कि प्लास्टिक अपशिष्ट उत्पादन की दर अधिक है, लेकिन 100% प्लास्टिक संग्रहण कवरेज और नियंत्रित निपटान करने के कारण कोई भी देश शीर्ष 90 प्रदूषकों में शामिल नहीं है। विश्व के चार निम्न आय, नौ निम्न-मध्यम आय और सात उच्च-मध्यम आय वाले देश से लगभग 69% या 35.7 मीट्रिक टन प्लास्टिक कचरा प्रति वर्ष आता है। 

अध्ययन का उद्देश्य प्लास्टिक प्रदूषण को समाप्त करना है 

अध्ययन का उद्देश्य स्थानीय स्तर पर मैक्रोप्लास्टिक प्रदूषण की एक वैश्विक सूची तैयार किया जा सके तथा प्लास्टिक उत्सर्जन को कम करने के लिए बनाई गई नीतियों को सूचित किया जाए। इसके अलावा प्लास्टिक उत्सर्जन की निगरानी करने वाले अध्ययनकर्ताओं के लिए एक वैश्विक आधार रेखा प्रदान की जा सके।

इस तरह की सूची एवं समझौते से संयुक्त राष्ट्र के प्लास्टिक संधि की सफलता के लिए और प्लास्टिक प्रदूषण को समाप्त करने के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकती है। समझौते को विकसित करने के लिए 25 नवंबर से 1 दिसंबर, 2024 तक अंतर-सरकारी वार्ता समिति (INC-5) का पांचवां सत्र दक्षिण कोरिया के बुसान में आयोजित होने वाला है।

ग्रामीण इलाकों के आंकड़ों को अध्ययन में शामिल नहीं किया गया 

वैश्विक प्लास्टिक अपशिष्ट के आधिकारिक आंकड़ों में पाया गया कि ग्रामीण क्षेत्र जहां प्लास्टिक अपशिष्ट को एकत्रित ना करके खुले में जलाया गया हो उसे शामिल नहीं किया गया है। दुनिया में जितना प्लास्टिक कचरा उत्सर्जित होता है, उससे कहीं अधिक प्लास्टिक कचरा जलाया जाता है, जिसका मानव स्वास्थ्य और पारिस्थितिकी तंत्र पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ सकता है। प्लास्टिक कचरे का निपटारा होना अत्यंत आवश्यक है। 

प्लास्टिक से पर्यावरण दूषित हो रहा है 

प्लास्टिक के अनुचित निपटारे से भूमि तथा जलाए जाने से वायु प्रदूषित हो रही है। देश में प्लास्टिक अपशिष्ट एकत्रित करने के लिए बड़े स्तर पर जागरूकता अभियान चलाने की आवश्यकता है, जिससे आने वाले भविष्य में मानव समाज को इससे होने वाले खतरे से आगाह किया जा सके तथा प्लास्टिक निपटान को लेकर उचित कदम उठाया जा सके। अधिक संख्या में पेड़ लगाकर पर्यावरण को बचाया जा सकता है तथा वातावरण को संतुलित बनाया जा सकता है।

क्या आप जानते हैं सतभक्ति करने से हो सकता है वातावरण स्वच्छ 

तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी के अनुसार, सतभक्ति करने से न केवल व्यक्ति का आध्यात्मिक और मानसिक विकास होता है, बल्कि यह वातावरण की शुद्धता में भी योगदान देता है। यह विचार इस सिद्धांत पर आधारित है कि जब व्यक्ति सच्चे ईश्वर की भक्ति करता है, तो उसके चारों ओर सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती है, जो पर्यावरण को भी स्वच्छ बनाती है।

FAQs about Top 10 Countries in generating Plastic Waste Production 

1. भारत में प्लास्टिक प्रबंधन के लिए कौन सा कानून बनाया गया है?

भारत के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम 2016 को संशोधित करके प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम 2024 लागू किया है।

2. विश्व प्लास्टिक उत्सर्जन में भारत की स्थिति क्या है?

नए अध्ययन के अनुसार विश्व प्लास्टिक उत्सर्जन में भारत लगभग 9.3 मिलियन प्लास्टिक उत्सर्जित करते हुए पहले स्थान पर है तथा चीन चौथे स्थान पर है।

3. भारत में प्लास्टिक उद्योग की स्थापना कब शुरू हुई?

सन् 1957 में।

4. प्लास्टिक अपशिष्ट से आप क्या समझते हैं?

सिंगल यूज़ प्लास्टिक, जिसे उपयोग के बाद मुक्त किया जा रहा हो तथा सैकड़ों वर्षों तक पर्यावरण में रहकर नुकसान पहुंचाएं, प्लास्टिक अपशिष्ट कहलाता है।

5. प्लास्टिक किससे मिलकर बना होता है?

प्लास्टिक एक सिंथेटिक या अर्ध-सिंथेटिक कार्बनिक यौगिकों की विस्तृत श्रृंखला शामिल होती है, जो कि कार्बन, ऑक्सीजन, नाइट्रोजन, हाइड्रोजन, सल्फ़र और क्लोरीन जैसे कई तत्वों से मिलकर बना होता है। 

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