UN का गठन क्यों हुआ – इतिहास की ज़रूरत से जन्मा संगठन

UN का गठन क्यों हुआ – इतिहास की ज़रूरत से जन्मा संगठन

अंतर्राष्ट्रीय देशों के बीच में प्रथम विश्व युद्ध और द्वितीय विश्व युद्ध होने की वजह से काफी समाज में हानि देखने को मिली थी। द्वितीय विश्व युद्ध की वजह से लाखों हमारे नागरिक शहीद हो गए थे। अंतर्राष्ट्रीय देशों के बीच में  की आपसी व्यवहार अच्छे नहीं रहे थे जिसकी वजह से आयात और निर्यात में दिक्कत आ रही थी। इस कारण से भारत समेत विभिन्न देशों में आवश्यक सामग्री सामग्री उपलब्ध नहीं हो पा रही थी। देशों  की अर्थव्यवस्था भी बिगड़ चुकी थी। 

उपरोक्त समस्या के समाधान के लिए एक ऐसे संगठन की जरूरत महसूस हो रही थी जो आपसी भाईचारे की को पुनः स्थापित करे तथा अर्थव्यवस्था को पुनः समृद्ध और सक्षम बनाया जाए। 

द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जिस कठिन परिस्थिति का दुनिया को सामना करना पड़ा था उसको फिर से सक्षम बनाने के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ की जरूरत मिटाने के लिए यूएन की स्थापना हुई। और इस तरह ऐसे माहौल में शांति, सहयोग और मानवीय मूल्यों की रक्षा के लिए एक वैश्विक संस्था की सख्त जरूरत महसूस की गई – और इसी ज़रूरत से जन्म हुआ “संयुक्त राष्ट्र” यानी United Nations (UN) का।

League of Nations की असफलता: एक सीखी गई सीख

League of Nations की स्थापना 24 अक्टूबर, 1945 को हुई थी। किंतु यह असफल रहा यहाँ तक कि यह द्वितीय विश्वयुद्ध को रोकने में असफल रहा। इसकी असफलता के प्रमुख कारण थे 

1) सैन्य दल का  अभाव:

League of Nations के पास अपनी  कोई सेना नहीं थी और पड़ोसी देशों से उनकी सहायता के लिए हमेशा के लिए निर्भर रहना पड़ता था जो हमेशा के लिए संभव नहीं था। 

2) जर्मनी, जापान और इटली का आक्रमणकारी व्यवहार: 

1930 के दशक में, इटली ने इथियोपिया पर आक्रमण किया और जापान ने मंचूरिया पर आक्रमण कर दिया था और इसके साथ ही जर्मनी ने  चेकोस्लोवाकिया पर ढाबा बोल दिया था लेकिन इस आक्रामणकारी प्रवृत्ति को League of Nations नहीं रोक पाया यह दुनिया और देश के लिए एक दुख की बात थी और इस संगठन की असफलता का एक कारण।

3) अमेरिका का सहयोग न मिल पाना:

League of Nations का मुख्य उद्देश्य था अमेरिकी राष्ट्रपति वुडरो विल्सन को शामिल करना।लेकिन अमेरिकी सीनेट ने वर्साय की संधि और लीग ऑफ नेशंस दोनों गिरा दिया। जिसके चलते लीग ऑफ नेशंस को प्रमुख सहयोग की कमी होने की वजह से यह मिशन असफल रहा‌

4)  आर्थिक मंदी:

1929 एक महामंदी का वातावरण छा गया था। जिसके चलते काफी देशों की अर्थव्यवस्था बिगड़ चुकी थी जिसकी वजह से वह League of Nations मे शामिल नहीं हुए।

 द्वितीय विश्व युद्ध का प्रभाव: दुनिया टूट गई थी

द्वितीय विश्वयुद्ध से मानहानि, आर्थिक तबाही, राजनीतिक तनाव का बोलबाला हो गया। 

विश्वयुद्ध की घटनाओं, जैसे राजनीतिक तनाव के शिकार हुए हेड्रिक की हत्या, ने नाजियों की यहूदी विरोधी हिंसा को और बढ़ा दिया (जैसे लिडिस गाँव का विनाश)। युद्ध के परिणाम स्वरूप सभी देशों को आर्थिक तंगी की व्यवस्था खड़ी हुई, लाखों की संख्या में आपस में जनहानि हुई और आपास के  संबंधो में गिरावट हुई जिसके कारण स्वरूप राजनीतिक तनाव के शिकार हुए। इस युद्ध से यह सीख मिली के आपस में युद्ध होने के कारण लाखों की जनहानि होती है और मानसिक शांति के साथ अर्थव्यवस्था भी प्रभावित होती है।

युद्ध की समाप्ति के बाद एक ऐसी संस्था की ज़रूरत महसूस की गई जो भविष्य में इस प्रकार की त्रासदियाँ होने से रोके।

संयुक्त राष्ट्र के उद्देश्य: क्या बदलना चाहती थी ये संस्था?

अंतरराष्ट्रीय शांति के साथ-साथ सुरक्षा बनाए रखना:

संयुक्त राष्ट्र का मुख्य हेतु यह था कि, संयुक्त राष्ट्र को खतरों से बचाये, आक्रमणों  को जड़ से खत्म करे, और विवादित गंभीर स्थिति में शांतिपूर्ण सहयोग बनाकर मिलकर हल निकालना।

मानव अधिकारों की सम्पूर्ण रक्षा करना: 

संयुक्त राष्ट्र का दूसरा उद्देश्य था मानव अधिकरों को सहयोग देना, आपसी भेदभाव को खत्म करना और मानवता की गरिमा को कायम करना और हर देश के हर नागरिक को स्वतंत्रता का हक प्रदान करवाना।

अंतरराष्ट्रीय सहयोग बढाना:

अंतरराष्ट्रीय आपसी जरूरत के लिए आयात और विकास के माध्यम से जीवन जरूरी वस्तु को पहुंचाने में सहयोग करना। निरक्षरता को दूर करके शिक्षित समाज का निर्माण करना।

भूख/बीमारी से लड़ना:

भुखमरो को खत्म करना जीवन जरूरी सामग्री को हर गरीब को पहुंचाना और आर्थिक स्थिति सुधार में मदद करना। बीमारी को जड़ से खत्म करना और जरूरी उपचार प्रदान करवाना।

इसके अंतर्गत कई एजेंसियाँ बनीं जैसे – WHO (विश्व स्वास्थ्य संगठन), UNICEF, UNESCO, आदि, जो शिक्षा, स्वास्थ्य, बाल अधिकार, और जलवायु जैसे मुद्दों पर काम करती है। भारत संयुक्त राष्ट्र का स्थापना सदस्य नहीं था, क्योंकि तब वह स्वतंत्र नहीं था। लेकिन आज़ादी के बाद भारत ने UN में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। भारत ने शांति सेना में योगदान दिया, परमाणु निरस्त्रीकरण की वकालत की और विकासशील देशों के मुद्दे उठाए।

निष्कर्ष: क्या आज भी UN उतना ही ज़रूरी है?

50 देशों के समूह मिलकर UN का निर्माण हुआ था। यूएन चार्टर आज भी उतना ही प्रासंगिक है, जितना 80 साल पहले था, और यह वैश्विक सहयोग व शांति की आधारशिला साबित हुआ था। आज की वैश्विक चुनौतियाँ – जलवायु परिवर्तन, महामारी, युद्ध, पलायन – को अकेले कोई देश नहीं सुलझा सकता। इसीलिए, UN जैसे संगठन का वजूद आज भी उतना ही जरूरी है जितना 1945 में था।

संयुक्त राष्ट्र का निष्कर्ष यह निकलता है कि मानवता का विकास, आर्थिक स्थिति में सहयोग को बढ़ावा देना, शिक्षण संस्थाओं को बढ़ाकर शिक्षा के स्तर में सुधार लाना, एक सुरक्षित समय तैयार करना। आपस में भाईचारे को  बढ़ाना। देश को समृद्ध और सक्षम बनाने मे यूएन का मुख्य रोल था और है।

आध्यात्मिकता की दृष्टि

अंतरराष्ट्रीय संगठन और आध्यात्मिक तत्वज्ञान का एकीकरण का योग बेहतरीन परिणाम लाते हैं। अंतरराष्ट्रीय संगठन तभी सफल हो सकता है जब उसके साथ आध्यात्मिकता को जोड़ा जाए। और उसका उद्देश्य हर समाज को, हर देश को, हर मानव को समृद्ध बनाना शांति और भाईचारा स्थापित करना और सेवा का उद्देश्य हो।

अगर संत रामपाल जी महाराज के ज्ञान से संयुक्त राष्ट्र संघ की तुलना की जाए तो “वसुधैव कुटुम्बकम्” का संत रामपाल जी महाराज पुनः निर्माण करना चाहते हैं और पूरे देश और दुनिया को घातक और विनाशक गंभीर स्थिति को जड़ से खत्म करने का दिन रात प्रयास कर रहे हैं। संत रामपाल जी महाराज अपने सत्संग पर प्रवचनों के माध्यम से जनता को जागरूक करना चाहते हैं। उनके ज्ञान को सुनकर सच्चे परमात्मा की आध्यात्मिक ज्ञान से मनुष्य खुद ही परिचित हो जाता है उसके मन में सपने में भी युद्ध जैसी परिस्थितियों का विचार नहीं आता।

परमात्मा के ज्ञान से परिचित व्यक्ति बुराई स्वयं अपनी इच्छा से ही छोड़ देता है, ज्ञान के कारण उसको परमात्मा का डर होता है जिसकी वजह से युद्ध जैसी गंभीर परिस्थितियों होने की नौबत ही नहीं आती।लेकिन संत रामपाल जी महाराज ने इस धरती को परमात्मा से जोड़ने का संकल्प लिया है और सतयुग का आग़ाज़ कर दिया है। अधिक जानकारी के लिए अवश्य देखें फ़ैक्टफ़ुल डिबेट्स एवं सतलोक आश्रम यूट्यूब चैनल

और जानें कैसे जन जन तक पहुंचकर संत रामपाल जी महाराज सभी के जीवन आसान बना रहे हैं। 

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