World Wildlife Day 2024 [Hindi]: जानिए क्या है विश्व वन्यजीव दिवस का इसका इतिहास और थीम

World Wildlife Day 2022 [Hindi] क्या है विश्व वन्यजीव दिवस का इतिहास और थीम

World Wildlife Day 2024: दुनियाभर में लुप्त हो रही वनस्पतियों और जीव-जंतुओं की प्रजातियों के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए हर साल 3 मार्च को विश्व वन्यजीव दिवस यानी वर्ल्ड वाइल्डलाइफ डे मनाया जाता है. इस दिन को मनाने का उद्देश्‍य दुनियाभर में तेजी से विलुप्त हो रही वनस्पतियों और जीव जन्तुओं की प्रजातियों की सुरक्षा के लिए लोगों में जागरूकता (Awareness) पैदा करना है. जैव विविधता की समृद्धि ही धरती को रहने व जीवनयापन के योग्य बनाती है लेकिन समस्या यह है कि लगातार बढ़ता प्रदूषण, वातावरण पर इतना खतरनाक प्रभाव डाल रहा है कि जीव-जंतुओं और वनस्पतियों की अनेक प्रजातियां धीरे-धीरे लुप्त होती जा रही हैं.

संयुक्त राष्ट्र महासभा ने घोषित किया विश्व वन्यजीव दिवस

विश्व वन्यजीव दिवस के माध्यम से हर साल अलग-अलग थीम के माध्यम से लोगों में जागरुकता फैलाई जाती है. यह थीम लुप्त हो रहे जीवों और प्राकृतिक वनस्पतियों के संरक्षण से संबंधित होती है. 20 दिसंबर 2013 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने अपने 68वें सत्र में 3 मार्च को विश्व वन्यजीव दिवस घोषित किया था. इसे थाईलैंड की ओर से विश्व के वन्यजीवों और वनस्पतियों के बारे में जागरूकता बढ़ाने और मनाने के लिए प्रस्तावित किया गया था. साल 1872 में वन्य जीवों को विलुप्त होने से रोकने के लिए सबसे पहले जंगली हाथी संरक्षण अधिनियम (वाइल्ड एलीफेंट प्रिजर्वेशन एक्ट) पारित किया गया था

विश्व वन्यजीव दिवस की थीम (Theme for World Wildlife Day 2024)

विश्व वन्यजीव दिवस के प्रति लोगों को जागरूक करने लिए संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा हर साल एक थीम जारी की जाती है, जिससे कि विलुप्त हो रहे वनस्पतियों और जीव-जन्तुओं की प्रजातियों की सुरक्षा के लिए लोगों में जागरूकता पैदा की जा सके. विश्व वन्यजीव दिवस 2024 की थीम है- फारेस्ट एंड लाइवलीहुड: सस्टेनिंग पीपल एंड प्लानेट (Partnerships for wildlife conservation).

कैसे हुई इस खास दिवस की शुरुआत?

दुनियाभर से लुप्त हो रहे जंगली फल-फूलों के अंतरराष्ट्रीय ट्रेड को प्रतिबंधित करने के लिए 3 मार्च 1973 को यूनाइटेड नेशंस के प्रस्ताव पर हस्ताक्षर हुए थे. इस खास दिन की याद में 20 दिसंबर 2013 को संयुक्त राष्ट्र महासभा के 63वें सत्र में तय हुआ कि हर साल 3 मार्च को वर्ल्ड वाइल्डलाइफ डे मनाया जाएगा. 3 मार्च 2014 को पहला विश्व वन्यजीव दिवस मनाया गया.

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विश्व वन्यजीव दिवस का इतिहास (History of World Wildlife Day)

संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 20 दिसंबर 2013 को 68वें सत्र में 03 मार्च को विश्व वन्यजीव दिवस घोषित किया था. तीन मार्च को विलुप्तप्राय वन्यजीव और वनस्पति के व्यापार पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन को स्वीकृत किया गया था. वन्य जीवों को विलुप्त होने से रोकने हेतु सर्वप्रथम साल 1872 में जंगली हाथी संरक्षण अधिनियम (वाइल्ड एलीफेंट प्रिजर्वेशन एक्ट) पारित हुआ था.

विश्व वन्य जीव दिवस का महत्व (Importance of World Wildlife Day in Hindi)

वन्यजीव मानव अस्तित्व के समय से ही धरती पर उपस्थित हैं, तथा एक- दूसरे के जीवन का अभिन्न अंग भी बन चुके हैं।वन्यजीवों से हमे भोजन तथा औषधियों के अलावा भी अनेक प्रकार के लाभ प्राप्त होते हैं, जैसे कि वन्यजीव जलवायु को संतुलित रखने में सहायता करते हैं। ये वर्षा को नियमित रखने तथा प्राकृतिक संसाधनों की पुनःप्राप्ति में सहयोग करते हैं ।विश्व हर संभव माध्यम से अद्भुत प्राणियों से भरा है। हवा के पक्षियों से लेकर समुद्र के राजसी व्हेल तक, सबसे असामान्य और अप्रत्याशित स्थानों में वन्यजीवों का बसेरा है।

Credit: Oneindia Hindi | वनइंडिया हिंदी

वन्यजीवों को खोना हमारी सामर्थ्य से बाहर है, क्योंकि धरती पर मानव जीवन के अस्तित्व को बनाये रखने के लिए वन्यजीवों तथा पेड़-पौधों की उपस्थिति अनिवार्य है। वन्यजीवों के बिना धरती सिर्फ एक सूखे-उजाड़ ग्रह की भांति होगी, जिस पर जीवन मुमकिन नही होगा।

समुद्री जीव-जंतु अत्यंत दबाव में

एक रिपोर्ट के अनुसार, वर्तमान दौर में समुद्री जीव-जंतु अत्यंत दबाव में है. उन पर जलवायु परिवर्तन तथा प्रदूषण का बहुत अधिक असर हुआ है. तटीय प्रजातियां विलुप्त होने की कगार पर हैं और उनका अत्यधिक दोहन किया जा रहा है. एक तिहाई वाणिज्यिक मत्स्य भंडार इसीलिए समाप्त हो गया है क्योंकि मछलियों को लगातार पकड़ा जाता है. दूसरी ओर अन्य कई प्रजातियों, बड़े समुद्री पक्षियों से लेकर कछुओं तक पर, महासागरीय संसाधनों के गैर सतत उपयोग के वजह से संकट मंडरा रहा है

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वन्यजीवों के लिए प्रमुख खतरे कौन से हैं?

निवास– स्थलों की तबाही: वन्यजीवों पर सबसे बड़ा खतरा उनके निवासों का उजाड़ना तथा खोना है। एक वैश्विक रिपोर्ट के अनुसार, वनों के कटने तथा घरों के उजड़ने के कारण, प्रतिवर्ष जीवों की करीब 50,000 प्रजातियां विलुप्त हो रही हैं।

मानव अपनी सीमाएं लांघकर पशुओं के निवास तथा जंगलों को अपनी स्वार्थ-सिद्धि हेतु काटता चला जाता है। जंगलों में मानवों की घुसपैठ से मानव तथा पशुओं के बीच जंग शुरू होती है, तथा जिसका परिणाम पशु की हार तथा मृत्यु के रूप में सामने आता है।

पशु-अंगों का गैर– कानूनी व्यापार: पशुओं के अंगों का चोरी-छिपे व्यापार किया जाता है। उनका शिकार मानव अपने हितों की पूर्ति के लिए करता है। वन्यजीवों के अस्तित्व पर गैर-कानूनी व्यापार तथा शिकार उनके अस्तित्व पर मौजूद सबसे बड़े खतरों में से एक है।

IUCN के द्वारा निर्धारित श्रेणियां

दुनिया भर के जीवों की प्रजातियों को IUCN, निम्न 9 में से किसी 1 श्रेणी में रखता है. IUCN के द्वारा निर्धारित श्रेणियां निम्न हैं –

श्रेणीसदस्यों की विशेषता
विलुप्त (Extinct या Ex)कोई भी सदस्य जीवित नहीं है.
वन विलुप्त (Extinct in the Wild या EW)इस प्रजाति के जीवों के सदस्य वनों से पूरी तरह से विलुप्त हो गए हैं. ये अब केवल चिड़ियाँ घर में ही बचे हुए हैं.
घोर-संकटग्रस्त (Critically Endangered या CR)इस प्रजाति के जीवों पर खतरा सबसे अधिक बना हुआ है. इसके सदस्य वनों से विलुप्त होने के कगार पर हैं.
संकटग्रस्त – (Endangered या EN)इसके सदस्यों का वनों से विलुप्त होने का खतरा सबसे अधिक बना हुआ है.
असुरक्षित – (Vulnerable या VU)इस प्रजाति के जीवों का वनों में संकटग्रस्त हो जाने की संभावना सबसे अधिक है.
संकट निकट – (Near-Threatened या NT)इस प्रजाति के सदस्यों की निकट भविष्य में संकटग्रस्त हो जाने की पूरी संभावना है.
संकट-मुक्त – (Least Concern या LC)इसके सदस्यों को खतरा बहुत कम है.
आंकड़ो का अभाव – (Data Deficient या DD)इस प्रजाति के जीवों के बारे में जानकारी के अभाव में, इसके संरक्षण और संकट का अनुमान नहीं लगाया जा सकता है.
अनाकलित – (Not Evaluated या NE)इस प्रजाति के जीवों के संरक्षण का आंकलन अभी नहीं किया गया है.

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