नमस्कार दर्शकों! आज की हमारी स्पेशल पड़ताल में आपका स्वागत है। आज हम भारत सरकार द्वारा पारित की गई “अग्निपथ” योजना के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे और जानेंगे आखिर क्यों हो रहा है इस योजना का देशभर में विरोध?
दोस्तों , इन दिनों देश के अलग-अलग हिस्सों में Agnipath के खिलाफ रोष प्रदर्शन हो रहे हैं। अपने आठ वर्षीय कार्यकाल में सरकार पहली बार देश के युवाओं के लिए रोज़गार का अवसर लेकर आई है परंतु देश का युवा इससे खुश होने और इसकी तैयारी करने की जगह हिंसा और प्रदर्शन पर उतर आया है। सरकार की स्कीम अग्निपथ की चार वर्षीय खामी इसका सबसे बड़ा ड्रा बैक है। युवा बेरोजगारों द्वारा कहीं ट्रेनें जलाई जा रही हैं तो कहीं दूसरी सरकारी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया जा रहा है। सोचने वाली बात ये है कि आखिर सिर्फ चार साल के लिए किसी को सेना में भर्ती कराने का क्या मतलब? अगर सरकार अपने खर्चे कम करने की सोच रही है तो फिर नेताओं को दिए जाने वाले बेहिसाब आर्थिक भतों और सुविधाओं में कटौती क्यों नहीं की जा रही?
14 जून, 2022 को सेना में भर्ती के लिए देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ‘अग्निपथ’ नाम की एक नई चार वर्षीय योजना शुरू करने की घोषणा की जिसमें चार साल के लिए सशस्त्र बलों में युवाओं की भर्ती होगी। योजना के तहत चुने गए युवाओं को ‘अग्निवीर’ कहा जायेगा। ‘अग्निपथ’ योजना के तहत सशस्त्र बलों में चार साल के लिए युवाओं की भर्ती की घोषणा की गई है जिसमें इस साल करीब 46 हजार नौजवानों को भर्ती करने का एलान किया गया है। केंद्र सरकार की इस घोषणा के बाद से देश के अलग-अलग राज्यों में इसके खिलाफ भयंकर असंतोष नजर आया है। देश के कई राज्यों में युवा इस योजना के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। युवाओं का मानना है कि यह नौकरी नहीं मज़ाक है और इसको करने के बाद भी जीवन में आर्थिक अस्थिरता सदा बनी रहेगी।
आखिर क्या है अग्निपथ योजना?
अग्निपथ योजना के मुताबिक युवाओं की सेना में भर्ती अब पंद्रह साल के लिए नहीं बल्कि चार साल के लिए होगी और उन्हें ‘अग्निवीर’ कहा जाएगा। फिलहाल अग्निवीरों की उम्र 17 से 23 वर्ष के बीच होगी और उन्हें 30 से 40 हजार प्रतिमाह वेतन मिलेगा। योजना के मुताबिक भर्ती हुए 25 फीसदी युवाओं को सेना में आगे भी मौका मिलेगा और बाकी 75 फीसदी को नौकरी छोड़नी पड़ेगी। अग्निपथ योजना को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बहुत सकारात्मक पहल बताया है। उन्होंने कहा कि इससे युवाओं को सेना में भर्ती होने का मौका मिलेगा। इससे देश की सुरक्षा मजबूत होगी इसमें नौजवानों को मिलिट्री सर्विस का मौका देने के लिए लाया गया है। इससे देश में रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। इसके अलावा सेना में रहते हुए मिले अनुभव से विभिन्न क्षेत्रों में नौकरी भी मिल सकेगी।”
अग्निपथ योजना को लेकर लोगों के विचार बंटे क्यों हुए हैं?
कई लोग इसे सही कह रहे हैं, वहीं बहुत से लोग इसकी आलोचना भी कर रहे हैं। हालांकि केंद्र की इस नई योजना पर रक्षा क्षेत्रों से जुड़े एक्सपर्ट्स की अलग-अलग राय है। कुछ ने इसे सकारात्मक बताया है जबकि इसके विरोध में भी राय दी गई है। रिटायर्ड मेजर जनरल शेओनान सिंह ने एक मीडिया चैनल (बीबीसी) से कहा कि सेना में किसी को चार साल के लिए शामिल करना पर्याप्त समय नहीं है। चार साल में छह महीने तो ट्रेनिंग में निकल जाएंगे। इन्फैंट्री में काम करने के लिए स्पेशल ट्रेनिंग की भी जरुरत पड़ेगी।
■ Also Read | कौन हैं नए सेना प्रमुख मनोज पांडे (Manoj Pande) ?
वहीं मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि भारतीय सेना देश का गौरव है और देशवासियों का अभिमान है। भारतीय सेना के जवान हमारे हीरो और रोल मॉडल हैं। उन्होंने कहा कि जो जवान जो अग्निपथ योजना में सेवाएं दे चुके होंगे, उन्हें मध्य प्रदेश पुलिस की भर्ती में प्राथमिकता दी जाएगी। इसके अलावा पूर्वोत्तर के कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने सशस्त्र बलों में युवाओं की भर्ती के लिए अग्निपथ योजना शुरू करने के लिए केंद्र सरकार की सराहना की है। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा और मणिपुर सीएम एन. बीरेन सिंह ने घोषणा की कि चार साल तक सैनिक बलों की सेवा करने के बाद राज्य पुलिस की नौकरियों में ‘अग्निवीर’ को विशेष वरीयता दी जाएगी।
आखिर क्यों हो रहा है अग्निपथ का विरोध?
अग्निपथ लाने का एक बड़ा मकसद ये है कि सरकार को सैनिकों को दी जाने वाली पेंशन के बोझ से मुक्ति मिल जाए। यही वजह से है कि युवा अब सड़कों पर नजर आ रहे हैं। अभी तक सेना में 15 साल नौकरी करने के बाद जीवन भर पेंशन पाते थे, लेकिन अब बहुत सारे युवा सिर्फ 4 साल नौकरी करेंगे और उनकी बाकी की जिंदगी भी संघर्ष करते हुए ही गुजरेगी।सरकार युवाओं को यह नौकरी देने के साथ साथ उनको मिलने वाली पेंशन व अन्य सुविधाओं को देने से अपना पल्ला भी झाड़ रही है।
अग्निपथ की योजना के खिलाफ बिहार के युवाओं में सबसे अधिक आक्रोश देखने को मिला है। जिस कारण शनिवार यानी 18 जून को बिहार बंद भी देखने को मिला। सेना में शामिल होने की तैयारियां कर रहे युवाओं का पक्ष है कि वे सालों तक खून पसीना एक कर सेना में भर्ती होने की तैयारियां करते हैं। ऐसे में चार साल की नौकरी उन्हें मंजूर नहीं। प्रदर्शन कर रहे छात्रों ने सरकार से इस योजना को तुरंत वापस लेने की अपील की है। आपको बता दें कि कई राजनीतिक दलों ने भी इस स्कीम को वापस लेने की मांग की है।
कई विशेषज्ञों का कहना है कि अग्निपथ योजना के ज़रिए मोदी सरकार सेना पर होने वाला खर्च कम करना चाहती है इसकी वजह से युवा नाराज हो गए हैं जबकि सेना पर होने वाले खर्च में कटौती करने के बजाय मोदी सरकार नेताओं पर खर्चे घटा सकती है नेताओं को दिए जाने वाले तमाम भत्ते और सुविधाओं में कटौती करनी चाहिए और हो सके तो नेताओं की पेंशन और सेवाकाल भी चार साल तक सीमित कर देना चाहिए।
अग्निपथ का विरोध कहां कहां अधिक हो रहा है?
बिहार के बाद उत्तर प्रदेश में इस योजना का सबसे अधिक विरोध देखने को मिल रहा है। बिहार तो वैसे भी देश का सबसे अधिक पिछड़ा हुआ राज्य है और इस तरह से सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचा कर बिहार दस साल और पीछे चला जाएगा। समस्तीपुर में प्रदर्शनकारियों ने तीन ट्रेन की 28 बोगियों में आग लगा दी। समस्तीपुर जिले में प्रदर्शनकारियों ने नई दिल्ली से दरभंगा जाने वाली बिहार संपर्क क्रांति एक्सप्रेस ट्रेन के 10 डब्बों को आग के हवाले कर दिया। अब प्रदर्शन की आग बढ़ते-बढ़ते दिल्ली, जम्मू कश्मीर, राजस्थान और उत्तराखंड तक पहुंच चुकी है।
इस योजना के खिलाफ प्रदर्शन आज भी जारी है। आंदोलनकारियों ने इस योजना को तुरंत वापस लेने की मांग की है। जनता के कड़े विरोध को देखते हुए सरकार ने इसमें एक संशोधन किया है जिससे इस साल के लिए अधिकतम उम्र की सीमा को 21 साल से बढ़ाकर 23 साल कर दिया है। यूपी में भी अग्निपथ योजना का जोरदार विरोध देखने को मिला है। यहां बड़ी संख्या में युवा सरकार की योजना की खिलाफत कर रहे हैं। राज्य के कई जिलों में यह प्रदर्शन देखा गया, जिसमें बुलंदशहर, मथुरा, प्रयागराज, गोरखपुर भी शामिल रहे। युवाओं ने इस योजना को रद्द करने की मांग के साथ ‘अग्निपथ योजना वापस लो’ के नारे लगाए।
रेलवे और सार्वजनिक संपत्ति को पहुंचाया जा रहा है भारी नुकसान
सरकार की अग्निपथ योजना के विरोध में देशभर में माहौल गरमाया हुआ है। वाराणसी समेत पूर्वांचल के कई जिलों में युवा सड़क पर उतर आए हैं। कई जगहों से तोड़फोड़, पथराव और आगजनी की खबरें भी आ रही हैं। बनारस से लेकर बलिया तक ज़बरदस्त हंगामा हो रहा है। वाराणसी कैंट स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर 10 के पास आगजनीे के बाद कई दर्जन युवाओं को हिरासत में भी लिया गया है। अग्निपथ के खिलाफ प्रदर्शन की वजह से अब तक 200 से ज्यादा ट्रेनें बाधित हो चुकी हैं वहीं 35 ट्रेनें कैंसल हो चुकी हैं। इसके अलावा 13 ट्रेन को कम दूरी पर ही खत्म कर दिया गया है। बिहार के कई विस्तारों में हंगामे के चलते धारा 144 को लागू कर दिया गया है। इसके अलावा प्रदर्शनकारियों पर कड़ी से कड़ी करवाई की मांग की जा रही है। एक अनुमान के मुताबिक रेलवे को अब तक 40 करोड़ रूपए का नुकसान हो चुका है।
सरकार तक अपनी बात पहुंचाने के लिए युवाओं ने जो हिंसक आंदोलन का रास्ता अपनाया है क्या वह नौकरी पाने की दिशा में उठाया सही कदम कहा जा सकता है , हमारा जवाब है हरगिज़ नहीं।
दोस्तों! भारत का संविधान हमें विरोध करने का हक अवश्य देता है किंतु इसके साथ ही कानून के दायरे और मर्यादाओं में रहना भी सिखाता है। भारतीय संविधान केवल शांति और अहिंसा से युक्त विरोध करने की ही अनुमति देश की जनता को देता है। हिंसा से जुड़ी कोई भी चीज़ मानव समाज के लिए अशांति और पतन का कारण होती है। इससे समाज में केवल असमाजिकता ही फैलती है।
भारत सदा से ही महापुरुषों व संतो भक्तों की भूमि रहा है। यहां की संस्कृति मानव को अच्छे नेक विचार और नैतिक आचरण में रहना सिखाती है। संतों की शिक्षा के मुताबिक किसी भी प्रकार की हिंसा करना अमानवीय है। जनता को चाहिए की संवैधानिक तरीके से विरोध करें जिससे की समाज में अशांति न फैले।
आखिर समाज में पूर्ण रूप से शांति कैसे लाई जा सकती है?
समाज में पूर्ण रूप से शांति केवल एक पूर्ण संत ही ला सकते है। पूर्ण संत के अद्वितीय तत्वज्ञान से समाज में स्वत: ही नेक विचारों और अच्छे आचार व्यवहारों की स्थापना हो जाती है। उस संत के नेतृत्व में समाज ही नहीं बल्कि पशु पक्षी और अन्य जीव जंतुओ में भी सुख, शांति उत्पन्न होती है। वर्तमान समय में ऐसे पूर्ण संत केवल जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी ही है जिनके अद्वितीय आध्यात्मिक ज्ञान कोे समझकर लोगों में आध्यात्मिक ज्ञान होने से संतोष,शांति और आर्थिक स्थिरता आती है।
देश दुनिया की सरकारें चाहे कितनी ही योजनाएं चला ले, लेकिन वह जनता को पूर्ण रूप से लाभ कभी नहीं दे सकते। जनता को पूर्ण रूप से लाभ केवल एक तत्वदर्शी संत ही दे सकते है। तत्वदर्शी संत की शरण में आने वाले साधक को मानसिक, शारीरिक, आर्थिक, भौतिक, और आध्यात्मिक लाभों से मालामाल कर देते है। यहां सभी नेता ,राजनेता, राजनीतिक पार्टियां और सरकारें अपना लाभ पहले देखती है परंतु केवल एक परम संत ही पूरे संसार को सभी तरह के लाभ देने में समरथ होता है।
इस विडियो को देखने वाले सभी युवा देशवासियों से प्रार्थना है कि कृपा करके सतभक्ति के मार्ग को अपनाएं जो आपकी रोज़ी और रोटी दोनों की चिंता को हमेशा के लिए हल कर सकता है। संत रामपाल जी महाराज जी से नामदीक्षा लें और अपने जीवन को सफल बनाएं।