Rare Sensory Neural Nerve Hearing Loss: हिंदी फिल्म जगत की मशहूर सिंगर जिसने अपने मधुर स्वर से फिल्मी दुनिया ही नहीं बल्कि अपने दर्शकों पर भी जादू चलाया है और आज भी उनके फैंस और फॉलोअर्स उनकी आवाज़ के कायल हैं। सुरमयी सुरों की मल्लिका 58 वर्षीय अलका याग्निक अचानक से वायरल आक्रमण के कारण अपने सुनने की क्षमता खोती जा रही हैं और इस वायरल का नाम रेयर सेंसरी न्यूरल नर्व हियरिंग लॉस डिसीज़ है।
58 वर्षीय पार्श्व गायिका अलका याग्निक ने स्वयं सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर अपनी पुरानी तस्वीर पोस्ट करते हुए अपने फैंस, दर्शकों और फॉलोअर्स और अपने साथी कलाकारों को इस वायरल डीसीअटैक के बारे में बताया है। पोस्ट में उन्होंने कहा कि कुछ हफ्ते पहले जब वे फ्लाइट से बाहर आईं तो उनको कुछ भी सुनाई नहीं दे रहा था, तब उन्होंने डॉक्टर से संपर्क किया और अपना चैकअप करवाया। डॉक्टर ने उन्हें रेयर सेंसरी न्यूरल नर्व हियरिंग लॉस डिसीज़ बताया है।
Rare Sensory Neural Nerve Hearing Loss in Hindi मुख्य बिंदु:
- सुरों की मल्लिका अलका याग्निक हुई रेयर सेंसरी न्यूरल नर्व हियरिंग लॉस का शिकार।
- कानों से संबंधित है यह बीमारी, सुनने में होती है समस्याएं।
- 25 भाषाओं में 21 हज़ार गाने, रिकॉर्ड कर चुकी हैं अलका याग्निक।
- सोशल मीडिया पर पोस्ट के माध्यम से अलका याग्निक ने अपने फॉलोअर्स को लाउड स्पीकर से किया सतर्क।
अलका याग्निक ने सोशल मीडिया पर अपनी रेयर डीसीज़ के बारे में लोगों को किया है सतर्क
अलका याग्निक सोशल मीडिया पर अपने गायब होने के कारण को शेयर करते हुए कहती हैं कि ” मेरे डॉक्टर ने वायरल अटैक के कारण रेयर सेंसरी न्यूरल नर्व हियरिंग लॉस डायग्नोसिस किया है। इस अचानक बड़े झटके ने मुझे पूरी तरह अंजान बना दिया है। मैं इस बीमारी के साथ सामंजस्य बैठाने की कोशिश कर रही हूं।”
साथ ही अलका याग्निक ने बहुत ही ऊंचे आवाज़ में म्यूज़िक सुनने वालों और हेडफोन का इस्तेमाल करने वाले सहकर्मियों, युवा तथा आम लोगों को सचेत करते हुए लाउड स्पीकर से दूरी बनाए रखने के लिए भी कहा है।
21 हज़ार से भी ज़्यादा गाने गा चुकी हैं अलका याग्निक
अलका याग्निक ने 2024 में रिलीज हुई ‘क्रू’ और ‘अमर सिंह चमकीला’ फिल्म के भी गाने गाए हैं, उन्होंने 2 नेशनल अवॉर्ड और 7 फिल्मफेयर अवॉर्ड जीते हैं।
58 वर्षीय अभिनेत्री ने अपने प्रशंसकों को “बहुत तेज आवाज में संगीत सुनने और हेडफोन सुनने से बचने” के लिए भी आगाह किया। सेंसरिनुरल हियरिंग लॉस (एसएनएचएल) आंतरिक कान की एक स्थिति है।
रेयर सेंसरी न्यूरल नर्व हियरिंग लॉस (Rare Sensory Neural Nerve Hearing Loss) क्या है?
रेयर सेंसरी न्यूरल नर्व हियरिंग लॉस यह कानों से संबंधित बीमारी का नाम है, कान तीन महत्वपूर्ण संरचनाओं से मिलकर बना हुआ होता है जिसमें बाह्य, मध्य और आंतरिक संरचना शामिल हैं। जब किसी के द्वारा ध्वनि की विपरीत प्रतिक्रिया की जाती है तो कान के परदे में कम्पन होती है, जिस कारण मध्य कान में मौजूद तीन छोटी हड्डियां हिलती हैं। यह हड्डियां उस ध्वनि को कोकलीय तक पहुंचाने का कार्य करती हैं।
एक्चुअल में कोकलीय आंतरिक कान तरल पदार्थ से भरा हुआ एक कक्ष है, जो छोटे छोटे बालों से बने हैं। यह ध्वनि तरंगों से टकराने के पश्चात कम्पन करते हैं, कान में मौजूद यह बाल ध्वनि तरंगों को मस्तिष्क तक पहुंचाने वाले विद्युत संकेतों को उत्पन्न करते हैं।
जब भी कान के बाहरी और मध्य संरचना को क्षति होती है, तब कान के पर्दे या छोटी हड्डियों को नुकसान पहुंचाती है। लेकिन यह समस्या कान के आंतरिक संरचना में होती है, तो यह वायरल का रूप ले लेती हैं। जिसे रेयर सेंसरी न्यूरल नर्व हियरिंग लॉस डिसीज़ कहा जाता है।
इस कंडीशन में कान में प्रेजेंट छोटे बाल कोशिकाएं क्षतिग्रस्त या वायरल संक्रमित हो जाती हैं, जो ध्वनि को सुनने का कार्य करती हैं, लेकिन इंटरनल लेयर डैमेज होने के कारण इंसान बहरेपन का शिकार हो जाता है, हालांकि बाह्य और मध्य कान के डैमेज के कारण को दूर किया जा सकता है लेकिन आंतरिक कान के संरचना में दिमाग तक जानें वाली नसे डैमेज होती हैं, इस समस्या को ठीक करना सम्भव नहीं है।
Rare sensory Neural Nerve Hearing Loss के मुख्य कारण
रेयर सेंसरी न्यूरल नर्व हियरिंग लॉस के कई कारण हों सकते हैं-
1) जन्मजात – कभी कभी ये समस्या अनुवांशिक कारक या गर्भावस्था की जटिलताओं के कारण उत्पन्न होती है।
2) लाउड स्पीकर के कारण – ज़्यादा समय तक लाउड स्पीकर सुनने से कान के अंदर मौजूद छोटे छोटे बालों की कोशिकाएं डैमेज हो जाती हैं, जिस कारण से भी बहरेपन की समस्या हो सकती है।
3) ऑटोटॉक्सिस दवाई के इस्तेमाल – किसी बीमारी के चलते कुछ एंटीबायोटिक और कीमोथेरेपी की दवाई की वजह से यह बीमारी हो सकती है।
रेयर सेंसरी न्यूरल नर्व हियरिंग लॉस के लक्षण
1) इस प्रकार की बीमारी में इंसान को बहुत ही कम सुनाई देता है, या फिर वह अपनी सुनने की क्षमता को खो देता है।
2) कानों में भिनभिनाहट या घंटियां बजने जैसी आवाज़ सुनाई देना ।
3) लोगों के बीच चल रही बातों को सुनने में असमर्थ होना या न समझ पाना।
4) लोगों द्वारा चल रही बातें गुनगुनाती हुई सुनाई देना।
5) दोनों कानों से सुनने वाली ध्वनि में समरूपता न होना।
क्या कहते हैं डाक्टर सेंसरी न्यूरल नर्व हियरिंग लॉस के बारे में?
सेंसरी न्यूरल नर्व हियरिंग लॉस (आरएसएनएचएल ) उम्र बढ़ने के कारण धीरे-धीरे हो सकता है या यह रातों-रात हो सकता है। स्पीच एंड हियरिंग इंस्टीट्यूट में ऑडियोलॉजी की प्रोफेसर डॉ. दीना प्रिया कहती हैं कि अगर अचानक बहरापन शुरू होने के 48 या 72 घंटों के भीतर इलाज शुरू नहीं किया जाता है, तो यह लगभग अपरिवर्तनीय है।
बिना देरी किए ईएनटी डॉक्टर से मिलें। अगर सूजे हुए मोम की वजह से ऐसा नहीं होता है, तो और टेस्ट करवाने होंगे। डॉ. शमन्ना कहती हैं कि स्टेरॉयड (सेलुलर डैमेज को कम करने के लिए), वैसोडिलेटर्स (रक्त प्रवाह को बढ़ाने के लिए), एंटी-वायरल दवा और विटामिन बी12 के साथ समय रहते सुनने की क्षमता 85 प्रतिशत तक ठीक हो सकती है। डॉ. चतुर्वेदी के अनुसार, वायरल हमलों के मामले में लगभग पूरी तरह से ठीक होना संभव है। लेकिन डॉ. रमन कहते हैं कि शुरुआती हस्तक्षेप के बावजूद, कुछ मामलों में सुधार नहीं दिखता।
(Source: deccanherald)
Rare Sensory Neural Nerve Hearing Loss रेयर सेंसरी न्यूरल नर्व हियरिंग लॉस बीमारी से कैसे बचें ?
इस कंडीशन में कान में उपस्थित नस और लार ग्रंथि में सूजन हो जाती है। अगर इस समस्या के शुरुआती लक्षणों के दौरान ही डॉक्टर से संपर्क कर लिया जाए तो कान में होने वाली इस समस्या से निजात पाया जा सकता है। बीमारी से बचने के लिए बरतें यह सावधानियां:
1) इस गंभीर बीमारी से बचने के लिए कान में हेडफोन या इयरफोन के आवाज़ को मध्यम पर रखें।
2) शोर शराबे वाले जगह पर जानें से बचें।
3) गाड़ी चलाते वक्त हेलमेट का यूज़ ज़रूर करें। जिससे सिर और कान पर चोट लगने से बचा जा सके।
4) तेज़ आवाज़, धूम्रपान, शराब का सेवन, मधुमेह जैसी बीमारियाँ, गठिया जैसी ऑटोइम्यून बीमारियाँ और कैंसर की दवाएँ भी अचानक सुनने की क्षमता को कम कर सकती हैं। समय समय पर डाक्टर से अपने कानों की जांच कराते रहें।
जब हम परमात्मा से दूर होते हैं तो स्वास्थ्य भी साथ नहीं देता
फिल्मी चकाचौंध, अपार सफलता, धन, नाम, शौहरत, अच्छा स्वास्थ्य और ऊपर से प्रतिभावान होना। यह सब चीज़ें हमारे सपनों को तो पूरा करने में मदद करती हैं परंतु परमात्मा से और उनके ज्ञान से हमें कोसों दूर कर देती हैं। परमात्मा से दूर होने पर पिछले पुण्यों के कारण वर्तमान जन्म में सुख, सुविधाएं, धन, शोहरत आदि तो सब मिल जाता है परंतु पुण्यों के खत्म होते ही दुखों का ज़ोर का झटका भी लगता है। तब ऐसे समय में मनुष्य को केवल परमात्मा ही याद आता है।
पूर्ण परमात्मा इतना दयालु है कि देर से उनकी शरण में आने वालों के भी पाप क्षमा करके उन्हें निरोगी काया भी देता है और यदि मृत्यु भी पास में हो तो साधक की आयु भी बढ़ा देता है। आप भी अपनी सेहत को लेकर सतर्क रहें और स्वस्थ रहें और सदा ईश्वर को याद रखें। अधिक जानकारी के लिए jagatgururampalji.org विज़िट करें और परमात्मा को पहचानें।