चार धाम यात्रा: धार्मिक आस्था या शास्त्रों के विरुद्ध मनमाना आचरण? 

चार धाम यात्रा धार्मिक आस्था या शास्त्रों के विरुद्ध मनमाना आचरण 

चार धाम यात्रा भारत के उत्तराखंड राज्य में स्थित हिंदू धर्म के चार पवित्र तीर्थ स्थलों की यात्रा है। यह यात्रा हिंदू धर्मावलंबियों के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थ यात्रा मानी जाती है, जो उनकी आध्यात्मिक यात्रा को पूरा करने में मदद करती है। मान्यता तो यहां तक है कि जीवन में एक बार इन चार धामों की यात्रा करने से मनुष्य पाप मुक्त होकर परम धाम यानी मोक्ष को प्राप्त करता है। 

इन धामों का वर्णन पवित्र पुराणों में भी मिलता है; परंतु पवित्र श्रीमद्भगवद्गीता और वेदों में मोक्ष प्राप्ति का मार्ग कुछ और ही बताया गया है, वह इससे अलग है। आईए विस्तार से जानते हैं इन धामों के बारे में और इन धामों पर जाने से होने वाले लाभ के बारे में… 

कौन-कौन से हैं चारों धाम 

 चार धाम दो प्रकार के होते हैं: बड़े चार धाम और छोटे चार धाम। चार धाम यात्रा से अभिप्राय छोटे चार धामों की यात्रा से है जो कि एक ही राज्य में स्थित है। बड़े चार धामों की यात्रा भी महत्वपूर्ण है, लेकिन यह देश के अलग-अलग क्षेत्रों में फैली हुई है और इसके लिए अधिक समय और संसाधनों की आवश्यकता होती है।

बड़े चार धाम

बड़े चार धाम भारत वर्ष के कुछ राज्यों में स्थित हैं जो कि निम्न हैं:

बद्रीनाथ (उत्तराखंड): यह भगवान विष्णु के चतुर्थ अवतार की तपोभूमि है। जो अलकनंदा नदी के किनारे स्थित है। इस धाम के बारे में कहावत है कि- “जो जाए बद्री, वो न आए ओदरी” यानि जो व्यक्ति बद्रीनाथ के दर्शन कर लेता है उसे माता के गर्भ में दोबारा जन्म नहीं लेना पड़ता है। यानि उसका मोक्ष हो जाता है। लेकिन यह सिर्फ कहावत है सच्चाई कुछ अन्य है जो गीता जी 

द्वारिका (गुजरात): भगवान कृष्ण को समर्पित एक मंदिर है, जो अरब सागर के किनारे स्थित है। इस स्थान पर द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण जी की द्वारका नगरी थी, जो आज समुद्र में समाहित हो चुकी है। वर्तमान समय में इस पावन स्थल पर द्वारकाधीश मंदिर स्थित है। मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण चांदी स्वरूप में स्थापित हैं। इतिहासकारों की मानें तो गुजरात के द्वारकाधीश मंदिर का निर्माण भगवान श्रीकृष्ण के पड़पोते ने करवाया था। कालांतर से मंदिर का विस्तार होता रहा है।

जगन्नाथ पुरी (ओडिशा): भगवान जगन्नाथ के नाम से एक मंदिर है, जो बंगाल की खाड़ी के किनारे उड़ीसा राज्य में स्थित है। इस मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण समेत बलराम और बहन सुभद्रा की पूजा उपासना की जाती है। आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष में जगन्नाथ रथ यात्रा निकाली जाती है। जगन्नाथ मंदिर की स्थापना कैसे हुई जानने के लिए देखें यह वीडियो – 

रामेश्वरम (तमिलनाडु): भगवान शिव को समर्पित एक मंदिर है, जो हिंद महासागर के किनारे स्थित है। मान्यता है कि भगवान श्रीराम ने लंका जाते समय इसी जगह पर भगवान शिव जी की प्रतिमा(शिवलिंग) स्थापित कर उनकी पूजा की थी। यह प्रतिमा श्रीरामचंद्र जी ने स्वंय अपने हाथों से बनाई थी। 

छोटे चार धाम

छोटे चार धाम उत्तराखंड राज्य में स्थित हैं जो कि निम्न हैं —

यमुनोत्री: यमुना नदी के उद्गम स्थल के पास स्थित एक मंदिर है, जो भगवान शिव को समर्पित है।

गंगोत्री: गंगा नदी के उद्गम स्थल के पास स्थित एक मंदिर है, जो भगवान शिव को समर्पित है।

केदारनाथ: भगवान शिव को समर्पित एक मंदिर है, जो मंदाकिनी नदी के किनारे स्थित है। जिसकी स्थापना महाभारत काल में हुई थी। दलदल अधिक होने के कारण लगभग 60 वर्ष तक यहाँ कोई पूजा-आरती नहीं की गई। ना कोई दर्शन करने गया था। बाद में 30-40 वर्ष से पुनः दर्शनार्थी जाने लगे हैं इसके बावजूद कि यहाँ जाना अपनी जान को जोखिम में डालने के समान है। हर साल यहां दर्शनार्थियों के साथ कुछ न कुछ दुर्घटनाएं घट ही जाती है जिसकी ख़बरें आप अवश्य सुनते-पढ़ते होंगे। हाल ही में बीते बुधवार (31 जुलाई 2024) को यहाँ हज़ारो दर्शनार्थी जा रहे थे अचानक बादल फटने और बाढ़ आने से सब बीच रास्ते में ही फंस गए। अभी तक रेसक्यू ऑपरेशन चल रहा है। जानकारी मिली है कि अभी तक 17 लोगों के मौत की पुष्टि हो चुकी है।

ऐसी ही घटना साल 2012 में घटी थी जिसमें हजारों व्यक्ति बह गए थे। यदि यह साधना गीता जी में वर्णित होती तो वहाँ जाने वाले श्रद्धालुओं की मौत हो जाने पर कम से कम वे पुण्यों के साथ परमात्मा के दरबार में तो जाते। परंतु शास्त्र विरुद्ध भक्ति होने से जान भी गई और आत्म कल्याण से भी वंचित रह गए। 

बद्रीनाथ: भगवान विष्णु को समर्पित एक मंदिर है, जो अलकनंदा नदी के किनारे स्थित है। जो कि देश के बड़े चार धामों में भी गिने जाते हैं। 

सर्वश्रेष्ट तीर्थ (धाम) चित्तशुद्ध तीर्थ है 

श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण(केवल हिंदी) छठा स्कंध अध्याय 10 पृष्ठ 428 पर व्यास जी ने कहा है कि तीर्थ स्थल पर जाने व स्नान आदि करने से कोई विशेष लाभ नहीं है। सर्वोत्तम तीर्थ चित्तशुद्ध (तत्वदर्शी संत के ज्ञान से चित्त की शुद्धि) तीर्थ को बताया गया है।

तीर्थ तथा धाम की अन्य जानकारी

जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज बताते हैं कि तीर्थ व धाम एक इमामदस्ता (ओखली) की तरह है।

जैसे एक व्यक्ति अपने पड़ोसी का हमाम दस्ता मांग कर लाया। उसने हवन की सामग्री कूटी तथा मांज-धोयकर लौटा दिया। जिस कमरे में हमोम दस्ता रखा था उस कमरे में सुगंध आने लगी। घर के सदस्यों ने देखा कि यह सुगन्ध कहां से आ रही है तो पता चला कि हमोम दस्ते से आ रही है। वे समझ गए कि पड़ौसी ले गया था, उसने कोई सुगंध युक्त वस्तु कूटी है। कुछ दिन बाद वह सुगंध भी आनी बंद हो गई। इसी प्रकार तीर्थ व धाम को एक हमोमदस्ता (ओखली) जानों। जैसे सामग्री कूटने वाले ने अपनी सर्व वस्तु पोंछ कर रख ली। खाली हमोम दस्ता लौटा दिया। अब कोई उस हमोम दस्ते को सूंघकर ही कृत्यार्थ माने तो नादानी है। उसको भी सामग्री लानी पड़ेगी, तब पूर्ण लाभ होगा। 

ठीक इसी प्रकार किसी धाम व तीर्थ पर रहने वाला पवित्र आत्मा तो राम नाम की सामग्री कूट कर झाड़-पौंछ कर अपनी सर्व भक्ति साधना की कमाई को साथ ले गया। बाद में अनजान श्रद्धालु, उस स्थान पर जाने मात्र से कल्याण समझें तो उनके मार्ग दर्शकों (गुरुओं) की शास्त्र विधि रहित बताई साधना का ही परिणाम है। उस महान आत्मा सन्त की तरह प्रभु साधना करने से ही कल्याण सम्भव है। उसके लिए तत्वदर्शी संत की खोज करके उससे उपदेश लेकर आजीवन भक्ति करके मोक्ष प्राप्त करना चाहिए। शास्त्र विधि अनुकूल सत साधना आज पूरे विश्व में केवल संत रामपाल जी महाराज के पास उपलब्ध है जिसे कोई भी व्यक्ति निःशुल्क प्राप्त कर सकता है।

चार धाम यात्रा को लेकर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs about Char Dham Yatra) 

Q. चार धाम कौन से हैं?

चार धाम में बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री शामिल हैं।

Q. चार धाम यात्रा का समय क्या है?

चार धाम यात्रा आमतौर पर अप्रैल से जून और सितंबर से नवंबर के बीच की जाती है।

Q. चार धाम यात्रा के लिए कौन सा मार्ग सबसे अच्छा है?

चार धाम यात्रा के लिए सबसे अच्छा मार्ग हरिद्वार से यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और फिर बद्रीनाथ की ओर जाना है।

Q. चार धाम यात्रा के लिए आवश्यक दस्तावेज़ क्या हैं?

चार धाम यात्रा के लिए आवश्यक दस्तावेज़ में आधार कार्ड, पैन कार्ड, हेल्थ सर्टिफिकेट और यात्रा बीमा शामिल हैं।

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