संयुक्त राष्ट्र महासभा में यूके के प्रधानमंत्री कीर स्टारमर ने भारत की यूएनएससी (UNSC) में स्थायी सदस्यता का किया समर्थन 

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संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के 79वें सत्र में यूके के प्रधानमंत्री कीर स्टारमर ने भारत के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में स्थायी सीट की वकालत की। यह बयान भारत के लिए एक महत्वपूर्ण समर्थन है, क्योंकि सुरक्षा परिषद में सुधार और अधिक प्रतिनिधित्व की मांग लंबे समय से की जा रही है। स्टारमर ने कहा कि सुरक्षा परिषद को वर्तमान वैश्विक परिदृश्य के अनुरूप होना चाहिए और इसमें भारत, ब्राज़ील, जर्मनी, जापान और अफ्रीकी देशों को स्थायी सदस्यता दी जानी चाहिए।

स्टारमर ने इस बात पर ज़ोर दिया कि यूएनएससी में सुधार की आवश्यकता है ताकि यह संगठन अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा से संबंधित बढ़ते खतरों का प्रभावी रूप से मुकाबला कर सके। उन्होंने यह भी कहा कि यूएनएससी को अधिक समावेशी और लोकतांत्रिक बनाने के लिए इन देशों को स्थायी सदस्यता दी जानी चाहिए, जिससे वैश्विक चुनौतियों का समाधान बेहतर तरीके से किया जा सके।

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संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में भारत की स्थायी सदस्यता की आवश्यकता

भारत की स्थायी सदस्यता की मांग का समर्थन न केवल ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ने किया, बल्कि अमेरिका और फ्रांस जैसे प्रमुख देशों ने भी हाल ही में इसे समर्थन दिया है। भारत की वैश्विक मंच पर बढ़ती भूमिका और शांति अभियानों में उसके योगदान को देखते हुए, यह समर्थन उसके यूएनएससी में स्थान की मान्यता के रूप में देखा जा रहा है। इस कदम से भारत की यूएनएससी स्थायी सदस्यता की संभावनाओं को और मजबूती मिली है और यह वैश्विक राजनीति में भारत की बढ़ती ताकत और योगदान को दर्शाता है।

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने स्पष्ट रूप से भारत, जर्मनी, जापान और ब्राज़ील को स्थायी सदस्यता देने की मांग का समर्थन किया, साथ ही उन्होंने अफ्रीकी देशों को भी उचित प्रतिनिधित्व देने की बात कही।

इसके अलावा, नाइजीरिया के राष्ट्रपति बोला अहमद टीनूबू ने भी UNSC में अफ्रीकी देशों के लिए स्थायी सीट की मांग की। उन्होंने कहा कि अफ्रीका को सुरक्षा परिषद में उचित सम्मान और स्थायी सदस्यता दी जानी चाहिए, ताकि वह वैश्विक निर्णय लेने में समान भूमिका निभा सकें। इन मांगों से यह स्पष्ट होता है कि UNSC के विस्तार की मांग व्यापक रूप से बढ़ रही है, और कई बड़े देश इस दिशा में सुधार की बात कर रहे हैं, जिससे यह निकाय अधिक समावेशी और प्रभावी बन सके।

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) क्या है?

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) विश्व की सबसे प्रभावशाली संस्थाओं में से एक है, जो वैश्विक शांति और सुरक्षा के मुद्दों पर निर्णय लेती है। वर्तमान में यूएनएससी में पाँच स्थायी सदस्य देश हैं- अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस और ब्रिटेन, जिनके पास वीटो का अधिकार है। इन देशों के निर्णय वैश्विक नीतियों और सुरक्षा के मामलों में निर्णायक भूमिका निभाते हैं। 

क्या भारत को इस शक्तिशाली संगठन में स्थायी सदस्यता मिलनी चाहिए? 

भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में स्थायी सदस्यता मिलने की आवश्यकता पर विभिन्न दृष्टिकोण हैं। भारत, जो दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और एक उभरती हुई अर्थव्यवस्था है। इसके साथ ही, भारत ने 50 से अधिक शांति अभियानों में 2 लाख से अधिक सैनिक भेजे हैं, जो उसकी अंतरराष्ट्रीय शांति में सक्रिय भूमिका को दर्शाता है। अभी UNSC में केवल चीन एशियाई क्षेत्र का स्थायी सदस्य है, जबकि भारत की स्थायी सदस्यता एशिया की आवाज़ को अधिक मजबूती देगी। 

इसके अलावा, अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन और रूस जैसे प्रमुख देशों का समर्थन भारत की स्थायी सदस्यता की मांग को और मजबूत करता है। इन तर्कों के आधार पर, कई विशेषज्ञ मानते हैं कि UNSC में भारत की स्थायी सदस्यता केवल भारत के लिए ही नहीं, बल्कि वैश्विक संतुलन और प्रतिनिधित्व के लिए भी महत्वपूर्ण है।

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में भारत की स्थायी सदस्यता की आवश्यकता मुख्य बिंदु:

1. विश्व का सबसे बड़ी लोकतंत्र: भारत 1.4 अरब जनसंख्या वाला विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है, जिसका यूएनएससी में स्थायी प्रतिनिधित्व ज़रूरी है।

2. अर्थव्यवस्था और वैश्विक मंच पर भारत की भूमिका: भारत एक उभरती अर्थव्यवस्था है और वैश्विक मुद्दों जैसे जलवायु परिवर्तन, आतंकवाद और विकासशील देशों की आवाज़ को उठाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

3. संयुक्त राष्ट्र में योगदान: भारत ने 50 से अधिक शांति अभियानों में 2 लाख से अधिक सैनिक भेजे हैं, जो इसे यूएनएससी में स्थायी सीट के योग्य बनाता है।

4. एशिया का प्रतिनिधित्व: एशिया में केवल चीन यूएनएससी में स्थायी सदस्य है, जबकि भारत की स्थायी सदस्यता से एशिया की आवाज़ को और मजबूती मिलेगी।

5. वैश्विक समस्याओं के समाधान में भारत की भूमिका: भारत ने अंतरराष्ट्रीय समस्याओं के समाधान में रचनात्मक दृष्टिकोण पेश किया है, जो यूएनएससी को और अधिक संतुलित बना सकता है।

6. वीटो का अधिकार और शक्ति संतुलन: भारत की स्थायी सदस्यता से यूएनएससी के भीतर शक्ति संतुलन बेहतर होगा और उसे वैश्विक मुद्दों पर प्रभावी निर्णय लेने का अधिकार मिलेगा।

7. विरोध और समर्थन: चीन भारत की सदस्यता का विरोध करता है, लेकिन अमेरिका, रूस, फ्रांस और ब्रिटेन इसका समर्थन करते हैं।

विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र

भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है, जहां 1.4 अरब से अधिक की आबादी निवास करती है। इतनी बड़ी जनसंख्या और विविधता वाले देश का यूएनएससी जैसी महत्वपूर्ण संस्था में प्रतिनिधित्व न होना एक असंतुलन को दर्शाता है। यूएनएससी का कार्य विश्व में शांति और सुरक्षा सुनिश्चित करना है, और इस काम में भारत की सहभागिता का विशेष महत्व है। भारत की स्थायी सदस्यता से न केवल सुरक्षा परिषद का लोकतांत्रिक स्वरूप मज़बूत होगा, बल्कि यह संगठन और भी अधिक प्रतिनिधित्वात्मक और न्यायसंगत बनेगा।

अर्थव्यवस्था और वैश्विक मंच पर भारत की भूमिका

भारत विश्व की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत का कद लगातार बढ़ रहा है। भारत न केवल एक उभरती हुई अर्थव्यवस्था है, बल्कि यह कई वैश्विक मुद्दों पर भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है, चाहे वह जलवायु परिवर्तन हो, आतंकवाद का मुकाबला करना हो, या विकासशील देशों की आवाज़ को वैश्विक मंच पर उठाने की बात हो। भारत की स्थायी सदस्यता से ये मुद्दे और अधिक ज़ोरदार तरीके से उठाए जा सकेंगे।

संयुक्त राष्ट्र में योगदान

भारत ने संयुक्त राष्ट्र की विभिन्न शांति मिशनों में बड़ा योगदान दिया है। भारतीय सेना ने कई देशों में शांति स्थापित करने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। भारत ने 1950 के दशक से लेकर अब तक 50 से अधिक शांति अभियानों में 2 लाख से अधिक सैनिक भेजे हैं। यह योगदान यह सिद्ध करता है कि भारत वैश्विक शांति और स्थिरता में अपना अहम योगदान दे रहा है। इतना बड़ा योगदान देने वाले देश का यूएनएससी में स्थायी सीट पर न होना उचित नहीं है। 

एशिया का प्रतिनिधित्व

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में एशिया के एकमात्र स्थायी सदस्य के रूप में चीन का प्रतिनिधित्व है। लेकिन एशिया एक बड़ा और विविधतापूर्ण महाद्वीप है जिसमें भारत, जापान, दक्षिण कोरिया और अन्य कई शक्तिशाली देश शामिल हैं। चीन की एकपक्षीय स्थिति एशिया के अन्य देशों के विचारों और हितों को उचित प्रतिनिधित्व नहीं देती। भारत की स्थायी सदस्यता से एशिया की आवाज़ को और मजबूती मिलेगी और यह क्षेत्रीय संतुलन को भी बढ़ावा देगा।

वैश्विक समस्याओं के समाधान में भारत की भूमिका

भारत ने समय-समय पर अंतरराष्ट्रीय समस्याओं के समाधान में एक रचनात्मक और सकारात्मक दृष्टिकोण पेश किया है। चाहे वह कश्मीर मुद्दा हो या फिर इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में स्थिरता बनाए रखने की बात हो, भारत ने हमेशा संयम और संवाद का रास्ता अपनाया है। भारत ने परमाणु हथियारों के प्रसार को रोकने के लिए भी महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं और विश्व में शांतिपूर्ण विकास को बढ़ावा देने के लिए अपनी प्रतिबद्धता दिखाई है। इसलिए, भारत की स्थायी सदस्यता से यूएनएससी के निर्णय लेने की प्रक्रिया और अधिक संतुलित और समग्र बन सकती है।

वीटो का अधिकार और शक्ति संतुलन

यूएनएससी में स्थायी सदस्य देशों को वीटो का अधिकार है, जो किसी भी महत्वपूर्ण प्रस्ताव को अस्वीकार कर सकता है। भारत के पास यह अधिकार नहीं होने से उसके विचार और प्रस्ताव उतने प्रभावी नहीं हो पाते, जितने होने चाहिएं। अगर भारत को स्थायी सदस्यता मिलती है, तो वह वैश्विक मुद्दों पर अपने विचारों और सुझावों को और अधिक प्रभावी तरीके से प्रस्तुत कर सकेगा। साथ ही, यह यूएनएससी के भीतर शक्ति संतुलन को बेहतर बनाए रखने में मदद करेगा, जो वर्तमान में पाँच देशों के हाथों में सिमटा हुआ है।

विरोध और समर्थन

हालांकि, भारत की स्थायी सदस्यता को लेकर कुछ विरोध भी है, विशेषकर चीन द्वारा। चीन, जो यूएनएससी का स्थायी सदस्य है, भारत की सदस्यता के खिलाफ रहा है, जबकि अन्य प्रमुख देश जैसे अमेरिका, रूस, फ्रांस और ब्रिटेन भारत की स्थायी सदस्यता का समर्थन कर रहे हैं। इसके बावजूद, यह साफ है कि भारत की स्थायी सदस्यता के लिए वैश्विक समर्थन तेजी से बढ़ रहा है, और आने वाले वर्षों में यह वास्तविकता बन सकती है।

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता न केवल भारत के लिए, बल्कि पूरे विश्व के लिए लाभकारी होगी। यह संगठन की लोकतांत्रिकता, समावेशिता और न्यायसंगतता को बढ़ावा देगा। भारत जैसे महत्वपूर्ण देश की स्थायी सदस्यता से यूएनएससी की निर्णय प्रक्रिया और अधिक प्रभावी, संतुलित और समावेशी बनेगी। ऐसे में भारत की स्थायी सदस्यता की मांग समय की आवश्यकता है, जो आने वाले समय में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है।

भारत बनेगा विश्वगुरु 

नास्त्रेदमस समेत कई अन्य भविष्यवक्ताओं ने भारत के बारे में भविष्यवाणी की थी जिसमें कहा गया है कि एक महान हिंदू संत/ शायरन (Chyren) की अगुवाई में भारत एक बार फिर से विश्व गुरु बनेगा। भविष्यवक्ताओं का मानना है कि भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक धरोहर उसे वैश्विक स्तर पर पुनर्स्थापित करने में मदद करेगी।

जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी के अनुयायी इस बात पर ज़ोर देते हैं कि उनकी शिक्षाएं और उपदेश लोगों को आध्यात्मिक जागरूकता की ओर ले जा रहे हैं, जिससे एक नया युग प्रारंभ होगा। उनका मानना है कि सही मार्गदर्शन के साथ, भारत अपनी आध्यात्मिक और नैतिकता की जड़ों में वापस लौटकर वैश्विक नेतृत्व की भूमिका निभा सकता है। संत रामपाल जी का संदेश न केवल भारत के भीतर, बल्कि विदेशों में भी फैल रहा है, जिससे उनकी शिक्षाओं का व्यापक प्रभाव हो रहा है। उनके अनुयायी इसे एक संकेत के रूप में देखते हैं कि भारत फिर से विश्व गुरु बनने की ओर अग्रसर है। अधिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी की वेबसाइट या उनके अनुयायियों द्वारा संचालित सामाजिक कार्यक्रमों के बारे में 

www.jagatgururampalji.org पर देख सकते हैं।

भारत की संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में स्थायी सदस्यता पर FAQs

1. भारत को यूएनएससी में स्थायी सदस्यता की आवश्यकता क्यों है?

भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और वैश्विक शांति, सुरक्षा और विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। भारत की स्थायी सदस्यता से यूएनएससी की लोकतांत्रिकता और संतुलन को बढ़ावा मिलेगा, साथ ही भारत वैश्विक मुद्दों पर प्रभावी निर्णय लेने में सक्षम होगा।

2. क्या यूएनएससी में भारत को वीटो का अधिकार मिलेगा?

अगर भारत को स्थायी सदस्यता मिलती है, तो उसे वीटो का अधिकार प्राप्त होगा। वर्तमान में यूएनएससी के पाँच स्थायी सदस्यों अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस, और ब्रिटेन को वीटो का अधिकार है, जो किसी भी प्रस्ताव को अस्वीकार कर सकते हैं।

3. यूएनएससी में स्थायी सदस्यता के लिए भारत का समर्थन कौन से देश कर रहे हैं?

अमेरिका, रूस, फ्रांस, और ब्रिटेन जैसे प्रमुख देश भारत की स्थायी सदस्यता का समर्थन कर रहे हैं। हालांकि, चीन इसका विरोध करता है।

4. यूएनएससी में भारत का योगदान क्या रहा है?

भारत ने 1950 के दशक से लेकर अब तक 50 से अधिक शांति अभियानों में 2 लाख से अधिक सैनिक भेजे हैं और कई अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर शांतिपूर्ण समाधान का समर्थन किया है। यह दिखाता है कि भारत वैश्विक शांति और स्थिरता में एक सक्रिय योगदान देता है।

5. भारत की स्थायी सदस्यता से यूएनएससी में क्या बदलाव होंगे?

भारत की स्थायी सदस्यता से यूएनएससी में क्षेत्रीय संतुलन और प्रतिनिधित्व बढ़ेगा। एशिया और विकासशील देशों की आवाज़ को और अधिक महत्व मिलेगा, जिससे यूएनएससी के निर्णय अधिक समावेशी और संतुलित होंगे।

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