जानवरों पर अत्याचार व कानूनी सुरक्षा 

जानवरों पर अत्याचार व कानूनी सुरक्षा

माना जाए तो भावनात्मक स्तर पर मनुष्य का सबसे अच्छा दोस्त जानवर होता है। जानवरों और इंसानों का रिश्ता बहुत ही पुराना है। इंसानों ने जानवरों की मदद से ही विकास किया है। जैसे फसल के लिए बैल, घर के लिए कुत्ते, दूध के लिए गाय व बकरी, सफर के लिए घोड़े, ऊंट, बैल, सामान ढोने के लिए घोड़े, गधे, खेतों में पानी के लिए बैल व गधे आदि-आदि। इतना लंबा सफर इंसान ने जिन जानवरों की मदद से किया है उन्हीं जानवरों के लिए आज इंसान स्वयं जानवर बन गया है। 

अपने मनोरंजन के लिए अत्याचार की कोई भी हद पार करने को तैयार है। जैसे रेस में घोड़ों को भगाना, पैसे जीतना, बैलों को लड़वाना, मुर्गों को लड़वाना आदि आदि। अपने चंद फायदे के लिए मनुष्य आज जानवरों की जान लेने से भी नहीं झिझकता। जानवरों के अंगों को बेचकर कमाई की चाह में इंसान बेरहमी से जानवरों का कत्ल भी कर देता है। जानवरों का असली ठिकाना वैसे तो पूरी पृथ्वी पर है परंतु इंसानों के रहते ज्यादातर जानवरों के लिए जंगल ही है। जानवरों की रिहाईश को भी इंसान ने सुरक्षित नहीं छोड़ा। 

जंगल के जानवरों को मार कर उनके अंगों का व्यापार करना।  गुलाम बनाकर मनोरंजन के लिए सर्कस शो करना, चिड़ियाघर खोलना, मार मार कर उनको सिखाना और बूढ़े होने पर उनके अंगों को बेचना, इंसान के स्वार्थ की सीमा को दर्शाता है जिसका दायरा बढ़ने के साथ-साथ कभी ना खत्म होना; ऐसा नज़र आता है। 

एक कहावत है “जिंदा हाथी लाख का, मरा तो सवा लाख का” और यह कहावत केवल हाथी पर ही नहीं अन्य जंगली जानवरों पर भी लागू होती है। अपने स्वार्थ के लिए ऐसे ऐसे दर्दनाक कारनामें इंसान जानवरों के साथ करता है कि जानकर रूह कांप जाती है। कहीं पर गर्भवती हथनी को अनानास में बारूद डालकर खिलाया जा रहा है तो कहीं पर गर्भवती गाय को विस्फोटक खिलाया जा रहा है। कई ऐसे इलाके भी है जहां पर  चीते की पीट-पीट कर हत्या कर दी जाती है। क्या यह सभी बातें इंसान का जानवर बनना नहीं दर्शाता? पाठक आप ही निर्णय करें।

किसी का मनोरंजन तो किसी के लिए तनाव 

अत्याचार की लिस्ट तो काफी लंबी है। यह लिस्ट जैसे खत्म होने का नाम ही नहीं लेती। अत्याचार की लिस्ट में चिड़ियाघर भी शामिल है। यहां बेजुबान जानवर अपनी ही जिंदगी से जंग लड़ते नजर आते हैं। कैद में रखे हुए शेर, चीता, भालू, बाग, हिरण, मोर, खरगोश जैसे जानवर तनाव में भी चले जाते हैं और इनमें से कुछ तो पागल भी हो जाते हैं।

एक चिड़ियाघर में 4500 हाथियों पर हुए सर्वे के दौरान यह भी सामने आया है कि चिड़ियाघर में रहने वाले हाथियों की औसत उम्र 19 साल है। जबकि जो हाथी आजाद रहते हैं उनकी औसत उम्र 56 वर्ष बताई गई है। इससे अन्य जानवरों के जीवन पर भी पड़ रहे प्रभाव का भी अनुमान लगाया जा सकता है। सर्वे में यह भी सामने आया है कि मांसाहारी जानवर जैसे शेर, चीता, भालू, बाघ आदि में चिड़ियाघर के अंदर पागलपन के लक्षण दिखे हैं। किस कदर इंसान केवल अपने स्वार्थ के लिए, चंद रुपयों के लिए या झूठी शान के लिए जानवरों पर खुलेआम अत्याचार करता जा रहा है। 

मानव स्वार्थ पूर्ति हेतु जानवरों की हत्या के आंकड़े है भयावह 

अभी तक हमने आपको सिर्फ वो अत्याचार बताए है जो जीवित जानवरों पर किए जाते है। आईए अब जाने है कि किस तरह इंसान की लालच, जानवरों को मौत के घाट उतार देती है। आंकड़ों के मुताबिक इंसान हर साल 5000 करोड़ चिकन खा जाता है। चिकन को लेकर इंसान कहता है कि चिकन बना ही खाने के लिए है। अगर हम इसे नहीं खाएंगे तो पूरी पृथ्वी पर मुर्गे ही फैल जाएंगे, भगवान ने इन्हें खाने के लिए ही बनाया है।

अगला आंकड़ा है सूअर का है। इंसान हर साल 150 करोड़ सूअर खा जाता है, जो कि एक दिन का लगभग 14.25 करोड़ हुआ। इतना ही नहीं इंसान की लालच का शिकार वह पशु भी होते है, जो इंसान को दूध और घी प्रदान करते है। विश्व भर में हर साल 30 करोड़ गायों और भैंसों को मारा जाता है। इंसान ने हर साल 50 करोड़ भेड़ खाने का आंकड़ा भी अपने नाम दर्ज करवाया है। जो आंकड़े आपको अभी तक बताएं वह उन जानवरों के हैं जो मनुष्य के सबसे अच्छे दोस्त के रूप में सामने आए हैं। मनुष्य की हर जरूरत पूरी करने में सहायक है। आपको जानकर हैरानी होगी कि गैंडे की हत्या भी केवल यौन उत्तेजना बढ़ाने वाली दवाइयां बनाने के लालच में की जाती है। मानव द्वारा जानवरों पर किए गए यह कृत्य अत्यंत निंदनीय है। 

जल के जीव भी नहीं है मानवीय प्रताड़ना से अछूते 

अभी तक हमने आपको जमीन में रहने वाले जानवरों के बारे में बताया, आइए अब हम आपको जल में रहने वाले जानवरों के बारे में बताएंगे। सबसे पहले और आम तौर पर देखे जाने वाला अत्याचार है; एक्वेरियम। 

एक्वेरियम जिसको जलीय जीवों की जेल भी कहा जाता है जैसे चिड़ियाघर/ज़ू में जानवर होते हैं वैसे ही समुद्री जीव जो विशाल महासागर में स्वतंत्र रहने के आदी होते हैं वह छोटे-छोटे टैंको में कैद कर लिए जाते हैं। मछलियों को कांच से टकराने के कारण चेहरे पर निरंतर चोट लगती रहती है, जो अपने आप में अत्याचार है। 

दूसरा है डॉल्फिनेरियम :- यह एक ऐसा पार्क जिसमें डॉल्फिन और अन्य जीवों को केवल मानव के मनोरंजन के लिए कई ट्रिक सीखने व दिखाने के लिए मजबूर किया जाता है। डॉल्फिन एक ऐसा जीव है जो मानव को अपना मित्र मानता है तथा समुद्र में भी समूह में ही रहता है। आमतौर पर यह मछली समुद्र में स्वतंत्र घूमती है। ऐसे जीव को कांक्रीट टैंक में कैद रखना बेहद क्रूर होता है, जिसके चलते कई बार इसकी मृत्यु भी हो जाती है। 

भारतीय संविधान में जानवरों के अधिकार  

अब सवाल यह उठता है कि क्या कानून इन बेजुबान जानवरों के लिए कुछ नहीं कर रहा? समय अनुसार सरकार ने भी बड़े-बड़े नियम बनाए हैं। भारतीय संविधान में जानवरों को इंसानों जैसे ही अधिकार दिए गए हैं। जिस प्रकार भारतीय संविधान हर नागरिक को जीने का अधिकार देता है ठीक उसी प्रकार भारतीय संविधान में जानवरों को भी जीने की आजादी दी गई है। अगर कोई कानून तोड़ता है तो संविधान में दंड के भी प्रावधान है। इतना ही नहीं संविधान में 10 जानवर ऐसे भी हैं जिनको मारने पर जेल भी हो सकती है। आज आपको हम ऐसे ही जानवरों की रक्षा के लिए बने कुछ कानून के बारे में बताएंगे। 

  1. प्रिवेंशन ऑफ़ क्रूशियल एनिमल एक्ट 1960 की धारा 11 (1) के तहत पालतू जानवरों को छेड़ने, उसे भूखा रखने तथा कष्ट पहुंचाने के साथ भूख प्यास से पालतू जानवर को परेशान करने पर ₹50 का जुर्माना रखा है और अगर यही 3 महीने में दोबारा होता है तो जुर्माने की राशि 50 रुपए से बढ़कर 25 से 100 तक की गई है और साथ में 3 महीने की जेल भी बताई गई है। 
  2. भारतीय दंड धारा 428 व 429 में किसी जानवर को जहर देना उसकी हत्या करना कष्ट पहुंचाने पर 2 साल की सजा बताई है। 
  3. भारत सरकार के एनिमल बर्थ कंट्रोल रूम (2001) धारा 381 में बताया है कि कुत्ते को एक स्थान से दूसरे स्थान नहीं भगाना है और अगर कुत्ता विषैला हो जाए या काट रहा है तो पशु कल्याण संगठन में संपर्क करने का नियम बताया है और धारा 36 में बताया है कि कुत्ते की उम्र 4 माह पूरी होने पर ही एक स्थान से दूसरे स्थान ले जाया जा सकता है इससे कम उम्र में ऐसा करना अपराध बताया है। अन्य जानवरों को भी लंबे समय के लिए लोहे की जंजीर या मोटी रस्सी से बांधकर रखना भी अपराध बताया है। इस अपराध के तहत 3 माह जेल और जुर्माना बताया है।
  4. पशु बलिदान अर्थात भगवान या देवी देवता के नाम पर पशुओं की बलि देना को रोकने की जिम्मेदारी स्थानीय नगर निगम की है पशुधन अधिनियम 1960 वन्य जीवन संरक्षण अधिनियम 1972 भारतीय दंड संहिता में अपराध बताया है। साथ ही किसी भी जानवर को परेशान करना, छेड़ना, चोट पहुंचाना उसकी जिंदगी में व्यवधान उत्पन्न करने पर ₹25000 जुर्माना और 3 साल की जेल की संभावना भी बताई है।
  5. वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 की धारा 16(सी) में जंगली पक्षियों या सरीसृपों को मारना या कैद करना या उनके अंडों को नुकसान पहुंचाना, घोसलों को नष्ट करते पाए जाने पर पाए गए दोषी को 3 से 7 साल की जेल का कानून बताया साथ ही में 25000 रुपयों के जुर्माने की संभावना भी बताई है।
  6.  ट्रांसपोर्ट ऑफ एनिमल रूल्स 1978 की धारा 98 में रोगी और थके हुए पशु को एक स्थान से दूसरे स्थान ले जाना अपराध बताया है। कानून के मुताबिक केवल शारीरिक रूप से स्वस्थ पशु और सीमित पशु को ही एक जगह से दूसरी जगह ले जाने का कानून बताया है। 

बता दें कि भारतीय वन्यजीव संरक्षण में जानवरों का शिकार करना मांस और खाल का व्यापार करने पर रोक लगाई थी। भारतीय वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 2002 के तहत दंड और जुर्माने को और भी कठोर कर दिया गया था। अनुसूची एक और अनुसूची दो बनाकर उनके अंतर्गत जीवों को शामिल किया गया है।

  • अनुसूची एक के भाग एक में में 43 वन्य जीवों को शामिल किया गया है इसमें धारा 2, 8, 9, 11, 40, 43, 48, 51, 61 & 62 के तहत दंड का प्रावधान किया है। इस सूची में सूअर, हिरण, भालू, बाघ, चिकारा, तेंदुआ, भेड़िया, लोमड़ी, लंगूर को शामिल किया गया है। 
  • अनुसूची एक के भाग 2 में जलीय जंतु और सरीसृप को शामिल किया गया है।
  • अनुसूची 2 में बंदर, लंगूर, सेही, जंगली कुत्ता, गिरगिट आदी शामिल हैं।

सभी जीव एक परमात्मा की संतान है 

जानवरों को सताना, उनको मारना, उनका मांस खाना, उनकी तस्करी करना आदि सब कानूनी जुर्म होने के साथ-साथ परमात्मा की नजर में भी जुर्म है। वह अपराधी आत्मा है जो परमात्मा की अन्य आत्माओं को सताते है। समस्त आत्माएं परमात्मा को उतनी ही प्यारी है जितनी मां-बाप को अपना बच्चा।

आज वर्तमान में कबीर परमात्मा जी के अवतार संत रामपाल जी महाराज जी इस पृथ्वी पर विराजमान है, जो हमें सत्यभक्ति दे कर, हमें समस्त पापों से मुक्त कर अमरलोक/सतलोक ले जाते हैं अर्थात मोक्ष प्रदान करते हैं।

2 thoughts on “जानवरों पर अत्याचार व कानूनी सुरक्षा 

  1. बहुत महत्वपूर्ण जानकारी दी है।
    में आपका धन्यवाद करता हूं।

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