इन्फ़्लुएंसर इकॉनमी: क्या यह करियर स्थायी है

इन्फ़्लुएंसर इकॉनमी क्या यह करियर स्थायी है

आज वर्तमान समय के  इस डिजिटल युग में “इन्फ़्लुएंसर” शब्द किसी परिचय का मोहताज नहीं है। वर्तमान में सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म जैसे  यूट्यूब, फेसबुक, इंस्टाग्राम,ट्विटर और अन्य प्लेटफॉर्म पर आज लाखों करोड़ों  लोग अपने विचारों, अनुभवों और कंटेंट के ज़रिए  दुनियां को प्रभावित कर रहे हैं। यही प्रभाव धीरे-धीरे एक “इन्फ़्लुएंसर इकॉनमी” का रूप ले रहा है । कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी कि यूं कहें कि आज वर्तमान परिदृश्य में ये इनफ्लुएंसर इकोनामी का रूप ले  चुका है, जहाँ कंपनियाँ ब्रांड्स को बड़े पैमाने पर इन्फ़्लुएंसर्स के जरिए अपने उत्पादों और सेवाओं का प्रचार प्रसार करती हैं। 

लेकिन आज सवाल यह है कि क्या यह करियर लंबे समय तक स्थायी रह सकता है, या फिर यह केवल एक अस्थायी ट्रेंड है? चलिए विस्तार से समझते हैं।

इन्फ़्लुएंसर इकॉनमी का उदय

वैसे देखा जाए तो पिछले एक दशक में इंटरनेट की पहुँच और स्मार्टफोन क्रांति ने वर्तमान में कंटेंट निर्माण को आसान बना दिया है।  अब आज हर व्यक्ति के पास अपनी प्रतिभा और विचारों को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के जरिए बड़े स्तर पर दिखाने का मौका है। वर्तमान समय में लोग मनोरंजन, शिक्षा, स्वास्थ्य, फैशन,  फिटनेस, तकनीक और यात्रा के साथ साथ यहां तक कि माइक्रो-निच विषयों पर भी कंटेंट बना रहे हैं।

वर्तमान परिदृश्य में ब्रांड्स ने महसूस किया कि पारंपरिक विज्ञापन की तुलना में इन्फ़्लुएंसर्स पर लोग ज़्यादा भरोसा करते हैं। 

क्योंकि ये लोग अपने फॉलोअर्स के साथ व्यक्तिगत तौर पर जुड़ाव रखते हैं। आज वर्तमान समय में यही कारण है कि अब यह सेक्टर अरबों डॉलर का बाज़ार बन चुका है।

करियर के अवसर

इन्फ़्लुएंसर बनने के बाद एक व्यक्ति कई तरह से अपनी आय को अर्जित कर सकता है, जैसे – कई प्रकार के ब्रांड का प्रमोशन से और साथ ही स्पॉन्सर्ड पोस्ट आदि। एफिलिएट मार्केटिंग यानी अपने प्रोडक्ट्स या कोर्स को बेचकर या यूट्यूब और शॉर्ट वीडियो प्लेटफ़ॉर्म्स से विज्ञापन आय अर्जित कर सकते हैं। पब्लिक अपीयरेंस और इवेंट्स में जाकर भी आय जुटाई जाती है। इससे यह स्पष्ट है कि इन्फ़्लुएंसर इकॉनमी केवल सोशल मीडिया पर अपने फॉलोअर्स जुटाने तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह वर्तमान में एक व्यवसायिक मॉडल में बदल चुका है।

चुनौतियाँ और अनिश्चितताएँ

हालाँकि इन्फ़्लुएंसर इकॉनमी में अवसर तो बहुत हैं, लेकिन यह पूरी तरह स्थायी करियर है, यह कहना अभी जल्दबाज़ी होगी।

 इसके पीछे कई कारण हैं: जैसे 

1. एल्गोरिद्म पर निर्भरता – सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म का एल्गोरिद्म बदलते ही लाखों फॉलोअर्स वाले इन्फ़्लुएंसर का रीच अचानक ही गिर सकता है।

2. कड़ी प्रतिस्पर्धा – आज वर्तमान परिदृश्य में हर दिन नए – नए इन्फ़्लुएंसर आ रहे हैं। आज भागदौड़ भरी भीड़ में अलग पहचान बनाना कठिन होता जा रहा है।

3. ट्रेंड्स का बदलना – आज वर्तमान में जो कंटेंट लोकप्रिय है, कल वही अप्रासंगिक भी हो सकता है।

4. प्रामाणिकता पर सवाल – फॉलोअर्स और एंगेजमेंट खरीदने की प्रवृत्ति ने ही आज विश्वास को प्रभावित किया है। जिससे ब्रांड्स अब ओर अधिक सतर्क हो गए हैं।

5. मानसिक दबाव – आज वर्तमान परिदृश्य में लगातार नई और आकर्षक सामग्री प्रस्तुत करने का दबाव भी कई बार इनफ्लुएंसर  के लिए तनाव और बर्नआउट का कारण बनता है।

क्या यह करियर स्थायी है?

इन्फ़्लुएंसर इकॉनमी का भविष्य इस बात पर भी निर्भर करेगा कि

आज वर्तमान दौर में इन्फ़्लुएंसर अपनी पहचान और कंटेंट की गुणवत्ता को कितना प्रमाणिकता के साथ रखते हैं।

यदि कोई केवल एक ट्रेंड्स के पीछे ही भागता है, तो उसका करियर कुछ सालों से ज़्यादा टिकना मुश्किल हो सकता है।

लेकिन जो इन्फ़्लुएंसर अपने क्षेत्र में विशेषज्ञता रखते हैं,

अपने फॉलोवर्स को मूल्य प्रदान करते हैं और लगातार अपनी ब्रांडिंग को पेशेवर ढंग से संभालते हैं, उनके लिए यह आर्थिक लाभ का एक लंबे समय का करियर बन सकता है।

साथ ही, वर्तमान की टेक्नोलॉजी में बदलाव के साथ खुद को ढालना भी ज़रूरी है। 

जैसे शॉर्ट वीडियो, लाइव स्ट्रीमिंग, वर्चुअल रियलिटी और AI आधारित टूल्स भी आने वाले समय में इस कैरियर को एक नया आकार देंगे।

माया की दौड़ देती है अमर्यादित समाज को जन्म

ऐसी प्रसिद्धि और ऐसी आय जो नाच गा कर मिले किसी मतलब की नहीं है। ईश्वर ने सभी की रोजी रोटी पहले से तय कर रखी है। वो सभी कार्य जिनसे ईश्वर प्रसन्न ना हो, समाज के हित में ना हो, मर्यादित आचरण का पालन ना करते हों, किसी काम के नहीं हैं। माया की अंधी दौड़ में ना केवल समाज की पुरुषों ने अपनी मर्यादा कोई है बल्कि स्त्रियाँ भी इससे पीछे नहीं हैं। स्त्री समाज की धुरी है उसका अमर्यादित होना समाज का सीधा पतन होगा। और इन्फ़्लुएंसर बनने के चक्कर में नग्नता , अश्लीलता का सामान्यीकरण अराजकता, असंतोष और आपराधिक समाज का निर्माण करता है।

ऐसे में ध्यान रखना होगा कि कहीं माया जोड़ने के चक्कर में हम अमर्यादित तो नहीं हो रहे हैं, हम कहीं आधुनिक बनने की होड़ में अश्लील तो नहीं हो रहे हैं! तथा इंफ्लुएंसर बनने की चकाचौंध से समाज पतन की ओर अग्रसर हो रहा है। संत रामपाल जी महाराज जे एक संयत और सहज जीवन जीने के सुंदर तरीके बताए हैं। उनके डियरा बताई जीवनशैली अपनाकर हमें ना भक्ति धन बल्कि भौतिक सुख सुविधाओं की भी प्राप्ति होती है अधिक जानकारी के लिए देखें संत रामपाल जी महाराज के मंगल प्रवचन प्रतिदिन शाम साढ़े सात बजे साधना चैनल पर।

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