5 अक्टूबर 2025 को भारतीय और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में सोने की कीमतों में अप्रत्याशित गिरावट दर्ज की गई। दिल्ली सर्राफा बाजार में 24 कैरेट सोना ₹1,19,550 प्रति 10 ग्राम पर आ गया, जबकि 22 कैरेट सोना ₹1,09,600 पर रहा। बीते कुछ हफ्तों में सोने की कीमतें ₹1,25,000 के पार जा चुकी थीं, लेकिन आज की गिरावट ने निवेशकों को चौंका दिया। इस गिरावट के पीछे कई घरेलू और वैश्विक कारण हैं, जिनमें आर्थिक संकेतक, राजनीतिक घटनाक्रम, और निवेशकों की रणनीति शामिल है।
डॉलर इंडेक्स में मजबूती ने सोने को कमजोर किया
सोने की कीमतों पर सबसे बड़ा असर अमेरिकी डॉलर की मजबूती का पड़ा है। आज डॉलर इंडेक्स 100.3 के स्तर पर पहुंच गया, जो पिछले तीन वर्षों का उच्चतम स्तर है। चूंकि सोना अंतरराष्ट्रीय बाजार में डॉलर में मूल्यांकित होता है, डॉलर के मजबूत होने पर सोना अन्य मुद्राओं के मुकाबले महंगा हो जाता है। इससे वैश्विक मांग घटती है और कीमतें नीचे आती हैं।
डॉलर की मजबूती का एक कारण अमेरिका में बेरोजगारी दर में गिरावट और उपभोक्ता खर्च में बढ़ोतरी है। इससे अमेरिकी अर्थव्यवस्था में सुधार के संकेत मिले हैं, और निवेशकों ने सोने की बजाय डॉलर आधारित संपत्तियों में निवेश करना शुरू कर दिया है।
ब्याज दरों को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है
अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने हाल ही में ब्याज दरों को 4.25% से घटाकर 4.0% किया है, लेकिन आगे की नीति को लेकर कोई स्पष्ट संकेत नहीं दिया गया है। निवेशकों को आशंका है कि यदि महंगाई फिर से बढ़ती है, तो फेड ब्याज दरें बढ़ा सकता है। उच्च ब्याज दरें सोने की मांग को प्रभावित करती हैं क्योंकि सोना ब्याज नहीं देता और निवेशक ऐसे विकल्पों की ओर रुख करते हैं जो रिटर्न प्रदान करते हैं।
भारत में भी रिजर्व बैंक की अगली मौद्रिक नीति बैठक को लेकर बाजार में असमंजस है। यदि रेपो रेट में बदलाव होता है, तो सोने की कीमतों पर उसका सीधा असर पड़ेगा।
वैश्विक मांग में गिरावट का असर
चीन, जो दुनिया का सबसे बड़ा सोने का उपभोक्ता है, वहां इस सप्ताह राष्ट्रीय छुट्टियों के चलते औद्योगिक गतिविधियां धीमी हैं। इससे सोने की मांग में गिरावट आई है। भारत में भी त्योहारी सीजन की शुरुआत के बावजूद सर्राफा बाजार में खरीदारी कमजोर रही है। व्यापारियों का कहना है कि उच्च कीमतों के कारण ग्राहक खरीदारी से बच रहे हैं।
इसके अलावा, संयुक्त अरब अमीरात, सिंगापुर और यूरोप में भी सोने की मांग में कमी आई है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मांग घटने से कीमतों पर दबाव बना है।
शेयर बाजार में तेजी ने निवेशकों का रुख बदला
आज भारतीय शेयर बाजार में जबरदस्त तेजी देखने को मिली। सेंसेक्स 2,975 अंक और निफ्टी 916 अंक चढ़ा। जब शेयर बाजार में स्थिरता और तेजी होती है, तो निवेशक जोखिम लेने को तैयार होते हैं और सुरक्षित निवेश जैसे सोना से दूरी बना लेते हैं।
अमेरिका, जापान और यूरोप के बाजारों में भी तेजी रही है। इससे निवेशकों ने इक्विटी और बॉन्ड्स में निवेश बढ़ाया है, जिससे सोने की मांग में गिरावट आई।
मुनाफावसूली से कीमतों में तेज गिरावट
पिछले कुछ महीनों में सोने की कीमतें रिकॉर्ड स्तर पर थीं। कई निवेशकों ने ₹1,25,000 प्रति 10 ग्राम के स्तर पर निवेश किया था। अब जब कीमतें स्थिर होने लगीं, तो उन्होंने मुनाफा वसूली शुरू कर दी। इससे बाजार में बिकवाली का दबाव बढ़ा और कीमतें नीचे आईं।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह गिरावट तकनीकी है और लंबे समय तक नहीं टिकेगी। लेकिन अल्पकालिक निवेशकों के लिए यह एक संकेत है कि बाजार में उतार-चढ़ाव बना रहेगा।
राजनीतिक तनावों में कमी का प्रभाव
भारत और पाकिस्तान के बीच हाल ही में सीजफायर समझौता हुआ है, जिससे सीमा पर तनाव कम हुआ है। इसके अलावा, यूक्रेन-रूस संघर्ष में भी फिलहाल कोई नई उग्रता नहीं देखी गई है। जब राजनीतिक तनाव कम होते हैं, तो निवेशक सुरक्षित निवेश से हटकर जोखिम वाले विकल्पों की ओर बढ़ते हैं।
सोने को पारंपरिक रूप से संकट के समय में सुरक्षित निवेश माना जाता है। लेकिन जब हालात सामान्य होते हैं, तो इसकी मांग घट जाती है।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में गिरावट के संकेत
COMEX पर सोना आज 1.13% गिरकर 2,557.40 डॉलर प्रति औंस पर आ गया, जो दो महीने का निचला स्तर है। लंदन बुलियन मार्केट में भी सोने की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई है। इससे भारतीय बाजार में भी असर पड़ा है।
इसके अलावा, स्विट्जरलैंड, हांगकांग और ऑस्ट्रेलिया के बाजारों में भी सोने की कीमतें कमजोर रही हैं। यह संकेत है कि गिरावट वैश्विक स्तर पर है, न कि केवल भारत तक सीमित।
निवेशकों के लिए क्या रणनीति होनी चाहिए?
सोने की कीमतों में आई यह गिरावट दो तरह से देखी जा सकती है। एक ओर यह दीर्घकालिक निवेशकों के लिए खरीदारी का अवसर है, खासकर उन लोगों के लिए जो सोने को पोर्टफोलियो में स्थिरता के लिए रखते हैं। दूसरी ओर, यह संकेत भी है कि बाजार में अस्थिरता बनी हुई है और आगे की चाल वैश्विक आर्थिक संकेतकों पर निर्भर करेगी।
विशेषज्ञों का सुझाव है कि निवेशक जल्दबाज़ी में निर्णय न लें। उन्हें डॉलर इंडेक्स, ब्याज दरों, और अंतरराष्ट्रीय मांग पर नजर रखनी चाहिए। यदि कीमतें ₹1,15,000 के नीचे जाती हैं, तो यह खरीदारी का अच्छा मौका हो सकता है।
निष्कर्ष
आज 5 अक्टूबर 2025 को सोने की कीमतों में आई गिरावट कई कारकों का संयुक्त परिणाम है – अमेरिकी डॉलर की मजबूती, ब्याज दरों को लेकर अनिश्चितता, वैश्विक मांग में कमी, शेयर बाजार में तेजी, मुनाफावसूली और राजनीतिक स्थिरता। यह गिरावट निवेशकों के लिए एक चेतावनी भी है और एक अवसर भी। यदि आप सोने में निवेश करने की सोच रहे हैं, तो यह समय है सतर्कता और रणनीति का।
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