नागपुर ग्लोबल फाइनैंशियल हब: महाराष्ट्र सरकार ने 3 सितंबर 2025 को मंत्रिमंडल की बैठक में ‘नवीन नागपुर’ नामक परियोजना को मंजूरी दी, जिसके अंतर्गत नागपुर के Hingna तालुका में Godhani (Rithi) तथा Ladgaon (Rithi) ग्राम क्षेत्र में लगभग 692.06 हेक्टेयर भूमि पर International Business & Finance Centre (IBFC) विकसित किया जाना है। इस परियोजना के लिए HUDCO और NBCC के साथ MoU भी किये गए हैं जिसमें HUDCO ने लगभग ₹11,300 करोड़ की प्रतिबद्धता जताई है।
परियोजना का स्वरूप
भूमि एवं विकास
पहले चरण में ₹6,500 करोड़ की मंजूरी दी गई थी – जिसमें ₹3,000 करोड़ भूमि अधिग्रहण के लिए और ₹3,500 करोड़ विकास कार्य के लिए थे। परन्तु पूरी कवायद को देखते हुए अब लगभग ₹11,300 करोड़ तक की राशि उपलब्ध कराई गई है ताकि 15 वर्षों में तीन चरणों में इस परियोजना को पूर्ण किया जा सके।

इंफ्रास्ट्रक्चर विशेषताएँ
परियोजना में शामिल हैं — प्लग‑एंड‑प्ले मॉडल, एक ही विंडो में क्लियरेंस, अंडरग्राउंड यूटिलिटी टनल्स, डिस्ट्रिक्ट कूलिंग सिस्टम, ऑटोमेटेड वेस्ट मैनेजमेंट सहित स्मार्ट सिटी बुनियादी सुविधाएँ। स्थान रणनीतिक रूप से मध्य भारत में है — राष्ट्रीय दिल्ली‑मुम्बई कॉरिडोर से, मुंबई‑नागपुर एक्सप्रेसवे और नागपुर मेट्रो जैसे नए कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट्स द्वारा समर्थित।
आर्थिक एवं सामाजिक प्रभाव
रोजगार सृजन & निवेश आकर्षण
इसे 5 लाख से अधिक रोजगार सृजित करने वाला प्रोजेक्ट बताया गया है। यह निवेश, स्टार्ट‑अप्स, MSMEs, टेक्नोलॉजी, और वित्त‑सेवा क्षेत्रों में नई गति लाएगा।
Vidarbha‑मध्य भारत में संतुलित विकास
नागपुर‑वड़भाग क्षेत्र लंबे समय से विकास के लिहाज से पिछड़ा हुआ माना जाता रहा है। यह परियोजना ग्रामीण‑शहरी विकास के बीच संतुलन स्थापित करने का अवसर देगी।
वैश्विक प्रतिस्पर्धा में भारत की बढ़त
IBFC के माध्यम से भारत को ग्लोबल वित्त‑सेवा और कॉर्पोरेट हब के रूप में स्थापित किया जा सकता है — मुंबई, बेंगलुरु के बाद नागपुर तीसरी महत्वपूर्ण दिशा बन सकती है।
चुनौतियाँ और समक्ष मुद्दे
भूमि अधिग्रहण & सामाजिक स्वीकृति
692 हेक्टेयर भूमि अधिग्रहण एक बड़ी प्रक्रिया है जिसमें ग्राम‑समुदायों की स्वीकृति, पुनर्वास, वातावरणीय प्रमाणन आदि शामिल हैं।
वित्तपोषण और समय‑सीमा
₹11,300 करोड़ की राशि सही समय पर प्रवाहित होनी होगी; दीर्घकालीय वित्तपोषण मॉडल, व्यय नियंत्रण एवं निवेश आकर्षण सफल होने जरूरी है।
गुणवत्ता और निष्पादन
स्मार्ट इन्फ्रास्ट्रक्चर, प्लग‑एंड‑प्ले मॉडल‑जैसे प्रावधान केवल तभी सफल होंगे जब सुचारु रूप से संचालन और रख‑रखाव भी लागू हो।
ग्लोबल प्रतिस्पर्धा
दुनिया‑भर के वित्त‑सेवा केंद्रों जैसे सिंगापुर, दुबई, लंदन से प्रतिस्पर्धा होगी — भारत को नीतिगत मजबूती, टैक्स‑इन्सेंटिव्स और वैश्विक मानकों का पालन करना होगा।
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विकास और मूल्यबोध का समन्वय
इस परियोजना का अर्थ केवल आर्थिक आंकड़ों या निवेश राशियों का नहीं है, बल्कि सामाजिक कल्याण, मानव संसाधन‑उन्नति और क्षेत्रीय संवर्द्धन का भी है। Sant Rampal Ji Maharaj की सतज्ञान‑शिक्षा यह दर्शाती है कि वास्तविक समृद्धि वही है जो मानव कल्याण, नैतिक उत्तरदायित्व व सामूहिक प्रगति से जुड़ी हो। यदि यह निवेश सिर्फ कॉर्पोरेट हब तक ही सीमित न रहे, बल्कि स्थानीय युवाओं को अवसर दे, स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूती दे, तो यह सच में एक परिवर्तनकारी कदम होगा।
आगे का रास्ता
यह परियोजना अगले 15 वर्ष की अवधि में तीन चरणों में आगे बढ़ेगी। प्रारंभिक चरणों में भूमि अधिग्रहण, बुनियादी ढाँचा एवं एक‑विंडो क्लियरेंस सिस्टम का निर्माण होगा। निगरानी‑मापदंड, समय‑सीमा, निवेश आकर्षण तथा युवाओं को दिए जाने वाले अवसर इस परियोजना की सफलता को निर्धारित करेंगे। नागपुर को सिर्फ मध्य भारत का शहर नहीं, बल्कि वैश्विक व्यापार‑और‑वित्त के केंद्र के रूप में स्थापित करना राज्य और केंद्र सरकार की अहम जिम्मेदारी बन गया है।
FAQs: नागपुर ग्लोबल बिजनेस हब
Q1. यह परियोजना क्या है?
यह ‘नवीन नागपुर’ परियोजना के तहत 1,710 एकड़ में International Business & Finance Centre (IBFC) विकसित करने की पहल है, जिसे स्टार्ट‑अप्स, MSMEs, कॉरपोरेट और स्मार्ट इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए बनाया जाएगा।
Q2. राशि कितनी स्वीकृत हुई है?
लगभग ₹11,300 करोड़ की राशि मॉड्यूल फ़ंडिंग के रूप में HUDCO एवं अन्य स्रोतों द्वारा वितरित होगी।
Q3. परियोजना का समय‑सीमा क्या है?
परियोजना को लगभग 15 वर्षों में तीन चरणों में पूर्ण करने का इरादा है।
Q4. इस से रोजगार कितने बनेंगे?
इस परियोजना से अनुमानतः 5 लाख से अधिक रोजगार सृजित होने की संभावना बताई गई है।
Q5. किन चुनौतियों का सामना करना होगा?
भूमि‑अधिग्रहण, वित्तपोषण, वैश्विक प्रतिस्पर्धा, इंफ्रास्ट्रक्चर गुणवत्ता और स्थानीय विकास‑समावेशिता जैसे मुद्दे परियोजना को प्रभावित कर सकते हैं।