रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का सख्त बयान उस पृष्ठभूमि में आया है जब मई 2025 में भारत और पाकिस्तान के बीच सीमावर्ती इलाकों में कई बार गोलीबारी और संघर्ष हुए। उस समय LOC (Line of Control) पर दोनों देशों की सेनाओं के बीच तनाव चरम पर था।
सैन्य समारोह में दिया गया बयान
यह बयान शनिवार को उत्तराखंड में एक सैन्य समारोह के दौरान दिया गया, जहाँ उन्होंने सीमावर्ती चौकियों और जवानों के पराक्रम को सराहा।
उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत किसी भी प्रकार के हमले या उकसावे का कड़ा जवाब देने में सक्षम है।
भारत की रक्षा रणनीति में बदलाव
‘डिफेंस फॉर पीस’ की नीति
भारत की परंपरागत रक्षा नीति शांति के सिद्धांतों पर आधारित रही है, लेकिन हालिया घटनाओं ने इसे ‘Peace through Preparedness’ की ओर मोड़ दिया है।
तीनों सेनाओं का समन्वय
हाल ही में चले ‘Exercise Trishul’ जैसी त्रि-सेनात्मक कवायदें इस ओर संकेत देती हैं कि सरकार युद्ध-तैयारी को उच्च प्राथमिकता दे रही है।
क्षेत्रीय सुरक्षा पर असर
पाकिस्तान की प्रतिक्रिया
पाकिस्तान की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन इस प्रकार के बयानों से दक्षिण एशिया में कूटनीतिक तापमान और बढ़ सकता है।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय की चिंता
संयुक्त राष्ट्र और अन्य वैश्विक संस्थाएं बार-बार भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव कम करने की अपील करती रही हैं। ऐसे में यह बयान फिर से ध्यान खींच रहा है।
हथियारों के आधुनिकीकरण की दिशा में भारत की पहल
राजनाथ सिंह के बयान से पहले ही भारत सरकार ने रक्षा बजट में रिकॉर्ड बढ़ोतरी की घोषणा की थी, जिसमें स्वदेशी रक्षा निर्माण, अत्याधुनिक मिसाइल प्रणालियाँ और साइबर डिफेंस को प्राथमिकता दी गई है। रक्षा मंत्रालय के अनुसार, वर्ष 2025–26 के लिए भारत ने रक्षा क्षेत्र में ₹6.2 लाख करोड़ से अधिक का आवंटन किया है। इसका उद्देश्य न केवल सेना की ताकत बढ़ाना है, बल्कि उसे आत्मनिर्भर बनाना भी है।

डीआरडीओ और निजी रक्षा कंपनियों के बीच सहयोग के चलते भारत अब घरेलू उत्पादन से न केवल अपनी जरूरतें पूरी कर रहा है, बल्कि रक्षा निर्यात में भी वृद्धि दर्ज कर रहा है।
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जनभागीदारी और राष्ट्रीय सुरक्षा की समझ
सरकार अब केवल सैन्य ताकत पर ही नहीं, बल्कि नागरिकों की भागीदारी को भी सुरक्षा नीति का अभिन्न अंग मान रही है। राजनाथ सिंह ने यह स्पष्ट किया कि सुरक्षा केवल सीमाओं की रक्षा से नहीं आती, बल्कि नागरिक सतर्कता, सूचना जागरूकता और आंतरिक स्थिरता भी उतनी ही ज़रूरी है।
इस दिशा में NCC, NSS और सिविल डिफेंस को नई ज़िम्मेदारियाँ सौंपी जा रही हैं, ताकि युवाओं में देशभक्ति और सुरक्षा के प्रति समझ पैदा हो सके। डिजिटल क्षेत्र में भी साइबर वॉरफेयर से निपटने के लिए नागरिक प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किए जा रहे हैं।
आध्यात्मिक परिप्रेक्ष्य से सैन्य सतर्कता
संत रामपाल जी महाराज की सतज्ञान आधारित शिक्षाएँ बताती हैं कि वास्तविक शक्ति केवल हथियारों से नहीं आती — बल्कि संयम, नीति और करुणा के साथ न्यायप्रिय आचरण से आती है। जब राष्ट्र अपनी रक्षा करते हैं तो उन्हें यह नहीं भूलना चाहिए कि युद्ध से कहीं अधिक मूल्यवान मानवता और जीवन की रक्षा है। राष्ट्रों को अपनी शक्ति का उपयोग विनाश के लिए नहीं, बल्कि शांति और सामूहिक कल्याण के लिए करना चाहिए।
अगले कदम: नीति और सतर्कता का संतुलन
राजनाथ सिंह का बयान सरकार की उस नीति को प्रतिबिंबित करता है जिसमें ‘सतर्क तैयारी’ एक मुख्य तत्व बन चुका है। लेकिन इस तैयारी के साथ-साथ कूटनीति, संवाद और शांति-प्रयास भी उतने ही ज़रूरी हैं। भारत की रणनीति अब “रणनीतिक संतुलन” और “आक्रामक बचाव” की ओर झुकती दिख रही है।
FAQs: भारत की युद्ध-तैयारी पर राजनाथ सिंह का बयान
Q1: राजनाथ सिंह ने यह बयान कब और कहाँ दिया?
यह बयान 27 अक्टूबर 2025 को उत्तराखंड में एक सैन्य कार्यक्रम के दौरान दिया गया।
Q2: किस पृष्ठभूमि में यह बयान आया है?
मई 2025 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुई सीमावर्ती झड़पों की पृष्ठभूमि में।
Q3: क्या भारत युद्ध की तैयारी कर रहा है?
भारत की नीति ‘सतर्कता बनाए रखना’ है। सीधा युद्ध का इरादा नहीं, परंतु आवश्यक तैयारी की जा रही है।
Q4: क्या अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने इस पर प्रतिक्रिया दी है?
अब तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई, परंतु क्षेत्रीय स्थिरता पर चिंता बनी हुई है।
Q5: क्या यह बयान पाकिस्तान को लेकर था?
हालाँकि पाकिस्तान का नाम स्पष्ट नहीं लिया गया, लेकिन संदर्भ सीमा संघर्षों से जुड़ा हुआ था।