आतंकवाद रोधी सहयोग: 22 अक्टूबर 2025 को वर्चुअली आयोजित 22वें Association of Southeast Asian Nations‑भारत समिट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने द्विपक्षीय और बहुपक्षीय एजेंडों पर अहम संकेत दिए। उन्होंने आतंकवाद‑रोधी सहयोग, समुद्री सुरक्षा व व्यापार में सुधार को प्रमुख बताया। विशेष रूप से, उन्होंने ASEAN‑India Free Trade Agreement (FTA) की जल्द समीक्षा का आह्वान करते हुए कहा कि यह समझौता भारत‑ASEAN आर्थिक भागीदारी को नई दिशा दे सकता है।
आतंकवाद रोधी सहयोग की दिशा
साझा चुनौती का सामना
मोदी ने कहा कि आतंकवाद सिर्फ एक देश का मुद्दा नहीं बल्कि क्षेत्रीय तथा वैश्विक समस्या बन चुका है। उन्होंने ASEAN सदस्यों को आतंक‑फंडिंग, आतंक‑नेटवर्क तथा खुफिया‑साझेदारी को और मजबूत करने का आग्रह किया।
समुद्री व जलमार्ग सुरक्षा
उन्होंने कहा कि समुद्र के माध्यम से होने वाले अपराध, तस्करी व अशांति से निपटने हेतु भारत और ASEAN देशों को मिलकर रणनीति बनानी होगी।
FTA (मुक्त‑व्यापार समझौता) की पुनः समीक्षा
क्यों जरूरी है समीक्षा?
मोदी ने कहा कि वर्तमान समय में व्यापार‑परिस्थितियाँ बदल चुकी हैं और FTA को आधुनिक जरूरतों, डिजिटल अर्थव्यवस्था तथा भारत की निर्यात‑क्षमता के अनुरूप बनाना होगा।

क्या हासिल होगा?
इस समीक्षा के माध्यम से भारत को बेहतर बाजार‑पहुँच, निवेश वृद्धि, तथा ASEAN के सदस्यों के साथ व्यापार‑संघ को मजबूती मिल सकती है।
समुद्री सहयोग एवं 2026 की रूपरेखा
समुद्री सहयोग वर्ष 2026
मोदी ने घोषणा की कि 2026 को भारत‑ASEAN समुद्री सहयोग वर्ष घोषित किया जाता है, जिसमें ब्लू‑इकॉनॉमी, समुद्री कनेक्टिविटी, रक्षा‑व्यवहार व समुद्री संसाधनों पर फोकस होगा।
रणनीतिक प्रभाव
इस पहल से भारत‑ASEAN कनेक्टिविटी, समुद्री सुरक्षा और समुद्री‑आधारित व्यापार को मजबूती मिलेगी, साथ ही भारत की इंडो‑पैसिफिक नीतियों को सांघिक आधार मिलेगा।
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प्रभाव एवं चुनौतियाँ
क्षेत्रीय रणनीतिक बढ़त
इस समिट से भारत‑ASEAN साझेदारी एक व्यापक रणनीतिक साझेदारी की तरफ बढ़ रही है — सिर्फ आर्थिक नहीं बल्कि सुरक्षा, समुद्री व निवेश‑क्षेत्रों में भी।
व्यापार व निवेश का अवसर
FTA समीक्षा यदि सफल रही तो भारत को निर्यात‑विस्तार, विशिष्ट माल व सेवा क्षेत्रों में आगे बढ़ने का अवसर मिलेगा।
चुनौतियाँ
– ASEAN के 10 विभिन्न सदस्य‑राष्ट्रीयों के हितों का संतुलन
– FTA समीक्षा प्रक्रिया लंबी व जटिल हो सकती है
– समुद्री व सुरक्षा सहयोग की वास्तविक क्रियान्वयन में संसाधन‑वित्त और समय‑सीमा प्रमुख होंगे
साझेदारी का यथार्थ अर्थ
संत रामपाल जी महराज की सतज्ञान शिक्षाएँ हमें बताती हैं कि साझेदारी और सहयोग का वास्तविक अर्थ सिर्फ वोट‑काउंट, समझौते या व्यापार नहीं है — बल्कि मानव हित, नैतिक जिम्मेदारी और साझा कल्याण है। जब देश मिलकर आतंकवाद से लड़ते हैं, व्यापार को न्यायोचित बनाते हैं तथा समुद्रों के माध्यम से संवाद बढ़ाते हैं, तब हम सिर्फ शक्ति‑प्रक्षेप नहीं बल्कि स्थिरता‑निर्माण कर रहे हैं। भारत‑ASEAN समिट में उठाए गए कदम इस दिशा की ओर संकेत हैं।
आगे का परिदृश्य
FTA समीक्षा की दिशा
भारत अगले हफ्तों में ASEAN सदस्यों के साथ विस्तृत वार्तालाप शुरू करेगा और में सुधार प्रस्तावों को प्राथमिकता देगा।
समुद्री सहयोग कार्यक्रम
2026 तक “समुद्री सहयोग वर्ष” के अंतर्गत नई गतिविधियाँ, अभ्यास एवं परियोजनाएँ लागू होंगी।
आतंकवाद‑रोधी उपायों की कार्रवाई
भारत और ASEAN देशों को अगले चरण में साझा खुफिया‑मेकानिज्म, प्रशिक्षण कार्यक्रम और मानव‑सहायता मिशन को गति देना होगा।
FAQs: भारत‑ASEAN समिट एवं FTA समीक्षा
Q1. प्रधानमंत्री मोदी ने समिट में किन मुख्य बिंदुओं को उठाया?
उन्होंने आतंकवाद‑रोधी सहयोग, ASEAN‑भारत FTA की जल्द समीक्षा और समुद्री सुरक्षा को प्राथमिकता दी।
Q2. FTA समीक्षा क्यों जरूरी मानी जा रही है?
वर्तमान आयात‑निर्यात संरचना, डिजिटल सेवाएँ और निवेश‑परिस्थितियाँ बदल गई हैं; भारत चाहता है कि समझौता इन चुनौतियों के अनुरूप हो।
Q3. “समुद्री सहयोग वर्ष 2026” का क्या अर्थ है?
2026 को भारत‑ASEAN के बीच समुद्री कनेक्टिविटी, ब्लू‑इकॉनॉमी, रक्षा अभ्यास व समुद्री‑सुरक्षा पर विशेष कदमों का वर्ष घोषित किया गया है।
Q4. आतंकवाद‑रोधी सहयोग के तहत क्या‑क्या हो सकता है?
खुफिया‑साझेदारी, आतंक‑वित्त रोकथाम, मानव‑सहायता व आपदा‑प्रबंधन में संयुक्त अभ्यास तैयार करना।
Q5. इस समिट से भारत‑ASEAN संबंध कैसे बदल सकते हैं?
समिट ने द्विपक्षीय संबंधों को व्यापक रणनीतिक साझेदारी की दिशा दी है — व्यापार, निवेश, सुरक्षा व समुद्री संसाधन क्षेत्रों में।