फेवीकोल के जनक: श्री बलवंत मोरारजी पारेख

फेवीकोल के जनक श्री बलवंत मोरारजी पारेख

फेवीकोल के जनक: भारत में “फेवीकोल” केवल एक गोंद नहीं, बल्कि विश्वास, मजबूती और एकता का प्रतीक बन चुका है। इस अद्भुत ब्रांड के पीछे जिस दूरदर्शी, मेहनती और नवाचारी व्यक्ति का योगदान है, उनका नाम है श्री बलवंत मोरारजी पारेख। बलवंत मोरारजी पारेख जी का जीवन संघर्ष, नवाचार और आत्मविश्वास की ऐसी मिसाल है, जो हर उद्यमी और युवा के लिए प्रेरणास्रोत बन गई।

Table of Contents

मुख्य बिंदु :

(1) श्री बलवंत मोरारजी पारेख को फेवीकोल के जनक कहा जाता है।

(2) पारेख जी का जन्म- 1925 में गुजरात के एक छोटे गाँव में हुआ था।

(3) उन्होंने कानून (Law) की पढ़ाई की थी।

(4) प्रारंभिक कार्य के दौरान पारेख जी ने मुंबई के डॉकयार्ड में मजदूरी की।

(5) उन्होंने कंपनी की स्थापना – 1959 में की और उनका नामकरण – पिडिलाइट इंडस्ट्रीज़ लिमिटेड किया।

(6) प्रमुख उत्पाद रहे : Fevicol, Fevikwik, Fevicryl, Fevistick, Fevibond आदि।

(7) पारेख जी को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सफलता प्राप्त हुई, 100+ देशों में उत्पाद निर्यात।

(8) उनकी विचारधारा के अनुसार: व्यवसाय का उद्देश्य समाज की सेवा होना चाहिए।

(9) श्री बलवंत जी का निधन 2013 (आयु 88 वर्ष) हुआ था।

(10)  प्रेरणा: संघर्ष, सादगी और नवाचार के प्रतीक हैं बलवंत मोरारजी पारेख।

प्रारंभिक जीवन और संघर्ष की कुछ झलक

जन्म: श्री बलवंत मोरारजी पारेख का जन्म वर्ष 1925 में गुजरात के एक छोटे से गाँव में हुआ था।

शिक्षा: उन्होंने कानून (Law) की पढ़ाई की, किंतु वकालत में उनका मन नहीं लगा।

प्रारंभिक संघर्ष: नौकरी की तलाश में वे मुंबई आए, जहाँ उन्होंने आरंभिक दिनों में बंदरगाह (Dockyard) पर मजदूर के रूप में कार्य किया। जीवन के कठिन दौर में भी उन्होंने कभी हार नहीं मानी। उनका विश्वास था कि कठिन समय मनुष्य को तोड़ता नहीं, बल्कि उसे तराशता है।

उद्यमिता की शुरुआत कैसे हुई ?

बलवंत पारेख जी के भीतर बचपन से ही उद्यमशीलता की भावना थी। लकड़ी उद्योग में कार्य करते हुए उन्होंने देखा कि बढ़ई पारंपरिक रूप से जानवरों की हड्डियों से बनी गोंद का उपयोग करते हैं, जो न केवल असुविधाजनक थी, बल्कि टिकाऊ भी नहीं थी।

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यहीं से उनके मन में एक विचार जन्मा – “क्यों न एक ऐसी गोंद बनाई जाए जो सस्ती भी हो, टिकाऊ भी और प्रयोग में सरल भी।” इस सोच ने आगे चलकर “फेवीकोल” जैसे क्रांतिकारी उत्पाद को जन्म दिया।

पिडिलाइट इंडस्ट्रीज़ की स्थापना कब हुई?

वर्ष 1959 में उन्होंने अपने भाई साराभाई पारेख के साथ मिलकर पिडिलाइट इंडस्ट्रीज़ लिमिटेड की स्थापना की। यहीं से शुरू हुआ “Fevicol” का सफर – एक सिंथेटिक रेज़िन आधारित गोंद जो पारंपरिक गोंद का बेहतर विकल्प था।

“Fevicol” नाम जर्मन शब्द ‘Col’ (जिसका अर्थ गोंद है) से प्रेरित था। यह उत्पाद बढ़ई, कारीगरों और सामान्य उपभोक्ताओं के लिए एक नई क्रांति लेकर आया।

फेवीकोल का विकास और लोकप्रियता का सच :

1960 और 70 के दशक में “फेवीकोल” भारतीय बढ़ई समुदाय में तेजी से लोकप्रिय हुआ। कंपनी ने अपने उत्पाद की गुणवत्ता और सादगी के कारण लोगों का दिल जीत लिया।

“Fevicol ka mazboot jod” जैसे यादगार विज्ञापनों ने इसे घर-घर का पसंदीदा बना दिया। बाद में पिडिलाइट ने कई अन्य सफल उत्पाद लॉन्च किए, जैसे: Fevikwik, Fevicryl, Fevibond, Fevistick आदि। इन सभी उत्पादों ने लोगों के जीवन को सरल बनाया और कंपनी को सफलता की नई ऊँचाइयों पर पहुँचाया।

कंपनी को मिली अंतरराष्ट्रीय सफलता 

श्री बलवंत पारेख जी का सपना केवल भारत तक सीमित नहीं था। उनकी दूरदर्शिता और गुणवत्ता के प्रति समर्पण ने पिडिलाइट इंडस्ट्रीज़ को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाई। आज पिडिलाइट के उत्पाद 100 से अधिक देशों में निर्यात किए जाते हैं। यह कंपनी भारत की अग्रणी रासायनिक और चिपकने वाले उत्पादों की निर्माता कंपनियों में से एक है।

जैसा कि कहा जाता है – 

“समझदार को संकेत काफी है, क्योंकि मूर्ख को कितने ही उदाहरण मिलें, फिर भी वह नहीं बदलता।” 

पारेख जी ने इसी समझदारी को अपने जीवन का आधार बनाया।

पारेख जी की कार्यशैली और विचारधारा

बलवंत पारेख जी का मानना था  

“व्यवसाय केवल धन कमाने का साधन नहीं होना चाहिए, बल्कि यह लोगों की आवश्यकताओं की पूर्ति का माध्यम होना चाहिए।”

उन्होंने अपने कर्मचारियों को परिवार का सदस्य माना।

उनकी कंपनी में मानवीय मूल्यों- सादगी, ईमानदारी और निष्ठा को सर्वोच्च स्थान प्राप्त था। वे शिक्षा, समाजसेवा और पर्यावरण संरक्षण के प्रति भी गहरी संवेदनशीलता रखते थे। उनका यह विचार अत्यंत प्रेरणादायक था :

“अपने उस समय को कभी मत भूलो, जिसने तुम्हें आगे बढ़ने की प्रेरणा दी, और उस दुख को भी याद रखो, जिसने तुम्हें जीना सिखाया।”

ऐसे विचार रखने वाला व्यक्ति कभी घमंड नहीं करता, बल्कि सदा दूसरों को सम्मान देता है।

निधन और अमर प्रेरणा

श्री बलवंत मोरारजी पारेख जी का निधन वर्ष 2013 में हुआ, उस समय उनकी आयु 88 वर्ष थी। हालाँकि उनका शरीर इस संसार में नहीं है, परंतु उनके विचार, नीतियाँ और कार्यशैली आज भी पिडिलाइट इंडस्ट्रीज़ की आत्मा हैं। वे यह सिद्ध कर गए कि व्यक्ति महान अपने कर्मों से बनता है, धन-दौलत से नहीं।

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उनकी जीवनशैली से हर व्यक्ति यह सीख सकता है कि कठिन समय में कभी घबराना नहीं चाहिए, क्योंकि घबराहट हमारे पथ में काँटे बोती है, जबकि साहस हमें सफलता की ओर ले जाता है।

युवाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत

समाज में यह धारणा है कि प्रसिद्धि और सफलता केवल धनवान या प्रभावशाली लोगों को मिलती है।

परंतु श्री बलवंत पारेख जी ने यह सिद्ध किया कि एक साधारण व्यक्ति भी अपनी मेहनत, ईमानदारी और नवाचार के बल पर विश्व स्तर की सफलता प्राप्त कर सकता है। उनका जीवन यह संदेश देता है कि :

“सपने तो सभी देखते हैं, परंतु जो समस्याओं को पहचानकर उनके समाधान बनते हैं, वही सच्ची सफलता प्राप्त करते हैं।”

उनकी आत्मकथा हमें यह सिखाती है कि सच्ची लगन और कठोर परिश्रम से कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं। हमें कभी हार नहीं माननी चाहिए, और दूसरों की बातों से अपने लक्ष्य से कभी नहीं भटकना चाहिए।

पारेख जी की जीवनशैली द्वारा प्रमुख सीख

परिस्थिति- को स्वीकार करो, लेकिन उससे हार मत मानो — चपरासी की नौकरी से शुरुआत।

मौके और अनुभव से सीखो – गोदाम और कारपेंटर की दुनिया ने उन्हें एडहेसिव का विचार दिया।

उत्पाद-प्राथमिकता – जो समस्या बाजार में थी (“बदबूदार गोंद”, “कमज़ोर जोड़”), उन्होंने उसे हल करने पर काम किया।

सीधे उपयोगकर्ता तक पहुंच – शुरुआत में बड़े वितरक नहीं, बल्कि कारपेंटर व कामगार तक सीधी पहुंच।

विविधीकरण – एक प्रोडक्ट से शुरुआत, लेकिन बाद में कई सम्बंधित श्रेणियों में विस्तार।

समाजिक दृष्टिकोण – सफलता के बाद शिक्षा ओर समाज में निवेश।

ब्रांड मजबूती – ऐसा नाम “Fevicol = चिपकने वाला गोंद” जो अपने आप में ही एक पहचान है ।

सार बिंदु:

श्री बलवंत मोरारजी पारेख जी की जीवन यात्रा केवल एक उद्योगपति की कहानी नहीं है, बल्कि यह भारत की उद्यमशीलता की आत्मा की झलक है। उन्होंने “फेवीकोल” के माध्यम से न केवल एक उत्पाद बनाया, बल्कि लोगों के बीच एक अटूट विश्वास जोड़ा। उन्होंने यह सिद्ध किया कि सच्ची सफलता वही है जो समाज को जोड़ती है – जैसे फेवीकोल जोड़ता है, हमेशा के लिए।

संत रामपाल जी महाराज सिखाते है सतभक्ति और परमात्मा पर विश्वास करना

जिस तरह श्री बलवंत मोरारजी पारेख को अपने जीवन में कठिन समय पर स्वयं पर विश्वास और भगवान पर भरोसा रखने से सफलता प्राप्त हुई, ठीक इसी प्रकार संत रामपाल जी महाराज जी भी अपने तत्वज्ञान से लोगों को परमात्मा पर विश्वास करके कर्म करने की प्रेरणा देते है। 

संत रामपाल जी महाराज जी अपने सत्संगो में बताते है कि मानव जीवन का मुख्य उद्देश्य मोक्ष प्राप्त करना है। जो मनुष्य मर्यादा में रहकर परमात्मा कबीर साहेब जी की सच्ची भक्ति करते है, परमात्मा उन्हें मोक्ष तो देते ही है, साथ में उन्हें इस जीवन में भी सफलता दिलाते है।

आज संत रामपाल जी महाराज जी के करोड़ों अनुयाई इस बात का प्रमाण है कि परमात्मा अपने भक्तों को सर्व सुख देते है। आज संत रामपाल जी महाराज के करोड़ों अनुयाई, जो पहले लाईलाज बीमारियों से पीड़ित थे, संत जी के आशीर्वाद ओर परमात्मा कबीर साहेब जी की कृपा से सुखी जीवन जी रहे है। 

साथ ही संत रामपाल जी महाराज समाज सुधार के भी अनेकों कार्यों में संलग्न है। संत जी नशा मुक्त, दहेज मुक्त और भ्रष्टाचार मुक्त समाज का निर्माण कर रहे है। सभी पाठकों से अनुरोध है कि संत रामपाल जी महाराज द्वारा लिखित पुस्तक ‘ज्ञान गंगा‘ अवश्य पढ़ें।  

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Fevicol के जनक श्री बलवंत मोरारजी पारेख पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

1. Fevicol के जनक (Founder) कौन थे और Pidilite Industries की स्थापना कब हुई?

Fevicol के जनक श्री बलवंत मोरारजी पारेख थे। उन्होंने अपने भाई के साथ मिलकर 1959 में पिडिलाइट इंडस्ट्रीज़ लिमिटेड की स्थापना की थी।

2. Fevicol का विचार श्री बलवंत पारेख को कहाँ से मिला?

लकड़ी उद्योग में बढ़ईयों को जानवरों की हड्डियों से बनी असुविधाजनक और बदबूदार गोंद का उपयोग करते देख उन्हें सिंथेटिक रेज़िन आधारित गोंद (Fevicol) बनाने का विचार मिला।

3. Fevicol ब्रांड के पीछे की मूल प्रेरणा (Inspiration) क्या थी?

पारेख जी ने बंदरगाह (Dockyard) पर मजदूरी से शुरुआत की थी। उनका संघर्ष, सादगी और टिकाऊ व प्रयोग में सरल गोंद की आवश्यकता को पूरा करने का नवाचार Fevicol की मूल प्रेरणा थी।

4. बलवंत मोरारजी पारेख का निधन कब हुआ और उनकी विचारधारा क्या थी?

श्री बलवंत मोरारजी पारेख का निधन 2013 में 88 वर्ष की आयु में हुआ। उनकी विचारधारा थी कि व्यवसाय का उद्देश्य समाज की सेवा होना चाहिए, न कि केवल धन कमाना।

5. Fevicol किस प्रकार के उत्पाद की श्रेणी में आता है?

Fevicol एक सिंथेटिक रेज़िन आधारित गोंद (Synthetic Resin-based Adhesive) है, जिसने बढ़ई और कारीगरों के लिए पारंपरिक गोंद का बेहतर, मजबूत और सरल विकल्प प्रदान किया।

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