World Asteroid Day 2024 [Hindi] : जानें कब और क्यों हुई थी इस दिवस को मनाने की शुरुआत?

World Asteroid Day 2022 [Hindi] History, Quotes, Aim

World Asteroid Day 2024 [Hindi] : Asteroids छोटे-छोटे चट्टान रूपी पिंड होते हैं जो सूरज के चारों ओर चक्कर लगाते रहते हैं। नासा के अनुसार तकरीबन 4.6 अरब साल पहले सौर मंडल के गठन से बचे हुए चट्टानी अवशेषों को ही Asteroids कहा जाता है। नासा का हिसाब से अभी 1 लाख से ज्यादा ज्ञात Asteroids हैं। 

क्या है World Asteroid day का इतिहास (History of World Asteroid day in Hindi)

साइबेरिया में तुंगुस्का नदी के करीब 30 जून, 1908 में एक बहुत ही बड़ा विस्फोट हुआ था। जिसे तुंगुस्का प्रभाव कहा गया। रिपोर्ट्स की मानें तो ये एस्टेरॉयड इतना खतरनाक था कि इससे 2,150 वर्ग किमी के क्षेत्र में फैले लगभग 80 मिलियन पेड़-पौझे तबाह हो गए थे। 30 जून, 1908 में साइबेरिया में तुंगुस्का नदी के आसपास घटित हुई इस घटना की याद में ही हर साल 30 जून को यह दिन मनाया जाता है और एस्टेरॉयड से होने वाले खतरों के बारे में लोगों को जानकारी देकर उनकी जागरूरकता बढ़ाने का प्रयास किया जाता है।

इस दिवस को मनाने का उद्देश्य (Aim of World Asteroid Day 2024)

लोगों को क्षुद्रग्रहों के बारे में बताने और जागरुक करने के मकसद से आज के दिन दुनिया भर में कई तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। फ्यूचर में एस्टेरॉयड्स के संसाधनों का कैसे इस्तेमाल किया यह भी वर्ल्ड एस्टेरॉयड डे का मुख्य उद्देश्य हैं।

World Asteroid Day पर जाने क्या है तंगुस्का की घटना

नासा का कहना है कि धुनिक इतिहास में पृथ्वी के वायुमंडल में एक बड़े उल्कापिंड का पहला प्रवेश तंगुस्का घटना था ।  कुछ मील ऊपर हवा में विस्फोट हो गया था। विस्फोट की ताकत इतनी अधिक थी कि सौकड़ों मील चौड़े क्षेत्र में पेड़ों पर असर डालने के लिए पर्याप्त साबित हुई और सैकड़ों हिरन मारे गए थे।

क्षुद्रग्रह क्या होते हैं?

नासा के अनुसारक्षुद्रग्रह “लगभग 4.6 अरब साल पहले हमारे सौर मंडल के प्रारंभिक गठन से बचे हुए चट्टानी अवशेष” हैं। वर्तमान में 1,097,106 ज्ञात क्षुद्रग्रह हैं। क्षुद्रग्रह उल्काओं से भिन्न होते हैं, जो पदार्थ के छोटे पिंड होते हैं जो पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करते समय प्रकाश की एक लकीर के रूप में दिखाई देते हैं।

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संयुक्त राष्ट्र महासभा ने दिसंबर 2016 में एक प्रस्ताव A/RES/71/90 अपनाया और 30 जून को अंतर्राष्ट्रीय क्षुद्रग्रह दिवस के रूप में घोषित किया। यह दिन 30 जून, 1908 को साइबेरिया, रूसी संघ पर तुंगुस्का प्रभाव की वर्षगांठ का प्रतीक है। महासभा ने अंतरिक्ष खोजकर्ताओं के संघ और बाहरी अंतरिक्ष के शांतिपूर्ण उपयोग पर समिति द्वारा किए गए प्रस्ताव के आधार पर निर्णय लिया। (कॉपूस)।

Credit: NASA

क्या थी तुंगुस्का नदी की घटना

दरअसल, 30 जून 1908 में रूस के साइबेरिया में तुंगुस्का नदी के पास एक बहुत बड़ा विस्फोट था। नासा के मुताबिक, आधुनिक इतिहास में पृथ्वी के वायुमंडल में एक बड़े उल्कापिंड का पहला प्रवेश तुंगुस्का घटना के रूप में ही हुआ था। कहते हैं कि कई मील उपर हवा में जोरदार विस्फोट हुआ था और उस विस्फोट की ताकत इतनी थी कि 2,150 वर्ग किमी के क्षेत्र में तकरीबन 80 मिलियन पेड़ खत्म हो गए थे। नासा का कहना है कि उस दिन एक उल्कापिंड साइबेरिया के एक दूरदराज के हिस्से से टकराया था, लेकिन जमीन पर नहीं पहुंचा। बताया जाता है कि उल्का पिंड में हवा में ही विस्फोट हो गया और सैकड़ों मील चौड़े क्षेत्र में पेड़ों पर कहर बन कर टूटा। इस विस्फोट में कई जंगली जानवर भी मारे गए थे।

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  • शोर कुछ भी साबित नहीं करता है। अक्सर एक मुर्गी जिसमें केवल एक अंडा होता है जैसे कि उसने एक क्षुद्रग्रह रखा हो।
  • मैं लॉटरी का तिरस्कार करता हूं। आपके करोड़पति बनने की संभावना कम है, इससे गुजरने वाले क्षुद्रग्रह के सिर पर चोट लगने की संभावना है।
  • विचार केवल क्षुद्रग्रहों के खतरों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए नहीं है बल्कि इस तथ्य से भी है कि खतरनाक क्षुद्रग्रहों को खोजने और कुछ करने के लिए हमारे पास समाधान हैं
  • क्षुद्रग्रह दिवस के दो मुख्य लक्ष्य हैं, लोगों को एहसास कराने के लिए, नंबर एक: पृथ्वी से टकराने वाले क्षुद्रग्रहों का मुद्दा महत्वपूर्ण है, और नंबर दो: कि हम, अपने दिमाग का उपयोग कर रहे हैं।
  • जल्दी या बाद में अंतरिक्ष कार्यक्रम को आने वाले क्षुद्रग्रह का पता लगाकर और उसे हटाकर हमें बचाने की आवश्यकता होगी।

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