- नशा करता है मानव को नाश
- नशा युवा पीढ़ी के लिए दुष्परिणाम
- नशे से शरीर मे बहुत सी बीमारियां
- नशा हमारे शरीर मे विराजमान देवी देवताओं पर दुष्प्रभाव डालता है।
- नशा मुक्ति अभियान
- नशा मुक्ति अभियान कौन चला रहा है।
- संत रामपाल जी के द्वारा चलाये गए नशा मुक्ति अभियान सफल हुआ है।
- मानव का मूल उद्देश्य क्या है।
नशा करता है मानव का नाश
नशा चाहे शराब, सुल्फा, अफीम, हिरोईन गुटका मांस तंबाकू आदि-आदि किसी का भी करते हो, यह आपका सर्वनाश का कारण बनेगा। नशा सर्वप्रथम तो इंसान को शैतान बनाता है। फिर शरीर है। सुल्फा (चरस) दिमाग को पूरी तरह नष्ट कर देता है। नशे से सोचने की क्षमता भी कम हो जाती है जो हमारे शरीर को नष्ट करता है एवं नशा मानव को आर्थिक मानसिक तरीके से नाश करता है।
जो व्यक्ति नशा करता है वह अगले जन्म में वह व्यक्ति कुत्ता बनेगा, टट्टी खाएगा। गंदी नाली का पानी पीयेगा इसलिए सर्व नशा व बुराई त्यागकर इंसान का जीवन जीओ। सभ्य समाज को भी चैन से जीने दो। एक शराबी अनेकों व्यक्तियों की आत्मा दुःखाता है:- पत्नी की, पत्नी के माता-पिता, भाई-बहनों की, अपने माता-पिता, बच्चों की, भाई आदि की। केवल एक घण्टे के नशे ने धन का नाश, इज्जत का नाश, घर के पूरे परिवार की शांति का नाश कर दिया। क्या वह व्यक्ति भविष्य में सुखी हो सकता है? कभी नहीं। नरक जैसा जीवन जीएगा। इसलिए विचार करना चाहिए, बुराई तुरंत त्याग देनी चाहिऐं।
नशा युवा पीढ़ी के लिए दुष्परिणाम:-
नशा युवा पीढ़ी के लिए कुछ दुष्परिणाम का कारण दिनों दिन बढ़ती जा रहा है आज बिना सत्संग एवं आध्यात्मिक चीजों जैसे सत्संग की कमी की वजह से आज युवा पीढ़ी नशे की तरफ तीन प्रतिदिन अग्रसर होती जा रही है नशे से व्यक्ति की आर्थिक मानसिक शारारिक बीमारिया होती है। अगर युवा पीढ़ी सत्संग की ओर ध्यान देगी एवं सुनेगी तो उनके अंदर आध्यात्मिक चीज की जागृति होगी तथा बुराइयों को छोड़ने की प्रेरणा मिलेगी जैसे की सत्संग में बताया जाता है।कि मानव जन्म प्राप्त करके जो व्यक्ति शुभ कर्म नहीं करता तो उसका भविष्य नरक बन जाता है। जो नशा करता है, उसका वर्तमान तथा भविष्य दोनों नरक ही होते हैं। नशा इंसानों के लिए नहीं
है। यह तो इंसान से राक्षस बनाता है। जो व्यक्ति पूर्व जन्म के पुण्यकर्मों वाले हैं,उनको इस जन्म में उन शुभ कर्मों के प्रतिफल में अच्छी नौकरी मिली है या अच्छा
कारोबार है। यदि वर्तमान में शुभ कर्म, भक्ति व दान-धर्म नहीं करोगे तो भविष्य के जन्मों में गधा-कुत्ता, सूअर-बैल बनकर धक्के व गंद खाओगे।
जैसे मानव (स्त्राी-पुरूष) जीवन में पूर्व के शुभ कर्म अनुसार अच्छा भोजन मिला है। अच्छा मानव शरीर मिला है। जब चाहो, खाना खाओ। प्यास लगे, पानी
पीओ। इच्छा बने तो चाय-दूध पीयो। फल तथा मेवा (काजू-बादाम) खाओ। यदि पूरा गुरू बनाकर सच्चे दिल से भक्ति व सत्संग सेवा, दान-धर्म नहीं किया तो अगले
जन्म में गधा-बैल-कुत्ता बनकर दुर्दशा को प्राप्त हो जाओगे। न समय पर खाना मिलेगा, न पानी। न कोई गर्मी-सर्दी से, मच्छर-मक्खी से बचने का साधन होगा।मानव जीवन में तो मच्छरदानी ऑल -आऊट से बचाव कर लेते हैं।
गरीब, नर सेती तू पशुवा कीजै, गधा बैल बनाई।।
छप्पन भोग कहाँ मन बोरे, कुरड़ी चरने जाई।।
इसलिए समय रहते है युवा पीढ़ी को सत्संग सुनना चाहिए और सभी बुराईयो से बचना चाहिए जिसे सभी लाभ से मिले
नशे से शरीर मे बहुत सी बीमारियां:-
नशा चाहे शराब, सुल्फा, अफीम, हिरोईन, मांस तम्बाकू, गुटखा आदि-आदि किसी का भी करते हो, यह आपका सर्वनाश का कारण बनेगा। नशा सर्वप्रथम तो इंसान को शैतान बनाता है। फिर शरीर का नाश करता है। शरीर के चार महत्वपूर्ण अंग हैं:- फेफड़े,लीवर, ,गुर्दे, हृदय। शराब सर्वप्रथम इन चारों अंगों को खराब करती है। सुल्फा (चरस) दिमाग को पूरी तरह नष्ट कर देता है।
हिरोईन शराब से भी अधिक शरीर को खोखला करती है। अफीम से शरीर कमजोर हो जाता है। अपनी कार्यशैली छोड़ देता है। अफीम से ही चार्ज होकर चलने लगता है। रक्त दूषित हो जाता है। इसलिए इनको तो गाँव-नगर में भी नहीं रखे, घर की बात क्या। सेवन करना तो सोचना भी नहीं चाहिए। और भी बीमारी पैदा करता है।
नशा हमारे शरीर मे विराजमान देवी देवताओं पर दुष्प्रभाव डालता है:-
नशा करने से हमारे शरीर में बने कमल में सभी देवी देवताओं का वास होता है जब मानव नशा करता है तो उसे उन देवी देवताओं को भी कष्ट होता है भक्ति मार्ग में बाधक है नशा करने वालों को घोर नरक में डाला जाता है। नशा करने वाले व्यक्ति को देवी देवता ना तो कोई लाभ देते हैं ना वह भक्ति मार्ग पर चल पाता है ना उसको मोक्ष की प्राप्ति होती है।
नशा व्यक्ति के जीवन से स्वास्थ्य, शांति और खुशी छीनने के साथ-साथ आध्यात्मिक पहलू पर भी दुष्प्रभाव डालता है। हमारे शरीर की रीढ़ की हड्डी पर चक्रव कमल बने हैं, जिनमें देवी-देवता अतिथि के रूप में निवास करते हैं। जब भी कोई व्यक्ति धूम्रपान करता है, चाहे वह हुक्का हो या सिगरेट, तो इन देवी-देवताओं को कष्ट होता है। और देवी देवताओं जो लाभ देते ह उनसे वह वंचित होते हैं इसकी तुलना किसी मेहमान को अपने यहां आमंत्रित करने, उन्हें अच्छा खाना खिलाने और फिर उन्हें धुएं से भरे कमरे में बंद कर देने से की जा सकती है! वह व्यक्ति आपके बारे में क्या सोचेगा? इसी तरह, लोग ऐसे तरीकों उन बने कमलो की पूजा करते हैं जिससे वे प्रसन्न होते हैं और फिर इस कचरे को अंदर डुबो देते हैं, जिसके परिणामस्वरूप देवी-देवता ऐसे व्यक्ति को दुख के समय मदद नहीं करेंगे, भले ही उनके पास ऐसा करने की क्षमता हो!
नशा करता है नाश देवता भी मनुष्य जीवन को तरसते हैं क्योंकि मोक्ष मनुष्य जीवन में ही हो सकता है । और परमात्मा का विधान है, कोई भी नशा करने वाला मोक्ष प्राप्त नहीं कर सकता । इस अनमोल जीवन को शराब पीने में बर्बाद नहीं करें।।
कबीर साहेब जी ने कहा है कि:-
मदिरा पीवे कड़वा पानी,सत्तर जन्म कुते की जानी।।
मदिरा (शराब) पीना कितना पाप है शराब पीने वाले को सत्तर जन्म कुत्ते के भोगने पड़ते है। मल-मूत्र खाता-पीता फिरता है। अन्य कष्ट भी बहुत सारे भोगने पड़ते हैं तथा शराब शरीर में भी बहुत हानि करती है। और हमारे शरीर मे विराजमान सभी देवी देवताओं बने कमलो पर दुष्प्रभाव पड़ता है इसलिए नशा एक अभिशाप है।
नशा मुक्ति अभियान
विश्व की की अधिकांश आबादी किसी न किसी प्रकार के नशीले पदार्थों के सेवन जैसे कि शराब, मांस, तम्बाकू गुटखा,अफीम,गांजा आदि में शामिल है, उन्हें इस कड़वी सच्चाई का पता नहीं है कि वे अपने जीवन खाते में कुछ ये सब चीजों का नशा करके अपने बनाये गए पूण्य कर्मो को बिगाड़ रहे है! बहुत से लोग नशे की लत को छोड़ना चाहते हैं, लेकिन हर कोशिश बेनकाब रहती है।
संत रामपाल जी महाराज जी के द्वारा चलाये गए इस मिशन मानव को नशे के प्रति घृणा होती जा रही है एवं उनका जीवन को सही दिशा में लाने का उदय संत रामपाल जी महाराज जी का ज्ञान कर रहा है।
आज सरकार इतनी योजनाएं व नियम कानून एवं नशा मुक्ति केंद्र खोलने व अभियान चलाने का भी कोई मतलब नही है ।सरकार के द्वारा चलाये गए नियम कानून कि योजनाएं विफल हो रही है अगर दूसरी तरफ संत रामपाल जी महाराज नशे जैसे बहुत सी बुराइयों को जड़ से खत्म कर रहे हैं व स्वच्छ मानव समाज का निर्माण कर रहे हैं।
नशा मुक्ति अभियान कौन चला रहा है?:-
नशा मुक्ति अभियान पूरे विश्व में आज केवल संत रामपाल जी महाराज जी चला रहे हैं और इस अभियान से आज लाखों परिवार सुखी जीवन जी रहे हैं और संत रामपाल जी महाराज मानव समाज में फैल रही समस्त बुराइयों को जड़ से खत्म करने का बेड़ा उठाया है उनके तत्व ज्ञान के आधार पर लाखों लोगों ने नशा एवं अन्य कई प्रकार की बुराइयों को छोड़ा है और उनके द्वारा चलाए गए इस अभियान से स्वच्छ मानव समाज का निर्माण होगा।।
संत रामपाल जी के द्वारा चलाये गए नशा मुक्ति अभियान सफल हुआ है?:-
संत रामपाल जी महाराज जी के द्वारा चलाए गए नशा मुक्ति अभियान से आज लाखों परिवार नशा छोड़कर खुशी जीवन जी रहे हैं व संत रामपाल जी महाराज जी का ये मिशन काफी सफल हुआ है । जिस के कारण आज बहन बेटियां भी बहुत खुशी जीवन जी रहे हैं। और संत रामपाल जी महाराज जी ने आज मानव समाज में फेल भी समस्त बुराइयों को जड़ से खत्म करने का बेड़ा उठाया है जिस कारण से आज मानव समाज में संत रामपाल जी महाराज जी से नाम दीक्षा लेने के बाद सब भक्ति करने के बाद व्यक्ति की लाइलाज बीमारियां तथा नशा जैसे बुराइयों से सजा के लिए छुटकारा मिल जाता है उसके कारण से उनका परिवार इस जीवन जी रहा है आज लाखों करोड़ों व्यक्तियों ने नशा छोड़ा है।
मानव का मूल उद्देश्य क्या है?
मानव जन्म का मूल उद्देश्य पूर्ण परमात्मा की भक्ति करते हैं मोक्ष की प्राप्ति करना है।जो लोग भक्ति नहीं करते हैं वह 84 लाख प्रकार की योनियों को प्राप्त होंगे क्योंकि केवल मानव जन्म में परमात्मा की भक्ति की जा सकती है। और भक्ति भी शास्त्र अनुकूल होनी चाहिए जो तत्वदर्शी संत से नाम दीक्षा लेकर मर्यादित होकर भक्ति करता है उसको ही आर्थिक मानसिक शारीरिक व मोक्ष की प्राप्ति होती है तत्वदर्शी संत की पहचान गीता जी के अध्याय नंबर 15 के श्लोक नंबर 1 से 4 में बताई गई है और वह तत्वदर्शी संत जो शास्त्रों के ज्ञान मानव समाज को देखा है वह वही तत्वदर्शी संत होता है जो आज वर्तमान समय में संत रामपाल जी महाराज जी है जो हमें शास्त्रों के अनुसार भक्ति साधना बता रहे हैं उनसे नाम दीक्षा लेने के बाद व्यक्ति को मानव जन्म के मुख्य उद्देश्य का ज्ञान होता है तथा सभी प्रकार की बुराइयों से बचता है और अंत समय में मोक्ष की प्राप्ति होती है। कबीर साहेब जी ने कहा है कि:-
मानुष जन्म दुर्भल है यह मिले ना बारम्बार।।
जैसे पेड़ से पत्ता टूट गिरे बहुर ना लगता डार।।
भावार्थ:-मानव जीवन बहुत अनमोल होता है जो 84 लाख प्रकार की योनियों को भोगने के बाद मिलता है अगर इस जन्म में भी भक्ति नही की तो उस पेड़ के टूटे हुए पत्ते की तरह होगा जो एक बार टूट जाने के बाद दुबारा नही मिल सकता । की वास्तविक उद्देश्य परीक्षा, मनुष्य जीवन के मूल उद्देश्य की प्राप्ति के भक्ति मार्ग की पहचान करना है। जिससे उसे जन्म-मृत्यु के दुष्चक्र से मुक्ति मिल जाती है अर्थात उसका मोक्ष हो जाता है।