भारत में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर ने पिछले दशक में उल्लेखनीय प्रगति की है। लेकिन जैसा India Briefing द्वारा बताया गया है, यह अभी भी अपनी विशाल जन‑शक्ति और घरेलू बाज़ार को पूरी तरह से अवसर में नहीं बदल पाई है। वहीं, Ministry of Statistics and Programme Implementation (MoSPI) के आंकड़ों के अनुसार, जुलाई 2025 में 14 में से 23 उद्योग‑समूहों में सकारात्मक वृद्धि रही, पर यह गति स्थिर नहीं दिखाई देती। इस पृष्ठभूमि में NITI Aayog ने स्किल पुनर्गठन को मैन्युफैक्चरिंग‑प्रवृद्धि का एक प्रमुख स्तंभ बनाया है।
NITI Aayog की रणनीति व घोषणाएँ
स्किलिंग पर विशेष ध्यान
प्रधान मंत्री की नीतियों में, स्किलिंग और नव‑प्रौद्योगिकी‑अनुकूल प्रशिक्षण पर बल दिया गया है। NITI Aayog ने बताया कि राज्यों और केंद्र को मिलकर आधुनिक प्रशिक्षण‑संरचना, ग्रामीण‑हब तथा प्रौद्योगिकी‑अनुकूल कौशल ट्रेनिंग देने की जिम्मेदारी है।
राष्ट्रीय मैन्युफैक्चरिंग मिशन
बजट 2025‑26 में घोषित ‘राष्ट्रीय मैन्युफैक्चरिंग मिशन’ के अंतर्गत यह लक्ष्य रखा गया है कि भारत 2047 तक एक 7.5 ट्रिलियन USD की मैन्युफैक्चरिंग अर्थव्यवस्था बने। यह मिशन पाँच प्रमुख स्तंभों—उद्योग‑उपकरण, उन्नत कौशल, MSME सशक्तिकरण, टेक्नोलॉजी इनोवेशन व सेवा‑गुणवत्ता—पर आधारित है।
क्या स्वतंत्र अवसर नज़र आ रहे हैं?
साफ तेज़ी से बढ़ती मांग
मैन्युफैक्चरिंग PMI अक्टूबर 2025 में 58.4 पर पहुंच गया है—जो विस्तार का संकेत है।

कौशल‑मंच और रोजगार‑संभावना
यदि स्किलिंग‑प्रोग्राम समय पर रोल‑आउट होते हैं, तो युवाओं के लिए रोजगार‑द्वार खुल सकते हैं, खासकर मैन्युफैक्चरिंग, ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स और 3D‑प्रिंटिंग जैसे क्षेत्रों में।
वैश्विक निवेश आकर्षण
ग्लोबल कंपनियाँ चीन‑निर्भरता कम करने की दिशा में भारत को देख रही हैं—इसे मैन्युफैक्चरिंग‑हब में बदलने का यह सही समय हो सकता है।
चुनौतियाँ और दीर्घकालीन दबाव
कौशल‑गुणवत्ता व समय‑सीमा
प्रशिक्षण‑इंफ्रास्ट्रक्चर, ट्रेन‑द‑ट्रेनर‑कार्यान्वयन, ग्रामीण‑कौशल प्लेटफॉर्म इत्यादि को समय पर सशक्त बनाना आवश्यक है।
राज्यों में असमान प्रगति
भारत के विभिन्न राज्यों के संसाधन, क्षमता और नीति‑परिस्थितियाँ भिन्न हैं। सर्व‑समर्थनात्मक रूप से नीति‑अनुकूलन एवं समन्वय आवश्यक होगा।
तकनीक एवं स्वचालन का दबाव
जब मैन्युफैक्चरिंग में ऑटोमेशन व AI बढ़ेंगे, तब पारंपरिक मजदूरी‑उद्योगों का स्थान बदल सकता है—फिर स्किल्स‑अपग्रेडेशन और बदलाव‑प्रबंधन की महत्ता बढ़ेगी।
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कौशल‑विकास में नैतिक और समष्टिगत उपाय
संत रामपाल जी महराज की सतज्ञान (सच्चे ज्ञान) की शिक्षाओं के अनुरूप, कौशल‑विकास केवल व्यक्तिगत लाभ के लिए नहीं बल्कि मानव कल्याण, नैतिक जिम्मेदारी और सामूहिक प्रगति के लिए होना चाहिए। यदि मैन्युफैक्चरिंग‑उद्योग को सिर्फ उत्पादन‑संपत्ति के रूप में देखा जाए, तो संभव है‑कि सामाजिक असमानताएँ बढ़ें। लेकिन जब उसे कौशल‑सशक्तिकरण, स्वावलंबन और सम्मानपूर्वक रोजगार के रूप में देखा जाए, तभी यह भारत की आर्थिक तथा मानवीय उन्नति का वास्तविक आधार बनेगा।
आगे का रास्ता
राष्ट्रीय‑स्तर पर निगरानी व मापदंड
NITI Aayog को राज्यों के साथ सक्रिय‑मूल्यांकन, राज्यों की स्किल‑डाटा, मैन्युफैक्चरिंग‑मेट्रिक्स तथा प्रगति‑मॉनीटरिंग करना होगा।
निजी‑क्षेत्र व शिक्षा‑संस्थान सहभागिता
उद्योग‑विश्वविद्यालय‑स्किल‑हब गठजोड़, प्रशिक्षकों की उन्नति तथा रोजगार‑सम्बन्धित प्रशिक्षण‑प्रोग्राम को तेजी से लागू करना होगा।
समावेशी एवं न्यायसंगत विकास
विशेषकर ग्रामीण‑क्षेत्र, महिलाओं एवं पिछड़े वर्गों के युवाओं के लिए अवसर सुनिश्चित करना होगा, ताकि मैन्युफैक्चरिंग‑उछाल असमानताओं को बढ़ावा न दे।
FAQs: मैन्युफैक्चरिंग और स्किल पुनर्गठन पर भारत का फोकस
Q1. स्किल पुनर्गठन का क्या तात्पर्य है?
यह आधुनिक मैन्युफैक्चरिंग‑उद्योग की मांगों अनुसार प्रशिक्षण‑संरचना, कौशल‑मॉडल और रोजगार‑मंच को बदलने का प्रयास है।
Q2. राष्ट्रीय मैन्युफैक्चरिंग मिशन क्या है?
यह भारत की मैन्युफैक्चरिंग अर्थव्यवस्था को $7.5 ट्रिलियन तक ले जाने का मिशन है, जिसमें कौशल, स्वदेशी मैन्युफैक्चरिंग और टेक्नोलॉजी‑उत्थान शामिल है।
Q3. मैन्युफैक्चरिंग में वर्तमान वृद्धि कैसी है?
2025 में मैन्युफैक्चरिंग‑पीएमआई 58.4 तक पहुंच गया है जो विस्तार को दर्शाता है।
Q4. इस फोकस से किन क्षेत्रों को सबसे फायदा मिलेगा?
इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटोमोबाइल, क्लीन‑टेक, 3D‑प्रिंटिंग, बैटरी‑निर्माण जैसे क्षेत्रों को प्रमुख लाभ होगा।
Q5. स्किलिंग‑प्रोग्राम के अंतर्गत राज्य क्या करेंगे?
राज्यों को आधुनिक प्रशिक्षण‑हब, ग्रामीण स्किल‑केंद्र, उद्योग–कॉलेज साझेदारी तथा रोजगार‑उन्मुख पाठ्यक्रम तैयार करना होगा।