बिहार के बाबा सिद्धनाथ मंदिर में भगदड़ के चलते 7 कावड़ियों की मौत!

बिहार के बाबा सिद्धनाथ मंदिर में भगदड़ के चलते 7 कावड़ियों की मौत!

बिहार के जहानाबाद में बाबा सिद्धनाथ मंदिर में एक भगदड़ मचने से 7 कावड़ियो समेत 12 लोगों की मौत हो गई। इस घटना में कई लोग घायल भी हुए हैं। सावन के चौथे सोमवार को बड़ा हादसा देखने को मिला है। यह घटना आज सुबह की है जब मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी थी। भीड़ इतनी ज्यादा थी कि धक्का मुक्की होने लगी। देखते ही देखते भगदड़ मच गई और लोग एक दूसरे पे गिरने लगे। घायलों को जहानाबाद सदर अस्पताल पहुंचाया गया। प्रशासन ने मृतकों की संख्या और बड़ने की  आशंका जताई है।

राहत और बचाव कार्य जारी 

घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस प्रशासन की टीम मौके पे पहुंच गई और बचाव कार्य तुरंत शुरू कर दिया। बताया जा रहा है की सावन सोमवार को बड़ी संख्या में श्रद्धालु जन जल चढ़ाने  आते है। घटना कैसे हुई इसकी आधिकारिक जांच चल रही है। पुलिस और प्रशासन ने घटना की जांच शुरू कर दी है। पुलिस सूत्रों के मुताबिक सावन के चौथे सोमवार की रोज पर पहाड़ पर स्थित बाबा सिद्धेश्वरनाथ मंदिर में श्रद्धा से जलाभिषेक करने के लिए एक दिन पहले यानी रविवार रात से ही सैकडों की संख्या में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ने शुरू हो चुकी थी। 

कांवड़ यात्रा: शास्त्र अनुकूल या शास्त्र विरुद्ध?

उल्लेखनीय बात यह है की इस हादसे में 7 कावड़ियों की दर्दनाक मौत हुई जो बड़ी श्रद्धा से जल इक्कट्टा कर मंदिर के शिवलिंग में अर्पित करने जा रहे थे। आपको बता दें कि 05 अगस्त यानी सावन के तीसरे सोमवारी की रोज बिहार के ही वैशाली में बिजली का जटका लगने से 9 कांवड़ियों समेत 12 की मौत हो गयी थी। यह घटनाए यह सोचने पर मजबूर करती है की क्या यह साधना से भगवान शिव वास्तव में प्रसन्न होते भी है या नहीं? यदि भगवान शिव इस साधना से प्रसन्न होते तो ऐसी दुर्घटना संभवत घटती ही नहीं। 

क्योंकि हमारे पवित्र सद्ग्रंथों में कही पर भी कावड़ ले जाने का या शिवलिंग पर जल चढ़ाने का उल्लेख नहीं है। पवित्र हिंदू धर्म के मुख्य सद्ग्रंथ है पवित्र चारों वेद और पवित्र श्रीमद्भगवद्गीता। शास्त्रों के अनुसार यह साधना शास्त्र विधि को त्यागकर मनमाना आचरण है। जिससे न तो हमें कोई सुख मिलता है न ही हमारी गति होती है। और न कोई हमें किसी प्रकार की सिद्धि प्राप्त होती है। इसका प्रमाण पवित्र गीताजी के अध्याय 16 के श्लोक 23 और 24 में मिलता है। जिसमें लिखा है की जो भी साधक शास्त्र विधि को त्यागकर मनमानी पूजा करना व्यर्थ है।

वर्तमान समय में पूरे विश्व में एकमेव संत रामपालजी महाराजजी ही एकमेव ऐसे संत है जो भगवान शिव की शास्त्र प्रमाणित सत भक्ति साधना व मंत्र बता रहे है। इस सावन के पवित्र महीने में यदि कोई परमात्मा को प्रसन्न करना चाहता है तो उन्हें चाहिए की यूट्यूब पर संत रामपाल जी महाराज यूट्यूब चैनल पर जाकर सत्संग कार्यक्रम को देखें। और सत्य आध्यात्मिक ज्ञान को समझकर अपना अनमोल मनुष्य जीवन बर्बाद होने से बचाएं।

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