ब्लैक होल का राज सुलझा? नई रिसर्च ने हिला दी साइंस की दुनिया! आइंस्टीन और हॉकिंग भी समझ नहीं पाए थे

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ब्लैक होल हमेशा से वैज्ञानिकों के लिए रहस्य बने रहे हैं। हाल ही में की गई एक रिसर्च ने ऐसे सवालों के जवाब दिए हैं जिनका हल आइंस्टीन और हॉकिंग जैसे महान वैज्ञानिक भी नहीं निकाल पाए थे। इस खोज ने ब्लैक होल के गुणधर्म और उनके प्रभावों को समझने में मदद की है।

ब्लैक होल अंतरिक्ष में ऐसे क्षेत्र हैं जहाँ बहुत अधिक मात्रा में द्रव्यमान एक छोटे से आयतन में समाया हुआ है। इससे गुरुत्वाकर्षण बल इतना प्रबल होता है कि प्रकाश भी उससे बच नहीं सकता। ये विशालकाय तारों के ढहने से बनते हैं, और शायद अन्य तरीकों से भी बनते हैं जो अभी तक अज्ञात हैं।

ब्लैक होल आम लोगों और वैज्ञानिकों दोनों को आकर्षित करते हैं – वे पदार्थ, स्थान और समय के बारे में हमारी समझ की सीमाओं को बढ़ाते हैं।

शिकागो विश्वविद्यालय और विश्व भर के वैज्ञानिकों ने ब्लैक होल की मदद से हमारे ब्रह्मांड के बारे में कई खोजें की हैं, लेकिन इन असाधारण ब्रह्मांडीय घटनाओं के बारे में अभी भी बहुत कुछ ऐसा है जो हम नहीं जानते हैं।

Table of Contents

मुख्य बिंदु 

  • नई रिसर्च में ब्लैक होल के भीतर होने वाले घटनाक्रमों की जानकारी।
  • आइंस्टीन और हॉकिंग के सिद्धांत क्या थे? 
  • ब्रह्मांड के कामकाज को समझने में यह खोज कैसे मददगार हो सकती है।
  • साइंस जगत में इस रिसर्च का बढ़ता प्रभाव।
  • ‘साइडवेज़’ ब्लैक होल की खोज: गैलेक्सी से तिरछा घूमने वाला सुपरमैसिव ब्लैक होल।
  • ब्लैक होल्स और डार्क मैटर: डार्क मैटर के लिए नए सिद्धांत की आवश्यकता।
  • स्पिन मापने की तकनीक: ब्लैक होल्स के गुरुत्वीय प्रभावों का विश्लेषण।

हाल ही में, खगोलविदों और वैज्ञानिकों की एक टीम ने ब्लैक होल से जुड़े रहस्यों पर नई जानकारी दी है। इस रिसर्च ने ब्लैक होल के अंदर के घटनाक्रम, जैसे स्पेस-टाइम डिस्टॉर्शन और सिंगुलैरिटी, को विस्तार से समझाया। वैज्ञानिकों का दावा है कि यह खोज न केवल आइंस्टीन के सापेक्षता सिद्धांत को चुनौती देती है, बल्कि हॉकिंग के ब्लैक होल थ्योरी को भी नई दिशा देती है।

इसके साथ ही, यह अध्ययन हमें यह समझने में मदद करता है कि ब्लैक होल के भीतर का वातावरण कैसे काम करता है और इससे आसपास की आकाशगंगाओं पर क्या प्रभाव पड़ता है।

ब्लैक होल क्या है?

ब्लैक होल पदार्थ से बने होते हैं जो इतने सघन रूप से भरे होते हैं कि गुरुत्वाकर्षण अन्य सभी बलों पर हावी हो जाता है।

जब आप बॉलिंग बॉल उठाते हैं, तो यह भारी होती है क्योंकि इसमें पदार्थ सघन रूप से भरा होता है। यदि आप एक ही छोटी सी जगह में अधिक से अधिक द्रव्यमान भरते हैं, तो अंततः यह इतना मजबूत गुरुत्वाकर्षण पैदा करेगा कि यह प्रकाश की किरणों को गुजरने पर महत्वपूर्ण खिंचाव देगा।

ब्लैक होल तब बनते हैं जब विशाल तारे अपने जीवन के अंत में ढह जाते हैं (और शायद अन्य परिस्थितियों में भी जिनके बारे में हम अभी तक नहीं जानते हैं)। ब्लैक होल की खोज की दिशा में पहला कदम शिकागो विश्वविद्यालय के प्रोफेसर सुब्रह्मण्यन चंद्रशेखर ने उठाया था, जब उन्होंने महसूस किया कि विशाल तारों को संलयन प्रतिक्रियाओं के लिए ईंधन खत्म होने के बाद ढहना होगा जो उन्हें गर्म और चमकदार बनाए रखता है।

ब्रह्मांड ब्लैक होल से भरा हुआ है। पिछले दशक में, वैज्ञानिकों ने उनके टकराव के संकेतों का पता लगाया है और उनके चारों ओर घूमती गैस से प्रकाश की तस्वीरें ली हैं – और इससे हमें ब्रह्मांड के बारे में कई बातें सीखने में मदद मिली है। उदाहरण के लिए, ब्लैक होल ने हमें आइंस्टीन के सामान्य सापेक्षता के सिद्धांत का परीक्षण करने में मदद की है, जो बताता है कि द्रव्यमान, स्थान और समय एक दूसरे से कैसे संबंधित हैं। वैज्ञानिकों को लगता है कि वे हमें ब्रह्मांड के इन और अन्य आवश्यक नियमों के बारे में बहुत कुछ बता सकते हैं।

और अधिक व्यक्तिगत स्तर पर, हमारी अपनी आकाशगंगा मंदाकिनी के केंद्र में स्थित अतिविशाल ब्लैक होल ने पृथ्वी के अस्तित्व में आने में भूमिका निभाई होगी!

ब्लैक होल्स पर हालिया रिसर्च ब्रह्मांड के कामकाज को समझने में कई तरह से मददगार हो सकती है

1. गुरुत्वाकर्षण और स्पेस-टाइम को समझना:

ब्लैक होल्स के अध्ययन से आइंस्टीन के सापेक्षता सिद्धांत के तहत स्पेस-टाइम का व्यवहार समझा जा सकता है। यह हमें ब्रह्मांड में समय, गति, और गुरुत्वाकर्षण के बीच के जटिल संबंध को गहराई से जानने का अवसर देता है।

2. डार्क मैटर और डार्क एनर्जी का अध्ययन:

ब्लैक होल्स और डार्क मैटर के संभावित संबंधों को समझने से ब्रह्मांड की अदृश्य संरचना और इसके विस्तार की प्रक्रिया का पता लगाने में मदद मिल सकती है।

3. गैलेक्सियों के विकास का अध्ययन:

सुपरमैसिव ब्लैक होल्स गैलेक्सियों के केंद्र में होते हैं। उनकी गतिशीलता और ऊर्जा उत्सर्जन से यह समझने में मदद मिलती है कि गैलेक्सियां कैसे बनती और विकसित होती हैं।

4. क्वांटम फिजिक्स और ब्रह्मांडीय रहस्य:

ब्लैक होल्स के अध्ययन से क्वांटम फिजिक्स और ब्रह्मांडीय विज्ञान के उन सिद्धांतों का परीक्षण किया जा सकता है, जो अब तक केवल सैद्धांतिक हैं।

5. नए अंतरिक्ष तकनीकों का विकास:

ब्लैक होल्स की खोज और अध्ययन के लिए जिन नई तकनीकों और उपकरणों का विकास होता है, वे अंतरिक्ष अन्वेषण और अन्य वैज्ञानिक परियोजनाओं में भी मददगार हो सकते हैं। 

इस प्रकार, ये शोध न केवल ब्रह्मांड के कामकाज को गहराई से समझने में मदद करते हैं, बल्कि मानवता को नई वैज्ञानिक और तकनीकी उपलब्धियों की ओर भी ले जाते हैं।

अगर हम ब्रह्मांड के कामकाज की बात करते हैं तो ब्लैक होल ब्रह्मांड के कामकाज को गहराई से समझने में मदद करते हैं लेकिन इसे आध्यात्मिक दृष्टि से देखा जाए तो जिस प्रकार सभी धर्म ग्रंथो में बताया गया है की जो ब्रह्मांड चल रहा है वह सबका स्वामी असंग ब्रह्मांड का स्वामी कबीर देव है एवं एक ब्रह्मांड को चलाने की जिम्मेदारी श्री ब्रह्मा जी श्री विष्णु जी तथा श्री शिव जी को दी गई है इस प्रकार हम केवल एक ही पहलू को लेकर यह सिद्ध नहीं कर सकते कि ब्रह्मांड कैसे चल रहा है।

अल्बर्ट आइंस्टीन ने अपने सिद्धांत में क्या कहा?

आइंस्टीन के सिद्धांत ने भविष्यवाणी की थी कि ब्लैक होल से गुरुत्वाकर्षण खिंचाव इतना बड़ा होता है कि यह अंतरिक्ष के फेबरिक को मोड़ देता है, इसकी वजह से रोशनी पैदा होती है। इसलिए उनके सिद्धांत ने इस बात की भविष्यवाणी की कि ब्लैक होल के दूसरी तरफ से प्रकाश की तरंगों को देखना संभव होना चाहिए क्योंकि मोड़ा गया क्षेत्र एक शीशे के रूप में काम करेगा. हालांकि, इससे पहले तक पिछले 100 सालों से इस सिद्धांत को साबित नहीं किया गया था। लेकिन इस खोज के बाद एक बार फिर ये बात स्पष्ट हो चुकी है कि आइंस्टीन का सिद्धांत पूरी तरह से सही था।

ब्लैक होल के बारे में हॉकिंग का एक प्रसिद्ध सिद्धांत

  • ब्लैक होल से विकिरण निकलता है. इसे हॉकिंग विकिरण कहते हैं।इस विकिरण की वजह से ब्लैक होल का द्रव्यमान कम होता जाता है और अंत में वह पूरी तरह से वाष्पित हो जाता है
  • हॉकिंग ने ब्लैक होल के बारे में एक और सिद्धांत दिया था कि ब्लैक होल का इवेंट होराइज़न का कुल क्षेत्रफल कभी कम नहीं होना चाहिए
  • इसे हॉकिंग का क्षेत्र प्रमेय कहते हैं 
  • हॉकिंग का मानना था कि ब्लैक होल समानांतर ब्रह्मांडों के प्रवेश द्वार के रूप में काम कर सकते हैं. उनका मानना था कि गुम हुई जानकारी वास्तव में उन ब्रह्मांडों में स्थानांतरित हो सकती है
  • हॉकिंग ने कहा था कि ब्लैक होल अब शाश्वत जेल नहीं हैं. उन्होंने कहा था कि चीज़ें ब्लैक होल से बाहर निकल सकती हैं 
  • ब्लैक होल एक तारे के मौत से बनता है. ब्लैक होल का गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र इतना ज़्यादा होता है कि पदार्थ उसमें बहुत छोटे से क्षेत्र में सिमट जाता है

साइंस जगत में इस रिसर्च का बढ़ता प्रभाव।

हाल ही में ब्लैक होल्स के संबंध में कई महत्वपूर्ण खोजें हुई हैं, जिन्होंने वैज्ञानिक समुदाय को चकित कर दिया है। इनमें से कुछ प्रमुख खोजें निम्नलिखित हैं:

1. ‘साइडवेज़’ ब्लैक होल की खोज: 

नासा के वैज्ञानिकों ने NGC 5084 नामक गैलेक्सी में एक ऐसा सुपरमैसिव ब्लैक होल खोजा है, जो अपनी गैलेक्सी के सापेक्ष ‘तिरछा’ घूम रहा है। यह खोज पुरानी डेटा और नई विश्लेषण तकनीकों की मदद से संभव हुई। इस ब्लैक होल से चार प्लाज़्मा के जेट्स निकलते हुए पाए गए हैं, जो गैलेक्सी के प्लेन के साथ 90 डिग्री के कोण पर हैं। 

2. ब्लैक होल्स और डार्क मैटर के बीच संबंध पर नई रिसर्च: 

वॉरसॉ विश्वविद्यालय के खगोलविदों ने लगभग 20 वर्षों के अवलोकनों के आधार पर निष्कर्ष निकाला है कि 10 सोलर मास वाले ब्लैक होल्स डार्क मैटर का अधिकतम 1.2% हिस्सा हो सकते हैं, जबकि 100 सोलर मास वाले ब्लैक होल्स अधिकतम 3%। यह अध्ययन दर्शाता है कि डार्क मैटर की व्याख्या के लिए अन्य स्पष्टीकरण आवश्यक हैं। 

3. ब्लैक होल्स के स्पिन को मापने की नई विधि:

सिराक्यूज़ विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने एक नई विधि विकसित की है, जिससे ब्लैक होल्स के स्पिन को मापा जा सकता है। यह विधि टाइडल डिसरप्शन इवेंट्स (TDEs) के अध्ययन पर आधारित है, जहां एक तारा ब्लैक होल के निकट आकर उसके गुरुत्वाकर्षण के कारण टूट जाता है। इस प्रक्रिया के विश्लेषण से ब्लैक होल के स्पिन और अन्य गुणधर्मों के बारे में जानकारी मिल सकती है। 

ये खोजें ब्लैक होल्स की जटिलताओं और उनके व्यवहार को समझने में महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं, जिससे खगोलविदों को ब्रह्मांड की गहरी समझ प्राप्त हो रही है।

आध्यात्मिक दृष्टि से, जीवन और ब्रह्मांड के रहस्य क्या है?

ब्लैक होल को जीवन और ब्रह्मांड के गहरे रहस्यों को समझने का एक द्वार माना जा सकता है। यह खोज उन वैज्ञानिक और दार्शनिक प्रश्नों के करीब पहुंचने का प्रयास है, जो समय और स्थान की प्रकृति को समझने में मददगार हो सकते हैं। लेकिन आध्यात्मिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो जीवन और ब्रह्मांड केवल विज्ञान पर आधारित नहीं है जब विज्ञान नहीं था तब भी जीवन था ब्रह्मांड था।

ब्रह्मांड की जानकारी, ब्रह्मांड क्या है (सृष्टि रचना)

कविर्देव (कबीर परमेश्वर) ने सूक्ष्म वेद अर्थात् कविबाणी में अपने द्वारा रची सृष्टि का ज्ञान स्वयं ही बताया है जो निम्नलिखित है:

सर्व प्रथम केवल एक स्थान ‘अनामी’ (अनामय) लोक* था। जिसे अकेले लोक भी कहा जाता है, पूर्ण परमात्मा उस अनामी लोक में अकेला रहता था। उस परमात्मा का वास्तविक नाम कविर्देव अर्थात् कबीर परमेश्वर है। सभी आत्माएँ उस पूर्ण धनी के शरीर में समाई हुई थी। इसी कविर्देव का उपनामात्मक (पदवी का) नाम अनामी पुरुष है (पुरुष का अर्थ प्रभु होता है। प्रभु ने मनुष्य को अपने ही स्वरूप में बनाया है, इसलिये मानव का नाम भी पुरुष ही पड़ा है।) अनामी पुरुष के एक रोम कूप का प्रकाश असंख्य सूर्यों की रोशनी से भी अधिक है।

विशेष:- जैसे किसी देश के आदरणीय प्रधान मंत्री जी का शरीर का नाम तो अन्य होता है तथा पद का उपनामात्मक (पदवी का) नाम प्रधानमंत्री होता है। कई बार प्रधानमंत्री जी अपने पास कई विभाग भी रख लेते हैं। तब उस विभाग के दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करते हैं तो उस जगह वही हस्ताक्षर होते हैं जो गृह मंत्री लिखते हैं। वहीं उसी व्यक्ति के हस्ताक्षर की शक्ति कम होती है। इसी प्रकार कबीर परमेश्वर (कविर्देव) की रोशनी में अंतर भिन्न-2 लोकों में होता जाता है।

ठीक इसी प्रकार पूर्ण परमात्मा कविर्देव (कबीर परमेश्वर) ने नीचे के तीन और लोकों (अगमलोक, अलख लोक, सतलोक) की रचना शब्द (वचन) से की। यही पूर्णब्रह्म परमात्मा कविर्देव (कबीर परमेश्वर) ही अगम लोक में प्रकट हुआ तथा कविर्देव (कबीर परमेश्वर) अगम लोक का भी स्वामी है तथा वहीं इनका उपनामात्मक (पदवी का) नाम अगम पुरुष अर्थात् अगम प्रभु है। इसी अगम प्रभु का मानव सदृश शरीर बहुत तेजोमय है जिसके एक रोम कूप की रोशनी खरब सूर्यों की रोशनी से भी अधिक है।

यह पूर्ण परमात्मा कविर्देव (कबीर देव = कबीर परमेश्वर) अलख लोक में प्रकट हुआ तथा स्वयं ही अलख लोक का भी स्वामी है तथा उपनामात्मक (पदवी का) नाम अलख पुरुष भी इसी परमेश्वर का है तथा इस पूर्ण प्रभु का मानव सदृश शरीर तेजोमय (स्वज्योति) स्वयं प्रकाशित है। एक रोम कूप की रोशनी अरब सूर्यों के प्रकाश से भी ज्यादा है।

यही पूर्ण प्रभु सतलोक में प्रकट हुआ तथा सतलोक का भी अधिपति यही है। इसलिए इसकी उपनामात्मक (पदवी का) नाम सतपुरुष (अविनाशी पुरुष) है। इसी का अन्य नाम अक्षर पुरुष, शब्द ब्रह्म, राम – पूर्ण ब्रह्म – परम अक्षर ब्रह्म आदि हैं। इसी सतपुरुष कविर्देव (कबीर प्रभु) का मानव सदृश शरीर तेजोमय है। जिसके एक रोमकूप का प्रकाश करोड़ सूर्यों तथा इतने ही चन्द्रमाओं के प्रकाश से भी अधिक है।

इस कविर्देव (कबीर प्रभु) ने सतपुरुष रूप में प्रकट होकर सतलोक में विराजमान होकर प्रथम सतलोक में अन्य रचना की।

ब्लैक होल पर FAQs

Q1. ब्लैक होल क्या है?

ब्लैक होल ब्रह्मांड का एक ऐसा क्षेत्र है जहां गुरुत्वाकर्षण इतना शक्तिशाली होता है कि वहां से प्रकाश भी बाहर नहीं निकल सकता।

Q2. इस नई रिसर्च में क्या खास है?

इस रिसर्च ने ब्लैक होल के अंदर होने वाली घटनाओं को समझने के लिए नए मॉडल्स और सिद्धांत पेश किए हैं।

Q3. क्या ये खोज आइंस्टीन और हॉकिंग के सिद्धांतों को बदल देगी?

यह कहना जल्दबाजी होगी, लेकिन इस खोज ने उनके सिद्धांतों को और गहराई से समझने का रास्ता खोला है।

Q4. यह रिसर्च मानव जीवन पर कैसे प्रभाव डालेगी?

यह खोज ब्रह्मांड और इसके मूलभूत कामकाज को समझने में मदद कर सकती है, जो भविष्य में अंतरिक्ष अनुसंधान और तकनीक के विकास में उपयोगी हो सकता है।

Q.5. ब्रह्मांड की रचना किसने की?

सर्व प्रथम केवल एक स्थान ‘अनामी’ (अनामय) लोक* था। जिसे अकेले लोक भी कहा जाता है, पूर्ण परमात्मा उस अनामी लोक में अकेला रहता था। उस परमात्मा का वास्तविक नाम कविर्देव अर्थात् कबीर परमेश्वर है। पूर्ण परमात्मा कविर्देव (कबीर परमेश्वर) ने नीचे के तीन और लोकों (अगमलोक, अलख लोक, सतलोक) की रचना शब्द (वचन) से की। इस कविर्देव (कबीर प्रभु) ने सतपुरुष रूप में प्रकट होकर सतलोक में विराजमान होकर प्रथम सतलोक में अक्षर पुरुष और क्षर पुरुष के लोकों की रचनाएं की

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