कॉर्नेलिया सोराबजी ने ऑक्सफोर्ड में पढ़ाई कर इतिहास रचा। बॉम्बे यूनिवर्सिटी से स्नातक करने के बाद, उन्होंने अंग्रेज महिलाओं की मदद से ऑक्सफोर्ड में कानून की पढ़ाई पूरी की। 1892 में वे बैचलर ऑफ सिविल लॉ परीक्षा पास करने वाली पहली महिला बनीं। उस समय महिलाओं को प्रैक्टिस करने की अनुमति नहीं थी, फिर भी उन्होंने बाधाओं को पार कर समाज में योगदान दिया। उनकी उपलब्धियां भारतीय महिलाओं के अधिकारों और शिक्षा के लिए प्रेरणा बनीं।
सोराबजी की पढ़ाई और वकालत की शुरुआत
कॉर्नेलिया सोराबजी भारत की पहली महिला वकील थीं। उनका जन्म 15 नवंबर 1866 को एक पारसी परिवार में हुआ था। उनकी माता फ्रांसिना फोर्ड महिलाओं की शिक्षा की प्रबल समर्थक थीं। कॉर्नेलिया ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा पुणे में पूरी की। उन्होंने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई की और 1892 में बैरिस्टर बनने वाली पहली भारतीय महिला बनीं। उस समय महिलाओं को भारत में वकालत का अभ्यास करने की अनुमति नहीं थी। इसके बावजूद उन्होंने समाज की बेड़ियों को तोड़ते हुए इस क्षेत्र में कदम रखा।
कोर्ट ऑफ वार्ड में लेडी असिस्टेंट के पद पर नियुक्ति
कॉर्नेलिया सोराबजी ने ब्रिटिश सरकार के तहत “कोर्ट ऑफ वार्ड्स” में पहली महिला असिस्टेंट के रूप में काम किया। इस पद पर उन्होंने कानूनी रूप से कमजोर महिलाओं और बच्चों की मदद की। उन्होंने महिलाओं के लिए वकील की आवश्यकता को महसूस कराया और इस दिशा में कई ठोस कदम उठाए।
महिलाओं के लिए सम्मान: सोराबजी
सोराबजी ने समाज में महिलाओं के लिए एक नई पहचान बनाई। उन्होंने न केवल भारतीय महिलाओं को शिक्षा और आत्मनिर्भरता का महत्व समझाया, बल्कि यह भी दिखाया कि महिलाएं पुरुषों के समान अधिकार रख सकती हैं। उनकी उपलब्धियां आज भी महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं।
संघर्ष: सोराबजी का सफर
सोराबजी के सफर में अनेक चुनौतियां थीं। महिलाओं के लिए कानून की पढ़ाई करना और अदालत में पैरवी करना उस समय समाज द्वारा स्वीकार्य नहीं था। उन्होंने कड़ी मेहनत और धैर्य से इस संघर्ष को पार किया। उन्हें कई बार पुरुष प्रधान समाज के ताने और अस्वीकार का सामना करना पड़ा, लेकिन उनकी दृढ़ता ने उन्हें इतिहास के पन्नों में अमर बना दिया।
कॉर्नेलिया सोराबजी: भारतीय महिलाओं के अधिकारों की प्रेरणा
कॉर्नेलिया सोराबजी ने ऑक्सफोर्ड में पढ़ाई कर इतिहास रचा। बॉम्बे यूनिवर्सिटी से स्नातक के बाद, उन्होंने उच्च शिक्षा के लिए ऑक्सफोर्ड जाने का सपना पूरा किया। स्कॉलरशिप से वंचित होने पर, अंग्रेज महिलाओं की मदद से उन्होंने कानून की पढ़ाई की। 1892 में वे बैचलर ऑफ सिविल लॉ परीक्षा पास करने वाली पहली महिला बनीं। उनकी शिक्षा ने भारतीय महिलाओं के अधिकारों और शिक्षा में अहम योगदान दिया।
सोराबजी की उपलब्धियों के बारे में जानें
कॉर्नेलिया सोराबजी ने कई ऐतिहासिक मुकदमे लड़े। उन्होंने महिलाओं और बच्चों के अधिकारों के लिए काम किया, विशेषकर उन महिलाओं के लिए जिन्हें “पर्दा प्रथा” के कारण कानूनी सहायता प्राप्त करने में कठिनाई होती थी। उन्होंने भारत में पहली महिला वकील बनने का गौरव प्राप्त किया। उनकी किताबें, जैसे “India Calling” और “Between the Twilights,” उनके विचारों और अनुभवों का गहरा चित्रण प्रस्तुत करती हैं।
लंदन में सोराबजी ने ली अंतिम श्वास
अपने जीवन के अंतिम वर्षों में कॉर्नेलिया सोराबजी लंदन में बस गईं। उन्होंने अपने अनुभवों को लिखने और सामाजिक मुद्दों पर काम करने में समय बिताया। 6 जुलाई 1954 को उनका निधन हो गया, लेकिन उनके विचार और संघर्ष आज भी जीवित हैं।
जन्म-मृत्यु रूपी कैद से बाहर निकलने के लिए करना होगा पूर्ण संत रूपी वकील का सहारा
वकील का कार्य न्याय दिलाने और सत्य की रक्षा करना है, ठीक वैसे ही जैसे परमात्मा अपने भक्तों को धर्मराज के बंधनों से मुक्त कराते हैं। हम सभी कालब्रह्म के जन्म-मृत्यु रूपी चक्रव्यूह में फंसे हुए हैं। प्रत्येक युग में पूर्ण परमात्मा, संत रूप में आकर, हमें सतभक्ति का मार्ग दिखाकर काल लोक से छुड़ाते हैं। वर्तमान में संत रामपाल जी महाराज के रूप में पूर्ण परमात्मा कबीर जी स्वयं आए हैं। उनके द्वारा बताए गए शास्त्र अनुकूल साधना से कालब्रह्म की कैद से मुक्त हुआ जा सकता है।
हम काल के जाल में कैसे फंसे, यह जानने के लिए Sant Rampal Ji Maharaj App डाउनलोड करें।
अधिवक्ता दिवस 2024: FAQ
Q.1 वकील का मुख्य कार्य क्या है?
Ans. वकील का मुख्य कार्य न्याय दिलाने और मुवक्किल के कानूनी अधिकारों की रक्षा करना है। वे अदालत में कानूनी पक्ष रखते हैं और कानून का पालन सुनिश्चित करते हैं।
Q.2 कॉर्नेलिया सोराबजी ने किस वर्ष बैरिस्टर की उपाधि प्राप्त की?
Ans. कॉर्नेलिया सोराबजी ने 1892 में बैरिस्टर की उपाधि प्राप्त की।
Q.3 सोराबजी ने “कोर्ट ऑफ वार्ड्स” में किसकी मदद की?
Ans. सोराबजी ने कानूनी रूप से कमजोर महिलाओं और बच्चों की मदद की।
Q.4 सोराबजी को किस प्रकार की चुनौतियों का सामना करना पड़ा?
Ans. सोराबजी को कानून की पढ़ाई और पैरवी में समाज के ताने और अस्वीकार का सामना करना पड़ा।
Q.5 कॉर्नेलिया सोराबजी ने कौन सी उपलब्धि हासिल की?
Ans. कॉर्नेलिया सोराबजी 1892 में बैचलर ऑफ सिविल लॉ परीक्षा पास करने वाली पहली महिला बनीं।
Q.6 कॉर्नेलिया सोराबजी का जन्म और मृत्यु कब हुई?
Ans. कॉर्नेलिया सोराबजी का जन्म 15 नवंबर 1866 को हुआ और उनका निधन 6 जुलाई 1954 को हुआ।
Q.7 वर्तमान में जन्म मृत्यु रूपी कैद से कौन बाहर निकाल सकते हैं ?
Ans. वर्तमान में जन्म मृत्यु रूपी कैद से संत रामपाल जी महाराज निकाल सकते हैं।