Goa Liberation Day: गोवा को यह आजादी 19 दिसंबर 1961 को मिली। तब से हर साल 19 दिसंबर को गोवा मुक्ति दिवस (Goa Liberation Day) मनाया जाता है। आइए जानते हैं गोवा का इतिहास, संघर्ष और उससे जुड़े रोचक तथ्य।
गोवा का इतिहास (History of Goa)
गोवा का इतिहास तीसरी सदी ईसा पूर्व से तब शुरू होती है, जब यहां मौर्य वंश के शासन की स्थापना हुई। जिसके बाद पहली सदी के शुरुआत में इस पर कोल्हापुर के सातवाहन वंश के शासकों का अधिकार स्थापित हुआ और फिर बादामी के चालुक्य शासकों ने इस पर वर्ष 580 से 750 तक राज किया। वहीं बाद के सालों में इस पर कई अलग अलग शासकों ने अधिकार किया।
वर्ष 1312 में गोवा पहली बार दिल्ली सल्तनत के अधीन आया, लेकिन उन्हें विजयनगर के शासक हरिहर प्रथम ने खदेड़ दिया। अगले 100 सालों तक विजयनगर के शासकों ने यहां शासन किया और 1469 में गुलबर्ग के बहामी सुल्तान द्वारा फिर से दिल्ली सल्तनत का हिस्सा बनाया गया। बहामी शासकों के पतन के बाद बीजापुर के आदिल शाह का यहां पर कब्जा हुआ, जिसने गोआ-वेल्हा को अपनी दूसरी राजधानी बनाया।
Goa Liberation Day: पुर्तगालियों ने जमाया कब्जा
जब भारत पर मुगल राज था उस दौरान मार्च 1510 में अलफांसो-द-अल्बुकर्क के नेतृत्व में पुर्तगालियों ने इस शहर पर आक्रमण किया। गोवा बिना किसी संघर्ष के पुर्तगालियों के कब्जे में आ गया। पुर्तगालियों को गोवा से दूर रखने के लिए यूसुफ आदिल खां ने हमला किया। शुरू में उन्होंने पुर्तगाली सेना को रोक भी दिया, लेकिन बाद में अल्बुकर्क ज्यादा बड़ी सेना के साथ लौटा और एक युद्ध के बाद उसने शहर पर फिर से कब्जा कर लिया
और एक हिन्दू तिमोजा को गोवा का प्रशासक नियुक्त किया। गोवा पूर्व दिशा में समूचे पुर्तगाली साम्राज्य की राजधानी बन गया। इसे लिस्बन के समान नागरिक अधिकार दिए गए और 1575 से 1600 के बीच इस शहर में अपना स्वर्णीम काल देखा।
Goa Liberation Day: गोवा का स्वतंत्रता आंदोलन
भारत 1947 में भले ही आजाद हो गया, लेकिन गोवा अभी भी आजादी के लिए संघर्ष कर रहा था। गोवा की आजादी के लिए यहां पर स्वतंत्रता आंदोलन तब शुरू हुआ था, जब गोवा के राष्ट्रवादियों ने मिलकर 1928 में मुंबई में ‘गोवा कांग्रेस समिति’ का गठन किया था। इस समिति के अध्यक्ष डॉ.टी.बी.कुन्हा थे। इन्हें गोवा के राष्ट्रवाद का जनक माना जाता है।
गोवा के इस आंदोलन को दो दशक तक कोई सफलता नहीं मिल पाई, लेकिन 1946 में प्रमुख समाजवादी नेता डॉ.राम मनोहर लोहिया जब गोवा पहुंचे तो आंदोलन को नई दिशा मिल गई। उन्होंने नागरिक अधिकारों के हनन के विरोध में गोवा में सभा करने की चेतावनी दे डाली। मगर इस विरोध का दमन करते हुए पुर्तगालियों ने उनको गिरफ्तार कर जेल भेज दिया, गोवा की आम जनता जब इसके विरोध में सड़कों पर उतरी तो उन्हें गोवा न आने की शर्त पर छोड़ दिया गया।
कैसे मनाते हैं गोवा मुक्ति दिवस ?
अब गोवा मुक्ति दिवस गोवा में जश्न और उत्सव की तरह मनाया जाता है. राज्य में तीन अलग-अलग स्थानों से एक मशाल जुलूस निकाला जाता है, ये सभी आजाद मैदान में मिलते हैं. यह वह जगह है जहां उन लोगों को श्रद्धांजलि दी जाती है, जिन्होंने गोवा के अधिग्रहण में अपनी जान गंवा दी. विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम जैसे सुगम संगीत- कन्नड़ भाषा में कविता के साथ एक भारतीय संगीत शैली- इस अवसर का सम्मान करने के लिए आयोजित किए जाते हैं.
Goa Liberation Day: महज 36 घंटे में गोवा पूरी तरह आजाद
वायु सेना ने 8 और 9 दिसंबर को पुर्तगालियों के ठिकाने पर अचूक बमबारी की। वहीं 18 दिसंबर, 1961 से जमीनी कार्रवाई शुरू की गई। इस सैन्य अभियान को ‘ऑपरेशन विजय’ नाम दिया गया। इसमें भारतीय नौसेना, भारतीय वायु सेना और भारतीय थल सेना शामिल थी। इस सैन्य अभियान के शुरू होने के महज 36 घंटे में गोवा पूरी तरह आजाद हो गया।
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जिसके बाद 19 दिसंबर, 1961 को तत्कालीन पुर्तगाली गवर्नर मेन्यू वासलो डे सिल्वा ने भारत के सामने समर्पण समझौते पर दस्तखत कर दिए। इस तरह भारत ने गोवा और दमन दीव को मुक्त करा लिया। बाद में 30 मई, 1987 को गोवा को पूर्ण राज्य का दर्जा दे दिया गया और इस प्रकार गोवा भारतीय गणराज्य का 25वां राज्य बना।
Goa Liberation Day: ऑपरेशन विजय
पुर्तगालियों के साथ कई दौर की बातचीत हुई. कई राजनयिक प्रयासों के बाद भी वो गोवा को छोड़ने के लिए तैयार नहीं हुए. इसके बाद उस वक्त भारत के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने फैसला किया कि पुर्तगालियों को हटाने का सैन्य हस्तक्षेप ही एकमात्र विकल्प था. इसके बाद इन्हें हटाने के लिए 18 दिसंबर, 1961 को 36 घंटे का सैन्य अभियान चलाया गया. इस अभियान को ‘ऑपरेशन विजय’ का नाम दिया गया. इसमें भारतीय नौसेना, वायुसेना और थल सेना शामिल थे.
अब गोवा के बारे में कुछ अन्य तथ्यों को अध्ययन करते हैं
- राजधानी: पणजी
- भाषा: कोंकणी
- क्षेत्रफल: 3702 km2
यह कोंकण के रूप में जाना जाने वाले क्षेत्र के भीतर भारत के दक्षिण-पश्चिमी तट पर स्थित है, और भौगोलिक रूप से पश्चिमी घाटों द्वारा दक्खन उच्चभूमि से अलग है. यह महाराष्ट्र के उत्तर और पूर्व और दक्षिण में कर्नाटक से घिरा हुआ है, अरब सागर इसके पश्चिमी तट का निर्माण करते हैं.
- गोवा की जनसंख्या: 785140 पुरुषों और 719405 महिलाओं के साथ 1458545 है. 1991 से 2000 के दौरान 14.8 प्रतिशत की वृद्धि, 1981 से 1990 के दौरान दर्ज 16.08 प्रतिशत से कम है.
- गोवा में लिंगानुपात (प्रति हजार पुरुषों पर महिलाओं की संख्या) 1991 में 967 की तुलना में 973 है.
- गोवा में प्रति वर्ग किमी जनसंख्या घनत्व 2001 में 316 की तुलना में 2001 में 364 है.
- दक्षिण गोवा (300) की तुलना में उत्तरी गोवा में घनत्व अधिक (437) है. राष्ट्रीय आंकड़ा 324 है.
- साक्षरता दर 80 फीसदी है. 83.3 फीसदी पुरुष और 76.4 फीसदी महिलाएं साक्षर हैं.
नदियां (Rivers)
राज्य से होकर बहने वाली प्रमुख नदियाँ मांडोवी (Mandovi), ज़ुरी (Zuari), तेरखोल (Terekhol), छपोरा (Chapora) और बैतूल (Betul) हैं. अन्य प्रमुख नदियों में तिराकोल (Tiracol), साल (Sal) और तलपोना (Talpona) शामिल हैं.
जंगल (Forests)
राज्य में कुल क्षेत्रफल का लगभग एक-तिहाई कवर 1,424 वर्ग किलोमीटर से अधिक का वन क्षेत्र है. वन महत्वपूर्ण उत्पाद प्रदान करते हैं जैसे कि बांस, मराठा छाल, चिलर छाल और भिरंड. ग्रामीण लोगों के लिए इसका आर्थिक मूल्य हैं. ऊपरी क्षेत्रों को छोड़कर लगभग पूरे गोवा में नारियल के पेड़ पाए जाते हैं. गोवा की वनस्पतियों में काजू, आम, कटहल और अनानास भी शामिल हैं.
खनिज पदार्थ (Minerals)
गोवा खनिज संसाधनों में समृद्ध है. प्रमुख खनिजों में लौह अयस्क, मैंगनीज, फेरो-मैंगनीज, बॉक्साइट और सिलिका रेत शामिल हैं. लौह और मैंगनीज खनन उद्योग गोवा की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं.
वन्यजीव अभयारण्य और राष्ट्रीय उद्यान:
- डॉ. सलीम अली पक्षी अभयारण्य (Dr Salim Ali Bird Sanctuary)
- म्हादेई वन्यजीव अभयारण्य (Mhadei Wildlife Sanctuary)
- नेत्रावली वन्यजीव अभयारण्य (Netravali Wildlife Sanctuary)
- कोटिगाओ वन्यजीव अभयारण्य (Cotigao Wildlife Sanctuary)
- भगवान महावीर अभयारण्य (Bhagwan Mahaveer Sanctuary)
- मोल्लेम नेशनल पार्क (Mollem National Park)