प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लाओस यात्रा के दौरान उन्होंने पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन (EAS) को संबोधित करते हुए हिंद-प्रशांत क्षेत्र और दक्षिण चीन सागर में शांति और स्थिरता की महत्वपूर्ण आवश्यकता पर जोर दिया। पीएम मोदी का भाषण वैश्विक सुरक्षा और क्षेत्रीय शांति की दिशा में भारत के प्रयासों को रेखांकित करता है, जहां हिंद-प्रशांत की सुरक्षा को लेकर भारत के सात सूत्रीय दृष्टिकोण को एक प्रमुख स्थान दिया गया। इस यात्रा और उनके संबोधन ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में उभर रहे जटिल भू-राजनीतिक हालात पर भारत के रणनीतिक विचारों को स्पष्ट किया।
पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन 2024: मुख्य बिंदु
1. मोदी के 7 सूत्रीय दृष्टिकोण से समुद्री सुरक्षा को प्राथमिकता।
2. EAS के मंच पर भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी का महत्व।
3. दक्षिण चीन सागर में चीन की आक्रामकता पर भारत का प्रतिक्रिया।
4. समुद्री सुरक्षा और मुक्त व्यापार के लिए अनुकूल वातावरण से व्यवसायिक गतिविधियों को मिलेगी बढ़ावा।
5. पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन, भारत के लिए है एक महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय मंच।
6. EAS के सदस्य देशों की वैश्विक जीडीपी में है 58% की हिस्सेदारी।
7. हिंद-प्रशांत क्षेत्र में व्यापारिक कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने में भारत की भूमिका।
8. EAS में भारत के द्वारा प्रस्तुत किया गया शांति और सुरक्षा का दृष्टिकोण है महत्वपूर्ण।
9. वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा है आतंकवाद: पीएम मोदी
10. आध्यात्म से होगी विश्व शांति की स्थापना।
हिंद-प्रशांत क्षेत्र में मोदी के 7 सूत्रीय दृष्टिकोण
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रणनीति हिंद-प्रशांत क्षेत्र को सुरक्षित, स्थिर और भयमुक्त बनाने की दिशा में एक सशक्त कदम है। समुद्री सुरक्षा और सहयोग पर आधारित यह दृष्टि 2019 में पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में पेश की गई थी। राजनीतिक विश्लेषक डॉ. राजीव रंजन गिरि के अनुसार, मोदी ने समुद्री सहयोग और सहभागिता के 7 महत्वपूर्ण पहलुओं की पहचान की थी, जिन्हें “मोदी के 7 तीर” कहा जाता है:
1. समुद्री सुरक्षा: क्षेत्रीय अखंडता और समुद्री नियमों के पालन पर जोर देते हुए सुरक्षित समुद्री मार्ग सुनिश्चित करना।
2. समुद्री इकोसिस्टम का संरक्षण: पर्यावरणीय सुरक्षा और स्थिरता बनाए रखने पर ध्यान।
3. समुद्री संसाधनों का उपयोग: क्षमता निर्माण और संसाधनों का समान रूप से बंटवारा।
4. आपदा जोखिम प्रबंधन: समुद्री आपदाओं के जोखिम को कम करने और उनके प्रबंधन में सहयोग।
5. विज्ञान और प्रौद्योगिकी सहयोग: समुद्री क्षेत्रों में तकनीकी विकास और अनुसंधान को प्रोत्साहित करना।
6. व्यापारिक कनेक्टिविटी: बेहतर समुद्री परिवहन और व्यापारिक संबंध स्थापित करना।
7. क्षेत्रीय सहयोग: हिंद-प्रशांत देशों के बीच सहयोग और सामरिक साझेदारी बढ़ाना।
पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन 2024: एक प्रमुख अंतरराष्ट्रीय मंच
पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन (EAS) 2005 में स्थापित हुआ था और इसका उद्देश्य हिंद-प्रशांत क्षेत्र में प्रमुख राजनीतिक, सुरक्षा, और आर्थिक मुद्दों पर सहयोग और रणनीतिक बातचीत को बढ़ावा देना है। ASEAN (दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों का संगठन) के 10 सदस्य देशों के साथ 8 अन्य सदस्य देश भी इस मंच का हिस्सा हैं, जिनमें भारत, चीन, जापान, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, रूस, कोरिया गणराज्य और न्यूजीलैंड शामिल हैं।
EAS को रणनीतिक रूप से एक महत्वपूर्ण मंच माना जाता है, जहां भारत और अन्य बड़े देश अपने बहुपक्षीय संबंधों को मजबूत करते हैं। इस मंच पर भारत का विशेष महत्व है क्योंकि यह भारत की ‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी’ (Act East Policy) के तहत प्रमुख भूमिका निभाता है।
हिंद-प्रशांत क्षेत्र की सुरक्षा में भारत की भूमिका
हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा और स्थिरता को बनाए रखने के लिए भारत का दृष्टिकोण विशेष रूप से चीन की बढ़ती आक्रामकता के मद्देनजर महत्वपूर्ण है। दक्षिण चीन सागर में चीन की बढ़ती दबंगई और उसके आक्रामक निवेश रणनीतियों ने इस क्षेत्र में तनाव को बढ़ाया है। भारत की समुद्री सुरक्षा दृष्टि, जिसमें मुक्त व्यापार और भयमुक्त समुद्री परिवहन को प्रोत्साहित किया गया है, इस क्षेत्र में शांति और स्थिरता स्थापित करने की दिशा में एक आवश्यक कदम है।
प्रधानमंत्री मोदी की यह रणनीति हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव को संतुलित करने की दिशा में भी है। चीन के प्रभुत्व को चुनौती देने के लिए भारत को एक संभावित समुद्री शक्ति के रूप में देखा जा रहा है, जहां जापान और अन्य देशों के साथ उसकी साझेदारी इस रणनीतिक उद्देश्य को और मजबूत बनाती है।
समुद्री सुरक्षा और मुक्त व्यापार पर पीएम मोदी का दृष्टिकोण
समुद्री सुरक्षा, पीएम मोदी के दृष्टिकोण का एक प्रमुख हिस्सा है, जो इस क्षेत्र में शांति और स्थिरता को सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है। डॉ. टेम्जेनमरेन एओ के अनुसार, EAS का उद्देश्य समुद्री सुरक्षा के साथ-साथ समंदर में मुक्त व्यापार के लिए एक सुरक्षित वातावरण तैयार करना भी है। इससे हिंद-प्रशांत क्षेत्र में आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा और क्षेत्रीय शांति स्थापित होगी।
यह दृष्टिकोण न केवल समुद्री सुरक्षा को सुनिश्चित करता है, बल्कि हिंद-प्रशांत देशों के बीच व्यापारिक गतिविधियों को भी बढ़ावा देता है। इस क्षेत्र में सैन्य बजट में हो रही बढ़ोतरी और क्षेत्रीय शक्तियों के बीच सैन्य तनाव से बचने के लिए आर्थिक सहयोग और शांति की दिशा में मोदी का यह दृष्टिकोण बेहद प्रासंगिक है।
भारत के लिए EAS की रणनीतिक महत्ता
पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन, भारत के लिए एक महत्वपूर्ण मंच है, जहां इसे एक तेजी से उभरती हुई आर्थिक और राजनीतिक शक्ति के रूप में मान्यता मिलती है। यह मंच भारत को ASEAN और अन्य प्रमुख देशों के साथ बहुपक्षीय और द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने का अवसर प्रदान करता है। भारत की “Act East Policy” के तहत EAS, भारत के लिए एक महत्वपूर्ण रणनीतिक स्तंभ है, जो उसे इस क्षेत्र में स्थिरता और सुरक्षा में नेतृत्व प्रदान करने का अवसर देता है।
आर्थिक सहयोग और क्षेत्रीय व्यापार
पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन के सदस्य देश वैश्विक जीडीपी में 58% की हिस्सेदारी रखते हैं और यह मंच वैश्विक व्यापार और आर्थिक सहयोग के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। 2021 में, EAS के सदस्य देशों ने अनुमानित रूप से 57.2 ट्रिलियन डॉलर का व्यापार किया, जो वैश्विक जीडीपी का 59.5% था। इस मंच के तहत वित्तीय और मौद्रिक सहयोग अत्यधिक है, जहां भारत, चीन, जापान और कोरिया जैसे प्रमुख आर्थिक भागीदार देश शामिल हैं।
समुद्री क्षेत्र में भारत का भविष्य
समुद्री सुरक्षा और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में व्यापारिक कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने की दिशा में भारत एक प्रमुख भूमिका निभा सकता है। दक्षिण चीन सागर में चीन की बढ़ती गतिविधियों के बीच, ASEAN के सदस्य देश भारत को एक ऐसी शक्ति के रूप में देख रहे हैं, जो क्षेत्रीय संतुलन बनाए रख सकता है। भारत की सूचना-प्रौद्योगिकी में विशेषज्ञता और जापान के मजबूत पूंजी आधार के साथ, यह साझेदारी समुद्री सुरक्षा और आर्थिक सहयोग को और मजबूत कर सकती है।
हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति और सुरक्षा के लिए अहम हैं भारत का दृष्टिकोण
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में प्रस्तुत किया गया हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति और सुरक्षा का दृष्टिकोण वैश्विक राजनीति और सुरक्षा के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है। भारत की 7 सूत्रीय रणनीति समुद्री सुरक्षा, व्यापारिक कनेक्टिविटी और क्षेत्रीय स्थिरता को सुनिश्चित करने के लिए एक ठोस दृष्टिकोण प्रदान करती है। इस मंच पर भारत की भागीदारी न केवल क्षेत्रीय शांति को बढ़ावा देती है, बल्कि उसे एक प्रमुख आर्थिक और राजनीतिक शक्ति के रूप में उभरने का अवसर भी देती है।
पीएम मोदी ने आतंकवाद को बताया एक बड़ा खतरा
पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने आतंकवाद को वैश्विक शांति के लिए एक बड़ा और गंभीर खतरा बताया। उन्होंने कहा कि आतंकवाद पूरे विश्व के लिए एक गंभीर चुनौती की तरह है। इसका सामना करने के लिए, मानवता में विश्वास रखने वाले सभी देशों और वैश्विक ताकतों को एकजुट होकर आतंकवाद के खिलाफ काम करना होगा।
पूर्ण संत के आध्यात्मिक ज्ञान से स्थापित होगी विश्व शांति
आज एक ओर जहां पूरा संसार विश्व युद्ध के मुहाने पर खड़ा है, वहीं दूसरी ओर आतंकवाद भी पूरे विश्व की शांति और स्थिरता के लिए गंभीर समस्या बनी हुई है। आज विश्व के कई देश परमाणु शक्ति संपन्न हैं, जो पूरे विश्व के लिए बहुत बड़ा खतरा है। ऐसी भयावह स्थिति में विश्व शांति की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। परंतु एक पूर्ण संत के आध्यात्मिक सामर्थ्य के सामने कुछ भी असंभव नहीं होता। आज पूरे विश्व में एकमात्र पूर्ण संत, संत रामपाल जी महाराज जी हैं, जिनकी आध्यात्मिक शक्ति और तत्वज्ञान से पूरे विश्व में शांति की स्थापना होगी।
संत रामपाल जी महाराज के इस विश्व शांति स्थापना के मिशन से जुड़ने और पूर्ण आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करने के लिए अवश्य देखें “Sant Rampalji Maharaj” YouTube channel या विज़िट करें “www.jagatgururampalji.org” वेबसाइट।