भारतीय अक्षय ऊर्जा दिवस, जो हर वर्ष 20 अगस्त को मनाया जाता है, भारत की अक्षय ऊर्जा के प्रति प्रतिबद्धता और प्रगति को प्रदर्शित करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। इस दिन हम पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की जयंती भी मनाते हैं, जिन्होंने सतत विकास और नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
यह दिन अक्षय ऊर्जा के महत्व को रेखांकित करता है और यह स्पष्ट करता है कि भारत अपने ऊर्जा स्रोतों को स्वच्छ और टिकाऊ बनाने की दिशा में अभूतपूर्व गति से आगे बढ़ रहा है। पिछले दशक में, भारत की अक्षय ऊर्जा क्षमता में 165 प्रतिशत की असाधारण वृद्धि हुई है, जो 2014 में 76.38 गीगावाट से बढ़कर 2024 में 203.1 गीगावाट तक पहुंच गई है। यह उपलब्धि न केवल भारत की पर्यावरणीय जिम्मेदारी को दर्शाती है, बल्कि इसे वैश्विक हरित ऊर्जा क्रांति में एक अग्रणी देश के रूप में स्थापित भी करती है।
भारत की योजना 2030 तक 500 गीगावाट गैर-जीवाश्म ऊर्जा क्षमता प्राप्त करने की है, जो अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में उसके दीर्घकालिक और महत्वाकांक्षी दृष्टिकोण को स्पष्ट करती है। सौर और पवन ऊर्जा जैसी अक्षय ऊर्जा न केवल देश की ऊर्जा सुरक्षा को सुदृढ़ करती है, बल्कि जलवायु परिवर्तन से निपटने में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह कदम भारत के लिए न केवल पर्यावरण संरक्षण का प्रतीक है, बल्कि वैश्विक ऊर्जा परिदृश्य में एक स्थायी और निर्णायक योगदान का भी परिचायक है।
भारतीय अक्षय ऊर्जा दिवस क्यों मनाया जाता है? ( Indian akshay Urja day)
भारतीय अक्षय ऊर्जा दिवस मनाने के कई प्रमुख कारण हैं। कुछ महत्वपूर्ण कारण इस प्रकार हैं:-
– नवीकरणीय ऊर्जा के विकास में भारत द्वारा की गई प्रगति को प्रदर्शित करना।
– लोगों को अपने घरों और व्यवसायों में नवीकरणीय ऊर्जा अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना।
– नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादों और सेवाओं की मांग पैदा करना।
– नवीकरणीय ऊर्जा के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाना।
– नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में निवेश आकर्षित करना।
– नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में रोजगार सृजित करना।
– जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए।
भारतीय अक्षय ऊर्जा दिवस का इतिहास
भारत सरकार द्वारा 2004 में अक्षय ऊर्जा दिवस की शुरुआत की गई थी। इस महत्वपूर्ण अवसर पर नई दिल्ली में आयोजित पहले समारोह में 12,000 छात्रों की एक मानव श्रृंखला बनाई गई, जो अक्षय ऊर्जा को अपनाने में हर व्यक्ति की भूमिका को दर्शाती थी। इस मौके पर तत्कालीन प्रधानमंत्री ने एक स्मारक डाक टिकट भी जारी किया, जो एक स्थायी और हरित भविष्य के प्रति हमारी अटूट प्रतिबद्धता का प्रतीक है।
भारतीय अक्षय ऊर्जा दिवस के महत्व और उसके उद्देश्य
भारत में तेजी से बढ़ते औद्योगिकीकरण और जनसंख्या में वृद्धि के कारण ऊर्जा की मांग में भारी वृद्धि हुई है, जिससे जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता अधिक बढ़ी है। हालांकि, इन संसाधनों की मात्रा सीमित है और इनके उपयोग से पर्यावरण को अपरिवर्तनीय क्षति हो रही है।
वैकल्पिक ऊर्जा स्रोत जैसे सौर ऊर्जा, जलविद्युत ऊर्जा और पवन ऊर्जा, जो कि प्राकृतिक संसाधनों को नष्ट किए बिना बार-बार उपयोग किए जा सकते हैं,ये टिकाऊ भविष्य के लिए आवश्यक हो सकते हैं। इसलिए, जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करने और जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए नवीकरणीय ऊर्जा के उपयोग और दायरे को बढ़ाना अत्यधिक महत्वपूर्ण है।
साथ ही, नवीकरणीय ऊर्जा की ओर बदलाव न केवल भारत में बल्कि वैश्विक स्तर पर भी अत्यधिक महत्वपूर्ण है। यह परिवर्तन आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करता है, क्योंकि इससे स्थिर और हरित नौकरियों का सृजन होता है। इसके अलावा, अक्षय ऊर्जा के बढ़ते उपयोग से ऊर्जा लागत में भी कमी आती है, जो दीर्घकालिक आर्थिक स्थिरता और समृद्धि को बढ़ावा देता है।
अक्षय ऊर्जा दिवस के प्रमुख उद्देश्यों :-
1) भारत की ऊर्जा नीति में नवीकरणीय ऊर्जा के महत्व को उजागर करना।
2) पारंपरिक जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करने में नवीकरणीय ऊर्जा के लाभों के बारे में जागरूकता फैलाना।
3) जलवायु परिवर्तन से मुकाबला करने के लिए नवीकरणीय ऊर्जा को अपनाना।
नवीकरणीय ऊर्जा: महत्त्व, आवश्यकता और इसके लाभ
– नवीकरणीय ऊर्जा क्या होता है?
नवीकरणीय ऊर्जा प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करके उत्पन्न की जाती है, जो कभी समाप्त नहीं होते। इनमें वायु ऊर्जा, सौर ऊर्जा, हाइड्रो पावर, बायोमास, और जियोथर्मल ऊर्जा सम्मिलित हैं। ये स्रोत निरंतर नवीनीकरण के योग्य होते हैं, इसलिए इन्हें नवीकरणीय ऊर्जा कहा जाता है।
– नवीकरणीय ऊर्जा क्यों जरूरी है?
बिजली उत्पादन के लिए प्राकृतिक संसाधनों जैसे तेल, कोयला, और गैस का उपयोग किया जाता है। हालांकि, इनका उपयोग करने से प्रदूषण होता है और इन संसाधनों को संरक्षित रखना भी अत्यंत आवश्यक है क्योंकि इनकी उत्पादन में वर्षों लग जाते हैं। इसी वजह से, नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग हमारे लिए अत्यधिक आवश्यक है।
– नवीकरणीय ऊर्जा के लाभ
नवीकरणीय ऊर्जा का प्रमुख लाभ यह है कि इसके उपयोग से प्रदूषण नहीं होता। यह पर्यावरण के लिए अधिक लाभकारी साबित होते हैं और इनसे लोगों के स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर नहीं होते। इन्हें ऊर्जा का स्थायी स्रोत माना जाता है, क्योंकि ये कभी समाप्त नहीं होते। इसके अलावा, नवीकरणीय ऊर्जा से स्थायी रोजगार के अवसर उत्पन्न होते हैं और ऊर्जा की लागत को भी घटाया जा सकता है।
नवीकरणीय ऊर्जा विभिन्न प्रकार की होती हैं:-
नवीकरणीय ऊर्जा के प्रकार
1. सौर ऊर्जा:-सौर ऊर्जा सूर्य की किरणों से प्राप्त होती है। इसे सौर पैनलों (फोटोवोल्टिक सेल) के माध्यम से बिजली में परिवर्तित किया जा सकता है, या फिर सौर तापीय प्रणालियों का उपयोग करके गर्मी उत्पन्न की जा सकती है। सौर ऊर्जा सबसे अधिक उपलब्ध नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों में से एक मानी जाती है। चीन, अमेरिका, भारत, और जापान इस क्षेत्र में प्रमुख सौर ऊर्जा उत्पादक देशों में सम्मिलित हैं।
2.पवन ऊर्जा:- पवन ऊर्जा को पवन टर्बाइनों की सहायता से उत्पन्न किया जाता है, जो हवा की गतिज ऊर्जा को बिजली में परिवर्तित करती हैं। चीन (342 गीगावॉट) और अमेरिका (139 गीगावॉट) जैसे प्रमुख देशों में ऑनशोर और ऑफशोर पवन फार्म नवीकरणीय ऊर्जा के मिश्रण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
3. बायोमास ऊर्जा:- बायोमास को पौधों के अवशेषों, जानवरों के अपशिष्ट और लकड़ी जैसे कार्बनिक पदार्थों से उत्पन्न किया जाता है। इसे गर्म करके या तरल और गैसीय ईंधन में परिवर्तित किया जा सकता है। बायोमास का उपयोग हीटिंग, बिजली उत्पादन, या परिवहन के लिए जैव ईंधन के रूप में किया जाता है। इसे नवीकरणीय माना जाता है क्योंकि इसके लिए प्रयुक्त सामग्री को पुनः उगाया जा सकता है।
4. ज्वारीय और तरंग ऊर्जा:- यह बिजली उत्पन्न करने के लिए समुद्र की पानी की गति का उपयोग करती है । ज्वारीय ऊर्जा चंद्रमा और सूर्य के गुरुत्वाकर्षण प्रभाव पर आधारित होती है, जबकि तरंग ऊर्जा समुद्र की सतह की लहरों की ऊर्जा को संचित करती है। दक्षिण कोरिया, फ्रांस, और यूके ज्वारीय ऊर्जा के प्रमुख उपयोगकर्ता देश हैं।
5. भूतापीय ऊर्जा :- यह ऊर्जा पृथ्वी की आंतरिक गर्मी से प्राप्त होती है और प्राकृतिक या कृत्रिम गर्म पानी के स्रोतों से आती है। इसका उपयोग बिजली उत्पादन और हीटिंग के लिए किया जाता है। भूतापीय बिजली संयंत्र भूमिगत जलाशयों से भाप या गर्म पानी का उपयोग करते हैं। अमेरिका, इंडोनेशिया, और फिलीपींस जैसे देश इस ऊर्जा के प्रमुख उत्पादक हैं।
6. जलविद्युत:- इस ऊर्जा को नदियों, बांधों, और झरनों के बहते पानी की गतिज ऊर्जा से उत्पन्न किया जाता है। यह नवीकरणीय ऊर्जा के सबसे पुरानी और व्यापक रूपों में से एक है। चीन, ब्राजील, और कनाडा जलविद्युत के प्रमुख उपयोगकर्ता देश हैं।
भारत की अक्षय ऊर्जा में वृद्धि और विकास
2 अक्टूबर 2015 को भारत ने जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (यूएनएफसीसीसी) के तहत अपना पहला राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (एनडीसी) पेश किया। साथ ही, भारत ने यूएनएफसीसीसी और पेरिस समझौते पर हस्ताक्षर किए, जो 2015 में अपनाई गई एक अंतरराष्ट्रीय संधि है और एनडीसी के तहत जलवायु कार्रवाई योजनाओं के पांच साल के चक्र पर आधारित है।
भारत के एनडीसी में शुरुआत में दो प्रमुख लक्ष्यों का उल्लेख किया गया:-
1. 2005 के स्तर की तुलना में 2030 तक अपने सकल घरेलू उत्पाद की उत्सर्जन तीव्रता को 33-35 प्रतिशत तक घटाना।
2. 2030 तक अपनी कुल स्थापित विद्युत क्षमता का लगभग 40 प्रतिशत गैर-जीवाश्म ईंधन से प्राप्त करना।
नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रमुख पहल
भारत ने अपने नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए कई महत्वपूर्ण पहल शुरू की हैं। इन पहलों में कुछ प्रमुख योजनाएँ शामिल हैं:-
– प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान योजना (पीएम-कुसुम)।
– ग्रिड कनेक्टेड रूफटॉप सोलर प्रोग्राम (प्रधानमंत्री सूर्योदय योजना )।
– हरित ऊर्जा गलियारा योजना।
– सोलर पार्क और अल्ट्रा मेगा सोलर पावर का विकास।
– उच्च दक्षता वाले सौर पीवी मॉड्यूल के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना।
– राष्ट्रीय जैव ऊर्जा कार्यक्रम (एनबीपी)।
– नवीकरणीय ऊर्जा में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की अनुमति।
– राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन (एनजीएचएम)।
“भारतीय अक्षय ऊर्जा दिवस 2024 पर जाने वास्तविक ऊर्जा के विषय में।”
एक ऐसी दिव्य ऊर्जा है, जो हमें केवल सतभक्ति से ही प्राप्त होती है, और जिसकी शक्ति इस संसार की सभी ज्ञात ऊर्जाओं से कहीं अधिक है। यह अलौकिक ऊर्जा, जो हमारे जीवन की सभी सीमाओं और समझ से परे है, आज तक अधिकांश लोगों के लिए अज्ञात रही है। इस अनमोल ज्ञान का बोध केवल उन महान संतों और महापुरुषों को हुआ है, जिन्होंने परमात्मा का साक्षात्कार किया है।
सतभक्ति की इस दिव्य ऊर्जा को प्राप्त करने के लिए, सबसे पहले परमात्मा से परिचित किसी पूर्ण संत से नाम दीक्षा लेना आवश्यक है, और फिर मर्यादा में रहकर सतभक्ति करनी होती है। यह ऊर्जा, जो मनुष्य के लिए अत्यंत आवश्यक है, विज्ञान, सांसारिकता, अंधश्रद्धा, और अन्य सांसारिक ऊर्जाओं से बिल्कुल भिन्न और उच्चतर है। यह असली आध्यात्मिक ऊर्जा ही मोक्ष प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करती है। सतभक्ति से प्राप्त होने वाली यह आध्यात्मिक शक्ति अनंत और अडिग होती है—यह कभी समाप्त नहीं होती। यह ऊर्जा मनुष्य को उस सच्चे सुख और शांति की ओर ले जाती है, जो किसी भी सांसारिक साधन से कभी संभव नहीं हो सकती।
वर्तमान समय में केवल संत रामपाल जी महाराज ही हैं, शास्त्रों अनुसार सतभक्ति प्रदान कर रहे हैं और पूर्ण मोक्ष का मार्ग प्रशस्त कर रहे हैं।
भारतीय अक्षय ऊर्जा दिवस पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
1. भारतीय अक्षय ऊर्जा दिवस कब मनाया जाता है?
– भारतीय अक्षय ऊर्जा दिवस हर साल 20 अगस्त को मनाया जाता है।
2. इस दिन का उद्देश्य क्या होता है?
– इस दिन का मुख्य उद्देश्य अक्षय ऊर्जा स्रोतों के महत्व को समझाना और उनके उपयोग को बढ़ावा देना होता है।
3. अक्षय ऊर्जा के प्रमुख स्रोत कौन-कौन से हैं?
– प्रमुख अक्षय ऊर्जा स्रोतों में सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, जल ऊर्जा, बायोमास, और भूगर्भीय ऊर्जा शामिल हैं।
4. भारतीय सरकार अक्षय ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए कौन-कौन सी पहल कर रही है?
– भारतीय सरकार ने सौर ऊर्जा योजनाओं, पवन ऊर्जा परियोजनाओं, और विभिन्न सब्सिडी और प्रोत्साहन योजनाओं के माध्यम से अक्षय ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं लागू की हैं।
5. अक्षय ऊर्जा के लाभ क्या हैं?
– अक्षय ऊर्जा के लाभों में पर्यावरण संरक्षण, प्रदूषण में कमी, ऊर्जा सुरक्षा, और आर्थिक विकास शामिल हैं। यह संसाधनों की स्थिरता भी सुनिश्चित करता है और दीर्घकालिक ऊर्जा जरूरतों को पूरा करता है।