Indira Gandhi Death Anniversary [Hindi]: जानिए क्या हुआ था उस दिन जब इंदिरा गांधी पर चलाई गईं थीं गोलियां

Indira Gandhi Death Anniversary [Hindi]

Indira Gandhi Death Anniversary [Hindi]: 30 अक्तूबर 1984 की दोपहर इंदिरा गांधी ने जो चुनावी भाषण दिया, उसे हमेशा की तरह उनके सूचना सलाहकार एचवाई शारदा प्रसाद ने तैयार किया था। लेकिन अचानक उन्होंने तैयार आलेख से अलग होकर बोलना शुरू कर दिया। उनके बोलने का तेवर भी बदल गया।

Indira Gandhi Death Anniversary: भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री, इंदिरा गांधी की आज पुण्यतिथि है। इस मौके पर पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को आज देश याद कर रहा है। आज यानी 31 अक्टूबर के दिन इंदिरा गांधी ने दुनिया को अलविदा कह दिया था। भारत के इतिहास में पूर्व प्रधानमंत्री की हत्या के तौर पर दर्ज है। दरअसल, इसी दिन सुबह-सुबह उनके सिख अंगरक्षकों ने उनकी हत्या कर थी।

प्रारम्भिक जीवन

इन्दिरा का जन्म 19 नवंबर, सन् 1917 में पंडित जवाहरलाल नेहरू और उनकी पत्नी कमला नेहरू के यहाँ हुआ। वे उनकी एकमात्र संतान थीं। नेहरू परिवार अपने पुरखों का खोंज जम्मू और कश्मीर तथा दिल्ली के ब्राह्मणों में कर सकते हैं। इंदिरा के पितामह मोतीलाल नेहरू उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद से एक धनी बैरिस्टर थे। जवाहरलाल नेहरू पूर्व समय में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के बहुत प्रमुख सदस्यों में से थे। उनके पिता मोतीलाल नेहरू भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक लोकप्रिय नेता रहे। इंदिरा के जन्म के समय महात्मा गांधी के नेतृत्व में जवाहरलाल नेहरू का प्रवेश स्वतन्त्रता आन्दोलन में हुआ।

Indira Gandhi Death Anniversary [Hindi]: उनकी परवरिश अपनी माँ की सम्पूर्ण देखरेख में, जो बीमार रहने के कारण नेहरू परिवार के गृह सम्बन्धी कार्यों से अलग रही, होने से इंदिरा में मजबूत सुरक्षात्मक प्रवृत्तिओं के साथ साथ एक निःसंग व्यक्तित्व विकसित हुआ। उनके पितामह और पिता का लगातार राष्ट्रीय राजनीती में उलझते जाने ने भी उनके लिए साथिओं से मेलजोल मुश्किल कर दिया। उनकी अपनी बुओं (पिता की बहनों) के साथ जिसमे विजयाल्क्ष्मी पंडित भी थीं, मतविरोध रही और यह राजनैतिक दुनिया में भी चलती रही।

इंदिरा गांधी ने 1966 से 1977 के बीच लगातार तीन बार देश की बागडोर संभाली और उसके बाद 1980 में दोबारा इस पद पर पुहंची। इसके बाद 31 अक्टूबर 1984 को पद पर रहते हुए उनकी हत्या कर दी गई। आज पूरा देश इंदिरा गांधी को नमन कर रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत दिग्गजों ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की है। 

इंदिरा गांधी की आज 36वी पुण्यतिथि है। इस मौके पर कांग्रेस नेता सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी वाॉड्रा ने दिल्ली में मौजूद शक्ति स्थल पहुंच कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।

इंदिरा गांधी बोलीं:

‘मैं आज यहां हूं। कल शायद यहां न रहूं। मुझे चिंता नहीं मैं रहूं या न रहूं। मेरा लंबा जीवन रहा है और मुझे इस बात का गर्व है कि मैंने अपना पूरा जीवन अपने लोगों की सेवा में बिताया है। मैं अपनी आखिरी सांस तक ऐसा करती रहूंगी और जब मैं मरूंगी तो मेरे खून का एक-एक कतरा भारत को मजबूत करने में लगेगा।’

कभी-कभी नियति शब्दों में ढलकर आने वाले दिनों की तरफ इशारा करती है। भाषण के बाद जब वो राजभवन लौटीं तो राज्यपाल बिशंभरनाथ पांडे ने कहा कि आपने हिंसक मौत का जिक्र कर मुझे हिलाकर रख दिया। इंदिरा गांधी ने जवाब दिया कि वो ईमानदार और तथ्यपरक बात कह रही थीं।
रातभर सोईं नहीं

Indira Gandhi Death Anniversary: सच्ची घटना

उस रात इंदिरा जब दिल्ली वापस लौटीं तो काफी थक गई थीं। उस रात वो बहुत कम सो पाईं। सामने के कमरे में सो रहीं सोनिया गांधी जब सुबह चार बजे अपनी दमे की दवाई लेने के लिए उठकर बाथरूम गईं तो इंदिरा उस समय जाग रही थीं

सोनिया गांधी अपनी किताब ‘राजीव’ में लिखती हैं कि इंदिरा भी उनके पीछे-पीछे बाथरूम में आ गईं और दवा खोजने में उनकी मदद करने लगीं। वो ये भी बोलीं कि अगर तुम्हारी तबीयत फिर बिगड़े तो मुझे आवाज दे देना। मैं जाग रही हूं।

  • हल्का नाश्ता लिया

सुबह साढ़े सात बजे तक इंदिरा गांधी तैयार हो चुकी थीं। उस दिन उन्होंने केसरिया रंग की साड़ी पहनी थी जिसका बॉर्डर काला था। इस दिन उनका पहला अपॉएंटमेंट पीटर उस्तीनोव के साथ था जो इंदिरा गांधी पर एक डॉक्युमेंट्री बना रहे थे और एक दिन पहले उड़ीसा दौरे के दौरान भी उनको शूट कर रहे थे। 

दोपहर में उन्हें ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री जेम्स कैलेघन और मिजोरम के एक नेता से मिलना था। शाम को वो ब्रिटेन की राजकुमारी ऐन को भोज देने वाली थीं। उस दिन नाश्ते में उन्होंने दो टोस्ट, सीरियल्स, संतरे का ताजा जूस और अंडे लिए। नाश्ते के बाद जब मेकअप-मेन उनके चेहरे पर पाउडर और ब्लशर लगा रहे थे तो उनके डॉक्टर केपी माथुर वहां पहुंच गए। वो रोज इसी समय उन्हें देखने पहुंचते थे।

उन्होंने डॉक्टर माथुर को भी अंदर बुला लिया और दोनों बातें करने लगे। उन्होंने अमरीकी राष्ट्रपति रोनल्ड रीगन के जरूरत से ज्यादा मेकअप करने और उनके 80 साल की उम्र में काले बाल होने के बारे में मजाक भी किया। 
अचानक फायरिंग

इंदिरा गांधी के अंतिम दर्शन करने उमड़े लोग

नौ बजकर 10 मिनट पर जब इंदिरा गांधी बाहर आईं तो खुशनुमा धूप खिली हुई थी। उन्हें धूप से बचाने के लिए सिपाही नारायण सिंह काला छाता लिए हुए उनके बगल में चल रहे थे। उनसे कुछ कदम पीछे थे आरके धवन और उनके भी पीछे थे इंदिरा गांधी के निजी सेवक नाथू राम। 

सबसे पीछे थे उनके निजी सुरक्षा अधिकारी सब इंस्पेक्टर रामेश्वर दयाल। इस बीच एक कर्मचारी एक टी-सेट लेकर सामने से गुजरा जिसमें उस्तीनोव को चाय सर्व की जानी थी। इंदिरा ने उसे बुलाकर कहा कि उस्तीनोव के लिए दूसरा टी-सेट निकाला जाए। जब इंदिरा गांधी एक अकबर रोड को जोड़ने वाले विकेट गेट पर पहुंची तो वो धवन से बात कर रही थीं।

धवन उन्हें बता रहे थे कि उन्होंने उनके निर्देशानुसार, यमन के दौरे पर गए राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह को संदेश भिजवा दिया है कि वो सात बजे तक दिल्ली लैंड कर जाएं ताकि उनको पालम हवाई अड्डे पर रिसीव करने के बाद इंदिरा, ब्रिटेन की राजकुमारी एन को दिए जाने वाले भोज में शामिल हो सकें। अचानक वहां तैनात सुरक्षाकर्मी बेअंत सिंह ने अपनी रिवॉल्वर निकालकर इंदिरा गांधी पर फायर किया। गोली उनके पेट में लगी।

इंदिरा ने चेहरा बचाने के लिए अपना दाहिना हाथ उठाया लेकिन तभी बेअंत ने बिल्कुल प्वॉइंट ब्लैंक रेंज से दो और फायर किए। ये गोलियां उनकी बगल, सीने और कमर में घुस गईं। 
गोली चलाओ

वहां से पांच फुट की दूरी पर सतवंत सिंह अपनी टॉमसन ऑटोमैटिक कारबाइन के साथ खड़ा था। इंदिरा गांधी को गिरते हुए देख वो इतनी दहशत में आ गया कि अपनी जगह से हिला तक नहीं। तभी बेअंत ने उसे चिल्लाकर कहा गोली चलाओ। सतवंत ने तुरंत अपनी ऑटोमैटिक कारबाइन की सभी पच्चीस गोलियां इंदिरा गांधी के शरीर के अंदर डाल दीं।

बेअंत सिंह का पहला फायर हुए पच्चीस सेकेंड बीत चुके थे और वहां तैनात सुरक्षा बलों की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई थी। अभी सतवंत फायर कर ही रहा था कि सबसे पहले सबसे पीछे चल रहे रामेश्वर दयाल ने आगे दौड़ना शुरू किया।

लेकिन वो इंदिरा गांधी तक पहुंच पाते कि सतवंत की चलाई गोलियां उनकी जांघ और पैर में लगीं और वो वहीं ढेर हो गए। इंदिरा गांधी के सहायकों ने उनके क्षत-विक्षत शरीर को देखा और एक-दूसरे को आदेश देने लगे। एक अकबर रोड से एक पुलिस अफसर दिनेश कुमार भट्ट ये देखने के लिए बाहर आए कि ये कैसा शोर मच रहा है।
एंबुलेंस नदारद

Indira Gandhi Death Anniversary [Hindi]


उसी समय बेअंत सिंह और सतवंत सिंह दोनों ने अपने हथियार नीचे डाल दिए। बेअंत सिंह ने कहा, ‘हमें जो कुछ करना था हमने कर दिया। अब तुम्हें जो कुछ करना हो तुम करो।’ तभी नारायण सिंह ने आगे कूदकर बेअंत सिंह को जमीन पर पटक दिया।

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पास के गार्ड रूम से आईटीबीपी के जवान दौड़ते हुए आए और उन्होंने सतवंत सिंह को भी अपने घेरे में ले लिया। हालांकि, वहां हर समय एक एंबुलेंस खड़ी रहती थी। लेकिन उस दिन उसका ड्राइवर वहां से नदारद था। इतने में इंदिरा के राजनीतिक सलाहकार माखनलाल फोतेदार ने चिल्लाकर कार निकालने के लिए कहा।

इंदिरा गांधी को जमीन से आरके धवन और सुरक्षाकर्मी दिनेश भट्ट ने उठाकर सफेद एंबेसडर कार की पिछली सीट पर रखा। आगे की सीट पर धवन, फोतेदार और ड्राइवर बैठे। जैसे ही कार चलने लगी सोनिया गांधी नंगे पांव, अपने ड्रेसिंग गाउन में मम्मी-मम्मी चिल्लाते हुए भागती हुई आईं। 

इंदिरा गांधी की हालत देखकर वो उसी हाल में कार की पीछे की सीट पर बैठ गईं। उन्होंने खून से लथपथ इंदिरा गांधी का सिर अपनी गोद में ले लिया। कार बहुत तेजी से एम्स की तरफ बढ़ी। चार किलोमीटर के सफर के दौरान कोई भी कुछ नहीं बोला। सोनिया का गाउन इंदिरा के खून से भीग चुका था। 

Indira Gandhi Death Anniversary [Hindi]: स्ट्रेचर गायब

कार नौ बजकर 32 मिनट पर एम्स पहुंची। वहां इंदिरा के रक्त ग्रुप ओ आरएच निगेटिव का पर्याप्त स्टॉक था। लेकिन एक सफदरजंग रोड से किसी ने भी एम्स को फोन कर नहीं बताया था कि इंदिरा गांधी को गंभीर रूप से घायल अवस्था में वहां लाया जा रहा है। इमरजेंसी वार्ड का गेट खोलने और इंदिरा को कार से उतारने में तीन मिनट लग गए। वहां पर एक स्ट्रेचर तक मौजूद नहीं था।

किसी तरह एक पहिए वाली स्ट्रेचर का इंतेजाम किया गया। जब उनको कार से उतारा गया तो इंदिरा को इस हालत में देखकर वहां तैनात डॉक्टर घबरा गए। उन्होंने तुरंत फोन कर एम्स के वरिष्ठ कार्डियॉलॉजिस्ट को इसकी सूचना दी। मिनटों में वहां डॉक्टर गुलेरिया, डॉक्टर एमएम कपूर और डॉक्टर एस बालाराम पहुंच गए।

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एलेक्ट्रोकार्डियाग्राम में इंदिरा के दिल की मामूली गतिविधि दिखाई दे रही थीं लेकिन नाड़ी में कोई धड़कन नहीं मिल रही थी। उनकी आंखों की पुतलियां फैली हुई थीं, जो संकेत था कि उनके दिमाग को क्षति पहुंची है। एक डॉक्टर ने उनके मुंह के जरिए उनकी साँस की नली में एक ट्यूब घुसाई ताकि फेफड़ों तक ऑक्सीजन पहुंच सके और दिमाग को जिंदा रखा जा सके। इंदिरा को 80 बोतल खून चढ़ाया गया जो उनके शरीर की सामान्य खून मात्रा का पांच गुना था।

डॉक्टर गुलेरिया बताते हैं:

‘मुझे तो देखते ही लग गया था कि वो इस दुनिया से जा चुकी हैं। उसके बाद हमने इसकी पुष्टि के लिए ईसीजी किया। फिर मैंने वहां मौजूद स्वास्थ्य मंत्री शंकरानंद से पूछा कि अब क्या करना है? क्या हम उन्हें मृत घोषित कर दें? उन्होंने कहा नहीं। फिर हम उन्हें ऑपरेशन थियेटर में ले गए।’

Indira Gandhi Death Anniversary [Hindi]: सिर्फ दिल सलामत

डॉक्टरों ने उनके शरीर को हार्ट एंड लंग मशीन से जोड़ दिया जो उनके रक्त को साफ करने का काम करने लगी और जिसकी वजह से उनके रक्त का तापमान सामान्य 37 डिग्री से घटकर 31 डिग्री हो गया। ये साफ था कि इंदिरा इस दुनिया से जा चुकी थीं लेकिन तब भी उन्हें एम्स की आठवीं मंजिल स्थित ऑपरेशन थियेटर में ले जाया गया।

डॉक्टरों ने देखा कि गोलियों ने उनके लीवर के दाहिने हिस्से को छलनी कर दिया था, उनकी बड़ी आंत में कम से कम बारह छेद हो गए थे और छोटी आंत को भी काफी क्षति पहुंची थी। उनके एक फेफड़े में भी गोली लगी थी और रीढ़ की हड्डी भी गोलियों के असर से टूट गई थी। सिर्फ उनका हृदय सही सलामत था।

योजना बनाकर साथ ड्यूटी

अपने अंगरक्षकों द्वारा गोली मारे जाने के लगभग चार घंटे बाद दो बजकर 23 मिनट पर इंदिरा गांधी को मृत घोषित किया गया। लेकिन सरकारी प्रचार माध्यमों ने इसकी घोषणा शाम छह बजे तक नहीं की।

इंदिरा गांधी की जीवनी लिखने वाले इंदर मल्होत्रा बताते थे कि खुफिया एजेंसियों ने आशंका प्रकट की थी कि इंदिरा गांधी पर इस तरह का हमला हो सकता है। उन्होंने सिफारिश की थी कि सभी सिख सुरक्षाकर्मियों को उनके निवास स्थान से हटा लिया जाए।

लेकिन जब ये फाइल इंदिरा के पास पहुंची तो उन्होंने बहुत गुस्से में उस पर तीन शब्द लिखे, ‘आरंट वी सेकुलर? (क्या हम धर्मनिरपेक्ष नहीं हैं?)’ उसके बाद ये तय किया गया कि एक साथ दो सिख सुरक्षाकर्मियों को उनके नजदीक ड्यूटी पर नहीं लगाया जाएगा। 31 अक्तूबर के दिन सतवंत सिंह ने बहाना किया कि उनका पेट खराब है। इसलिए उसे शौचालय के नजदीक तैनात किया जाए। इस तरह बेअंत और सतवंत एक साथ तैनात हुए और उन्होंने इंदिरा गांधी से ऑपरेशन ब्लूस्टार का बदला ले लिया।

Indira Gandhi Best Quotes in Hindi

“यदि देश की सेवा करते हुए मेरी मृत्यु भी हो जाये तो मुझे इसका गर्व होगा। मुझे पूरा विश्वास है कि मेरे खून का एक-एक कतरा राष्ट्र के विकास में योगदान और इसे सुदृढ़ और उर्जावान बनाएगा।“ ~ इंदिरा गांधी

“एक राष्ट्र की शक्ति उसकी आत्मनिर्भरता में है, दूसरों से उधार लेकर पर काम चलाने में नहीं।” ~ इंदिरा गांधी

“लोग अपने कर्तव्य भूल जाते हैं लेकिन अपने अधिकार उन्हें याद रहते हैं।~ इंदिरा गांधी

“प्रश्न कर पाने की क्षमता ही मानव प्रगति का आधार है।~ इंदिरा गांधी

“आपको आराम के समय किर्याशील रहना चाहिए और आपको गतिविधि के समय स्थिर रहना सीख लेना चाहिए।“ ~ इंदिरा गांधी

“कभी भी किसी दीवार को तब तक ना गिराओ, जब तक आपको ये पता ना हो कि यह किस काम के लिए खड़ी की गई थी।“ ~ इंदिरा गांधी

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