israel palestine conflict in hindi: नमस्कार दर्शको! खबरों की खबर का सच स्पेशल कार्यक्रम में आप सभी का एक बार फिर से स्वागत है। इस बार हम इजरायल और फिलिस्तीन के बीच सैकडो वर्षो से चल रहे विवाद को लेकर चर्चा करेंगे और साथ ही जानेंगे की युद्ध करना कहां तक जायज होता है। तो चलिए शुरू करते है।
कोरोना महामारी की दूसरी और तीसरी लहर से आज पूरा विश्व जूझ रहा है। दिन प्रति दिन हजारों, लाखो की तादाद में लोगों की जाने जा रही है, अस्पतालों में ऑक्सीजन, वेंटीलेटर और बेड आदि की किल्लत आ रही है। एक तरफ रेमडेसिविर और ऑक्सीजन सिलेंडर की कालाबाजारी के चलते लोग हजारों लाखों रुपए खर्च कर रहे है, तो दूसरी तरह नकली रेमडेसिविर और स्टीरॉयड को बेच कर बेईमान लोग रातों रात करोड़ पति बन रहे है। ऐसे में इसराइल जैसा देश जिसने लगभग सत प्रतिशत तक इस महामारी से निजात पा लिया है, अपनी आधी जनसंख्या को वेक्सिन लगाने के बाद इसराइल मास्क से भी मुक्त हो चुका है। महामारी से निजात पाते ही इसराइल अपने पड़ोसी राज्य फिलिस्तीन के साथ एक बार फिर विवादो में घिर गया है।
Israel Palestine conflict History in Hindi
जी हां दोस्तो हम वर्तमान समय में फिलिस्तीन और इसराइल में चल रहे विवाद की बात कर रहे है। दरअसल इजरायल- फिलिस्तीन के बीच इस जंग की शुरुआत रविवार 9 मई को हुई थी। किंतु इस विवाद का संबंध तकरीबन 73 साल पुराना है। सोमवार 10 मई को फिलिस्तीन के आतंकी संगठन हमास ने गाजा पट्टी से इजरायल के जेरुसेलम पर 300 से अधिक रॉकेट दागे। जिसमे भारत की एक महिला समेत 5 लोगों की मृत्यु हो गई। इस हमले के जवाब में इजरायल एयरफोर्स ने हमास के 150 से भी ज्यादा ठिकानों को अपना निशाना बनाया। जिसमे कई बच्चो समेत 35 लोगों ने अपनी जान गवाई। मंगलवार को इजरायल ने हमास के पॉलिटिकल विंक के ऑफिसर पर हमला करते हुए 13 मंजिला बिल्डिंग गिरा दी। हालाकी लगभग 11 दिन तक चला यह युद्ध अब शांत हो चुका है।
कुछ दिनों पहले तक दोनों देश मिलकर कोरोना महामारी से जंग लड़ रहे थे, लेकिन शांति और अमन के बीच अचानक ही ऐसा क्या हो गया की इन देशों के बीच फिर से विवाद शुरू हो गए? आइए जानने की कोशिश करते है।
दरअसल गत रविवार को इजरायल सुप्रीम कोर्ट ने पूर्वी जेरुसलम से फिलिस्तीनियों के सात परिवारों को हटाने का आदेश जारी किया था। आदेश में इजरायल के गठन से पहले 1948 में यहूदी रिलिजन एसोसिएशन के अधीन आने वाले घरों को खाली करने के निर्देश दिए गए थे। इसका पालन करते हुए इजरायल में स्थिति शेख जर्रा नामक जगह में रहने वाले 70 फिलिस्तीनियों को हटाकर यहूदियों को बसाया जाने लगा। लेकिन फिलिस्तीनी लोग कोर्ट के इस आदेश से नाखुश थे, उन्होंने इसके लिए विरोध में इजरायल में जगह-जगह पर आंदोलन किए। रमजान महीने के आखिरी शुक्रवार के मौके पर जेरुसलम की मस्जिद अल-अक्सा में भारी तादद में नमाज पढ़ने के लिए मुस्लिम इकट्ठा हुए थे। इस मस्जिद को इस्लाम में तीसरी सबसे पाक जगह माना जाता है। नमाज के बाद मौजूद मुस्लिम्स ने शेख जर्राह को खाली कराने के विरोध में प्रदर्शन करना शुरू किया। लेकिन शांतिपूर्वक शुरू हुआ यह प्रदर्शन हिंसक हो गया। फिलिस्तीनियों द्वारा इजरायल पुलिस पर पथराव और पुलिस द्वारा आंसू गैस के गोले छोड़े गए। लेकिन असली विवाद तब शुरू हुआ जब मस्जिद में हैंड ग्रेनेड फेंके गए।
Israel Palestine conflict in Hindi: Media Reports
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इजरायल और फिलिस्तीन के बीच चल रहे संघर्ष की दूसरी वजह जेरुसलम-डे बताया जा रहा है। गौरतलब है कि 1967 में हुए अरब-इजरायल युद्ध में इजरायल की जीत के जश्न के रूप में जेरुसलम-डे मनाया जाता है। 10 मई यानी जेरुसलम-डे पर इस्राइली, जेरुसलम से वेस्टर्न वॉल तक मार्च करते हुए प्रार्थना करते हैं। बता दें कि वेस्टर्न वॉल यहूदियों का एक पवित्र स्थल माना जाता है। इस मार्च के दौरान भी हिंसा हुई थी। इसी दिन इस्राइली सुप्रीम कोर्ट में फिलिस्तीनी परिवारों को निकाले जाने के मामले में सुनवाई होनी थी। लेकिन हिंसा को देखते हुए इसे टाल दिया गया है।
इतिहास की बात करे तो सन 1948 से पहले फिलिस्तीन का भूगोल कुछ और ही था. तब भी वहां कुछ यहूदी शरणार्थी रहते थे. मगर तब फिलिस्तीन पर सौ फीसदी फिलिस्तीनियों का कब्जा था और इजराइल का तब नामोनिशान नहीं था. 1948 में अंग्रेजों ने फिलिस्तीन के दो टुकड़े कर दिए. जमीन का 55 फ़ीसदी टुकड़ा फिलिस्तीन के हिस्स में आया और 45 फ़ीसदी इज़राइल के हिस्से में. इसी के बाद 14 मई 1948 को इज़राइल ने खुद को एक आज़ाद देश घोषित कर दिया. और इस तरह दुनिया में पहली बार एक यहूदी देश का जन्म हुआ. वर्तमान समय में फिलिस्तीन के पास केवल 12 फीसदी जमीन का हिस्सा ही रह गया है। अन्य हिस्से पर इसराइल ने कब्जा जमा लिया है।
Israel Palestine conflict in Hindi: युद्ध की वजह क्या है?
विश्वभर में युद्ध प्राचीन काल से ही चलते आए है, फिर चाहे हम रामायण और महाभारत के ऐतिहासिक युद्ध की बात ही क्यों न कर ले। जब जब धर्म की हानि होती है, तब तब प्रकृति जनसंख्या नियंत्रण करने के लिए कई प्राकृतिक घटनाओं को उजागर करती है। इतिहास गवाह हैं की ज्यादातर युद्ध सीमा के मामले में होते है, राजा अपने राज्य की सीमा को बढ़ाने के लिए युद्ध करते और करवाते है। महाभारत के युद्ध में तो राज्य को लेकर एक ही परिवार के सदस्य आपस में कटकर मर गए थे। वर्तमान समय में भी हम देखते है की पूरे विश्व में कहीं न कहीं हिंसा और तनाव के सिलसिले चलते ही रहते है। लेकिन आखिर युद्ध कर मानव को हिंसक बनने की प्रेरणा इन्हें कहां से मिलती है? आखिर क्यों सभी देश न्याय और शांति का शासन कर विश्व में एकता व अमन कायम नहीं कर पाते? क्यों किसी भी परिस्थिति का समाधान पाने के लिए युद्ध का ही सहारा लिया जाता है? आइए इस विषय को आध्यात्मिक दृष्टि से समझते है। जिसका वर्णन हम अपनी पिछली आध्यात्मिक रिसर्च में भी कर चुके हैं।
दरअसल दोस्तों कबीर साहेब जी द्वारा बताए गए पूर्ण आध्यात्मिक ज्ञान के अनुसार जगत में 2 प्रकार की सूक्ष्म ऊर्जा होती है जिन्हे हम अपनी चर्म दृष्टि से नही देख सकते है। 1. सकारात्मक ऊर्जा 2. नकारात्मक ऊर्जा। सकारात्मक ऊर्जा पूर्ण संत से दीक्षा लिए हुए सच्चे भक्तो में व पूर्व जन्म की भक्ति कमाई युक्त अच्छी आत्माओं यानी देवी देवता और पितर आदि में पाई जाती है। जबकि नकारात्मक ऊर्जा भूत भैरव, 52 बीर आदि में पाई जाती है। सूक्ष्म जगत में सकारात्मक ऊर्जा और नकारात्मक ऊर्जा की निरंतर लड़ाई चलती रहती है। सकारात्मक ऊर्जा आस पास के लोगों को अच्छे कार्य कर धर्म की स्थापना कर शांति और न्याय का शासन करने की प्रेरणा करती है वहीं नकारात्मक ऊर्जा आस पास के लोगों को चोरी, जारी, ठगी, और हिंसा आदि की प्रेरणा से मानवता का पतन कर राक्षस राज्य की स्थापना करने की प्रेरणा करती है। सकारात्मक और नकारात्मक शक्तियों के बीच यह युद्ध निरंतर चलता ही रहता है। यहीं कारण है की किसी धर्म के स्थान पर आत्मा को अच्छे विचार व मन की शांति महसूस होती है और साथ ही सुविचारो भारी प्रेरणा महसूस होती है। वहीं कई ऐसे स्थान होते है जहां नकारात्मक शक्ति के अधिक प्रभाव होने की वजह से बलात्कार, मांसाहार, और नशा आदि करने की प्रेरणा प्राणी में उत्पन्न होती है।
Israel Palestine conflict in Hindi: सकारात्मक और नकारात्मक ऊर्जा
यह सारी सकारात्मक ऊर्जा परमेश्वर कविरदेव की प्रेरणा से उत्पन्न की जाती है। वहीं नकारात्मक ऊर्जा काल ब्रह्म यानी शैतान की प्रेरणा से उत्पन्न की जाती है। चोरी, जारी, बलात्कार, रिश्वत, हिंसा, आदि कार्य काल ब्रह्म करवाता है। दो देशों के बीच बड़े बड़े युद्ध भी शैतान काल ब्रह्म की प्रेरणा से ही किए जाते है। जब जब शांति या अमन की स्थापना करने के प्रयास किए जाते है तब तब काल ब्रह्म अपनी प्रेरणा से इन कोशिशों को नाकाम कर स्थिति को और विकट बना देता है; इतनी विकट स्थिति युद्ध के मैदान तक जाकर ही दम लेती है। फिर चाहे वह महाभारत के युद्ध में श्री कृष्ण के शांति दूत बनकर युद्ध की स्थिति को टालने के प्रयास हो या सन 1993 में इजरायल और फिलिस्तीन के बीच शांति वार्ता के प्रयास हो। दरअसल दोस्तों 1993 में इजिप्ट और इजरायल के बिच शांति समझौता हुआ था, जिसके चलते दोनों देशों के प्रधान मंत्रियों को नोबेल पुरस्कार भी दिए गए; लेकिन काल प्रेरणा से कट्टरवादियों ने इजिप्ट के प्रधानमंत्री का कतल करवा दिया, उसके बाद इसराइल और फिलिस्तीन के बीच भी एक शांति वार्ता होने पर दोनों देशों के प्रधान मंत्री को नोबेल पुरस्कार भी दिए गए, लेकिन अंत में काल प्रेरणा से कट्टरवादियों ने फिलिस्तीन के प्रधान मंत्री को जहर देकर मरवा दिया; एक अन्य शांति समझौते के चलते पूर्व इजरायल प्रधान मंत्री को भी काल प्रेरणा से कट्टरवादियों द्वारा मार दिया गया, हैरानी की बात तो यह है की इन्हे भी शांति समझौते के लिए नोबेल पुरस्कार दिया गया था।
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वर्तमान समय में पूरे विश्व में सकारात्मक ऊर्जा केवल जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज द्वारा फैलाई जा रही है। पूर्ण परमात्मा कबीर जी की वास्तविक भक्ति विधि से संत जी के करोड़ों अनुयाइयों द्वारा पूरे विश्व में सकारात्मक ऊर्जा में वृद्धि की जा रही है।
अध्यात्म हमें बताता है कि किसी भी प्रकार की हिंसा करना गलत है, सत्य और अहिंसा ही धर्म का मूल रूप है। विश्व भर में अमन और वैश्विक शांति केवल तत्वज्ञान से ही प्राप्त हो सकती है। तत्वज्ञान ही इस संसार की हर समस्याओं का हाल है। जैसे भारतीय नागरिकों को देश में शांति व अमन कायम करने के लिए भारत के संविधान का ज्ञान होना व उस ज्ञान पर अमल करना अनिवार्य है। इसी प्रकार मानव को चाहिए कि परमात्मा के संविधान रूपी पांचवे वेद जिसे सूक्ष्म वेद भी कहते है, जिसमे तत्वज्ञान रूपी सार छिपा है उसको जगतगुरू तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज के अमृत वचनों द्वारा समझे और उन पर अमल करे। खैर ! 100 बातों की बात यही है कि आध्यात्मिक जुकाव के बिना विश्व में पूर्णतः शांति और अमन कायम नहीं हो सकता। धन्यवाद।