Mangal Pandey Jayanti in Hindi: आज हम आप को Mangal Pandey Jayanti के बारे में विस्तार से बताएँगे जैसे मंगल पांडे का जीवन इतिहास, अंग्रेजो के खिलाफ मंगल पांडे का संघर्ष आदि के बारे में बताएँगे.
मंगल पांडे का जीवन परिचय
स्वतंत्रता संग्राम का उद्घोष करने वाले महान क्रांतिकारी मंगल पांडे का जन्म 19 जुलाई 1831 को उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में एक “ब्राह्मण” परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम सुदिष्ट पांडेय तथा माता का नाम जानकी देवी था। आजादी दिलाने की लड़ाई में सर्वप्रथम जिस महान क्रांतिकारी का नाम आता है उनका नाम है मंगल पांडे, जिनका आज जन्म दिवस है। आजादी की लड़ाई में पहली बलि देने वाले एक ऐसा महान स्वतंत्रता सेनानी जिसकी दहाड़ से उस समय लंदन भी काँप उठा था।
मंगल पाण्डेय के खिलाफ अंग्रेजो को नहीं मिला था कोई गवाह, तब सामने आया गद्दार “पलटू शेख” और बन गया फांसी का गुनहगार। पल्टू शेख ये वही गद्दार है जो बाद में मंगल पाण्डेय की फांसी का कारण बना था, उसने मंगल पांडे को मरवाकर अंग्रेजों से इनाम वसूला था।
Mangal Pandey Death in Hindi
गद्दार पलटू शेख ने अंग्रेजो को पूरी जानकारी भी दी कि उनकी सेना में उनके लिए कौन क्या सोचता है, जिसके बाद अंग्रेजो ने और भी सैनिको को उसी के हिसाब से सजा दी। जिसमे जेल में डालना और नौकरी से निकालना आदि प्रमुख था। आज महान क्रांतिकारी मंगल पांडे की जन्मजयंती पर उनकी जांबाजी के साथ पल्टू शेख की गद्दारी को सुदर्शन न्यूज प्रमुखता से सबके आगे रखता है।
Mangal Pandey Jayanti in Hindi: उन तमाम नकली कलमकारों से सवाल करता है कि उन्होंने क्यों इस नाम को अपने तक ही सीमित रखा और क्यों नहीं जानने दिया दुनिया को गद्दारी की एक ऐसी मिसाल जिसकी भरपाई इस मुल्क की जनता आज तक नहीं कर पाई। 8 अप्रैल 1857 को फांसी पर लटकाए गए। प्रथम भारतीय स्वतंत्रता सेनानी मंगल पांडे।
मंगल पांडे का जीवन इतिहास-Mangal Pandey History in Hindi
महान क्रांतिकारी मंगल पांडे जिन्हें देश का प्रथम स्वतंत्रता सेनानी कहां जाता है। उन्होंने जो अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह शुरू किया वह संपूर्ण देश में आग की तरफ फ़ैल गया। और इस आग को अंग्रेजों ने बुझाने की बहुत कोशिश की, लेकिन देश के प्रत्येक नागरिक और वीर स्वतंत्रता सेनानी के अंदर यह आग भड़क चुकी थी, जिसकी बदौलत 1947 में हमें आजादी प्राप्त हुई।
Mangal Pandey Jayanti in Hindi: मंगल पाण्डेय ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के सैनिक भी थे, उन्होंने सन 1849 को ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की आर्मी को ज्वाइन कर लिया था। क्योंकि वे मार्च(परेड) बहुत तेज किया करते थे, इसलिए एक बिग्रेड के कहने पर उनको सेना में शामिल कर लिया गया।
उन्हें पैदल सेना में सिपाही बना दिया गया। मंगल पाण्डेय बहुत अच्छे सिपाही थे, जिसके बाद उन्हें 34वी बंगाल नैटिव इन्फेंट्री में शामिल कर दिया गया। जहां ब्राह्मणों को भारी मात्रा में शामिल किया जाता था। मगंल पाण्डेय बडे ही महत्वकांक्षी थे, वे काम को पूरी लग्न व निष्ठा से किया करते थे, वे भविष्य में एक बड़ा काम करना चाहते थे.
30 साल की उम्र में देश के लिए हुए थे कुर्बान
उन्होंने अकेले अपने दम पर ब्रिटिश अफसर पर हमला बोल दिया था। जिस वजह से उन्हें फांसी की सजा सुनाई गई थी। मात्र 30 साल की उम्र में उन्होंने अपने जीवन को देश के नाम कुर्बान कर दिया था। और सर्वप्रथम इसी स्वतंत्रता सेनानी के नाम के आगे शहीद लगाया गया था।
Mangal Pandey Jayanti in Hindi: ब्रिटिश सरकार ने मंगल पांडे की छवि को ख़राब करने के लिए 1857 में उनको एक विद्रोही के रूप में सबके सामने खड़ा कर दिया। लेकिन भारत की जनता अपने शहीद भाई की क़ुरबानी को बखूबी जानती थी, और वे उनकी झूटी बातों में बिल्कुल भी नहीं आए, मंगल पाण्डेय ने जिस बात की शुरुवात की थी, उसे अपनी मंजिल तक पहुँचने में 90 साल का लम्बा इंतजार करना पड़ा।
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शुरुवात उन्होंने कर दी थी, और बाद में उनकी प्रेरणा से लाखों क्रांतिकारी स्वतंत्रता की लड़ाई में कूद पड़े। और उन्हीं क्रांतिकारियों की बदौलत हमें सन 1947 में आजाद भारत का स्वाद चखने को मिला। ऐसे महापुरुषों को आज पूरा देश सलाम करता है।
क्रांतिकारी मंगल पांडे का सम्मान
5 अक्टूबर 1984 को भारत सरकार ने मंगल पाण्डेय के सम्मान में एक पोस्टेज स्टाम्प चालू किया, जिसमें उनकी फोटो को अंकित किया गया है।
अंग्रेजो के खिलाफ मंगल पांडे का संघर्ष
सन 1857 की क्रान्ति के उद्घोष में एक तरफ जहाँ मंगल पाण्डेय ने ब्रिटिश सत्ता को हिलाकर रख दिया था। और उसके बाद जब उन्होंने देखा कि अंग्रेजों का अत्याचार भारत में तेजी से बढ़ रहा है तब उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ बगावत शुरू कर दी और आजाद भारत के सपने देखने लगे। मंगल पाण्डेय जिस सेना में थे, उस सेना में एक नई रायफल को लाया गया, ये एनफ़ील्ड 53 में कारतूस भरने के लिए रायफल को मुंह से खोलना पड़ता था.
Mangal Pandey in Hindi: और ये अफवाह उड़ी थी कि इस रायफल में गाय व् सूअर की चर्बी का इस्तेमाल किया गया है, इस बात को लेकर पूरी सेना में हडकंप मच गया और सभी को लगा कि अंग्रेजों ने हिन्दू मुस्लिम के बीच विवाद पैदा करने के लिए ऐसा किया जा रहा है। हिन्दुओं को लग रहा था कि अंग्रेज उनका धर्म भ्रष्ट कर रहे है, हिन्दुओं के लिए गाय उनकी माता के समान होती है, जिसकी वे पूजा करते है।
इस हरकत से वे सब अंग्रेजी सेना के खिलाफ मैदान में उतर आए और सबके अंदर अंग्रेजों के खिलाफ बगावत की भावना जाग गई। और तमाम हिंदू लोग उनके खिलाफ संघर्ष में खड़े हो गए उसी समय एक और बलिदानी को फांसी की सजा मिली थी जो उनके साथ खड़ा होकर पूरे मामले की चौकसी कर रहा था। वामपंथी और झोलाछाप इतिहासकारों ने उनका जिक्र कही पर भी नहीं किया।
Mangal Pandey Hindi-मंगल पाण्डेय को मिली फांसी की सजा
मंगल पांडे ने जब अंग्रेजी अफसर और साथ में अफसर के एक बेटे बॉब जो सेना में ही था इन दोनों पर गोली चला दी, इसके बाद उन्होंने अपने उपर भी गोली चलानी चाही, परन्तु उसी समय ब्रिटिश अफसरों ने उन्हें पकड़ लिया, जिसके बाद उनके पैर में गोली लग गई। और एक हफ्ता उन्हें ठीक होने में लगा।
इस घटना से पूरी अंग्रेजी सरकार हिल गई। और तत्काल प्रभाव से मंगल पाण्डेय को कोर्ट मार्शल करने का फैसला सुना दिया गया। 6 अप्रैल 1857 को फैसला हुआ की 18 अप्रैल को उन्हें फांसी दी जाएगी। लेकिन ब्रिटिश अफसर को इस मंगल पाण्डेय का डर बैठ गया था, वे उनको जल्द से जल्द ख़त्म कर देना चाहते थे। और इसी लिए उन्होंने 18 की जगह 8 अप्रैल को ही पाण्डे को फांसी पर लटका दिया। मंगल पाण्डेय की मौत के बाद भी अंग्रेजी अफसरों में उनका खौफ दिखाई दे रहा था, और वे उनकी लाश के करीब जाने से कतरा रहे थे।
भारतीय इतिहास में मंगल पांडे ही वह पहले स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने सबसे पहले क्रांति का आगाज किया था। और सर्वप्रथम इन्ही क्रांतिकारी के नाम के आगे शहीद लगाया गया था। क्योंकि इन्होंने ना केवल ब्रिटिश का विरोध किया था बल्कि देश हित और अपने धर्म की रक्षा में अपना जीवन ही न्योछावर कर दिया था। 1857 की क्रान्ति में इन्होंने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, जिसके परिणाम स्वरूप 1857 की क्रान्ति इतिहास की एक महत्वपूर्ण क्रांति बन गयी।