नमस्कार दर्शकों! स्वागत है आप सबका SA news channel के स्पेशल कार्यक्रम खबरों की खबर का सच में। आज की हमारी स्पेशल पड़ताल में हम चर्चा करेंगे कि वायरस “मंकीपॉक्स (Monkeypox Virus)”, कैसे फैलता है, और साथ ही जानेंगे कि कैसे बचें इस वायरस से ?
पिछले लगभग दो से अधिक सालों से विश्व कोरोना महामारी के नए नए वायरसों और नई बीमारियों के बारे में जानकर अचंभित और परेशान रहा है। एक तरफ जहां दुनिया अभी भी कोविड महामारी के प्रभावों से जूझ रही है, वहीं दूसरी और एक पुराने वायरस मंकीपॉक्स के उदय ने लोगों के बीच फिर से चिंता का माहौल पैदा कर दिया है।
दोस्तों! प्रकृति में मौजूद वायरस अंतहीन है। यह ऐसे जीव है जो अपनी प्रजाति निरंतर बढ़ाते ही रहते है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपनी एक रिपोर्ट में खुलासा किया है कि अब तक 20 देशों में मंकीपॉक्स के 131 पुष्ट मामले और 106 संदिग्ध मामले देखे गए हैं और इनके निरंतर बढ़ने की आशंका जताई जा रही है। WHO ने सभी देशों को सतर्क रहने की सूचना दी है और इस बात की आशंका जताई है कि मंकीपॉक्स के मामले दुनिया के अन्य देशों में भी तेजी से फैल सकते हैं।
क्या मंकीपॉक्स चिकनपॉक्स और चेचक जैसी अन्य बीमारियों की तरह एक ऑर्थोपॉक्सवायरस है?
Monkeypox Virus [Hindi] | वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन के अनुसार, मंकीपॉक्स वायरस एक ऑर्थोपॉक्सवायरस है जो चेचक यानी की चिकन पाक्स की तरह ही होता है। मंकीपॉक्स एक जूनोसिस बीमारी है, यानी की यह एक ऐसी बीमारी है, जो जानवरों से मनुष्यों में फैलती है। अमूमन मंकीपॉक्स के लक्षणों में बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों के दर्द, पीठ दर्द, सूजी हुई लसीका ग्रंथियां, ठंड लगना और थकावट आदि शामिल हैं। बुखार आने के 1 से 3 दिनों के भीतर रोगी को पूरे शरीर पर दाने हो जाते हैं। चेचक की तरह इसके लक्षण भी हल्के ही होते हैं। इसके अलावा लिम्फ नोड में मरीजों को सूजन हो सकती है। इस बात का ध्यान रखना जरूरी है कि मंकीपॉक्स चेचक, खसरा, जीवाणु त्वचा संक्रमण, खुजली और दवा से संबंधित एलर्जी जैसी अन्य बीमारियों से अलग है।
वैसे तो मंकीपॉक्स आम पॉक्स की बीमारी की तरह ही है जिसमें शरीर पर दाने हो जाते हैं जिनमें पानी भर जाता है। करीब तीन हफ्ते में यह दाने सुख जाते है और मरीज इस बीमारी से ठीक हो जाता हैं। मृत्यु दर के मामले में चेचक की तुलना में मंकीपॉक्स कम समस्याग्रस्त है।
मंकीपॉक्स का संक्रमण जानवरों में भी मौजूद है आइए जानते हैं इस वायरस का सबसे पहले पता कब चला था?
मंकीपॉक्स का संक्रमण गिलहरियों, गैम्बियन शिकार चूहों, डॉर्मिस और बंदरों की विभिन्न प्रजातियों और अन्य कई जानवरों में भी अब तक पाया जा चुका है। इस बीमारी की शुरुआत चूहों से शुरू हुई मानी जाती है। आम तौर पर मध्य और पश्चिम अफ्रीका के दूरदराज के हिस्सों में होने वाला यह वायरस पहली बार 1958 में बंदरों में पाया गया था। रिसर्च के लिए रखे गए बंदरों में चेचक जैसा संक्रमण देखा गया था। चूंकि ये बीमारी बंदरों को भी हुई थी, इसलिए इसका नाम मंकीपॉक्स रखा गया था।
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WHO के मुताबिक, इंसानों के मंकीपॉक्स से संक्रमित होने का पहला मामला 1970 में सामने आया था। कॉन्गो में रहने वाला एक 9 साल का बच्चा इससे संक्रमित मिला था। मंकीपॉक्स से संक्रमित होने के बाद चेचक जैसे ही लक्षण दिखते हैं। 1970 और 1979 के बीच लगभग 50 मामले दर्ज किए गए, जिनमें से दो तिहाई से अधिक जायरे के थे। अन्य मामले लाइबेरिया , नाइजीरिया से उत्पन्न हुए, आइवरी कोस्ट और सिएरा लियोन से थे।
Monkeypox Virus | कैसे संक्रमित करता है मंकीपॉक्स वायरस?
चूहों के काटने से यह बीमारी फैलती है, हालांकि बंदर और इंसानों में इसके फैलने के अन्य माध्यम भी हैं। जब कोई मरीज खांसता हैं या फिर किसी ने मरीज के साथ नज़दीकी संबंध बनाए हैं तो यह बीमारी जल्दी फैल सकती है। रिसर्च के मुताबिक मंकीपॉक्स तब फैलता है जब कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति, जानवर या वायरस से संक्रमित के संपर्क में आता है। वायरस त्वचा, रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट या आंख, नाक और मुंह के माध्यम से शरीर में प्रवेश कर सकता है।
मानव-से-मानव में यह आमतौर पर रेस्पिरेटरी ड्रॉपलेट्स के माध्यम से फैलता है। पशु से इंसानों में यह काटने या खरोंच के माध्यम से फैल सकता है। जंगल के आसपास रहने वाले लोगों को मंकीपॉक्स का खतरा ज्यादा रहता है ऐसे लोगों में एसिम्प्टोमैटिक इन्फेक्शन भी हो सकता है। जैसे जैसे दुनिया में कोरोना के मामले कम होते जा रहे है सार्वजनिक स्थानों पर लोगों की भीड़ बढ़ती जा रही है जिससे मंकीपॉक्स के फैलने की आशंका अधिक हो सकती है।
मंकीपॉक्स वायरस के बारे में एक्सपर्ट्स की राय क्या है?
Monkeypox Virus [Hindi] | एक्सपर्ट्स का मानना है कि मंकीपॉक्स, कोरोना की तरह आसानी से नहीं फैल सकता । उनका मानना है कि संक्रमित व्यक्ति के सीधे संपर्क में आने या उसकी किसी चीज का इस्तेमाल करने या स्कीन टू स्कीन कॉन्टेक्ट करने से मंकीपॉक्स से संक्रमित हो सकते हैं। कोरोना सांस के जरिए फैल सकता है और ज्यादा संक्रामक है। मंकीपॉक्स के मामले में ये नहीं दिखता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि किसी भी संदिग्ध मामले की तुरंत जांच की जानी चाहिए और अगर उसमें संक्रमण की पुष्टि हो जाती है, तो उसे तब तक आइसोलेट रहना चाहिए, जब तक उसके घावों पर पपड़ी नहीं बन जाती और पपड़ी गिरकर नई त्वचा नहीं आ जाती।
Monkeypox Virus [Hindi] | मंकीपॉक्स पर कौन सी वैक्सीन है असरदार?
दोस्तों! वर्तमान समय में ऑस्ट्रेलिया, ऑस्ट्रिया, बेल्जियम, कनाडा, Czech (चैक) Republic, डेनमार्क, इंग्लैंड, फिनलैंड, फ्रांस, जर्मनी, इजरायल, इटली, नेदरलैंड, पुर्तगाल, स्कॉटलैंड, स्लोवेनिया, स्पेन, स्वीडन, स्विट्जरलैंड, UAE, और अमेरिका में मोंकॉक्सॉक्स के मामलों की पुष्टि की गई है। इस खतरनाक वायरस के तेजी से बढ़ते मामलों के चलते कई देश हाई अलर्ट पर है। विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि इस बीमारी में हर 10 में से एक व्यक्ति की मौत का खतरा रहता है।
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Monkeypox Virus [Hindi] | मंकीपॉक्स पर चेचक की वैक्सीन असरदार है। जिन लोगों को वायरस से संक्रमित होने का संदेह है, उन्हें कमरे में अलग रहने की सलाह दी जाती है। रोगियों को अलग करने के लिए उपयोग किए जाने वाले स्थान और पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट का उपयोग करके हेल्थ केयर प्रोफेशनल्स द्वारा निगरानी की जाती है। हालांकि, चेचक के टीके वायरस के प्रसार को रोकने में काफी हद तक प्रभावी साबित हुए हैं। इस बीमारी के चलते अब तक पश्चिम अफ्रीका में कुछ मौतें हुई हैं, इसलिए मंकीपॉक्स के मामले कभी-कभी अधिक गंभीर साबित हो सकते हैं। हालांकि, स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि इससे आम जनता के लिए जोखिम बहुत कम है।
रामनाम की औखध या औषधि खाने से क्या लाभ होगा?
दोस्तों! ये काल का लोक है। काल ने हम सभी मनुष्यों को आज वर्तमान में इतना कंडम कर दिया है कि हम मानव जल्दी जल्दी रोगों के शिकार होकर कम आयु में ही मरने लगे हैं। यहां कोई मरना नहीं चाहता। यहां कोई बीमार होना नहीं चाहता फिर भी हम मजबूर हैं क्योंकि हम सतभक्ति नहीं कर रहे। सतभक्ति करने से हर रोग जड़मूल से समाप्त हो सकता है। पूर्ण परमात्मा की सत्य भक्ति साधना करने से साधक हर प्रकार की बीमारी से निजात पा सकता है।
तत्वदर्शी संत के आध्यात्मिक ज्ञान से हमें यह जानकारी होती है की किसी भी प्रकार की कोई बीमारी या रोग पाप कर्म की वजह से हमें होते है। जिस बीमारी या रोग का उपचार वैध या डॉक्टर करने में और साइंटिस्ट औषधि ढू़ंढनेे में समरथ नहीं उसका उपचार आध्यात्मिक वैध यानी तत्वदर्शी संत बड़ी ही आसानी से कर देते हैं। तत्वदर्शी संत के पास विश्व के सभी रोगों के उपचार मौजूद हैं। तत्वदर्शी संत ऐसी आध्यात्मिक औषधि बताता है जिसकी टक्कर में कोई दवा असरदार नहीं। तत्वदर्शी संत साधक को राम नाम जाप की शास्त्र प्रमाणित विधि बताता है जिसके चलते साधक के सभी कष्ट दूर हो जाते है।
दोस्तों! वर्तमान समय में ऐसे तत्वदर्शी संत केवल संत रामपाल जी महाराज जी ही है, जो साधक के सभी पापों को नाश कर सकते है तथा साधक के तीन ताप के पाप भी काट सकते है। संत रामपाल जी महाराज जी पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी की वास्तविक भक्ति साधना बताते हैं। संत रामपाल जी महाराज जी साधक को सत्य भक्ति मंत्र देते हैं जिसका जाप करने से साधक के सभी पाप नष्ट हो जाते है और वे रोग मुक्त हो जाते हैं।
इस विडियो को देखने वाले सभी भाइयों और बहनों से प्रार्थना है कि आज से और अभी से ही संत रामपाल जी महाराज जी के सत्संग देखना प्रारंभ करें और संत जी से नाम दीक्षा लेकर सत्य भक्ति साधना आरंभ करें और हमेशा एक निरोगी जीवन जीएं।