कहानीकार नहीं, युगद्रष्टा थे प्रेमचंद – यथार्थवादी और सामाजिक चेतना से भरपूर साहित्य

मुंशी प्रेमचंद

मुंशी प्रेमचंद नाम ही काफी है, इनको समझा मतलब जीवन की सर्तकता को जानना है। जीने की कला क्या होती है ? समाज में कैसे विचरण किया जाता है ? लोगों की भावनाओं को मध्यनजर रखते हुए अपने कर्तव्यों को कैसे निभाया जाता है ? प्रेम का वास्तविक रूप क्या है ? ये सर्व जानकारी प्रेमचंद जी की लेखन में विस्तार से लिपिवद की गई है।

जब हम प्रेमचंद का नाम सुनते हैं, तो सिर्फ एक लेखक का नहीं, बल्कि उस व्यक्ति का ज़िक्र होता है जो अपने समय से बहुत आगे की सोच रखता था। वो सिर्फ कहानियाँ नहीं लिखते थे—वो समाज को आइना दिखाते थे। 

प्रेमचंद जी का लेखन महत्वपूर्ण क्यों था ?

(1) हिन्दी और उर्दू दोनों में महारत – 

वो उन गिने-चुने लेखकों में थे जिन्होंने दोनों भाषाओं को अपनाकर एक साझा सांस्कृतिक पुल बनाया। भाषाशैली ऐसी प्रयोग की गई कि हर व्यक्ति को आसानी से समझ आ सके।

(2) यथार्थवाद –  उन्होंने राजा-रानी, परी-किले जैसे सपनों से हटकर ज़मीन से जुड़ी कहानियाँ लिखीं—गरीबी, शोषण, जाति, और अन्याय पर।उन्होंने मानव समाज के मुख्य कार्यों और उनके पीछे का सत्य क्या है, उससे रूबरू करवाया।

(3) सामाजिक सरोकार- 

उनका ध्यान कहानी सुनाने से ज्यादा समाज को बदलने पर था। इसलिए वे केवल साहित्यकार नहीं, “युगद्रष्टा” थे—जो समय से पहले देख सके।उनको केवल कहानी लिखकर एक बड़े लेखक बनने का उद्देश्य नहीं था,बल्कि उनका उद्देश्य था कि यदि मेरे द्वारा जो लेखन कार्य किया जा रहा है, उससे समाज में परिवर्तन आएगा या नहीं । उनका मानना था कि यदि समाज में परिवर्तन आ गया तो मेरा लेखन के पीछे का उद्देश्य पूर्ण हो जाएगा। 

प्रेमचंद के लेखन की मुख्य विशेषताएं निम्न हैं:

▪️यथार्थवाद – प्रेमचंद ने अपने उपन्यासों और कहानियों में यथार्थवादी चित्रण किया, जिसमें समाज की वास्तविकताओं को उजागर किया गया। 

▪️सामाजिक चेतना- 

उनकी रचनाओं में सामाजिक अन्याय, गरीबी, छूआछूत, और नारी उत्पीड़न जैसे मुद्दों पर प्रकाश डाला गया है। 

▪️किसानों की समस्याएं-  प्रेमचंद ने किसानों की दुर्दशा, उनकी गरीबी, और जमींदारों द्वारा उनके शोषण को अपनी रचनाओं में बखूबी दर्शाया है। 

▪️स्वतंत्रता संग्राम-  उन्होंने अपनी रचनाओं में स्वतंत्रता आंदोलन, स्वदेशी, और ब्रिटिश शासन के खिलाफ संघर्ष को भी चित्रित किया। उन्होंने वर्तमान, भूत और भविष्य को मध्यनजर रखते हुए अपने प्रत्येक लेख को सजाया है।

▪️भाषा –  उनकी भाषा सरल, सहज, और प्रभावशाली है, जो आम लोगों को आसानी से समझ में आती है। साथ ही उनके लेख लोकप्रिय होने का कारण उनकी सरल और सहज भाषाशैली ही है।

▪️चरित्र चित्रण –  प्रेमचंद के लेखन कार्य में  वास्तविकता को दर्शाया गया है जो जीवन से प्रेरित है, जो पाठकों को उनसे जुड़ने में मदद करती है।

 “उपन्यास सम्राट” प्रेमचंद 

प्रेमचंद जी को “उपन्यास सम्राट” के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि उन्होंने बहुत उपन्यास लिखे हैं। प्रेमचंद जी हिंदी साहित्य के एक महान लेखकों में से एक हैं। उनकी भाषा सरल, सहज और हृदय को छू लेने वाली है, जो उन्हें आम जनता के बीच लोकप्रिय बनाती है।

आइए उनके द्वारा लिखे कुछ लेखन कार्य पर प्रकाश डालते हैं।

• गोदान:  

यह एक किसान की आस्था और असहायता की अमर कथा है, क्या है कहानी में?

यह प्रेमचंद का अंतिम और बहुत ही महत्वपूर्ण उपन्यास है।

इसमें होरी नामक किसान की ज़िन्दगी के ज़रिए दर्शाया गया है कि कैसे किसान अपने सपनों, धर्म, और कर्तव्यों में उलझकर जीवन भर संघर्ष करता है।

इस कहानी का ख़ास होने का कारण क्या है ?

यह सिर्फ एक किसान की कहानी नहीं, पूरे भारतीय ग्रामीण समाज का चित्र है। इसमें बताया गया है कि कैसे गरीब किसान ज़मींदार, साहूकार और सिस्टम के बीच पिसता है—जैसे हड्डियों तक चूस लिया गया हो।

• कफन: 

मानव संवेदनाओं की हद और कटु यथार्थ की टक्कर

क्या होता है इसमें ?

घीसू और माधव नाम के दो आलसी, गरीब लोग अपनी घरवाली/बहू की मौत पर दुखी होने के बजाय कफन के पैसे से शराब पी लेते हैं।

यह क्यों लिखा गया ?

यह कहानी सवाल उठाती है: जब इंसान की ज़िन्दगी इतनी सस्ती हो जाए, तो भावनाएँ भी खो जाती हैं। यह प्रेमचंद की सबसे तीखी कहानियों में से एक है, जो गरीबी के बहाने समाज की संवेदनहीनता पर प्रहार करती है।

• ईदगाह: 

मासूम हामिद की मोहब्बत और बलिदान की कहानी

कहानी में ऐसा क्या है ?

हामिद नाम का एक गरीब बच्चा ईद मेले में जाकर अपने लिए कुछ नहीं लेता, बल्कि अपनी दादी के लिए चिमटा खरीद लाता है।

यह लेख बहुत ही चर्चित है, क्यों दिल को छू लेता है ये लेख ?

इस कहानी में दिखाया गया है कि त्याग और सच्चा प्यार पैसों से नहीं, दिल से होता है। मासूम बच्चों में भी मूल्य और संवेदनशीलता होती है, जो कई बार बड़ों में नहीं होती।

• पूस की रात:   

मेहनतकश किसान का जीवन और मौसम की मार

इस लेख में मुख्य बात क्या है?

हल्कू नाम का किसान ठंड से ठिठुरता है लेकिन उसके पास ओढ़ने को कुछ नहीं होता। खेत की रखवाली करते हुए ठंड में जानवरों को देखकर सो जाता है और फसल उजड़ जाती है।

क्या दर्शाया गया है इस लेख में?

यह कहानी दर्शाती है कि गरीब की हालत इतनी खराब हो सकती है कि उसे फसल या जान से ज्यादा एक कंबल प्यारा लगने लगता है। प्राकृतिक शक्तियाँ + आर्थिक तंगी = दुर्दशा का जीवंत चित्र।

• सद्गति: 

 जातिवाद और धार्मिक पाखंड पर सवाल

क्या होता है इसमें?

दुखी नाम का एक निम्न जाति का व्यक्ति ब्राह्मण को बुलाने जाता है, लेकिन पूजा से पहले ही उसकी मौत हो जाती है—और ब्राह्मण उसका शव हटाने से भी कतराता है।

धर्म के नाम पर जो जातिगत शोषण होता है, वो कहीं से भी न्यायसंगत नहीं। यह कहानी धर्म और इंसानियत की असली परख कराती है—कहती है, मरे हुए इंसान से भी छुआछूत? यही है समाज का घिनौना सच।

• नमक का दारोगा: 

ईमानदारी और आत्मसम्मान की प्रेरणादायक कहानी

ऐसा क्या है इस कहानी में?

एक ईमानदार अफसर बेशक भ्रष्टों से लड़ते-लड़ते हारा सा लगता है, लेकिन अपने उसूलों से पीछे नहीं हटता।

यह कहानी क्यों प्रेरक है?

जब कोई सब कुछ खोने के बाद भी सही रास्ते पर बना रहता है, तो वो सच्चा नायक होता है।

यह कहानी बताती है कि ईमानदारी हारती नहीं, देर से जीतती है।

 •  ठाकुर का कुआँ: 

अस्पृश्यता और सामाजिक असमानता के खिलाफ आवाज़

आइए जानते है क्या होता है इसमें?

एक दलित महिला जब पानी भरने ठाकुर के कुएं पर जाती है, तो समाज बगावत समझ लेता है।

क्या संदेश मिलता है इस लेख के माध्यम से?

यह कहानी बिना ज़्यादा शोर किए एक मौन विद्रोह है। यह बताती है कि प्यास केवल शरीर की नहीं, सम्मान की भी होती है।

छुआछूत और ऊँच-नीच की दीवारों पर यह कहानी चोट करती है।

•  बड़े घर की बेटी:  

सम्मान, रिश्ते और स्त्री के आत्मबल की कथा

आइए जानते है स्त्री के सम्मान का महत्व?

एक स्त्री, जो बड़े घर से ब्याह कर छोटे घर में आती है, अपने स्वाभिमान और रिश्तों में संतुलन बनाकर हर किसी को जीत लेती है।

क्यों जरूरी है पढ़ना इसे?

यह कहानी बताती है कि स्त्री अगर चाहे, तो सम्मान और प्रेम दोनों बचा सकती है—वो सास-बहू की लड़ाई में नहीं, रिश्तों को संवारने में विश्वास रखती है।

मुख्य सार :   प्रेमचंद को पढ़ना भारत को समझना है

प्रेमचंद की कहानियाँ साहित्य नहीं, समाज की आत्मा हैं।

उन्होंने उस समय की बातें कीं, जो आज भी ज़िंदा हैं—किसान की पीड़ा, जाति का ज़हर, स्त्री का संघर्ष, ईमानदारी की क़ीमत, गरीब की लाचारी।

हर कहानी समाज की परतें खोलती है—और हमें आईना दिखाती है। प्रेमचंद को पढ़ना, मतलब भारत की आत्मा को पढ़ना। वे कहानीकार नहीं, एक ऐसे युगद्रष्टा थे जिन्होंने हमें देखने की आँख दी।प्रेमचंद साहित्य का मुख्य उद्देश्य समाज का आईना बनना और साथ ही सामाजिक, राजनीतिक, और नैतिक मुद्दों को उजागर करना था। उनके साहित्य में मनोरंजन के साथ-साथ लोगों को जागरूक करने, सामाजिक सुधारों को बढ़ावा देने और मानवीय मूल्यों को स्थापित करने का एक सशक्त माध्यम था। उनका लेखन लिखने लक्ष्य लोगों को मानव जीवन जीने की कला एवं कार्यों को व्यवस्थित ढंग से करने पर जोर देना था।

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