Nag Panchami 2020 Hindi: नाग पंचमी 2020: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सावन महीने के शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की पंचमी को नाग पंचमी के रूप में मनाया जाता है। 10 जुलाई को सावन शुक्ल पंचमी को राजस्थान, बंगाल, बिहार और ओडीशा में नागपंचमी का त्योहार मनाया जाता है। जबकि देश के अन्य भागों में 25 जुलाई कृष्ण पंचमी को नागपंचमी के रूप में मनाया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार इस दिन नागों की पूजा देवता के रूप में की जाती है और उन्हें दूध पिलाया जाता है।
भारत में नाग पूजा की परंपरा
श्रावण मास में आने वाले नाग पंचमी त्योहार को नागों की पूजा के लिए विशेष माना गया है। जो इस बार 25 जुलाई को है। इस दिन लोग घर में गोबर से नाग बनाकर और मंदिर में जाकर इनकी पूजा करते हैं।भारत में नागों की पूजा की परंपरा काफी पुरानी रही है। कई जगह नाग को देवता मानकर पूजा जाता है। ऐसा माना जाता है कि नाग देवता की पूजा करने से घर परिवार में सुख समृद्धि बनी रहती है।

भविष्यपुराण के पंचमी कल्प में नाग पूजा, नागों की उत्पत्ति और उनके द्वारा पंचमी तिथि को खास बनाए जाने के कारण का जिक्र हुआ। ऐसा माना जाता है कि जब सागर मंथन हुआ था तब माता की आज्ञा ना मानने के कारण उन्हें ये शाप मिला था की तुम सभी राजा जनमेजय के यज्ञ में जलकर भस्म हो जाओ। तब घबराए हुए नाग ब्राह्माजी की शरण में गये, तब ब्रह्माजी ने उन्हें बताया कि जब नागवंश में महात्मा जरत्कारू के पुत्र आस्तिक होंगे तब वह आप सबकी रक्षा करेंगे।
Nag Panchami 2020 Hindi: जिस दिन ब्रह्माजी ने नागो को रक्षा का उपाय बताया था उस दिन पंचम तिथि थी। आस्तिक मुनि ने सावन की पंचमी को ही नागों को यज्ञ में जलने से बचाया और उनके ऊपर दूध डालकर जलते हुए शरीर को शीतलता प्रदान की थी। इस समय ही नागों ने आस्तिक मुनि से कहा था कि पंचमी को जो भी मेरी पूजा करेगा उसे नागदेवता का भय नहीं रहेगा। तब से लेकर आज तक पंचमी तिथि के दिन नाग की पूजा की जाती है।
Nag Panchami Story in Hindi
एक समय की बात है एक किसान परिवार में किसान के दो पुत्र व एक पुत्री थी। एक दिन हल जोतते समय हल से नाग के तीन बच्चे कुचलकर मारे गए। उनकी मां नागिन पहले तो विलाप करती रही फिर उसने अपने बच्चों के हत्यारे से बदला लेने का फैसला किया। एक दिन रात्रि के अंधेरे में नागिन ने किसान, उसकी पत्नी व दोनों लड़कों को डस लिया।
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अगले दिन जब वह नागिन किसान की पुत्री को डसने के लिए पहुंची तो उस कन्या ने उसके सामने दूध का कटोरा भरकर रख दिया। और हाथ जोड़कर क्षमा याचना करने लगी। नागिन ने प्रसन्न होकर दूध पीया और उसके माता-पिता व दोनों भाइयों को पुनः जीवित कर दिया। उस दिन श्रावण शुक्ल पंचमी थी। तब उस दिन से आज तक नागों के भय से बचने के लिए इस दिन नागों की पूजा नागपंचमी के रूप में की जाती है।
नागपंचमी पूजा के आठ नाग देव माने जाते हैं
अनन्त,तक्षक, कुलीर, वासुकि, पद्म, महापद्म, कर्कट और शंख। पूजा करने के लिए नाग की फोटो या मिट्टी की सर्प मूर्ति को लकड़ी की चौकी के ऊपर रखकर हल्दी, रोली, चावल और फूल चढ़ाकर नाग देवता की पूजा की जाती है। इसके बाद कच्चा दूध, घी, चीनी मिलाकर सर्प देवता को अर्पित किया जाता है। और फिर उनकी आरती उतारी जाती है।पूजा के अंत में नाग पंचमी की कथा सुनी जाती है। नाग पंचमी के व्रत करने के लिए चतुर्थी के दिन एक बार भोजन करते हैं तथा पंचमी के दिन उपवास करके शाम को व्रत खोला जाता है। इस दिन असली नाग की पूजा करने का भी प्रचलन है।
Nag Panchami 2020 Hindi-नागपंचमी को लेकर धार्मिक मान्यताऐ
- ऐसा माना जाता है कि सौ वर्ष की उम्र पूरी करने के बाद नागों में उड़ने की शक्ति उत्पन्न हो जाती है।
- सौ वर्ष की उम्र के बाद नागों में दाढ़ी-मूंछ आने लगती है।
- एक सबसे बड़ी विशेषता नागों की ये है कि नाग खुद बिल कभी नहीं बनाता, वह चूहों के बिल में ही रहता है।
- नाग जमीन के अंदर गढ़े धन की रक्षा भी करता है। जिसे नाग चौकी के नाम से जाना जाता है।
- नाग संगीत सुनकर नाचने लगता हैं।
- किसी भी प्राकृतिक आपदा भूकंप, प्रलय का पता सबसे पहले नागों को ही चलता है।
- ये भी माना जाता है कि नाग की केंचुल घर के दरवाजे के ऊपर रखने से घर को नजर नहीं लगती।
- माना जाता है कि जो इच्छाधारी नाग होते हैं, वे अपना रूप बदल सकते हैं।
- कुछ दुर्लभ नागों के सिर पर ही मणि होती हैं।
- नागों की स्मरण शक्ति भी बहुत तेज होती है।
शास्त्र विधि को त्याग कर मनमाना आचरण करना व्यर्थ
पवित्र श्रीमद भगवद गीता अध्याय 16 श्लोक 23 और 24 में गीता ज्ञान दाता ने कहा है कि अर्जुन शास्त्र विधि को त्यागकर मनमाना आचरण करते हैं उनको न तो किसी प्रकार का लाभ मिलता और ना ही उनके कोई कार्य सिद्ध होते तथा ना ही वे मोक्ष को प्राप्त कर सकते!
शास्त्र अनुकूल भक्ति क्या है
श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 17 के श्लोक 23 में गीता ज्ञान दाता ने ओम, तत्, सत ये तीन मंत्र मोक्ष के बताएं हैं इन तीन मंत्रों के जाप से ही मुक्ति संभव है तथा इसके अलावा गीता अध्याय 4 के श्लोक 34 में कहा है की उस तत्वज्ञान को तू उन तत्वदर्शी संत के पास जाकर समझ उनको भली-भांति दंडवत प्रणाम करने से वे तुझे तत्वज्ञान का उपदेश करेंगे और फिर जैसे वे साधना बताएं वैसे भक्ति साधना कर उसी से तेरा मोक्ष संभव है
पवित्र सामवेद संख्या 359 अध्याय 4 खंड 25 श्लोक 8 में प्रमाण है कि जो (कविर्देव) कबीर साहिब तत्वज्ञान लेकर संसार में आता है वह सर्वशक्तिमान सर्व सुखदाता और सर्व के पूजा करने योग्य है
पूर्ण संत की क्या पहचान है
पूर्ण संत के विषय में परमेश्वर कबीर जी ने बताया है कि:
“सतगुरु के लक्षण कहूं मधुरे बैन विनोद।
चार वेद छह शास्त्र कहै अठारा बोध” ।।
वर्तमान समय में पूरे विश्व में एकमात्र तत्वदर्शी संत, पूर्ण गुरु केवल संत रामपाल जी महाराज है जो वेद और शास्त्रों के अनुसार यथार्थ भक्ति मार्ग बता रहे हैं, अधिक जानकारी के लिए देखिए 👉साधना टीवी चैनल शाम 7:30 बजे