NCRB Report 2023: आज हर तरफ़ सुरक्षा का सवाल गूँज रहा है। 2025 में भी भारत में अपराध दर चिंताजनक बनी हुई है। NCRB की “Crime in India 2023” रिपोर्ट (सितंबर 2025 में जारी) के अनुसार, 2023 में देश में कुल 62,41,569 संज्ञेय अपराध दर्ज हुए – 2022 से 7.2% की वृद्धि। पुलिस बल बढ़ाया जा रहा है, स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में अरबों ख़र्च हो रहे हैं, फिर भी आम आदमी सुरक्षित महसूस नहीं करता।
तो सवाल यह है – क्या सुरक्षा की गारंटी सिर्फ़ पुलिस, क़ानून और तकनीक से हो सकती है?
नहीं। दुनिया के सबसे सुरक्षित देश भी यही कहते हैं कि असली सुरक्षा तब आती है जब समाज का हर व्यक्ति स्वयं अनुशासित और नैतिक हो। इस ब्लॉग में हम देखेंगे सटीक आँकड़े, विश्व के उदाहरण और जड़ से समाधान – आंतरिक परिवर्तन कैसे अपराध को खत्म कर सकता है।
भारत में अपराध की भयावह स्थिति (2023 के ताज़ा आँकड़े)

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) ने सितंबर 2025 में “Crime in India 2023” रिपोर्ट जारी की। कुछ चौंकाने वाले आँकड़े:
- कुल संज्ञेय अपराध: 62,41,569 (2022 से 7.2% वृद्धि)
- कुल IPC अपराध: 37,63,102
- हत्या के मामले: 27,721
- बलात्कार: 29,670 (हर दिन औसतन 81 मामले)
- महिलाओं के खिलाफ अपराध: 4,48,211 (0.7% वृद्धि)
- साइबर क्राइम: 86,420 (2022 से 31.2% की छलांग)
- आर्थिक अपराध (जैसे धोखाधड़ी): मेट्रो शहरों में 41,220 मामले, राष्ट्रीय स्तर पर लाखों में
स्रोत: NCRB Crime in India 2023 (आधिकारिक वेबसाइट ncrb.gov.in)
पुलिस-जनसंख्या अनुपात भारत में 1:831 है, जबकि संयुक्त राष्ट्र का मानक 1:450 है। यानी पुलिस की कमी है, लेकिन जो पुलिस है, वह भी अपराध रोकने में पूरी तरह सफल नहीं हो पा रही।
दुनिया के सबसे सुरक्षित देशों का रहस्य
2025 के ग्लोबल पीस इंडेक्स (Institute for Economics & Peace) में टॉप-5 सबसे शांतिपूर्ण देश:
- आइसलैंड
- आयरलैंड
- न्यूज़ीलैंड
- ऑस्ट्रिया
- स्विट्ज़रलैंड
इन देशों में पुलिस सड़कों पर कम दिखती है, फिर भी अपराध दर नगण्य है। कारण:
- समाज में विश्वास (Social Trust) का स्तर 70-90% तक
- स्कूलों में अनिवार्य नैतिक शिक्षा और चरित्र-निर्माण
- अपराधी को सुधारने पर जोर, सिर्फ़ सज़ा पर नहीं
- लोग क़ानून का पालन डर से नहीं, स्व-अनुशासन से करते हैं
उदाहरण: जापान में 2024 में कुल हत्या/होमिसाइड के 912 मामले दर्ज हुए (जनसंख्या 12.5 करोड़)। वहाँ लोग भूलकर भी बटुआ सड़क पर छोड़ जाते हैं, कोई उठाता नहीं। स्रोत: National Police Agency, Japan (2025 रिपोर्ट)।
पुलिस और तकनीक की सीमाएँ
भारत में पिछले 10 साल में:
- CCTV कैमरे: 2014 में लगभग 20 लाख → 2025 तक 2 करोड़ से ज़्यादा (कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार)
- पुलिस बजट: 2014-15 में ₹78,000 करोड़ → 2024-25 में ₹1,43,276 करोड़
फिर भी अपराध दर कम होने के बजाय बढ़ रही है।
क्यों? क्योंकि CCTV और पुलिस अपराध होने के बाद मदद करते हैं, अपराध होने से पहले नहीं रोक पाते। अपराध की जड़ मनुष्य का मन है – लालच, क्रोध, कामवासना, ईर्ष्या। जब तक ये विकार रहेंगे, अपराधी नई-नई तरकीबें निकालता रहेगा। स्रोत: Union Budget 2024-25, Ministry of Home Affairs।
स्व-अनुशासन और नैतिकता ही जड़ से समाधान है
इतिहास गवाह है कि जब-जब समाज में नैतिकता और अनुशासन बढ़ा, अपराध अपने आप कम हुए:
- महात्मा गांधी के समय सत्य और अहिंसा का प्रभाव इतना था कि लोग स्वयं जेल जाने को तैयार हो जाते थे।
- प्राचीन भारत में गुरुकुल शिक्षा में चरित्र-निर्माण सबसे ऊपर था, इसलिए समाज अपराध-मुक्त था।
आज पढ़ा-लिखा इंसान भी बैंक घोटाले, रिश्वत, बलात्कार कर रहा है क्योंकि डिग्री तो मिल गई, लेकिन चरित्र नहीं बना। NCRB डेटा दिखाता है कि आर्थिक अपराधों में धोखाधड़ी के मामले सबसे ज़्यादा हैं, जो नैतिक पतन का प्रमाण हैं।
नशा और अपराध का सीधा संबंध
NCRB रिपोर्ट बताती है कि नशा हिंसक अपराधों का प्रमुख कारण है। 2023 में साइबर क्राइम के अलावा, पारंपरिक अपराधों में भी नशे की भूमिका उल्लेखनीय रही।
- शराब, गांजा-चरस, हेरोइन जैसे नशे अपराध को बढ़ावा देते हैं।
- नशा छुड़ाने के केंद्र बढ़ रहे हैं, लेकिन नशा बढ़ता जा रहा है। केरल जैसे राज्यों में 69% अपराध नशे से जुड़े पाए गए।
जब तक व्यक्ति के अंदर आंतरिक शांति और संतुष्टि नहीं आएगी, वह नशे और अपराध से दूर नहीं रहेगा। स्रोत: NCRB 2023 और राज्य-विशेष अध्ययन।
शिक्षा प्रणाली में नैतिकता की कमी
हमारे स्कूल-कॉलेज में 99% समय करियर और नौकरी की तैयारी होती है।
नैतिक शिक्षा, चरित्र-निर्माण, भावनात्मक बुद्धि (Emotional Intelligence) पर ज़ोर लगभग शून्य।
नतीजा – इंजीनियर, डॉक्टर, IAS भी घोटाले और अपराध करते पकड़े जा रहे हैं। NCRB के अनुसार, 2023 में महिलाओं के खिलाफ अपराधों में घरेलू हिंसा और धोखा प्रमुख हैं, जो शिक्षा की कमी दर्शाते हैं।
समाज में बढ़ता तनाव और मानसिक रोग
WHO की 2025 रिपोर्ट के अनुसार, भारत में वयस्क आबादी का 15% (लगभग 15 करोड़ लोग) अवसाद और चिंता से पीड़ित हैं।
तनाव → गुस्सा → हिंसा → अपराध।
योग-ध्यान और आध्यात्मिकता को बढ़ावा देने की ज़रूरत है, सिर्फ़ दवाइयों की नहीं। स्रोत: WHO Mental Health Report India 2025।
सच्चा और स्थायी समाधान क्या है?
बाहरी सुरक्षा व्यवस्था (पुलिस, क़ानून, CCTV) तो ज़रूरी है, लेकिन ये लक्षण का इलाज है, जड़ का नहीं।
जड़ का इलाज है – हर व्यक्ति का आंतरिक परिवर्तन।
जब व्यक्ति के अंदर:
- लालच की जगह संतोष
- क्रोध की जगह क्षमा
- कामवासना की जगह संयम
- अहंकार की जगह विनम्रता आएगी,
तब अपराध अपने आप ख़त्म हो जाएँगे।
और यह परिवर्तन केवल सच्ची आध्यात्मिक साधना, सत्संग और आत्म-चिंतन से आता है। जब व्यक्ति अपने अंतरात्मा से जुड़ेगा, सत्य को जानेगा, तो वह स्वयं ही पाप करने से डरेगा – पुलिस के डर से नहीं, अपने विवेक के डर से। कबीर साहेब जी कहते हैं:
“कबीरा खड़ा बाज़ार में, मांगे सबकी खैर।
ना काहू से दोस्ती, ना काहू से बैर।।”
यह भाव अपनाने से समाज में भाईचारा बढ़ेगा, अपराध घटेगा।
ये भी पढ़ें: कैसे रुकेंगे अपराध? क्या कहती है NCRB रिपोर्ट 2024
FAQs
प्रश्न 1: NCRB 2023 रिपोर्ट के अनुसार अपराध क्यों बढ़े हैं?
उत्तर: कुल अपराध 7.2% बढ़े, मुख्यतः साइबर क्राइम (31%↑) और आर्थिक धोखाधड़ी के कारण। लेकिन जड़ में नैतिक पतन है।
प्रश्न 2: स्व-अनुशासन कैसे विकसित करें?
उत्तर: रोज़ नैतिक शिक्षा पढ़ें, ध्यान करें, और समाज सेवा से जुड़ें। स्कूलों में चरित्र-निर्माण को शामिल करें।
प्रश्न 3: क्या सच्ची नैतिकता से अपराध कम हो सकते हैं?
उत्तर: हाँ, जापान और आइसलैंड जैसे देशों में यही कारण है। भारत में भी आंतरिक बदलाव से संभव।
प्रश्न 4: पुलिस बजट बढ़ने पर भी अपराध क्यों नहीं रुकते?
उत्तर: 2024-25 में ₹1.43 लाख करोड़ बजट है, लेकिन बिना जनता के सहयोग के बाहरी उपाय अपर्याप्त हैं।
प्रश्न 5: मानसिक स्वास्थ्य और अपराध का क्या संबंध?
उत्तर: WHO के अनुसार 15 करोड़ भारतीय तनावग्रस्त हैं, जो हिंसा को जन्म देता है। ध्यान और नैतिक शिक्षा समाधान है।