NEP 2020-26: 1 करोड़ बच्चे अभी भी स्कूल से बाहर – टूटते सपनों की दर्दभरी सच्चाई

NEP 2020-26: 1 करोड़ बच्चे अभी भी स्कूल से बाहर – टूटते सपनों की दर्दभरी सच्चाई

आज के दौर में शिक्षा एक सपना नहीं, हक है। लेकिन NEP 2020-26 के चमकते वादों के बीच 1 करोड़ बच्चों का बचपन स्कूल की चौखट पर ठहरा हुआ है। क्यों? गरीबी की चुभन, बुनियादी सुविधाओं का अभाव, और वो भावनात्मक जख्म जो परिवारों को तोड़ देते हैं – एक मां का आंसू, एक पिता का अपराधबोध। ये बच्चे मजूरी, घरेलू कामों में उलझकर सपनों को दफन कर देते हैं।

यह ब्लॉग इन दर्दभरी हकीकतों को उजागर करेगा, ताजा UDISE+ 2023-24 डेटा से रूबरू कराएगा, और संत रामपाल जी महाराज के ज्ञान से प्रेरित करेगा कि सच्ची शिक्षा जीवन का आधार है। आइए, इन टूटे सपनों को जोड़ने का संकल्प लें।

टूटते सपनों की दर्दभरी हकीकत

कल्पना कीजिए, एक छोटा सा हाथ जो किताब थामने की बजाय मजूरी का औजार पकड़ लेता है। NEP 2020-26 ने वादा किया था – हर बच्चा स्कूल पहुंचेगा। लेकिन हकीकत? UDISE+ 2023-24 के आंकड़ों के अनुसार, 6-17 साल के 4.74 करोड़ बच्चे अभी भी स्कूल से बाहर हैं, जिनमें से लगभग 1 करोड़ सक्रिय ड्रॉपआउट हैं। ये सिर्फ नंबर नहीं, लाखों परिवारों के आंसू हैं। एक लड़की जो स्कूल जाती तो डॉक्टर बनती, लेकिन घर के कामों में उलझ गई।

एक लड़का जो इंजीनियर का सपना देखता था, लेकिन पिता की बीमारी ने मजबूरी थोप दी। ये भावनात्मक घाव हैं, जो समाज को खोखला कर रहे हैं। आइए, असली वजहों को समझें और दिल से बदलाव की पुकार करें।

असली वजहें: गरीबी का काला साया

गरीबी – ये शब्द सिर्फ आंकड़ा नहीं, एक परिवार का पूरा अस्तित्व निगल लेता है। NS

SO 2017-18 सर्वे के अनुसार, 3.22 करोड़ बच्चे आर्थिक तंगी से स्कूल छोड़ चुके। 2024 के अपडेट्स में ये संख्या 1 करोड़ से ऊपर बनी हुई है। क्यों? क्योंकि किताबें, यूनिफॉर्म, फीस – ये बोझ गरीब कंधों पर भारी पड़ते हैं।

एक पिता का चेहरा याद कीजिए, जो रोटी के लिए बेटे को काम पर भेज देता है। दिल दुखता है न? NEP 2020-26 इसमें सुधार चाहता है, लेकिन जमीनी स्तर पर फंडिंग की कमी सब बिगाड़ रही। भावनात्मक रूप से, ये बच्चे खुद को ‘अनुपयोगी’ महसूस करते हैं, जो आत्मविश्वास चुरा लेता है।

बुनियादी सुविधाओं का अभाव: डर का साया

स्कूल पहुंचना ही काफी नहीं, सुरक्षित रहना जरूरी। ग्रामीण इलाकों में 25% स्कूलों में शौचालय नहीं, पीने का पानी तो दूर की बात। लड़कियों के लिए ये डर कितना गहरा – हर महीने की पीड़ा में स्कूल छूट जाता। UDISE+ 2024-25 डेटा बताता है कि सेकेंडरी लेवल पर लड़कियों का ड्रॉपआउट 9.4% है, लेकिन भावनात्मक ट्रॉमा इसे दोगुना कर देता।

एक बच्ची की डायरी पढ़िए: “मैं पढ़ना चाहती हूं, लेकिन डर लगता है।” NEP 2020-26 का लक्ष्य 100% GER है, लेकिन बिना इंफ्रास्ट्रक्चर के ये सिर्फ कागजी। समाज को शर्मसार करने वाली ये कमी, बच्चों के दिलों में घाव छोड़ती है।

सामाजिक और भावनात्मक बाधाएं: परिवार का बोझ

घरेलू काम, बाल विवाह, जातिगत भेदभाव – ये अदृश्य चेनें बांध लेती हैं। लड़के कमाने जाते, लड़कियां घर संभालतीं। 2024 सर्वे में 25% ड्रॉपआउट सोशियो-इकोनॉमिक फैक्टर्स से। भावनात्मक रूप से, ये अलगाव पैदा करता – बच्चे सोचते, “मैं क्यों अलग?” NEP 2020-26 वोकेशनल ट्रेनिंग और काउंसलिंग पर जोर देता, लेकिन लागू न होने से दर्द बढ़ता। एक मां का रोना: “मेरा बच्चा सपने देखता था, लेकिन मजबूरी ने छीन लिया।” ये कहानियां हमें झकझोरती हैं।

NEP 2020-26 का रोडमैप: उम्मीद की किरण?;

NEP 2020 (2030 तक 100% एनरोलमेंट) ODL, वोकेशनल कोर्सेस और ट्रैकिंग सिस्टम ला रहा। लेकिन 2026 तक असर दिखाने के लिए तेज कदम जरूरी। सरकार स्कूलों को अपग्रेड कर रही, लेकिन भावनात्मक सपोर्ट? काउंसलर्स की कमी। फिर भी, ये बदलाव संभव – अगर हम दिल से जुड़ें।

समाधान: दिल से बदलाव

सरकारी प्रयास: फ्री मिड-डे मील बढ़ाएं, स्कॉलरशिप दें।

समाज की भूमिका: एनजीओ से जुड़ें, बच्चों को गोद लें।

भावनात्मक हीलिंग: स्टोरीटेलिंग से बच्चों का आत्मविश्वास जगाएं।

डेटा जो दिल दहला देता है

  • UDISE+ 2023-24 रिपोर्ट (शिक्षा मंत्रालय, 30 दिसंबर 2024) के अनुसार:
  • 6-17 साल के 4.74 करोड़ बच्चे स्कूल से बाहर।
  • लगभग 1 करोड़ सक्रिय ड्रॉपआउट।
  • सेकेंडरी स्तर पर ड्रॉपआउट रेट: लड़के 12.3%, लड़कियाँ 9.4%।

आधिकारिक स्रोत: education.gov.in/udiseplus

भक्ति से बदलाव: टूटे सपनों को जोड़ने की शक्ति

संत रामपाल जी महाराज का ज्ञान हमें सिखाता है कि सच्ची शिक्षा केवल किताबी नहीं, बल्कि ईश्वर-ज्ञान है जो जीवन को दिशा दे। वे कहते हैं:

ईश्वर ने शिक्षा दी है कि हम ईश्वर को जानें और भक्ति करें।

NEP 2020-26 के सपनों को साकार करने के लिए, बच्चों को आध्यात्मिक बल दें – भक्ति से वो गरीबी के डर से ऊपर उठेंगे, भावनात्मक रूप से मजबूत होंगे। कबीर साहेब की वाणी याद कीजिए:

“पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुआ, पंडित भया न कोय। ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय।”

ये ज्ञान बच्चों के टूटे दिलों को जोड़ेगा, स्कूल लौटने की प्रेरणा देगा। सतगुरु का मार्गदर्शन ही असली समाधान है, जो आंसुओं को मुस्कान में बदल दे।

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FAQs 

1)NEP 2020-26 में ड्रॉपआउट रोकने के लिए क्या कदम हैं?

100% GER लक्ष्य, वोकेशनल ट्रेनिंग, ट्रैकिंग। लेकिन भावनात्मक सपोर्ट जरूरी – बच्चे खुद को मूल्यवान महसूस करें।

2) गरीबी से स्कूल ड्रॉपआउट कैसे रोकें?

फ्री एजुकेशन, स्कॉलरशिप, काउंसलिंग। परिवारों को भावनात्मक ताकत दें।

3) लड़कियों का ड्रॉपआउट क्यों ज्यादा?

घरेलू काम, सुरक्षा की कमी। NEP सेफ स्पेस बनाए, समाज जागरूक हो।

4) संत रामपाल जी का संदेश शिक्षा पर क्या है?

शिक्षा ईश्वर-ज्ञान के लिए है। भक्ति से बच्चे मजबूत बनें, सपने न टूटें।

5)ड्रॉपआउट बच्चे को घर पर कैसे लौटाएं?

प्यार से बात करें, एनजीओ मदद लें। आध्यात्मिक कहानियां सुनाएं, उम्मीद जगाएं।

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