नमस्कार दर्शकों! खबरों की खबर का सच कार्यक्रम में आप सभी का एक बार फिर से स्वागत है। इस बार हम देश दुनिया में जनता का नेतृत्व करने वाले मंत्रियों व नेताओ के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे और जानेंगे की आखिर एक सच्चे नेता की परिभाषा और उसके कार्य क्या होते हैं? तो चलिए शुरू करते हैं आज की विशेष पड़ताल।
मानव सभ्यता की शुरुआत से ही समाज में लोगों का नेतृत्व करने के लिए किसी मार्गदर्शक, लीडर, या नेता की जरूरत महसूस की गई है क्योंकि नेता के बिना जनता और देश दोनों मार्ग विहीन हो जाते हैं। जनता को मिलने वाली सुविधाएं और देश का विकास दोनों बाधित हो जाते हैं।
आइए सबसे पहले जान लेते हैं कि एक नेता या मंत्री किसे कहा जाता है और नेता का मुख्य कार्य क्या होता है?
आम भाषा में एक नेता वह व्यक्ति होता है जो अन्य लोगों का मार्गदर्शन और नेतृत्व करने योग्य होता है। इसे आमभाषा में”लीडर” या “मुखिया” भी कहते है। लक्ष्य लेकर चलना और व्यक्तिगत सीमाओं से ऊपर उठ जाना ही किसी भी नेता के जरुरी गुणों में विधमान होना चाहिए। किसी भी नेता का मुख्य कार्य किसी भी काम में आ रही मुश्किलों या बाधाओं को दूर कर उसे लोगों के हित में संभव बनाना होता है। एक नेता किसी सरकार, संस्था, समाज, पार्टी या संगठन का नेतृत्व करता है। सरकार द्वारा वह नेता किसी भी विभाग,मंत्रालय या कार्यक्षेत्र में कार्यरत हो सकता है, जैसे की कृषि , व्यय , राजस्व , वित्त, रक्षा , शिक्षा, रेल विभाग या मंत्रालय इत्यादि में।
आइए अब रुख करते हैं आज़ादी के समय और बाद के नेताओ का
महात्मा गांधी, सुभाष चंद्र बोस, सरदार वल्लभभाई पटेल, डॉक्टर भीमराव आंबेडकर, जवाहरलाल नेहरू, लाला लाजपतराय, राम मनोहर लोहिया , जयप्रकाश नारायण, लाल बहादुर शास्त्री, इंदिरा गांधी, जैसे दिग्गज नेताओ के नाम हम सभी बचपन से अपने पाठ्यक्रमों की पुस्तकों में पढ़ते व हर समय राजनीति में सुनते आ रहे हैं। ये वह कद्दावर नेतागण हैं जिनके नेतृत्व में भारत को आज़ादी मिली, संविधान की रचना हुई , स्कूल कालेजों ,सड़कों ,फ्लाइओवरों का निर्माण हुआ और गांवों व शहरों का विकास हुआ, विज्ञान और तकनीकी खोजों की नई शुरुआत हुई और समाज सुधार व कल्याण के अनगिनत कार्य इनके नेतृत्व में हुए।
अब रुख पुरातन युगों के नेताओं के नेतृत्व का
पौराणिक कथाओं में हमने श्री राम चंद्र जैसे अच्छे और रावण जैसे बुरे नेतृत्व करने वाले नेताओ के बारे में भी पढ़ा और सुना है। इतिहास गवाह है की राजा हरिश्चंद्र, राजा अंब्रिश, राजा जनक और राजा बलि जैसे परोपकारी नेताओ के साथ साथ जालंधर, हिरण्यकशिपु, महिषासुर, रावण, और कंस आदि राक्षस नेताओ ने भी जनता का नेतृत्व किया था। पुरातन युगों की तरह वर्तमान समय में भी अच्छा व बुरा नेतृत्व करने वाले नेता समाज म़े विधमान हैं। यदि कुछ अंतर आया है तो वह यह है की पहले के जमाने में अधिकतर देश राजशाही हुआ करते थे तथा उनके शासक और नेता तानाशाह। मुगल काल में शाहजहां का शासन सबसे अच्छा माना जाता है,जबकि उसके बाद औरंगजेब कट्टर मुस्लिम शासक था।
फिर हमने एडोल्फ हिटलर ,मुसोलिनी और ओसामा बिन लादेन जैसे तानाशाही और आतंकवादी नेताओं के बारे में भी पढ़ा और देखा है जो की मानवता के पतन का कारण बने। जबकि वर्तमान समय में अधिकतर देश लोकशाही हैं, जिसके चलते वर्तमान के नेताओं को जनता खुद वोट डालकर चुनती है।
आइए अब रुख करते हैं इतिहास में वर्णित तानाशाही नेताओं के शासन का
इराक का पांचवा तानाशाह नेता सद्दाम हुसैन था, जो दो दशक से ज़्यादा समय तक इराक़ के राष्ट्रपति रहा सद्दाम हुसैन एक ऐसा तानाशाह था जिसे जनसंहार मामले में दोषी पाए जाने के बाद फांसी पर लटका दिया गया। दूसरी ओर लीबिया का तानाशाह मुअम्मर अल गद्दाफी था जिसने 42 साल तक लीबिया पर शासन किया जिसे सिर्फ अपनी ऐय्याशी कि फिक्र थी जनता की नहीं।
किम-जोंग-उन, उत्तर कोरिया का तानाशाह नेता है जो साल 2011 से उत्तर कोरिया की सत्ता पर काबिज है। किम-जोंग-उन उत्तर कोरिया में अपनी दमनकारी और तानाशाह नीतियों के लिए जाना जाता है। साल 2011 में अपने पिता किम-जोंग-इल की मौत के बाद किम जोंग उन ने उत्तर कोरिया की सत्ता संभाली थी। किम जोंग उन के बारे में उत्तर कोरिया का सरकारी मीडिया ज्यादा जानकारी नहीं देता है। यह शासन चलाने वाले पर भी निर्भर करता है कि वह शासन कैसा चला रहा है जनहितैषी या स्वयं हितैषी ।
भारत में भ्रष्ट नेताओं के गुण
भारत देश में वही नेता ताकतवर माना जाता है जो काम को होने से रोक सकें काम-काज ठप्प करा सकें, शहर बंद करा सकें, सडक़ रोको, रेल रोको जैसे आंदोलन सफल करा सकें, भ्रष्टाचार, रिश्वतखोरी, अराजकता का माहौल बना सकें, लोगों को सरकार से सवाल करने से रोक सकें, तो इसका मतलब है कि आप नेता बन सकते हैं। दुर्भाग्य की बात है कि देश को बर्बादी की ओर ले जाने की कला लोगों को नेता बना रही है।
आइए अब एक नजर डालते हैं वर्तमान समय के नेताओं के कार्यों पर
वर्तमान समय में नेता सत्ता में आने के लिए साम दाम दण्ड भेद सब कुछ अपनाते है। जिस प्रकार कुछ सदियों पहले तक एक राजा सत्ता पाने की लालच में दूसरे राजा को धोखे से मार दिया करते थे या किसी से मरवा देते थे , एक भाई अपने ही सगे भाई को धोखे से मार देता था। और आज एक पार्टी के नेता दूसरी पार्टी के नेताओं के खिलाफ भड़काऊ बयान बाजी देने में ज़रा भी नहीं हिचकते , दूसरी पार्टी के नेताओं को सार्वजनिक रूप से अपमानित करते हैं।उनके बारे में झूठी अफवाहें फैलाते हैं, जनता को धर्म और मंदिर ,मस्जिद के नाम पर लड़वाते हैं, दलितों का तिरस्कार करते हैं, किसानों की अनदेखी करते हैं, लड़कियों के बलात्कार पर चुप्पी धारण करते हैं, माब लींचिग की प्लानिंग करवाते हैं, धर्म विरोधी नारे लगवाते हैं, जनता सेवा करने वालों के घर इंकमटैक्स के छापे डलवाते हैं, संतों को जेल में देशद्रोह के केसों में फंसवाते हैं ।समाज में डर और घृणा फैलाते हैं। आज के नेता के काम कम और कारनामे ज्यादा मशहूर होते हैं।
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पहले के अधिकतर राजा व नेता न्यायकारी व परोपकारी हुआ करते थे और जनकल्याण के लिए अपना सबकुछ न्यौछावर कर देते थे, लेकिन वर्तमान समय के अधिकतर नेता झूठे, कपटी व रिश्वतखोर हो गए है। वर्तमान समय में ईमानदार व सच्चे नेता मुट्ठीभर ही रह गए हैं। इसी कारण देश दुनिया के लोगों का अधिक शोषण हो रहा है। जनता के चंद लोग ही सरकार की योजनाओं का लाभ उठा पा रहे है। अमीर दिन प्रति दिन अमीर होते जा रहे है और गरीबों की गरीबी समय के साथ बढ़ती ही जा रही है। भ्रष्ट नेताओं व मंत्रियों के शासनकाल में जनता के साथ हो रहे अन्याय व अपराधों की संख्या में भी दिन दोगुनी वृद्धि हो रही है। कई संस्थाओं द्वारा सालाना पारित किए जाने वाले हैप्पीनेस इंडेक्स में भी देश दुनिया के अधिकतर लोग दुखी पाए जा रहे है। आज के नेता जन साधारण के लिए अन्न, जल, शिक्षा, और चिकित्सा जैसी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करवाने में भी असमर्थ हो रहे है। कोरोना महामारी और वैश्विक मंदी की इस दोहरी मार से मध्यम वर्ग का अधिक शोषण हो रहा है। देश में बेरोजगारी दर अप्रत्याशित रूप से बढ़ रही है। इसके अलावा देश के अन्नदाता किसान भी कर्जे के बोझ तले आत्महत्या कर रहे हैं। ऐसे ही दयनीय हालात अकेले भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के कई देशों के हैं।
इस समय पृथ्वी पर चारों और हाहाकार मची हुई है, यहां कोई भी प्राणी सुखी नहीं, ऐसे में कैसे नेता के नेतृत्व में मानव समाज को सुख व शांति प्राप्त हो सकती है? आखिर एक सच्चे नेता की क्या परिभाषा होती है जिसके सानिध्य में संसार स्वर्ग समान एक सुखमेव स्थान बन सकेगा। आइए आध्यात्मिक दृष्टिकोण से जानने की कोशिश करते हैं-
एक सच्चा नेता, समाज सुधारक व समाज कल्याणकर्ता की भूमिका निभाता है इसके लिए उसे दिन के 24 घंटे व साल के 365 दिन लोगों के हित में तत्पर रहना होता है। उसकी नजर में समाज के लोगों में कोई अंतर या भेद भाव नहीं होता, फिर चाहे कोई किसी जाति, मज़हब, या धर्म से हो, या फिर कोई करोड़पति हो या रोडपति । एक सच्चे नेता के लिए सभी लोग एक समान होते है। उसके सानिध्य में जनता को न्याय, सुख, व सभी मौलिक अधिकार व सुविधाएं पूर्णतः प्राप्त होती है। एक सच्चे नेता के नेतृत्व में देश दुनिया में व्याप्त बुराइयां जैसे चोरी, जारी, ठगी, रिश्वतखोरी, नशाखोरी, बलात्कार, दहेजप्रथा, मिलावट, आदि को जड़ से खत्म करने का कार्य पूरे जोरों शोरों से किया जाता है। एक सच्चा नेता किसी भी प्रकार का कोई लालच व कपट नहीं रखता। उसके लिए धन, दौलत और सत्ता मिट्टी समान होती है। उसका उद्देश्य केवल इतना ही होता है की जितने लोगों का वह नेतृत्व कर रहा है उन्हें वह सर्व सुख व शांति प्रदान करें।
दृष्टिकोण से विचार
आध्यात्मिक दृष्टिकोण से विचार करने पर पता चलता है की एक आध्यात्मिक नेता या संत के नेतृत्व में समाज को बेहतर बनाया जा सकता है। एक सच्चा संत या सतगुरु जिसके पास अद्वितीय तत्वज्ञान और परमेश्वर की रज़ा व आशीर्वाद हो, वह संत देश दुनिया की सभी समस्याओं का समाधान कर सकता है। ईश्वरीय शक्ति युक्त वह कृपापत्र संत स्वयं परमात्मा का ही अवतार होते हैं, जो समय समय पर धरती पर अवतरित होकर अधर्म का नाश कर समाज को स्वच्छ और भक्तियुक्त बनाते है। वर्तमान समय में सर्व सृष्टि के रचयिता कुल मालिक पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी के रूप में अवतरित हुए है। जिनके सानिध्य में समाज में व्याप्त समस्त बुराइयों का सफाया जड़ से किया जा रहा है।
जिनके नेतृत्व में कलयुग में पुनः सतयुग जैसा माहोल तैयार हो रहा है। जिनकी शरण में आने वाले समस्त प्राणियों को सर्व सुख प्राप्त हो रहा है। महान परिवर्तन के इस अदभुत संघर्ष में संत रामपाल जी महाराज सन 1994 से लगे हुए हैं। दिन रात एक कर संत रामपाल जी ने समाज सुधार के ऐसे अनेकों कार्यों को कर दिखाया है जो आज तक कोई नहीं कर सका। उनके मार्गदर्शन में सैकड़ों लोग बीड़ी, तंबाखू, सुल्फा, अफीम, गांजा, शराब, आदि के नशे को त्याग कर सतभक्ति कर रहे हैं। संत रामपाल जी के अनुयायी रिश्वत, चोरी, जारी, ठगी, नशा, मिलावट, आदि बुराइयां करना तो दूर इसमें किसी का सहयोग भी नहीं देते।
नास्ट्रेडमस, फ्लोरेंस, किरो, वेजिलिटीन, रविदास, तुलसीदास, सूरदास और रामसापीर, आदि आदि भविष्यवक्ताओं व संतों ने अपनी भविष्यवाणियों में स्पष्ट कहा है की भविष्य में एक आध्यात्मिक नेता के सानिध्य में ऐसा स्वच्छ समाज तैयार होगा जिससे पूरे विश्व में आपसी भाईचारा स्थापित होगा, विश्व की सभी सीमाएं समाप्त हो जायेंगी। उस नेता का एक झंडा व एक भाषा होगी। वह नेता और कोई नहीं बल्कि संत रामपाल जी महाराज जी ही हैं जिनके पदचिन्हों पर चलते हुए एक ऐसा समाज तैयार हो रहा है जिस से भविष्य में समस्त मानव समाज सभी बुराइयों को त्यागकर सुखी हो जायेगा। सत्य आध्यात्मिक ज्ञान के कारण भविष्य में न्यायालयों में वकीलों की आवश्यकता नहीं होगी, भविष्य में ऐसे न्यायकारी नेता होंगे जो पंचायत में ही न्याय का फैसला किया करेंगे, और वे व्यक्ति का व्यवहार देखकर ही बता देंगे की कौन दोषी है और कौन निर्दोष।
भविष्य में माया की दौड़ समाप्त हो जायेगी और सभी प्राणी अधिक से अधिक धन, दान किया करेंगे। सभी प्राणियों का उद्देश्य केवल पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी की भक्ति कर मोक्ष प्राप्त करना ही रह जायेगा। समाज में चिकत्सा सुविधा सबको मुफ्त में प्राप्त हुआ करेगी, जिसके चलते किसी भी बीमारी का इलाज मुफ्त में हुआ करेगा। जगह जगह नि:शुल्क अखंड भंडारे चला करेंगे, जिस से कोई भूखा नहीं मरेगा। समय पर वर्षा हुआ करेगी, फलदार वृक्ष पूरी धरती पर उग आयेंगे, और पशु धन भी बढ़ेगा। समस्त पृथ्वी स्वर्ग समान हो जायेगी और पुनः सतयुग जैसा माहौल संसार में हो जायेगा। इसलिए इस वीडियो को देखने वाले सभी भाइयों बहनों से निवेदन है की आप सभी संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लें और उनके नेतृत्व में पृथ्वी को पुनः स्वर्ग समान बनाने में अपना योगदान दें। धन्यवाद।