नाबालिक के खून का नमूना बदला, फोरेंसिक डिपार्टमेंट प्रमुख सहित 2 डॉक्टर गिरफ्तार

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पुणे पोर्श कांड में एक के बाद एक बड़े रहस्यों का खुलासा हो रहा है। पुलिस ने 17 वर्षीय नाबालिक के खून के नमूने की हेराफेरी के आरोप में ससून अस्पताल के दो डॉक्टरों को गिरफ्तार किया है। जिसमें ससून अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. श्रीहरि हैलनोर और फोरेंसिक प्रमुख डॉ. अजय तावड़े शामिल है। जांच के दौरान यह पता चला है कि फोरेंसिक प्रमुख डॉ. अजय तावड़े के निर्देश पर डॉ. श्रीहरि हैलनोर ने नाबालिक के खून के नमूने को कूड़ेदान में फेंका। तीन लाख रूपए के लिए डॉ. हैलनोर ने खून का नमूना बदला। 

कैसे हुआ पुलिस को शक ? 

प्रेस कांफ्रेंस के दौरान पुलिस कमिश्नर अमितेश कुमार ने बताया कि खून के नमूने की जांच से नाबालिक के खून में अल्कोहल की जांच की जानी थी। इससे इस जानकारी का पता लगना था की नाबालिक ने गाड़ी चलाते समय शराब का सेवन किया था या नहीं। पहले हुई जांच की रिपोर्ट के मुताबिक नाबालिक के खून में अल्कोहल की मात्रा नहीं पाई गई है, जिससे पुलिस को शक हुआ। उसके बाद पुलिस ने जांच शुरू कर दी।

कैसे पुलिस को पता चला कि जांच किया गया खून नाबालिक का नहीं है?

पुलिस कमिश्नर अमितेश कुमार ने यह भी बताया की घटनास्थल से पुलिस ने खून के नमूने प्राप्त किए थे। उनमें से एक नमूना नाबालिक के खून का था, जिसके डीएनए टेस्ट से यह पता लगाया की ससून अस्पताल में लिया गया खून का नमूना नाबालिक का नहीं बल्कि किसी और व्यक्ति का है।इसके बाद पुलिस ने मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. श्रीहरि हैलनोर को गिरफ्तार किया और उनसे पूछताछ की। वह नमूना किसका है, इसकी जांच पुलिस अभी कर रही है। 

क्या है पुणे पोर्श कांड?

यह घटना रविवार,19 मई की सुबह 2:15 की है। कल्याणी नगर के पास 17 वर्षीय नाबालिक वेदांत अग्रवाल अपने दोस्तों के साथ 12वीं में उत्तीर्ण होने की खुशी में पुणे के पब में पार्टी करके लौट रहा था। नशे की हालत में नाबालिक 200 कि.मी. प्रति घंटे की रफ्तार से कार चला रहा था। उसने बाइक सवार दो आई टी प्रोफेशनल्स को रौंद दिया और वहां से भाग गया। 

बाइक में टक्कर लगने से चालक अनीश अवधिया को धक्का लगा और पास में खड़ी कार से टक्कर लगने पर उसकी मौत हो गई। बाईक सवार अश्विनी कोष्टा पोर्श कार की टक्कर से 20 फीट हवा में उछली, जिसके बाद ज़मीन में गिरने से मौके पर उसकी भी मौत हो गई। 

एक्सीडेंट के 14 घंटे बाद नाबालिक को कोर्ट से विशेष शर्तों पर ज़मानत मिली थी। कोर्ट ने आरोपी नाबालिक को “सड़क दुघर्टना के प्रभाव व समाधान” पर 300 शब्दों का निबंध लिखने और 15 दिनों तक यातायात पुलिस के साथ काम करने का आदेश दिया था। बाद में उसे 5 जून तक के लिए सुधार गृह भी भेज दिया गया।  

नाबालिक के पिता विशाल अग्रवाल और दादा पर भी है आरोप ?

विशाल अग्रवाल एक रीयल एस्टेट एजेंट है। आरोप है की विशाल अग्रवाल और उनके पिता ने आरोपी नाबालिक वेदांत अग्रवाल को बचाने के लिए कानूनी प्रक्रिया को प्रभावित करने की कोशिश की। विशाल अग्रवाल को आई पी सी की धारा 304 के तहत मामला दर्ज करके छत्रपति संभाजी नगर क्षेत्र से गिरफ्तार किया गया है। इसके अलावा पुलिस ने इस मामले में किशोर वेदांत अग्रवाल के खिलाफ़ भारतीय दंड संहिता की धारा 201, 120-बी, 467, 213 और 214 भी लगाई गई।

साथ ही आरोपी नाबालिक वेदांत के दादा भी पुलिस की गिरफ्त में है। उनपर ड्राइवर को बंदी बनाने और सारी घटना की जिम्मेदारी लेने के लिए ड्राइवर को प्रताड़ित करने का आरोप लगाया है।

कर्मों का फल तो भोगना पड़ता है 

संत गरीबदास जी अपनी वाणी में बताते हैं कि मनुष्य को अपने प्रत्येक कर्म का भुगतान परमात्मा के सच्चे दरबार में करना होता है। शुभ कर्म करने वालों को सुख व बुरे कर्म करने वालों को दु:ख और कष्ट की प्राप्ति होती है। इसी लिए प्रत्येक व्यक्ति को ऐसे कर्म करने चाहिए जिससे उसे परमात्मा के दरबार में लज्जित न होना पड़े। अर्थात सभी को शुभ कर्म करने चाहिए। चोरी, रिश्वतखोरी, ठगी, जारी व अन्य अपराधों से बचना चाहिए। न ही बुरे कर्म करने चाहिए व न ही बुरे कर्म करने वाले का साथ देना चाहिए। 

सच्चे संत करते हैं समाज सुधार

परमात्मा के कृपा पात्र सच्चे संत अपने सतज्ञान व सतभक्ति से मानव समाज का सुधार करते है। उनके द्वारा दी गई भक्ति से मानव सर्व विकारों जैसे नशा, रिश्वतखोरी, ठगी इत्यादि को स्वयं ही त्याग देता है। और परमात्मा के द्वारा दी गई सतभक्ति से जीवन में आने वाली सर्व कठिनाइयों से स्वतः मुक्त हो जाता है।  वर्तमान में एकमात्र सच्चा संत सिर्फ और सिर्फ संत रामपाल जी महाराज जी है, जिनसे नाम दीक्षा लेकर आज करोड़ों लोग सर्व बुराइयों का त्याग कर रहे है और एक सुखी जीवन जी रहे है। पाठकों से अनुरोध है कृपया जल्द से जल्द संत रामपाल जी महाराज जी से नाम दीक्षा लेकर मोक्ष प्राप्त करें। 

नाबालिक के खून के नमूने को बदला पर FAQ  

प्रश्न: क्या है पुणे पोर्श कांड? 

उत्तर: पुणे के कल्याणी नगर इलाके में 17 वर्षीय नाबालिक वेदांत अग्रवाल ने नशे की हालत में नाबालिक 200 कि.मी. प्रति घंटे की रफ्तार से अपनी कार से  दो बाइक सवार आई टी प्रोफेशनल्स की हत्या कर दी। 

प्रश्न: पुणे पोर्श कांड में किसकी मौत हो गई? 

उत्तर: पुणे पोर्च कांड में 24 वर्षीय दो आई टी प्रोफेशनल अनीश अवधिया और अश्वनी कोष्टा की जान चली गई। 

प्रश्न: खून के नमूने के आरोप में किन दो डॉक्टरों की गिरफ्तारी हुई है ? 

उत्तर: खून के नमूने के आरोप में ससून अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. श्रीहरि हैलनोर और फोरेंसिक प्रमुख डॉ.अजय तावड़े को पुणे पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया गया है। 

प्रश्न: किस संत के द्वारा दी गई सतभक्ति से बुराई समाप्त होगी?

उत्तर: संत रामपाल जी महाराज जी के द्वारा दी गई सतभक्ति से बुराई समाप्त होगी।

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