पंजाब को ‘पाँच नदियों का क्षेत्र’ कहा जाता है, लेकिन आजकल यहां पानी की कमी की स्थिति गंभीर हो गई है। पंजाब का नाम ‘पंज’ (पाँच) और ‘आब’ (पानी) से लिया गया है, जो इस क्षेत्र में पानी के महत्व को दर्शाता है। लेकिन पिछले कुछ वर्षों से यहां का जल संकट गहरा गया है। भूजल स्तर में निरंतर गिरावट के कारण पानी की भारी कमी हो रही है। वर्ष 2011 से 2020 तक भूजल स्तर में 2 से 4 मीटर की गिरावट आई है, जिससे यह क्षेत्र पानी के संकट का सामना कर रहा है।
पंजाब में हर साल औसतन 650 मिमी बारिश होती है, जिसमें से 75 प्रतिशत बारिश जून से सितंबर के बीच होती है। इसके बावजूद, वर्षा जल का 70 प्रतिशत बर्बाद हो जाता है क्योंकि इसे कंज़र्वेशन और रिज़र्वेशन के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, जल संचयन के उपायों को अपनाने से हर एकड़ में 25 लाख लीटर पानी एकत्रित किया जा सकता है, लेकिन इस दिशा में अभी भी बहुत कम काम किया गया है।
पंजाब में भूजल स्तर में गिरावट से संबंधित मुख्य बिंदु :
1 . पंजाब की भूजल स्तर की स्थिति पिछले कुछ दशक में (2011-2020) भूजल स्तर में 2 से 4 मीटर की गिरावट आ चुकी है।
2 . इसके अलावा पंजाब के 138 में से 119 ब्लॉक ऐसे हैं जहां भूजल दोहन ‘हद से ज्यादा दोहन’ हो रही है।
3 . हर साल भूजल स्तर औसतन 50 सैंटीमीटर नीचे गिरते जा रहा हैं।
4 . पंजाब में हर साल औसतन 650 मिमी बारिश होती है, जिसमें से 75 प्रतिशत बारिश जून से सितंबर के बीच होती है।
5 . विशेषज्ञों के अनुसार, वाटर कंजर्वेशन करके हर एकड़ में 25 लाख लीटर पानी एकत्रित किया जा सकता ।
6. 2013 सर्वे रिपोर्ट के अनुसार पंजाब में जितना पानी भूगर्भ में रिचार्ज किया जाता है, उससे 149 प्रतिशत अधिक पानी निकाला जाता हैं।
7 . यह रेशियों अब बढ़कर 170 प्रतिशत हो गया है।
8 . प्रति वर्ष 21.58 बिलियन क्यूबिक मीटर पानी भूगर्भ में रिचार्ज होता है, जबकि 35.78 बिलियन क्यूबिक मीटर पानी निकाला जाता हैं।
साइंटिस्ट और स्पेशलिस्ट ने अलर्ट जारी किया कि पंजाब का भूजल स्तर नीचे
हर साल भूजल स्तर औसतन 50 सैंटीमीटर घट रहा हैं। इसके अलावा 70 प्रतिशत वर्षा जल बर्बाद हो रहा है। इसलिए वॉटर कंज़र्वेशन और वॉटर रीस्टोर नहीं हो पा रहा हैं। जिसके कारण साइंटिस्ट और स्पेशलिस्ट भी लगातार अलर्ट जारी कर रहे हैं कि अगर पानी के कंज़र्वेशन के लिए समय पर कदम नहीं उठाए गए, तो पंजाब का भविष्य रेगिस्तान से भी ज़्यादा खराब हो सकता है।
विशेषज्ञों के अनुसार एक एकड़ में 25 लाख लीटर पानी कंज़र्वेशन किया जा सकता है
पंजाब में हर साल औसतन 650 मि.मी. बारिश होती है, जिसमें से 75 प्रतिशत बारिश जून से सितंबर के बीच होती है। विशेषज्ञों के अनुसार। हर एकड़ में 25 लाख लीटर पानी कंज़र्वेशन किया जा सकता है। हालांकि, इन चीजों पर ध्यान देने वाले लोगों की संख्या कम है। शहरी इलाकों में वॉटर कंज़र्वेशन की स्थिति इससे भी खराब है। यहां लगभग 70 प्रतिशत बारिश का पानी बिना किसी उपयोग के बह जाता है।
सरकार ने घरों में पाइप लगाकर आंगन और गाड़ियां धोने पर लगाया प्रतिबंध
राज्य सरकार ने पानी बचाने के लिए कई कदम उठाए हैं। हाल ही में सरकार ने घरों में पाइप लगाकर आंगन और गाड़ियां धोने पर प्रतिबंध लगाया और ऐसा करने वालों पर भारी जुर्माना लगाने का आदेश भी दिया।वर्तमान समय में लोग अपने भवन निर्माण पर लाखों रुपए खर्च करते हैं, लेकिन 15,000 रुपए की मामूली लागत में वाटर रिचार्जिंग सिस्टम लगाने में रुचि नहीं दिखाते।
भूगर्भ में जितना पानी रिचार्ज होता है उससे अधिक पानी इस्तेमाल होता है
राज्य की नदियां पहले ही जल संकट का सामना कर रही हैं। इस कारण पंजाब के अधिकांश लोग भूजल पर निर्भर हो गए हैं। 2013, की सर्वे रिपोर्ट के अनुसार पंजाब में जितना पानी भूगर्भ में रिचार्ज होता है, उससे 149 % अधिक पानी इस्तेमाल हो जाता हैं। यह रेशियों अब बढ़कर 170 % हो गई है। हर साल 21.58 बिलियन क्यूबिक मीटर पानी भूगर्भ में रिचार्ज होता है, जबकि 35.78 बिलियन क्यूबिक मीटर पानी निकला जाता हैं।
पंजाब में भूजल स्तर नीचे गिरने के मुख्य कारण
1.अत्यधिक जल निकासी: भूजल का अत्यधिक दोहन करने से जल स्तर दिन प्रतिदिन घटे जा रहा है। यह अक्सर शहरी क्षेत्रों में देखने को मिलता है जहां जल की मांग अधिक होती है।
2. धान की खेती में में अत्यधिक जल प्रयोग: विशेषज्ञों के अनुसार, पिछले तीन दशकों में भूजल स्तर हर साल 50 से 55 सैंटीमीटर तक नीचे घट रहा है। इस गिरावट का सबसे बड़ा कारण धान की खेती है, जिसमें पानी की सबसे अधिक खपत होती है।वर्तमान में पंजाब में करीब 30 लाख हैक्टेयर क्षेत्र में धान की खेती की जाती है। जिस वजह से भूजल स्तर नीचे गिरते जा रहा हैं।
3. Water consevation: जल संचयन की कमी : वर्षा होने पर पानी को कंजर्व नहीं कर पाते है जिस वजह से (Ground water) भूजल रिचार्ज नहीं हो पाता है, जिससे जल स्तर नीचे गिर जाता है।
4. भूजल शोषण के लिए अनियंत्रित ड्रिलिंग : अनियंत्रित ड्रिलिंग और भूजल शोषण के कारण भी जल स्तर नीचे गिर जाता है।
5. Ground water recharg: भूजल रिचार्ज क्षेत्रों का नुकसान : शहरीकरण और विकास के कारण भूजल रिचार्ज क्षेत्रों का नुकसान हो सकता है, जिससे जल स्तर नीचे गिर सकता है।
पंजाब में भूजल स्तर को बचाने के लिए सरकार द्वारा किए गए महत्वपूर्ण कार्य
1 . वर्षा जल संचयन को बढ़ावा देना: सरकार ने वर्षा जल संचयन (Rain water harvesting system) को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं, जिससे भूजल को रिचार्ज किया जा सके।
2 . जल संचयन और प्रबंधन: सरकार ने जल संचयन और प्रबंधन (water conservation and management) के लिए कई योजनाएं शुरू की गई हैं, जैसे बांध, तालाब, नाला जिससे जल का सही तरीके से उपयोग किया जा सके
3 . Groundwater recharge: भूजल पुनर्भरण : सरकार ने भूजल पुनर्भरण के लिए
नई योजनाएं शुरू की हैं, जिससे भूजल को रिचार्ज किया जा सके।
4. कृषि में जल संचयन : सरकार ने कृषि में जल संचयन को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं, जिससे जल का सही तरीके से उपयोग किया जा सके।
पंजाब में जल संकट से संबंधित मुख्य FQS
यहां कुछ FAQs हैं जो इस जल संकट से संबंधित मुद्दे पर आधारित हैं:
1. पंजाब में जल संकट का मुख्य कारण क्या है?
पंजाब में जल संकट का मुख्य कारण अत्यधिक जल निकासी, धान की खेती में अत्यधिक पानी का उपयोग, वर्षा जल का संचयन न होना, और अनियंत्रित ड्रिलिंग है।
2. जल संरक्षण के उपाय क्या हो सकते हैं?
जल संरक्षण के उपायों में वर्षा जल संचयन, जल पुनर्भरण योजनाएं, कृषि में जल उपयोग को बेहतर बनाना, और जल प्रबंधन के तहत तालाब, बांध, नाले आदि का निर्माण शामिल हैं।
3. पंजाब में भूजल स्तर में कितनी गिरावट आई है?
पिछले दशक (2011-2020) में पंजाब के भूजल स्तर में 2 से 4 मीटर की गिरावट आई है। हर साल औसतन 50 सैंटीमीटर का गिरावट देखा जा रहा है।
4. पंजाब में जल संचयन के लिए सरकार क्या कदम उठा रही है?
सरकार वर्षा जल संचयन, जल पुनर्भरण योजनाओं, और कृषि में जल संचयन को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं चला रही है ताकि जल का सही उपयोग किया जा सके।
5. जल संकट से निपटने के लिए आम नागरिक क्या कर सकते हैं?
आम नागरिक वर्षा जल संचयन कर सकते हैं, पानी की बचत के उपायों को अपनाकर जल उपयोग को कम कर सकते हैं, और भूजल शोषण को रोकने के लिए जागरूकता फैलाने में मदद कर सकते हैं।