आज हम बात करेंगे स्मार्ट युग में होने वाली एक नई प्रगति की, 21वीं सदी में विज्ञान और प्रौद्योगिकी द्वारा एक नई देन, जिसके माध्यम से क्वांटम कम्प्यूटिंग एक प्रभावशाली क्रांतिकारी अवधारणा बनकर उभरी है। यह नई पीढ़ी की कम्प्यूटिंग तकनीक है, यह क्वांटम मैकेनिक्स के सिद्धांतों पर आधारित है।
ये तकनीकी परंपरागत कंप्यूटरों की सीमाओं को पार करने की क्षमता दर्शाती है। इसके द्वारा अत्यंत जटिल समस्याओं को मिनटों में हल कर सकते है, जिन्हें वर्तमान कंप्यूटर सैकड़ों वर्षों में हल कर पाते हैं। हम कह सकते हैं कि यह तकनीक सूचना संसाधन के क्षेत्र में एक नए युग की शुरुआत कर चुकी है। क्वांटम कम्प्यूटिंग’ नामक तकनीक केवल विज्ञान के क्षेत्र में ही उपयोगी नहीं होगा, बल्कि चिकित्सा, रक्षा, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, मौसम पूर्वानुमान एवं साइबर सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में भी क्रांतिकारी रूपांतरण दर्शाएगा।
इस तकनीकी का उपयोग आगे चल कर बहुत ज्यादा प्रभावशाली होगा और एक नई प्रगति को दर्शाएगा। इसका उपयोग नई दवाओं का शोध, पदार्थ विज्ञान, जटिल अनुकूलन समस्याओं (भावार्थ यातायात और लॉजिस्टिक्स) को समाधान करने, और उसके साथ ही वर्तमान क्रिप्टोग्राफी को तोड़ने एवं नए, सुरक्षित क्रिप्टोग्राफ़िक सिस्टम बनाने के लिए है, क्योंकि यह पारंपरिक कंप्यूटरों के मुकाबले जटिल से जटिल समस्याओं का मिनटों में स्पष्टीकरण कर सकता है।
क्वांटम कम्प्यूटिंग के मूल सिद्धांत क्या – क्या हैं ?
• क्वांटम बिट (Qubit) :
इसके माध्यम से कंप्यूटर एक समय में कई स्थितियों पर कार्य कर सकता है। क्लासिकल बिट मात्र 0 या 1 हो सकता है।आपको बता दें कि क्वांटम बिट एक समय में 0 और 1 दोनों हो सकता है।इस स्थिति को हम सुपरपोजीशन कहेंगे।
• सुपरपोजीशन (Superposition):
यह क्वांटम पद्धति की वह अवस्था है जिसमें एक कण एक साथ कई स्थितियों में होता है। इसके कारण क्वांटम कंप्यूटर को अत्याधिक डेटा प्रोसेसिंग की शक्ति प्राप्त होती है।
• एन्टैंगलमेंट (Entanglement) :
दो क्वांटम बिट्स जुड़ने पर वे एक-दूसरे की स्थिति को प्रभावित करते हैं, चाहे वे कितनी भी दूर हों। इससे डेटा का परस्पर समन्वय और प्रोसेसिंग अत्याधिक प्रभावशाली एवं निपुण बनती है।
• क्वांटम इंटरफेरेंस (Interference):
इसका इस्तेमाल योग्य परिणामों को बढ़ाने और अयोग्य को घटाने में किया जाता है। इस तकनीकी विकास से कम्प्यूटिंग क्षेत्र में बहुत शक्तिशाली क्रांति ने जन्म लिया है।
क्लासिकल और क्वांटम कंप्यूटर में क्या अंतर है ?
▪️सूचना की इकाई:
क्लासिकल कंप्यूटर सूचना को बिट्स के रूप में संसाधित करते हैं, जो 0 या 1 अवस्थाओं में हो सकते हैं। क्वांटम कंप्यूटर सूचना को क्यूबिट्स में संसाधित करते हैं, जो एक साथ 0, 1, या इन दोनों के सुपरपोजिशन में हो सकते हैं।
▪️प्रसंस्करण शक्ति:
क्लासिकल कंप्यूटर के उपयोग से बिट्स की काउंटिंग बढ़ने पर प्रसंस्करण शक्ति सरलरेखीय रूप से बढ़ती है। क्वांटम कंप्यूटर के माध्यम से क्यूबिट्स की संख्या बढ़ने पर प्रसंस्करण शक्ति घातांकीय रूप से बढ़ती है । जिसके द्वारा वे कुछ जटिल समस्याओं के लिए कई गुना तेज़ हो जाते हैं।
▪️कार्यक्षमता:
क्लासिकल कंप्यूटर की कार्यक्षमता की रेंज थोड़ी कम कह सकते है क्योंकि इसका उपयोग दैनिक प्रयोगों जैसे इंटरनेट ब्राउज़िंग या डेटा विखंडन (प्रशिक्षण) के लिए बहुत अच्छा हैं। क्वांटम कंप्यूटर जटिल सिमुलेशन, नई दवाओं और सामग्री की खोज, बड़े डेटासेट का परीक्षण और कुछ प्रकार के एन्क्रिप्शन को तोड़ने जैसे खास कार्यों के लिए उपयोग किए जाते हैं।
▪️त्रुटि दर:
क्लासिकल कंप्यूटर कम त्रुटि दर के कारण ज्यादा टिकाऊ होते हैं। यदि क्वांटम कंप्यूटर की बात करें तो वर्तमान में उच्च त्रुटि दर का अनुभव कर सकते हैं, क्योंकि वे बाहरी व्यवधानों के प्रति बहुत सचेत होते हैं।
▪️लागत और पहुँच:
क्वांटम कंप्यूटर पारंपरिक कंप्यूटरों के मुकाबले अत्याधिक महंगे होते हैं और इन्हें बनाना तथा बनाए रखना बहुत कठिन माना गया है।
क्वांटम कम्प्यूटिंग के उपयोगों पर एक नजर
(1) मेडिकल रिसर्च : नई दवाओं की खोज में बहुत प्रभावशाली तकनीकी है। प्रोटीन फोल्डिंग के विश्लेषण में बहुत बेहतर परिणाम देखने को मिले।
(2) क्रिप्टोग्राफी : मौजूदा एन्क्रिप्शन तकनीकों को तोड़ने की क्षमता रखता है।क्वांटम-सुरक्षित एन्क्रिप्शन के विकास में बहुत उपयोगी साबित हुआ है।
(3) आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग : बहुत तीव्र गति से डेटा प्रोसेसिंग दर्शाता है एवं पैटर्न पहचान के लिए तो तारीफ कम है।
(4) मौसम पूर्वानुमान और जलवायु मॉडलिंग :
जटिल वातावरणीय डेटा का अधिक सटीक विश्लेषण (परीक्षण) करता है। क्वांटम कम्प्यूटिंग बिल्कुल विश्वसनीय परिणाम देता है
(5) स्पेस टेक्नोलॉजी और भौतिकी :
ब्रह्मांड की मूलभूत संरचना की समझ में मददगार साबित हुआ है। तो दूसरी ओर क्वांटम सिमुलेशन द्वारा नया फिजिक्स मॉडल विकसित करने में बहुत उपयोगी है।
क्वांटम कम्प्यूटर बनाते समय कौनसी चुनौतियों का सामना भी करना पड़ता है ?
🔺 डिकोहेरेंस – Qubits जल्दी अपनी स्थिति खो देते हैं।
🔺त्रुटि सुधार – छोटे स्तर की गणना में भी बड़ी त्रुटियाँ हो सकती हैं।
🔺कम तापमान की आवश्यकता: क्वांटम कम्प्यूटर को अत्यंत ठंडे तापमान पर चलाया जाता है (~ -273°C)।
🔺महँगा निर्माण: क्वांटम हार्डवेयर बनाना बेहद महँगा और जटिल है।
🔺विशेषज्ञता की कमी: इस क्षेत्र में प्रशिक्षित वैज्ञानिक और इंजीनियरों की कमी है।
क्वांटम कम्प्यूटिंग क्षेत्र से कुछ प्रमुख कंपनियाँ और संस्थान :
(1) Google Quantum AI-Sycamore क्वांटम कम्प्यूटर
(2) IBM Q System One
(3) D-Wave Systems – क्वांटम एनालॉग सिस्टम
(4) Microsoft Azure Quantum
(5) Rigetti Computing
(6) भारत सरकार का ‘राष्ट्रीय क्वांटम मिशन (NQM)’ – 2023 में घोषित
क्वांटम कंप्यूटिंग में भविष्य की मुख्य संभावनाएँ निम्न
• आगे जाकर क्रांतिकारी बदलाव लाने वाली तकनीक साबित होगी।
• चिकित्सा, साइबर सुरक्षा, जलवायु नियंत्रण, और फाइनेंस में बड़े बदलाव होने की संभावना है।
• आने वाले 10–20 वर्षों में क्वांटम कंप्यूटर मुख्यधारा में आ सकते हैं।
• इसका सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक ढाँचे पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है। इसका उपयोग सही के लिए होगा तो बहुत प्रगति देखने को मिलेगी अन्यथा कुछ असमाजिक तत्व हर समय समस्या उत्पन्न करने के लिए योजनाएं बनाते रहते हैं।
भारत और क्वांटम कम्प्यूटिंग
भारत सरकार ने भी इस क्षेत्र में सक्रिय पहल की है। 2020 में “राष्ट्रीय क्वांटम मिशन” (National Quantum Mission) की घोषणा की गई, जिसका उद्देश्य देश में क्वांटम प्रौद्योगिकी के विकास को बढ़ावा देना है। भारत में आईआईटी, आईआईएससी, और इसरो जैसे संस्थान इस तकनीक पर अनुसंधान कर रहे हैं। इसके अलावा, निजी कंपनियाँ और स्टार्टअप भी इस दिशा में कार्यरत हैं।
क्वांटम कंप्यूटिंग विज्ञान और प्रौद्योगिकी का नया और अत्याधिक प्रभावशाली कदम है। इसकी क्षमताएँ आज की कल्पनाओं से बहुत परे हैं। यह तकनीक मानव जाति के सामने आने वाली कई बड़ी चुनौतियों का समाधान बन सकती है, बशर्ते हम इसके विकास में सतत निवेश और अनुसंधान जारी रखें। यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि क्वांटम कम्प्यूटिंग आने वाले समय की आधारशिला सिद्ध होगी।
आध्यात्मिक क्षेत्र में क्वांटम कम्प्यूटिंग तकनीक का उपयोग
भविष्य में प्राचीन ग्रंथों और प्रतीकों का विश्लेषण में बहुत उपयोगी साबित हो सकता है। क्वांटम कंप्यूटिंग की विशाल प्रोसेसिंग शक्ति का उपयोग करके वैदिक ग्रंथों, मंत्रों और प्रतीकों के संरचनात्मक और ध्वन्यात्मक विश्लेषण को बेहतर बनाया जा सकता है। उदाहरण: संस्कृत के मंत्रों की कंपन आवृत्ति और मानव शरीर या मन पर प्रभाव को गहराई से विश्लेषित किया जा सकता है।
क्वांटम कंप्यूटिंग आध्यात्मिकता को “नापने” का नहीं, बल्कि उसे “समझने” का एक उपकरण हो सकता है। यह मानव चेतना, अनुभव और ब्रह्मांड की प्रकृति को समझने की वैज्ञानिक कोशिशों में एक सेतु बना सकता है, बशर्ते उसका प्रयोग सही दृष्टिकोण और संवेदनशीलता के साथ किया जाए।