21वीं सदी में तकनीक ने हमारे जीवन को जिस प्रकार प्रभावित किया है, उसमें सोशल मीडिया एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। खासकर किशोरों के जीवन में सोशल मीडिया अब एक दिनचर्या बन चुकी है। चाहे वह इंस्टाग्राम हो, व्हाट्सएप, यूट्यूब या स्नैपचैट — किशोरों की पहचान, सोच और सामाजिक जीवन इन माध्यमों से गहराई से जुड़ गया है। आज की पीढ़ी के लिए सोशल मीडिया केवल मनोरंजन का माध्यम नहीं, बल्कि खुद को अभिव्यक्त करने, सीखने और दुनिया से जुड़ने का साधन बन चुका है।
मुख्य बिंदु :
(1) सोशल मीडिया को केवल नकारात्मक दृष्टिकोण से नहीं देखना चाहिए क्योंकि इसका सदुपयोग बच्चों के हित में अनेकों अवसर एवं लाभ प्रदान करता है।
(2) ध्यान रहे कि सोशल मीडिया का दुरुपयोग होने पर यह अनेकों दुष्प्रभाव उत्पन्न कर देता है।
(3) सोशल मीडिया का उपयोग किशोरों के मानसिक विकास और आत्म- छवि पर गहरा प्रभाव डालता है।
(4) सोशल मीडिया की लत एक गंभीर बीमारी जैसी हो जाती है, यदि कोई किशोर इसका शिकार हो जाता है तो उसके मानसिक और सामाजिक जीवन को बहुत प्रभावित करता है।
(5) किशोरों को सोशल मीडिया के नकारात्मक और सकारात्मक प्रभाव के संबंध में मार्गदर्शन देना बहुत जरूरी है।
(6) सोशल मीडिया का पूर्णतः बहिष्कार करना कोई समाधान नहीं है बल्कि जरूरत जा संतुलन बनाने की और इसका उपयोग सीमित समय के लिए ही करना चाहिए।
(7) प्रत्येक व्यक्ति को चाहिए अपने किशोरों को समझाए कि इसका सदुपयोग और संतुलन पर वे कैसे ध्यान दें।
सोशल मीडिया के सकारात्मक प्रभाव क्या हैं?
सोशल मीडिया को केवल नकारात्मक दृष्टिकोण से देखना उचित नहीं है। यदि सही तरीके से इसका उपयोग किया जाए तो यह किशोरों के लिए कई अवसर और लाभ लेकर आता है:
• पढ़ाई और सीखने में मदद: यूट्यूब, गूगल क्लासरूम, ऑनलाइन ट्यूटोरियल्स जैसे प्लेटफॉर्म पढ़ाई को रोचक और सरल बना रहे हैं। विद्यार्थी कहीं भी, कभी भी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
• नए कौशल और अवसरों की खोज:
सोशल मीडिया के माध्यम से किशोर फोटोग्राफी, लेखन, कोडिंग, संगीत आदि में रुचि लेकर अपने हुनर को पहचान सकते हैं और प्रदर्शित कर सकते हैं।
• रिश्तों को मजबूत करने का साधन:
दूर रहने वाले रिश्तेदारों और दोस्तों से जुड़ने का यह सरल माध्यम बन चुका है। इससे सामाजिक संबंधों में मजबूती आती है।
सोशल मीडिया के नकारात्मक प्रभाव क्या हैं?
जहाँ सोशल मीडिया अवसरों के द्वार खोलता है, वहीं इसके अत्यधिक या अनुचित उपयोग से कई समस्याएं भी उत्पन्न होती हैं:
पढ़ाई और ध्यान में गिरावट: सोशल मीडिया पर अत्यधिक समय बिताने से पढ़ाई में ध्यान कम हो जाता है, जिससे शैक्षणिक प्रदर्शन प्रभावित होता है।
साइबर बुलिंग और मानसिक तनाव: ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर ट्रोलिंग, अपमानजनक टिप्पणियाँ और साइबर बुलिंग से किशोर मानसिक रूप से आहत हो सकते हैं।
नींद और स्वास्थ्य पर असर:
देर रात तक मोबाइल उपयोग से नींद की गुणवत्ता खराब होती है, जो स्वास्थ्य पर विपरीत असर डालता है।
वास्तविक रिश्तों से दूरी: सोशल मीडिया की आभासी दुनिया में इतना खो जाना कि अपने परिवार और सच्चे दोस्तों से दूर हो जाना एक गंभीर सामाजिक समस्या बन चुकी है।
किशोरों पर सोशल मीडिया का मनोवैज्ञानिक असर
सोशल मीडिया का उपयोग किशोरों के मानसिक विकास और आत्म-छवि पर गहरा प्रभाव डालता है। आत्मसम्मान और आत्मविश्वास पर बहुत प्रभाव होता है जैसे कि लाइक और कमेंट्स के आधार पर अपनी कीमत आंकने की प्रवृत्ति किशोरों के आत्मसम्मान को कमजोर कर सकती है। तुलना और ईर्ष्या की समस्या भी उत्पन्न हो सकती है। दूसरों की “परफेक्ट” तस्वीरें और जीवनशैली देखकर खुद की तुलना करने की आदत से ईर्ष्या और हीन भावना पैदा हो सकती है। पहचान और व्यक्तित्व का संकट भी घेर सकता है। किशोर अपनी असली पहचान खोकर सोशल मीडिया पर दूसरों को प्रभावित करने वाली छवि अपनाने लगते हैं, जिससे उनकी व्यक्तिगत पहचान धुंधली हो जाती है।
सोशल मीडिया लत (Addiction) एक गंभीर बीमारी के समान है साथ इसके बहुत खतरे हैं :
सोशल मीडिया की लत एक गंभीर समस्या बनती जा रही है, जिससे किशोरों का मानसिक और सामाजिक जीवन प्रभावित हो रहा है:
(1)समय की बर्बादी: घंटों तक स्क्रोलिंग, वीडियो देखना या चैट करना समय की बर्बादी है, जिससे पढ़ाई और रचनात्मक कार्यों पर असर पड़ता है।
(2) डिप्रेशन और एंग्जायटी का बढ़ना: लगातार ऑनलाइन रहना, दूसरों से तुलना, और साइबर दबाव से किशोरों में तनाव, अवसाद और चिंता की समस्याएँ बढ़ रही हैं।
अपने किशोरों को गाइड करने में परिवार और समाज की भूमिका क्या है ?
किशोरों को सोशल मीडिया के सकारात्मक उपयोग के लिए मार्गदर्शन देना जरूरी है, और इसमें परिवार और समाज की भूमिका महत्वपूर्ण होती है:
▪️पैरेंटल कंट्रोल और निगरानी जरूरत: अभिभावकों को चाहिए कि वे अपने बच्चों की ऑनलाइन गतिविधियों पर नजर रखें, लेकिन उनके साथ विश्वास का रिश्ता भी बनाए रखें।
▪️सकारात्मक संवाद और सहयोग: बच्चों से संवाद कर उन्हें सोशल मीडिया के लाभ और हानियों के बारे में बताया जाए। उन्हें प्रेरित करें कि वे सीमित और सार्थक उपयोग करें।
सोशल मीडिया के उपयोग में संतुलन की आवश्यकता
सोशल मीडिया का सही तरीका
सोशल मीडिया का पूर्ण रूप से बहिष्कार करना समाधान नहीं है। ज़रूरी है संतुलन बनाना:
• सोशल मीडिया का उपयोग सीमित समय के लिए करें।
• केवल शिक्षाप्रद और सकारात्मक सामग्री देखें।
• ऑफलाइन जीवन को प्राथमिकता दें – परिवार के साथ समय बिताएं, खेलें, पढ़ें और रचनात्मक कार्यों में हिस्सा लें।
सोशल मीडिया एक शक्तिशाली साधन है, जो किशोरों के विकास में सहायक भी हो सकता है और बाधक भी। इसका उपयोग कैसे किया जाए, यह निर्णय ही इसका प्रभाव तय करता है। इसलिए ज़रूरत है समझदारी और संतुलन की। परिवार, स्कूल और समाज को मिलकर यह सुनिश्चित करना होगा कि किशोर सोशल मीडिया का उपयोग एक उपकरण की तरह करें, न कि अपने जीवन का केंद्र बना लें। संत रामपाल जी महाराज जी ने किशोरों और बालकों को एक नई दिशा दी है। उनके सभी अनुयायी ना केवल सोशल मीडिया पर एक्टिव हैं और सराहनीय कार्य कर रहे हैं बल्कि वे सोशल मीडिया के सभी नकारात्मक प्रभावों से स्वतः ही दूर हैं। अधिक जानकारी के लिए देखें साधना टीवी प्रतिधिन शाम साढ़े सात बजे।