उत्तर प्रदेश में शहरी पुनर्लेखन: प्रदेश में पिछले वर्षों में शहरीकरण की गति तेजी से बढ़ी है। नीति‑विश्लेषण के अनुसार, कई शहरों में पुरानी कॉलोनियाँ, सरकारी खाली फ्लैट्स, अनधिकृत बस्तियाँ और उपयोग‑रहित भूमि‑खंड रह गए हैं। इन क्षेत्रों का पुनर्विकास न होने से न केवल निवेश का अवसर खो रहा था बल्कि शहरों की गुणवत्ता‑जीवन पर असर पड़ा। इस पृष्ठभूमि में उत्तर प्रदेश सरकार ने 14 अक्टूबर 2025 को नई शहरी पुनर्विकास नीति प्रस्तुत की है। मुख्यमंत्री ने कहा है कि “हमारे शहर सिर्फ इमारतों का समूह नहीं, बल्कि जीवंत सामाजिक संरचनाएं हैं।”
नीति‑रूपरेखा एवं प्रमुख प्रावधान
भूमि पुनर्गठन व निजी निवेश
राज्य ने जारी किया कि पुरानी और उपयोग‑हीन भूमि या जीर्ण‑बस्तियां पुनर्गठित की जाएँगी। निजी सेक्टर को PPP (सार्वजनिक‑निजी भागीदारी) मॉडल के तहत निवेश के लिए प्रेरित किया जाएगा, जिसमें स्पष्ट गाइडलाइन और सुरक्षा‑प्रावधान होंगे।

एक‑विंडो मंजूरी व राज्य‑स्तरीय प्राधिकरण
नीति में राज्य स्तरीय पुनर्विकास प्राधिकरण तथा एक‑विंडो क्लियरेंस सिस्टम की व्यवस्था प्रस्तावित है, ताकि परियोजनाएँ तेजी से और पारदर्शी तरीके से क्रियान्वित हों।
सार्वजनिक हित व आजीविका सुरक्षा
हर परियोजना में यह सुनिश्चित किया जाएगा कि किसी की संपत्ति अथवा आजीविका अछूती रहे। नीति में ‘पब्लिक इंटरस्ट फर्स्ट’ सिद्धांत को प्रमुखता दी गई है।
ग्रीन बिल्डिंग व टिकाऊ विकास
पुनर्विकास योजनाओं में ग्रीन‑बिल्डिंग मानक, ऊर्जा‑कुशल निर्माण व पर्यावरण‑संतुलन अनिवार्य होंगे।
क्षेत्र‑वार रणनीति
उत्तरे‑हाल, पुरानी मार्केट्स, सरकारी फ्लैट्स, औद्योगिक क्षेत्र व अनधिकृत बस्तियों हेतु अलग रणनीति तैयार की जाएगी।
अपेक्षित लाभ एवं अवसर
बेहतर जीवन‑उपकरण व शहर‑परिदृश्य
इस नीति से उन्नत सड़क‑नेटवर्क, स्वच्छ जल‑निगम, पार्क‑विषयक क्षेत्र, आधुनिक स्टॉर्म‑ड्रेनेज जैसे बुनियादी ढाँचे का विस्तार होगा।
निवेश प्रवाह व आर्थिक उत्साह
निजी निवेश को आकर्षित करने के लिए स्पष्ट नीति‑अवसर और संरचनात्मक सुधार होंगे, जिससे आर्थिक गतिविधि बढ़ेगी।
नियोजन‑क्षमता व नागरिक सुविधा
राज्य‑स्तरीय प्राधिकरण व त्वरित मंजूरी माहौल शहरी परियोजनाओं को तेज गति देगा।
चुनौतियाँ और जोखिम
राज्यों‑विभिन्न शहरों में असमान क्षमता
उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में विभिन्न जिलों की शासन‑क्षमता, जमीन‑हिस्सेदारी और स्थानीय संरचना भिन्न हैं। नीति का क्रियान्वयन समान रूप से सुनिश्चित करना चुनौती है।
निजी‑सेक्टर की भागीदारी एवं जोखिम‑प्रबंधन
PPP मॉडल में निवेश लाने हेतु जोखिम‑राहतें, मुनाफा‑स्थितियाँ व कानूनी स्पष्टता महत्वपूर्ण होंगे।
सामाजिक संवेदनशीलता और आजीविका संरक्षण
बस्तियों के पुनर्विकास में लोगों की आजीविका, स्थानांतरण और पुनर्स्थापन प्रक्रिया बसावट‑सक्षम होनी चाहिए वरना विरोध का सामना करना पड़ सकता है।
पर्यावरण‑उचित निर्माण
जब आधुनिक निर्माण और ग्रीन बिल्डिंग मानक लागू होंगे, तब स्थानीय वातावरण, ध्वनि‑दूषण व सांस्कृतिक विरासत‑रक्षा को सटीक संयोजन में करना होगा।
शहर केवल इमारतें नहीं
संत रामपाल जी महराज की सतज्ञान की शिक्षा हमें याद दिलाती है कि विकास केवल भौतिक क्रिया नहीं बल्कि मानव‑कल्याण, सम्मान और सामूहिक प्रगति का मार्ग है। शहरी पुनर्विकास तभी सार्थक होगा जब उसमें सिर्फ ईंट‑सीमेंट नहीं, बल्कि लोगों की लड़ाई, उनकी आजीविका, उनके सपने और उनकी गरिमा का समावेश हो। जब शहरों में हवा, पानी, स्वास्थ्य, रोजगार सबके लिए हों, तब ही यह नीति सच्चे अर्थों में जीवन‑परिवर्तन बनेगी।
आगे का रास्ता
प्रारंभिक पायलट व मॉनिटरिंग
प्रस्तावित नीति के तहत की‑शहरों में पायलट योजना चलानी होगी और उसके परिणामों पर आधार‑शहरों में विस्तार करना होगा।
मापदंड व सार्वजनिक जवाबदेही
शहरी‑प्राधिकरणों को प्रस्तावित परियोजनाओं का डेटा‑बेस, माइलस्टोन और नागरिक‑सहभागिता के माध्यम से नियमित रिपोर्ट देना आवश्यक होगा।
समावेशी भागीदारी व स्थानीय स्तर पर संवाद
स्थानीय निकायों, समाज‑सेवाओं और नागरिकों को नीति‑निर्माण में शामिल किया जाना चाहिए ताकि अर्थ, उपयोग व परिणामी बदलाव सबके लिए हो।
FAQs: उत्तर प्रदेश – शहरी पुनर्विकास नीति 2025
Q1. यह नई नीति कब पेश की गई?
हाल ही में अक्टूबर 2025 में उत्तर प्रदेश सरकार ने इस नीति की रूपरेखा प्रस्तुत की।
Q2. नीति का मुख्य उद्देश्य क्या है?
पुरानी और अनौपचारिक शहरी बस्तियों, सरकारी फ्लैट्स व खाली भूमि को आधुनिक बुनियादी ढाँचे में बदलना एवं निजी‑निवेश को आकर्षित करना।
Q3. निजी‑सेक्टर को क्या लाभ व प्रोत्साहन मिलेंगे?
एक‑विंडो क्लियरेंस, निजी‑निवेश हेतु गाइडलाइंस, स्पष्टीकरण व जोखिम‑राहत की व्यवस्था की गई है।
Q4. सामाजिक‑आजिविका सुरक्षा किस प्रकार सुनिश्चित होगी?
नीति में स्पष्ट प्रावधान हैं कि किसी की सम्पत्ति या आजीविका को नुकसान नहीं होगा और पुनर्स्थापन व मसौदा‑दृष्टिकोण पहले तैयार होगा।
Q5. नीति लागू होने से क्या चुनौतियाँ हैं?
प्रदेश के विभिन्न जिलों में संसाधन‑क्षमता की भिन्नता, निजी‑निवेश आकर्षण, सामाजिक‑संवेदनशीलता और पर्यावरण‑मानकों का पालन प्रमुख चुनौतियाँ हैं।