Van Mahotsav 2025: यूपी में 35 करोड़ पौधारोपण, पर्यावरण संरक्षण का महाअभियान – एक हरित भविष्य की ओर बढ़ता कदम

Van Mahotsav 2025 in hindi

लखनऊ, उत्तर प्रदेश: पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास की दिशा में एक अभूतपूर्व पहल करते हुए, उत्तर प्रदेश सरकार ने ‘वृक्ष लगाएं, जीवन बचाएं’ के नारे के साथ एक महत्वाकांक्षी 35 करोड़ पौधों के रोपण अभियान का विधिवत शुभारंभ किया है| 1 जुलाई, 2025 से 7 जुलाई, 2025 तक मनाए जा रहे ‘वन महोत्सव’ के एक महत्वपूर्ण हिस्से के रूप में यह वृक्षारोपण कार्यक्रम राज्यभर में व्यापक स्तर पर चलाया जा रहा है।

इस अभियान का प्राथमिक उद्देश्य राज्य के हरित आवरण में उल्लेखनीय वृद्धि करना, बढ़ती पर्यावरणीय चुनौतियों का सामना करना और राज्य के नागरिकों के लिए एक स्वच्छ एवं स्वस्थ वातावरण सुनिश्चित करना है। इस पहल में वन एवं वन्यजीव विभाग सहित विभिन्न सरकारी विभाग, गैर-सरकारी संगठन, शिक्षण संस्थान और आम जनता सक्रिय रूप से भाग ले रहे हैं। इस अभियान से वायु गुणवत्ता में सुधार, भूजल स्तर में सुधार, मिट्टी के कटाव की रोकथाम और जैव विविधता के संरक्षण सहित अनेक पर्यावरणीय लाभों की उम्मीद की जा रही है, जिससे राज्य के नागरिकों के लिए एक बेहतर और हरित भविष्य सुनिश्चित हो सके।

मुख्य बिंदु:

  • उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा ‘वृक्ष लगाएं, जीवन बचाएं’ थीम पर 35 करोड़ पौधारोपण अभियान का शुभारंभ।
  • यह अभियान 1 से 7 जुलाई, 2025 तक ‘वन महोत्सव’ के रूप में मनाया जा रहा है।
  • अभियान का लक्ष्य राज्य के हरित आवरण को बढ़ाना और पर्यावरण को स्वस्थ बनाना।
  • वन एवं वन्यजीव विभाग के साथ 27 अन्य सरकारी विभाग इस अभियान में शामिल हैं।
  • स्कूलों, कॉलेजों, स्वयंसेवी संगठनों और आम जनता की सक्रिय भागीदारी को प्रोत्साहित किया जा रहा है।
  • अभियान के तहत 52.33 करोड़ से अधिक पौधे तैयार किए गए हैं, जिसमें विभिन्न प्रजातियों के पेड़ शामिल हैं।
  • मुख्यमंत्री के नेतृत्व में वृहद स्तर पर पौधारोपण किया जाएगा।
  • यह पहल जलवायु परिवर्तन, वायु प्रदूषण और भूजल स्तर में गिरावट जैसी चुनौतियों से निपटने में सहायक होगी।
  • वृक्षारोपण से जैव विविधता बढ़ेगी और मिट्टी का कटाव रुकेगा।
  • उत्तर प्रदेश का लक्ष्य देश में सर्वाधिक पौधारोपण कर एक नया रिकॉर्ड स्थापित करना है।

अभियान का व्यापक स्वरूप और लक्ष्य:

उत्तर प्रदेश, अपनी विशाल जनसंख्या और भौगोलिक विस्तार के कारण, पर्यावरण संतुलन बनाए रखने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। पिछले कुछ वर्षों में, शहरीकरण, औद्योगीकरण और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के कारण पेड़ों की कटाई में वृद्धि हुई है, जिससे वायु गुणवत्ता में गिरावट, भूजल स्तर में कमी और जैव विविधता का नुकसान जैसी समस्याएं उत्पन्न हुई हैं। इन चुनौतियों का सामना करने के लिए, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में राज्य सरकार ने इस विशाल पौधारोपण अभियान की परिकल्पना की है, जिसका लक्ष्य न केवल हरियाली बढ़ाना है, बल्कि पर्यावरण के प्रति जन जागरूकता पैदा करना भी है।

वन एवं वन्यजीव विभाग इस अभियान के लिए नोडल एजेंसी के रूप में कार्य कर रहा है, जिसके साथ 27 अन्य सरकारी विभाग भी मिलकर काम कर रहे हैं। इनमें कृषि, ग्रामीण विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य, उद्यान, रेशम और राजस्व विभाग प्रमुख हैं। इस सहयोगात्मक दृष्टिकोण का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि पौधारोपण केवल वन क्षेत्रों तक ही सीमित न रहे, बल्कि ग्राम पंचायतों, स्कूलों, कॉलेजों, सरकारी कार्यालय परिसरों, सड़कों के किनारे, नहरों के किनारे और व्यक्तिगत भूमि पर भी व्यापक रूप से किया जा सके।

पौधों की उपलब्धता और तैयारी:

अभियान की सफलता सुनिश्चित करने के लिए, वन विभाग और उसकी देखरेख में विभिन्न एग्रो-क्लाइमेट जोन की नर्सरियों में 52.33 करोड़ से अधिक स्वस्थ पौधे तैयार किए गए हैं। इन पौधों में विभिन्न प्रजातियों के पौधे शामिल हैं, जिनमें फलदार वृक्ष (आम, अमरूद), औषधीय पौधे (नीम, सहजन), छायादार वृक्ष (शीशम, सागौन), और पर्यावरण-अनुकूल पेड़ (पीपल, बरगद) शामिल हैं।

यह विविधता न केवल पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने में मदद करेगी, बल्कि स्थानीय कृषि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा देगी। इसके अतिरिक्त, रोपण के लिए 72,912 हेक्टेयर से अधिक भूमि पर अग्रिम मिट्टी का काम पूरा कर लिया गया है, जो अभियान के सुचारु कार्यान्वयन के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।

जनभागीदारी का महत्व:

इस अभियान की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता इसकी जनभागीदारी पर जोर देना है। सरकार का मानना है कि पर्यावरण संरक्षण केवल सरकारी प्रयासों से संभव नहीं है, बल्कि इसमें प्रत्येक नागरिक की सक्रिय भूमिका आवश्यक है। इसी उद्देश्य से, स्कूलों और कॉलेजों के छात्रों, राष्ट्रीय सेवा योजना (NSS) और राष्ट्रीय कैडेट कोर (NCC) के स्वयंसेवकों, स्वयं सहायता समूहों, गैर-सरकारी संगठनों और आम जनता को बड़े पैमाने पर अभियान में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। ग्राम प्रधानों और स्थानीय निकायों को भी अपने-अपने क्षेत्रों में पौधारोपण की जिम्मेदारी दी गई है। यह जन आंदोलन, वृक्षारोपण को एक सामाजिक उत्सव में बदल देगा, जिससे लोगों में अपने पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी की भावना मजबूत होगी।

अभियान के संभावित लाभ:

उत्तर प्रदेश का यह 35 करोड़ पौधारोपण अभियान दूरगामी पर्यावरणीय और सामाजिक-आर्थिक लाभ प्रदान करेगा:

  • वायु गुणवत्ता में सुधार: अधिक पेड़ कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करते हैं और ऑक्सीजन छोड़ते हैं, जिससे वायु प्रदूषण कम होता है और हवा की गुणवत्ता में सुधार होता है। यह विशेष रूप से शहरी और औद्योगिक क्षेत्रों के लिए महत्वपूर्ण है।
  • जलवायु परिवर्तन से मुकाबला: वृक्षारोपण ग्लोबल वार्मिंग को कम करने में मदद करता है। पेड़ कार्बन सिंक के रूप में कार्य करते हैं, जिससे वातावरण से ग्रीनहाउस गैसों की मात्रा कम होती है।
  • भूजल स्तर में वृद्धि: पेड़ों की जड़ें मिट्टी को बांधकर रखती हैं और वर्षा जल को भूमिगत जल स्तर में रिचार्ज करने में मदद करती हैं, जो पानी की कमी वाले क्षेत्रों के लिए महत्वपूर्ण है।
  • मिट्टी का कटाव रोकथाम: वृक्षारोपण मिट्टी के कटाव को रोकने में मदद करता है, खासकर बाढ़ और भारी बारिश के दौरान, जिससे कृषि योग्य भूमि का संरक्षण होता है।
  • जैव विविधता का संरक्षण: वृक्षारोपण विभिन्न प्रकार के पौधों और जीवों के लिए आवास प्रदान करता है, जिससे जैव विविधता बढ़ती है और पारिस्थितिकी तंत्र मजबूत होता है।
  • तापमान नियंत्रण: घने वृक्षारोपण से शहरी ताप द्वीप प्रभाव (Urban Heat Island Effect) को कम करने में मदद मिलती है, जिससे स्थानीय तापमान कम होता है और शहरों में गर्मी से राहत मिलती है।
  • आर्थिक लाभ: फलदार और इमारती लकड़ी वाले पेड़ों का रोपण स्थानीय समुदायों के लिए आय का स्रोत बन सकता है। नर्सरी उद्योग और संबंधित गतिविधियों में रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे।
  • सामाजिक और मानसिक स्वास्थ्य: हरे-भरे वातावरण का मानसिक स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। यह तनाव कम करने और शारीरिक गतिविधि को बढ़ावा देने में मदद करता है।

पिछली सफलताएं और आगे की योजना:

उत्तर प्रदेश सरकार ने पिछले वर्षों में भी बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण अभियान चलाए हैं, और कई बार रिकॉर्ड स्थापित किए हैं। यह अनुभव वर्तमान अभियान की सफलता के लिए एक मजबूत आधार प्रदान करता है। सरकार ने पौधारोपण के बाद उनकी निगरानी और संरक्षण पर भी विशेष ध्यान दिया है। जीपीएस ट्रैकिंग और मोबाइल एप्लिकेशन का उपयोग करके लगाए गए पौधों की वृद्धि और स्थिति पर नज़र रखी जा रही है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि पौधे जीवित रहें और बड़े हों।

यूपी सरकार ने “Vriksharopan Jan Abhiyan” नामक एक ऐप लॉन्च किया है, जिससे लोग अपने लगाए पौधे की तस्वीर अपलोड कर सकते हैं और सरकार उसकी निगरानी कर सकती है। इससे पारदर्शिता और उत्तरदायित्व दोनों सुनिश्चित हो रहे हैं।

मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे यह सुनिश्चित करें कि पौधों का रोपण सही स्थानों पर और वैज्ञानिक तरीके से किया जाए, ताकि उनकी उत्तरजीविता दर को अधिकतम किया जा सके। उन्होंने यह भी कहा कि इस अभियान को केवल एक रस्म नहीं, बल्कि एक स्थायी आंदोलन बनाना है।

निष्कर्ष

उत्तर प्रदेश का 35 करोड़ पौधारोपण अभियान केवल एक संख्या का खेल नहीं है, बल्कि यह एक प्रतिबद्धता है – एक हरित, स्वस्थ और समृद्ध उत्तर प्रदेश के निर्माण की प्रतिबद्धता। यह अभियान न केवल राज्य के प्राकृतिक सौंदर्य को बढ़ाएगा, बल्कि जलवायु परिवर्तन के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में भी भारत के योगदान को मजबूत करेगा। यह वास्तव में ‘वृक्ष लगाएं, जीवन बचाएं’ के दर्शन को चरितार्थ करता है और भविष्य की पीढ़ियों के लिए एक बेहतर विरासत छोड़ने का मार्ग प्रशस्त करता है।

धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण

भारत में वृक्षों को हमेशा पवित्र माना गया है। तुलसी, पीपल, नीम जैसे वृक्षों की पूजा होती है। वेदों में भी कहा गया है:

 “वृक्षो रक्षति रक्षितः” – जो वृक्षों की रक्षा करता है, वृक्ष उसकी रक्षा करते हैं।

संतों और महापुरुषों ने भी हमेशा प्रकृति के संरक्षण का संदेश दिया है। इसी संदर्भ में हम अब इसे आध्यात्मिक दृष्टिकोण से समझते हैं।

उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा शुरू किया गया 35 करोड़ पौधारोपण अभियान न केवल पर्यावरणीय स्थिरता के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, बल्कि यह संत रामपाल जी महाराज के आध्यात्मिक ज्ञान और शिक्षाओं के भी अनुरूप है। संत रामपाल जी महाराज अपने सत्संगों और प्रवचनों में पर्यावरण संरक्षण, प्रकृति के साथ सामंजस्य और जीव दया के महत्व पर विशेष बल देते हैं। उनका ज्ञान बताता है कि यह प्रकृति और पृथ्वी हमें परमात्मा द्वारा प्रदान की गई एक अनमोल भेंट है, और इसकी रक्षा करना हमारा परम कर्तव्य है।

संत रामपाल जी महाराज के अनुसार, मनुष्य का प्रकृति के प्रति बढ़ता शोषण ही आज जलवायु परिवर्तन, प्राकृतिक आपदाओं और बीमारियों का मूल कारण है। वे अक्सर बताते हैं कि हमारे शास्त्रों में भी वृक्षों और प्रकृति के पूजन का विधान रहा है, क्योंकि ये हमें जीवनदायिनी हवा, जल और भोजन प्रदान करते हैं।

उनके अनुयायी भी समय-समय पर बड़े स्तर पर वृक्षारोपण अभियानों में भाग लेते हैं और पर्यावरण संरक्षण का संदेश फैलाते हैं।

इस प्रकार, उत्तर प्रदेश का यह वृहद पौधारोपण अभियान केवल एक सरकारी योजना नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक जिम्मेदारी की पूर्ति भी है। जब हम वृक्ष लगाते हैं, तो हम न केवल पर्यावरण को सुधारते हैं, बल्कि अपनी आत्मा को भी शुद्ध करते हैं और परमात्मा द्वारा रचित संसार का सम्मान करते हैं। यह अभियान हमें यह भी सिखाता है कि सामूहिक प्रयास और जनभागीदारी से ही बड़े लक्ष्य प्राप्त किए जा सकते हैं, जैसा कि संत जी भी ‘मानव धर्म’ और ‘जीव हमारी जाति है’ के माध्यम से समाज को एक होने का संदेश देते हैं।

उत्तर प्रदेश में 35 करोड़ पौधारोपण अभियान से संबंधित FAQs

प्रश्न1: उत्तर प्रदेश में 35 करोड़ पौधारोपण अभियान कब शुरू हुआ है?

उत्तर प्रदेश में 35 करोड़ पौधारोपण अभियान 1 जुलाई, 2025 को ‘वन महोत्सव’ के हिस्से के रूप में शुरू हुआ है।

प्रश्न2: यूपी के इस वृक्षारोपण अभियान का मुख्य लक्ष्य क्या है?

इस अभियान का मुख्य लक्ष्य उत्तर प्रदेश के हरित आवरण को बढ़ाना, जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करना, वायु गुणवत्ता में सुधार करना और पर्यावरण को स्वस्थ बनाना है।

प्रश्न3: इस अभियान में कौन-कौन से विभाग शामिल हैं?

इस अभियान में वन एवं वन्यजीव विभाग के साथ-साथ कृषि, ग्रामीण विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य, उद्यान और राजस्व सहित कुल 27 सरकारी विभाग मिलकर काम कर रहे हैं।

प्रश्न4: पौधारोपण से पर्यावरण को क्या लाभ होते हैं?

पौधारोपण से वायु गुणवत्ता में सुधार होता है, कार्बन डाइऑक्साइड कम होती है, भूजल स्तर बढ़ता है, मिट्टी का कटाव रुकता है और जैव विविधता का संरक्षण होता है।

प्रश्न5: क्या आम जनता भी इस पौधारोपण अभियान में भाग ले सकती है?

हां, आम जनता, स्कूल, कॉलेज और स्वयंसेवी संगठन भी इस अभियान में सक्रिय रूप से भाग ले सकते हैं और पौधारोपण कर सकते हैं।

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