राहुल गांधी के फर्जी वोटर लिस्ट आरोप बनाम चुनाव आयोग की सच्चाई: बैंगलोर सेंट्रल सीट विवाद का पूरा विश्लेषण

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7 अगस्त 2025 को लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर भारत की चुनाव प्रणाली की पारदर्शिता पर गंभीर प्रश्न उठाए। उनका दावा था कि लोकसभा चुनाव 2024 के दौरान, खासकर बैंगलोर सेंट्रल लोकसभा सीट पर लगभग 1.25 लाख फर्जी वोट दर्ज किए गए, जिससे चुनाव की निष्पक्षता पर संदेह गहराया।

राहुल गांधी ने ‘आदित्य श्रीवास्तव’ और ‘विशाल सिंह’ नामक दो व्यक्तियों का उदाहरण देते हुए दावा किया कि इनका नाम कई राज्यों की मतदाता सूचियों में मौजूद है। उनका कहना था कि यह भारत के लोकतंत्र की नींव “मतदान प्रणाली” के साथ गंभीर छेड़छाड़ है।

मुख्य बिंदु

  1. राहुल गांधी का आरोप: एक ही मतदाता तीन राज्यों की वोटर लिस्ट में दर्ज!
  2. राहुल गांधी के दावे पर यूपी चुनाव आयोग का पलटवार: तथ्य निकले गलत
  3. वोटर डुप्लिकेट दावे की पड़ताल: आजतक की जांच में निकला सच!
  4. राहुल गांधी पर चुनाव आयोग का सख्त रुख: सबूत दो या माफी मांगो
  5. राहुल गांधी बनाम चुनाव आयोग: आरोप, सच्चाई और सियासी बहस
  6. लोकतंत्र में पारदर्शिता बनाम निराधार आरोप: सच्चाई ही सबसे बड़ी शक्ति
  7. लोकतंत्र में सत्य, और भक्ति में प्रमाण: संत रामपाल जी महाराज का संदेश

राहुल गांधी का दावा किन तथ्यों पर आधारित था?

राहुल गांधी ने दो व्यक्तियों का उल्लेख करते हुए उनके EPIC नंबर भी साझा किए:

‘आदित्य श्रीवास्तव’, पुत्र एस.पी. श्रीवास्तव (EPIC No. FPP6437040)

‘विशाल सिंह’, पुत्र महीपाल सिंह (EPIC No. INB2722288)

उनका दावा था कि ये दोनों मतदाता कर्नाटक, उत्तर प्रदेश (लखनऊ/वाराणसी), और महाराष्ट्र (मुंबई) की वोटर लिस्ट में दर्ज हैं। उन्होंने कहा कि यह आंकड़े उन्होंने 16 मार्च 2025 को चुनाव आयोग की वेबसाइट से डाउनलोड किए थे।

उत्तर प्रदेश चुनाव आयोग का तत्काल खंडन

राहुल गांधी के दावों पर उत्तर प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय ने तत्काल प्रतिक्रिया दी और एक विस्तृत प्रेस विज्ञप्ति जारी की।

आयोग का जवाब

‘आदित्य श्रीवास्तव’ का नाम केवल बैंगलोर अर्बन की महादेवपुरा विधानसभा क्षेत्र के बूथ संख्या 458, क्रम संख्या 1265 पर दर्ज पाया गया।

‘विशाल सिंह’ का नाम महादेवपुरा विधानसभा के बूथ संख्या 513, क्रम संख्या 926 पर मौजूद है।

इन दोनों व्यक्तियों के नाम लखनऊ (विधानसभा 173) या वाराणसी (विधानसभा 390) की किसी भी वोटर लिस्ट में दर्ज नहीं हैं।

अर्थात, राहुल गांधी द्वारा उत्तर प्रदेश के संदर्भ में प्रस्तुत आंकड़े तथ्यात्मक रूप से गलत और भ्रामक पाए गए।

वोटर सर्च पोर्टल’ की पड़ताल: आजतक चैनल की विशेष रिपोर्ट

समाचार चैनल ‘आजतक’ ने राहुल गांधी के आरोपों की स्वतंत्र जांच की। उन्होंने भारत निर्वाचन आयोग के आधिकारिक पोर्टल https://voters.eci.gov.in पर जाकर दोनों EPIC नंबर को खोजा।

जांच के परिणाम

कर्नाटक की वोटर लिस्ट में ‘Aditya Shrivastava’ और ‘Vishal Singh’ नाम के मतदाता पंजीकृत पाए गए।

लेकिन लखनऊ और मुंबई में जब उन्हीं EPIC नंबरों के जरिए खोज की गई, तो स्क्रीन पर ‘No Result Found’ दिखाया गया।

इसका सीधा निष्कर्ष यह निकला कि इन व्यक्तियों के नाम केवल एक ही राज्य की मतदाता सूची में हैं, और डुप्लिकेट प्रविष्टि का कोई प्रमाण नहीं मिला।

क्या यह पुरानी वोटर लिस्ट का मामला है?

राहुल गांधी जिन दस्तावेजों का हवाला दे रहे हैं, वह संभवतः मार्च 2025 से पहले की मतदाता सूचियों पर आधारित हो सकते हैं। चुनाव आयोग ने मार्च 2025 में एक प्रेस रिलीज में स्पष्ट किया था:

आयोग ने डुप्लीकेट वोटर प्रविष्टियों को हटाने के लिए व्यापक अभियान चलाया।

एक ही व्यक्ति अगर कई राज्यों में वोटर था, तो अब उसे केवल एक ही स्थान पर सीमित कर दिया गया है।

संभावना है कि आदित्य श्रीवास्तव या विशाल सिंह के नाम पहले कई जगह दर्ज थे, लेकिन सुधार के बाद अब केवल एक स्थान पर मौजूद हैं।

चुनाव आयोग की चुनौती: साक्ष्य दो या माफी मांगो

भारत निर्वाचन आयोग ने राहुल गांधी को **एफिडेविट के जरिए आरोपों का प्रमाण** देने की चुनौती दी है। आयोग ने दो टूक शब्दों में कहा: “अगर आप सही हैं, तो कागज़ पर साइन करें। नहीं तो देश से माफी मांगिए।”

अब तक राहुल गांधी की ओर से इस पर कोई लिखित प्रतिक्रिया या सबूत आयोग को नहीं सौंपे गए हैं।

क्या यह चुनावी प्रक्रिया पर प्रश्न है या राजनीतिक बयानबाजी?

राहुल गांधी का दावा एक संवेदनशील मुद्दे से जुड़ा है – भारत का लोकतांत्रिक भविष्य और चुनाव प्रणाली की पारदर्शिता। लेकिन चुनाव आयोग की स्पष्ट जांच, डिजिटल पोर्टल की रिपोर्ट और राज्य आयोगों की प्रतिक्रिया को देखते हुए इस समय तक कोई ठोस सबूत सामने नहीं आया है जो राहुल गांधी के आरोपों को सही ठहराए।

निष्कर्ष: पारदर्शिता ज़रूरी, लेकिन आरोपों में सच्चाई भी होनी चाहिए

भारत जैसे विशाल लोकतंत्र में चुनाव प्रक्रिया की निष्पक्षता और पारदर्शिता सबसे अधिक महत्वपूर्ण है। यदि किसी पार्टी या नेता को चुनावी गड़बड़ियों की जानकारी मिलती है, तो उसका साक्ष्य आधारित समाधान ही एकमात्र रास्ता है।

यह भी आवश्यक है कि राजनीतिक मंचों से लगाए गए आरोपों में तथ्यात्मक सटीकता हो, ताकि मतदाता भ्रमित न हों और लोकतंत्र की नींव मजबूत बनी रहे।

लोकतंत्र और मोक्ष में पारदर्शिता का महत्व: तत्वदर्शी संत का समाज को शास्त्र-अनुकूल संदेश

लोकतंत्र में पारदर्शिता और सत्य की आवश्यकता केवल राजनीति तक सीमित नहीं है, बल्कि यह जीवन के हर क्षेत्र में उतनी ही अनिवार्य है। संत रामपाल जी महाराज जी अपने सत्संग में बार-बार समझाते हैं कि जैसे चुनाव में निष्पक्षता के लिए ठोस सबूत और ईमानदारी जरूरी है, वैसे ही मोक्ष प्राप्ति के लिए भी प्रमाणिक, शास्त्र-अनुकूल भक्ति साधना आवश्यक है। वे वेद, गीता और पवित्र धर्मग्रंथों से प्रमाण देते हैं कि अंधविश्वास, अनुमान और कपट-भक्ति से आत्मा का कल्याण संभव नहीं। 

जिस प्रकार झूठे आरोप लोकतंत्र को कमजोर करते हैं, उसी प्रकार मनमानी पूजा और दिखावटी साधना आत्मा को जन्म-मरण के बंधन से नहीं छुड़ा सकती। इसलिए वे सभी को सत्य पहचानने, प्रमाण देखने और केवल उसी परमेश्वर की भक्ति करने का आह्वान करते हैं, जिसका वर्णन हमारे पवित्र शास्त्रों में है—ताकि जीवन में वास्तविक शांति, सुख और मोक्ष प्राप्त हो सके। संत रामपाल जी महाराज के आध्यात्मिक तत्वज्ञान को और अधिक गहराई और विस्तार से जानने के लिए अवश्य देखें Sant Rampalji Maharaj YouTube channel या विज़िट करें वेबसाइट www.jagatgururampalji.org

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