Repo Rate News [Hindi] | RBI Hike Repo Rate & CRR | आरबीआई गर्वनर ( RBI Governor) शक्तिकांत दास ( Shaktikanta Das) ने सभी को चौंकाते हुए रेपो रेट ( Repo Rate) और सीआरआर ( Cash Resrve Ratio) में बढ़ोतरी का ऐलान किया है. आरबीआई ( RBI) ने रेपो रेट में 40 बेसिस प्वाइँट की बढ़ोतरी करते हुए रेपो रेट को 4.40 फीसदी करने का फैसला किया है तो सीआरआर यानि कैश रिजर्व रेशियो को 50 बैसिस प्वाइँट बढ़ाकर 4 फीसदी से बढ़ाकर 4.50 फीसदी करने का फैसला किया है.
क्या होता है रेपो रेट?
जिस रेट पर आरबीआई की तरफ से बैंकों को लोन दिया जाता है, उसे रेपो रेट कहा जाता है. रेपो रेट बढ़ने का मतलब है कि बैंकों को आरबीआई से महंगे रेट पर कर्ज मिलेगा. इससे होम लोन, कार लोन और पर्सनल लोन आदि की ब्याज दर बढ़ जाएगी, जिससे आपकी ईएमआई पर सीधा असर पड़ेगा.
रेपो रेट (Repo Rate) बढ़ने के क्या है मायने
रेपो रेट उस दर को कहते हैं जिस दर पर आरबीआई बैंकों को कर्ज उपलब्ध कराती है. यानि आरबीआई से कर्ज लेने पर बैंकों को 4 फीसदी के बजाये अब 4.40 फीसदी ब्याज चुकाना होगा. यानि आरबीआई से कर्ज लेना अब बैंकों के लिए महंगा हो जाएगा. बैंकों को आरबीआई से कर्ज लेने पर ज्यादा ब्याज देना होगा. ऐसे में बैंक अपने ग्राहकों पर इसका भार डालेंगे और ग्राहकों को महंगे ब्याज पर कर्ज देंगे.
यानि रेपो रेट के बढ़ने का असर ये होगा कि आने वाले दिनों में देश के सरकारी से लेकर निजी बैंक होम लोन से लेकर कार लोन, पर्सलन लोन, एजुकेशन लोन और कॉरपोरेट जगत को जो कर्ज देंगे उसके लिए भी ज्यादा ब्याज वसूलेंगे. और जो पुराने लोन आपके ऊपर चल रहे हैं उसकी ईएमआई महंगी हो जाएगी. आपको बता दें आरबीआई महंगाई पर लगाम लगाने के लिए रेपो रेट बढ़ाती है.
सीआरआर बढ़ने का मतलब जाने
दरअसल महंगाई लगातार बढ़ती जा रही है. इसकी बड़ी वजह बाजार में मौजूदा ज्यादा नगदी को माना जा रहा है. जो महंगाई बढ़ाने का काम कर रही है. यही वजह है कि बैंकों के पास मौजूदा ज्यादा नगदी को सोकने के लिए आरबीआई ने सीआरआर में 50 बेसिस प्वाइंट बढ़ाने का फैसला किया है. बैंकों को कुल जमा का 4.50 फीसदी रकम आरबीआई के पास सीआरआर के तौर पर जमा रखना होगा.
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यानि बैंकिंग सिस्टम में मौजूदा अतिरिक्त नगदी घट जाएगी. तो बैंक अब सोच समझकर कर्ज उपलब्ध करायेंगे. आपको बता दें सीआरआर जो आरबीआई के पास बैंकों को रखना होता है उसपर आरबीआई बैंकों को ब्याज भी नहीं देती है. CRR में बढ़ोतरी 21 मई से लागू होगा.
क्या होता है मॉनिटरी पॉलिसी
मॉनिटरी पॉलिसी ऐसे फाइनैंशियल टूल्स है जिसके जरिए आरबीआई देश की अर्थव्यवस्था को बचाने के साथ उसे गति देने का भी काम करती है. मॉनिटरी पॉलिसी के जरिए नगदी आम लोगों से लेकर उद्योगजगत और एमएसएमई को उपलब्ध कराया जाता है. तो ज्यादा नगदी होने पर मॉनिटरी पॉलिसी के जरिए ही उसे आरबीआई कंट्रोल करती है. तो मॉनिटरी पॉलिसी के जरिए ब्याज दर का निर्धारण के साथ दिशा तय होता है.
- सीआरआर (Cash Reserve Ratio)
- सीआरआर का अर्थ उस धन से है जो हर बैंक अपनी कुल नकदी का कुछ हिस्सा रिजर्व बैंक के पास रखता है।
- एसएलआर (Statutory Liquidity Ratio)
नकदी के लिक्विडिटी को कंट्रोल में रखने के लिए एसएलआर का इस्तेमाल किया जाता है। आरबीआई जब ब्याज दरों में बदलाव किए बगैर नकदी की लिक्विडिटी कम करना चाहता है तो वह सीआरआर बढ़ा देता है, इससे बैंकों के पास लोन देने के लिए कम रकम बचती है।
Repo Rate News [Hindi] | EMI होगी महंगी तो बढ़ेगा एफडी पर ब्याज
रेपो रेट बढ़ने से EMI पर असर पड़ेगा। Home Loan, Car Loan और Personal Loan महंगा हो जाएगा। वहीं, एफडी निवेशक नई एफडी पर बेहतर रिटर्न की उम्मीद कर सकते हैं। आपको बता दें कि रेपो रेट से मतलब होता है कि रिजर्व बैंक जिस रेट पर अन्य बैकों को कर्ज देती है। इसी आधार पर बैंक अपने ग्राहकों को लोन देता है। रेपो रेट कम होने का मतलब होता है कि ग्राहकों को कम दाम पर लोन मिलेगा और रेपो रेट बढ़ने का मतलब है कि अब लोन महंगा हो जाएगा। साथ एफडी की ब्याज दरें भी बढ़ेंगी, ऐसे में एफडी कराने वालों को पहले के मुकाबले ज्यादा ब्याज मिलेगा।
Repo Rate News [Hindi] | क्यों लिया गया यह फैसला
आरबीआई ने अप्रैल के मौद्रिक समीक्षा बैठक में मुद्रास्फीति को बड़ी चुनौती के तौर पर स्वीकार किया था। बीते कुछ माह के आंकड़ों पर गौर करें तो यह एक बहुत बड़ी चुनौती है, जो 6% के ऊपरी स्तर पर बनी हुई है। आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि मार्च में भारत की खुदरा मुद्रास्फीति 17 महीने के उच्च स्तर पर पहुंच गई है।
बढ़ जाएगी लोन की ईएमआई
आरबीआई की तरफ से रेपो रेट में बदलाव करने से बैंकों की तरफ से लोन पर ब्याज दर बढ़ाने का रास्ता साफ हो गया है. रेपो रेट बढ़ने से आने वाले दिनों में आपके होम लोन, कार लोन की ईएमआई में बढ़ जाएगी. इससे पहले चालू वित्त वर्ष की पहली मौद्रिक समीक्षा बैठक (MPC) में आरबीाआई की तरफ से रेपो रेट में लगातार 11वीं बार बदलाव नहीं किया गया था.
Repo Rate News [Hindi] | क्या होगा असर?
रेपो रेट बढ़ने का असर आपके होम लोन, कार लोन या अन्य किसी भी लोन पर पड़ेगा. यदि आपका पहले से लोन चल रहा है या आप लोन लेने वाले हैं तो आने वाले दिनों में बैंक की तरफ से ब्याज दर बढ़ने से EMI पहले के मुकाबले ज्यादा जाएगी. इसका असर नए और पुराने दोनों ग्राहकों पर होगा. आइये इसे आंकड़ों में समझते हैं.
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सालाना बढ़ेगा 8712 रुपये का बोझ
अगर किसी ग्राहक ने 20 साल के लिए होम लोन लिया है और अब तक उसकी ब्याज दर 7 प्रतिशत थी तो अब उसके बढ़कर 7.40 प्रतिशत होने की संभावना है. ऐसे में 30 लाख के लोन पर 20 साल की अवधि के लिए हर महीने 23,259 रुपये ईएमआई होती है. लेकिन अब यदि ब्याज दर में 0.40 प्रतिशत का इजाफा होता है यह ईएमआई बढ़कर 23,985 रुपये हो जाएगी. यानी हर महीने 726 रुपये ज्यादा चुकाने होंगे. इस हिसाब से हर साल करीब 8712 रुपये देने होंगे.
ऑटोमोटिव जगत में चिंता का विषय
रेपो रेट बढ़ने की खबर से कई सेक्टर्स प्रभावित होने वाले हैं, लेकिन ऑटोमोटिव इंडस्ट्री की चिंता कुछ ज्यादा बढ़ी हुई है. फाडा के प्रेसिडेंट विंकेश गुलाटी ने कहा, “RBI द्वारा रेपो रेट 40 bps बढ़ाए जाने से सबके लिए ऑटो लोन लेना महंगा हो गया है. लंबे वेटिंग पीरियड के चलते जहां पैसेंजर वाहन सेगमेंट ये झटका झेल सकता है, वहीं टू-व्हीलर सेगमेंट ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतर प्रदर्शन ना कर पाने की वजह से और टू-व्हीलर्स की कीमत बढ़ जाने के बाद अब रेपो रेट बढ़ने से इनके लिए लोन लेना भी अब महंगा हो गया है.”
RBI के रेट हाइक का ऐसे होगा असर
- रेपो रेट में बढ़ोतरी के चलते आम लोगों के लिए कर्ज महंगा हो जाएगा क्योंकि बैंकों की कर्ज की लागत बढ़ेगी. रेपो रेट वह दर होती है जिस पर बैंक आरबीआई से पैसे उधार लेते हैं. जब यह दर बढ़ गई है तो बैंकों को कर्ज ऊंचे रेट पर मिलेगा. लिहाजा वे भी अपने ग्राहकों से ज्यादा दर से ब्याज वसूलेंगे. आरबीआई के इस फैसले से आने वाले समय में होम लोन, ऑटो लोन या पर्सनल लोन लेना महंगे हो जाएंगे. इसके अलावा जिन लोगों ने फ्लेक्सी दरों पर पहले से लोन लिया हुआ है, उनकी ईएमआई भी बढ़ जाएगी.
- दूसरी तरफ बैंक ग्राहकों को एफडी-आरडी जैसी डिपॉजिट्स के लिए पहले से अधिक ब्याज ऑफर कर सकते हैं. कोरोना काल में बैंकों द्वारा डिपॉजिट पर दी जाने वाली ज्यादातर ब्याज दरें इतनी कम हो चुकी हैं कि ऊंचे इंफ्लेशन के कारण उनका रियल रेट ऑफ रिटर्न निगेटिव हो चुका है. आरबीआई के रेट बढ़ाने के फैसले के बाद अब बैंक अपने डिपॉजिट रेट बढ़ा सकते हैं, जिससे बचत करने वालों के लिए रिटर्न बढ़ने की उम्मीद की जा सकती है.