भारत-चीन व्यापार 2025: भारत और चीन के बीच वर्षों से व्यापार संबंध जटिल रहे हैं। एक ओर जहां चीन से आयात में भारत की भारी निर्भरता देखी जाती है, वहीं निर्यात में भारत लगातार अपने हिस्से को बढ़ाने की कोशिश करता रहा है। वर्ष 2024-25 में भारत का चीन के साथ व्यापार घाटा US$99.2 बिलियन तक पहुंच गया था।
लेकिन 2025-26 की पहली तिमाही (अप्रैल-जुलाई) के आंकड़े एक नई दिशा की ओर इशारा करते हैं — भारत ने चीन को लगभग 20% अधिक निर्यात किया, जो US$5.76 बिलियन तक पहुंच गया। यह डेटा वाणिज्य मंत्रालय और व्यापार विश्लेषकों द्वारा पुष्टि की गई है।
किन सेक्टरों ने बढ़ाया निर्यात?
केमिकल्स और फार्मा उत्पाद
भारत से जैविक और अकार्बनिक रसायनों का निर्यात चीन को तेजी से बढ़ा है। खासकर bulk drugs और औद्योगिक उपयोग के रसायनों की मांग में वृद्धि देखी गई है।
खनिज और प्राकृतिक संसाधन
लौह अयस्क, बॉक्साइट, और अन्य धात्विक खनिज जैसे उत्पादों का निर्यात चीन के निर्माण सेक्टर की मांग के चलते बढ़ा।
कृषि आधारित उत्पाद
चाय, मसाले, बासमती चावल, और गेंहू उत्पाद चीन में तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं। इससे भारत के लिए अग्रो-ट्रेड सेक्टर में अवसर बढ़ रहे हैं।
विशेषज्ञ क्या कहते हैं?
CII (Confederation of Indian Industry) और FIEO (Federation of Indian Export Organisations) के अनुसार, यह वृद्धि व्यापार संतुलन के लिए सकारात्मक संकेत है।
FIEO प्रमुख डॉ. अजय सहाय ने कहा:
“भारत अपनी उत्पादन और मूल्य-वर्धित निर्यात क्षमताओं में तेजी से सुधार कर रहा है, और यह वृद्धि उसका प्रमाण है।”
CRISIL रिपोर्ट बताती है कि यदि यह प्रवृत्ति जारी रही, तो भारत 2025 के अंत तक चीन को निर्यात में 10 बिलियन डॉलर का आंकड़ा छू सकता है।
चुनौतियाँ भी बनी हुई हैं
व्यापार घाटा अभी भी गंभीर
जहां भारत से निर्यात बढ़ा है, वहीं चीन से आयात भी लगातार बना हुआ है। वर्ष 2024-25 में चीन से आयात US$104.8 बिलियन था।

व्यापार बाधाएँ और नीतिगत मुद्दे
कुछ सेक्टरों में चीन द्वारा टैरिफ बाधाएँ, अनौपचारिक प्रतिबंध, और मानक संबंधित समस्याएं निर्यातकों के लिए चुनौती बन रही हैं।
आपूर्ति श्रृंखला और लॉजिस्टिक्स
विश्व स्तर पर शिपिंग लागत, और इंडो-चाइना सीमा तनाव का असर भी लॉजिस्टिक चैन पर दिखता है।
व्यापार विविधीकरण की दिशा में संकेत
इस निर्यात वृद्धि से यह साफ है कि भारत सिर्फ पारंपरिक वस्त्रों या कच्चे माल तक सीमित नहीं है। अब देश advanced value-chain sectors में भी अपनी मौजूदगी दर्ज करवा रहा है। यह व्यापार विविधीकरण रणनीति Make in India, PLI स्कीम्स, और डिजिटल एक्सपोर्ट प्लेटफॉर्म्स जैसे अभियानों से समर्थित है।
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सभी वर्गों के हित में हों आर्थिक संतुलन दिशा
जब भारत वैश्विक व्यापार में भागीदारी बढ़ा रहा है, तब संत रामपाल जी महाराज की सतज्ञान शिक्षाएँ यह स्मरण कराती हैं कि व्यापार का अंतिम लक्ष्य केवल लाभ नहीं होना चाहिए, बल्कि जनहित, सेवा और नैतिक संतुलन को केंद्र में रखना चाहिए।भारत के लिए यह अवसर है कि आर्थिक शक्ति को सामाजिक कल्याण से जोड़े—और नीतियाँ इस प्रकार बनें जो केवल चंद कॉर्पोरेट्स के नहीं, सभी वर्गों के हित में हों।
आगे की संभावनाएँ
यदि भारत चीन को निर्यात में निरंतर वृद्धि बनाए रखता है, तो यह न केवल व्यापार घाटा कम कर सकता है बल्कि रणनीतिक रूप से भी एक मजबूत स्थिति में आ सकता है। नीति आयोग के अनुसार, भारत को अपने standardization, certification, और supply-chain integration पर ध्यान देना होगा ताकि यह वृद्धि एक स्थायी प्रवृत्ति बने।
FAQs: India–China Export Growth 2025
Q1. अप्रैल-जुलाई 2025 में भारत से चीन को निर्यात कितना बढ़ा?
लगभग 20% की वृद्धि हुई, कुल निर्यात US$5.76 बिलियन के आसपास रहा।
Q2. किस प्रकार के उत्पादों का निर्यात बढ़ा है?
रसायन, लौह अयस्क, कृषि उत्पाद जैसे चाय, चावल, मसाले आदि।
Q3. क्या व्यापार घाटा अब भी है?
हाँ, चीन से आयात अब भी ज्यादा है, जिससे व्यापार घाटा बना हुआ है।
Q4. यह वृद्धि क्यों महत्वपूर्ण है?
यह व्यापार विविधीकरण और भारत की वैल्यू-एडेड उत्पादों की बढ़ती स्वीकार्यता का संकेत है।
Q5. क्या यह ट्रेंड आने वाले महीनों में जारी रह सकता है?
यदि नीति समर्थन, गुणवत्ता, और लॉजिस्टिक्स मजबूत रहे, तो निर्यात और बढ़ सकता है।