National Press Day 2024 [Hindi]: जानिए क्यों मनाया जाता है राष्ट्रिय पत्रकारिता दिवस क्या है इसका महत्व और उदेश्य?

National Press Day 2022 Theme, History, Quotes, Significance

आज हम आपको National Press Day 2024 के उपलक्ष्य में इसकी विस्तार से जानकारी देंगे, जैसे National Press Day Quotes, History, Significance, Current Theme Etc. National Press Day 2024: प्रथम प्रेस आयोग ने भारत में प्रेस की स्वतंत्रता की रक्षा एंव पत्रकारिता में उच्च आदर्श कायम करने के उद्देश्य से एक प्रेस परिषद की कल्पना की थी। परिणाम स्वरूप चार जुलाई 1966 को भारत में प्रेस परिषद की स्थापना की गई जिसने 16 नंवबर 1966 से अपना विधिवत कार्य शुरू किया। तब से लेकर आज तक प्रतिवर्ष 16 नवंबर को राष्ट्रीय प्रेस दिवस के रूप में मनाया जाता है।

विश्व में आज लगभग 50 देशों में प्रेस परिषद या मीडिया परिषद है। भारत में प्रेस को वाचडॉग एंव प्रेस परिषद इंडिया को मोरल वाचडॉग गया है। राष्ट्रीय प्रेस दिवस, प्रेस की स्वतंत्रता एंव जिम्मेदारियों की ओर हमारा ध्यान आकृष्ट करता है।

National Press Day Significance क्यों मनाया जाता है?

इस दिवस का उद्देश्य प्रेस की आजादी के महत्व के प्रति जागरूकता फैलाना है। साथ ही ये दिन अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को बनाए रखने और उसका सम्मान करने की प्रतिबद्धता की बात करता है। प्रेस की आजादी के महत्व के लिए दुनिया को आगाह करने वाला ये दिन बताता है कि लोकतंत्र के मूल्यों की सुरक्षा और उसे बहाल करने में मीडिया अहम भूमिका निभाता है। इस कारण सरकारों को पत्रकारों की सुरक्षा भी सुनिश्चित करनी चाहिए। 

आज पत्रकारिता का क्षेत्र व्यापक हो गया है। पत्रकारिता जन-जन तक सूचनात्मक, शिक्षाप्रद एवं मनोरंजनात्मक संदेश पहुँचाने की कला एंव विधा है। समाचार पत्र एक ऐसी उत्तर पुस्तिका के समान है जिसके लाखों परीक्षक एवं अनगिनत समीक्षक होते हैं। अन्य माध्यमों के भी परीक्षक एंव समीक्षक उनके लक्षित जनसमूह ही होते है।

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तथ्यपरकता, यथार्थवादिता, संतुलन एंव वस्तुनिष्ठता इसके आधारभूत तत्व है। परंतु इनकी कमियाँ आज पत्रकारिता के क्षेत्र में बहुत बड़ी त्रासदी साबित होने लगी है। पत्रकार चाहे प्रशिक्षित हो या गैर प्रशिक्षित, यह सबको पता है कि पत्रकारिता में तथ्यपरकता होनी चाहिए। परंतु तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर, बढ़ा-चढ़ा कर या घटाकर सनसनी बनाने की प्रवृति आज पत्रकारिता में बढ़ने लगी है।

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खबरों में पक्षधरता एवं अंसतुलन भी प्रायः देखने को मिलता है। इस प्रकार खबरों में निहित स्वार्थ साफ झलकने लग जाता है। आज समाचारों में विचार को मिश्रित किया जा रहा है। समाचारों का संपादकीयकरण होने लगा है। विचारों पर आधारित समाचारों की संख्या बढऩे लगी है। इससे पत्रकारिता में एक अस्वास्थ्यकर प्रवृति विकसित होने लगी है। समाचार विचारों की जननी होती है। इसलिए समाचारों पर आधारित विचार तो स्वागत योग्य हो सकते हैं, परंतु विचारों पर आधारित समाचार अभिशाप की तरह है।

National Press Day History

यूनेस्को द्वारा 1997 से हर साल 3 मई को विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस पर गिलेरमो कानो वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम प्राइज दिया जाता है। यह पुरस्कार उस व्यक्ति अथवा संस्थान को दिया जाता है, जिसने प्रेस की स्वतंत्रता के लिए उल्लेखनीय कार्य किया हो।

National Press Day कैसे मनाया जाता है?

साथ ही स्कूल, कॉलेज, सरकारी संस्थानों और अन्य शैक्षिक संस्थानों में प्रेस की आजादी पर वाद-विवाद, निबंध लेखन प्रतियोगिता और क्विज का आयोजन होता है। लोगों को अभिव्यक्ति की आजादी के अधिकार से अवगत कराया जाता है।

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मीडिया को समाज का दर्पण एवं दीपक दोनों माना जाता है। इनमें जो समाचार मीडिया है, चाहे वे समाचारपत्र हो या समाचार चैनल, उन्हें मूलतः समाज का दर्पण माना जाता है। दर्पण का काम है समतल दर्पण का तरह काम करना ताकि वह समाज की हू-ब-हू तस्वीर समाज के सामने पेश कर सकें। परंतु कभी-कभी निहित स्वार्थों के कारण ये समाचार मीडिया समतल दर्पण का जगह उत्तल या अवतल दर्पण का तरह काम करने लग जाते हैं। इससे समाज की उल्टी, अवास्तविक, काल्पनिक एवं विकृत तस्वीर भी सामने आ जाती है।

National Press Day 2024 Theme in Hindi

विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस 2024 का विषय “गृहों के लिए एक प्रेस, पर्यावरण संकट के सामने पत्रकारिता” है। यूनेस्को द्वारा मीडिया और सोशल मीडिया चैनलों पर एक वैश्विक अभियान शुरू किया गया था, जिसमें फियर या फेवर के बिना पत्रकारिता पर ध्यान केंद्रित किया गया था।

ND तात्पर्य यह है कि खोजी पत्रकारिता के नाम पर आज पीली व नीली पत्रकारिता हमारे कुछ पत्रकारों के गुलाबी जीवन का अभिन्न अंग बनती जा रही है। भारतीय प्रेस परिषद ने अपनी रिपोर्ट में कहा भी है ‘भारत में प्रेस ने ज्यादा गलतियाँ की है एंव अधिकारियों की तुलना में प्रेस के खिलाफ अधिक शिकायतें दर्ज हैं।’

पत्रकारिता आजादी से पहले एक मिशन थी। आजादी के बाद यह एक प्रोडक्शन बन गई। हाँ, बीच में आपातकाल के दौरान जब प्रेस पर सेंसर लगा था। तब पत्रकारिता एक बार फिर थोड़े समय के लिए भ्रष्टाचार मिटाओं अभियान को लेकर मिशन बन गई थी। धीरे-धीरे पत्रकारिता प्रोडक्शन से सेन्सेशन एवं सेन्सेशन से कमीशन बन गई है।

Credit: PIB India

परंतु इन तमाम सामाजिक बुराइयों के लिए सिर्फ मीडिया को दोषी ठहराना उचित नहीं है। जब गाड़ी का एक पुर्जा टूटता है तो दूसरा पुर्जा भी टूट जाता है और धीरे-धीरे पूरी गाड़ी बेकार हो जाती है। समाज में कुछ ऐसी ही स्थिति लागू हो रही है। समाज में हमेशा बदलाव आता रहता है। विकल्प उत्पन्न होते रहते हैं। ऐसी अवस्था में समाज अमंजस की स्थिति में आ जाता है।

National Press Day English Quotes

Our liberty depends on the freedom of the press, and that cannot be limited without being lost—Thomas Jefferson

Freedom of the press is not just important to democracy, it is democracy—Walter Cronkite

Freedom of the press is a precious privilege that no country can forego—Mahatma Gandhi

Freedom of the press is guaranteed only to those who own one—A. J. Liebling

A free press is one of the pillars of democracy—Nelson Mandela

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