अपराध: नमस्कार दर्शकों! खबरों की खबर का सच कार्यक्रम में आप सभी का एक बार फिर से स्वागत है। इस बार हम देश दुनिया में दिन प्रतिदिन बढ़ रहे अपराधों के बारे में बात करेंगे। देश में प्रतिदिन होने वाले अपराधों को लेकर नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की ओर से ताज़ा आंकड़े जारी किए गए हैं जो कार्यक्रम के दौरान हम आपसे साझा करेंगे। तो चलिए शुरू करते है आज की हमारी विशेष पड़ताल।
दोस्तों आइए सबसे पहले यह जानते हैं कि अपराध किसे कहते हैं?
अपराध एक ऐसा जघन्य कार्य है जो कि देश के कानून द्वारा निषिद्ध हो और जिसके लिए कानून द्वारा दंड निर्धारित हो।”
अपराध कितने प्रकार के होते हैं?
संज्ञेय अपराध सामान्यतः गंभीर होते है जिनमें पुलिस को तुरन्त कार्य करना होता है।
प्रमुख संज्ञेय अपराध
- देशद्रोह
- खतरनाक हथियारों से लैस होकर अपराध करना,
- लोकसेवक द्वारा रिश्वत मामला,
- बलात्कार
- हत्या
लोकसेवक नहीं होने पर गलत तरीके से स्वयं को लोकसेवक दर्शाकर विधि विरुद्ध कार्य करना। जनता को ऐसा आभास हो कि संबंधित व्यक्ति लोकसेवक है। योजना बनाकर गैर कानूनी कार्य करना। भारतीय दंड संहिता की धारा 296 यह कहती है कि यदि किसी धार्मिक सभा, प्रार्थना स्थल में किसी तरह की बाधा डाली जाए तो यह संज्ञेय अपराध होगा।
इत्यादि।
असंज्ञेय अपराध
क्रीमिनल प्रोसिजर कोड (CrPC 1973) की धारा 2 (एल) कहती है कि ऐसे अपराध जिनमें पुलिस को बिना वारंट के गिरफ्तार करने का अधिकार नहीं है, वे अपराध असंज्ञेय अपराध कहलाते हैं। असंज्ञेय अपराध को हम इस तरह से समझ सकते हैं। जैसे किसी की धार्मिक भावना को कुछ शब्दों से भड़काना असंज्ञेय अपराध है और भारतीय दंड सहिंता की धारा 298 यह कहती है कि इस अपराध में पुलिस बिना किसी वारंट के गिरफ्तारी नहीं कर सकेगी।
भारतीय दंड संहिता की धारा 312 के अनुसार किसी का गर्भपात करवाना असंज्ञेय अपराध की श्रेणी में आता है। इसके अलावा झूठे साक्ष्य देना, धोखाधड़ी, मानहानि जैसे अपराध को असंज्ञेय अपराधों की श्रेणी में रखा गया है। इत्यादि।
दोस्तों! भारत में पिछले 74 सालों में अपराधों में अप्रत्याशित रूप से वृद्धि हुई है। इस समय समाज में लोगों की सुरक्षा को लेकर चिंताजनक स्थिति बनी हुई है क्योंकि देश के प्रत्येक राज्यों में अपराध निरंतर बढ़ते जा रहे है। महानगरों से लेकर गांव तक अपराधों का सिलसिला बेरोकटोक जारी है। अपराधों में हो रही बढ़ोतरी इस बात की सूचक है कि अपराधियों के मन में पुलिस प्रशासन व कानून व्यवस्था का डर समाप्त हो चुका है। बढ़ती अपराधिक घटनाओं से न तो महानगर बचे हैं न गांव और कस्बे । दुख की बात तो यह है कि पुलिस भी अपराधियों के खिलाफ कोई विशेष कानूनी डर पैदा नहीं कर पा रही है ।
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16 दिसंबर 2012 को दिल्ली में दामिनी गैंग रेप केस, 2013 में गुडिया रेप केस,फिर जम्मू कश्मीर के कठुआ में आठ साल की बच्ची के साथ बलात्कार , फिर हाथरस के बूलगढी में 19 वर्षीय युवती के साथ गैंगरेप ,मुंबई, बैंगलोर आदि जैसे शहरों और राज्यों में लगातार बढ़ रही बलात्कार की आपराधिक घटनाओं से विश्वस्तर पर भारत का नाम दागदार हुआ है। बलात्कार एक ऐसा अपराध है जिसने भारत को शर्मसार तो किया है साथ ही देश की बहन बेटियों के लिए असुरक्षित वातावरण भी बना दिया है। परंतु इन्हें रोकने में सरकार, प्रशासन और पुलिस कमज़ोर स्थिति में दिखाई देते हैं। देश में पुलिस के ढीले रवैये के कारण ही आपराधिक घटनाएं हो रही हैं। अपराधियों के मन में पुलिस का कोई डर नहीं है क्योंकि अधिकतर अपराधी नेताओं और अफसरों की शरण में हैं और पुलिस के आला अफसर नेताओं के दबाव में और आदेशों पर काम करते हैं।
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की भूमिका
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो, संक्षेप में एनसीआरबी, एक भारतीय सरकारी एजेंसी है जो भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और विशेष और स्थानीय कानूनों (एसएलएल) द्वारा परिभाषित अपराध डेटा एकत्र करने और विश्लेषण करने के लिए जिम्मेदार है। एनसीआरबी का मुख्यालय नई दिल्ली में है और यह भारत सरकार के गृह मंत्रालय (एमएचए MHA) का हिस्सा है।
NCRB बड़े शहरों (नवीनतम जनगणना के अनुसार 10 लाख या उससे अधिक की आबादी वाले शहर) से डेटा भी अलग से एकत्र करता है। कुछ आईपीसी शीर्षों पर जिलेवार आंकड़े अलग से एकत्र और प्रकाशित किए जाते हैं। वार्षिक अपराधों के संदर्भ में नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (The National Crime Records Bureau- NCRB) द्वारा ‘क्राइम इन इंडिया रिपोर्ट’ प्रकाशित की जाती है । ‘क्राइम इन इंडिया’ का पहला संस्करण वर्ष 1953 से संबंधित है और रिपोर्ट का नवीनतम संस्करण वर्ष 2020 से संबंधित है।
साल 2020 के एनसीआरबी के डाटा के मुताबिक भारत में अपराध के आंकड़े कुछ इस प्रकार हैं:
भारत के सभी राज्यों में दिल्ली में अपराध दर सबसे अधिक है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के बुधवार ,15 सितंबर, 2021 को जारी आंकड़ों के अनुसार कोरोना से प्रभावित वर्ष 2020 के दौरान अपराध के मामलों में 2019 की तुलना में 28 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। देश में 2020 में प्रतिदिन औसतन 80 हत्याएं हुईं , 77 बलात्कार और कुल 29,193 लोगों का कत्ल किया गया। इस मामले में राज्यों की सूची में उत्तर प्रदेश सबसे आगे है। वहीं, अपहरण की सबसे ज्यादा वारदात भी उत्तर प्रदेश में हुईं। ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2020 में कुल 66,01,285 संज्ञेय अपराध दर्ज किए गए, जिसमें भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत 42,54,356 मामले और विशेष एवं स्थानीय कानून (एसएलएल) के तहत 23,46,929 मामले दर्ज किए गए।
अपराध के चौंका देने वाले आकंडे़
भारत में 2019 में 52 लाख गंभीर या संज्ञेय अपराध दर्ज किए गए थे। देश में हत्या के प्रतिदिन औसतन 79 मामले दर्ज किए गए, जबकि पूरे साल में कुल 1,05,037 मामले अपहरण के देखे गए थे। इसके अलावा मानव तस्करी के 2,260 मामले दर्ज किए गए थे। यदि हम महिलाओ के खिलाफ हुए अपराधों की बात करें तो एनसीआरबी की ओर से जारी ‘भारत में अपराध-2019’ नामक एक रिपोर्ट बताती है साल 2019 में देश में महिलाओं के खिलाफ अपराधों में 7.3 फीसदी की बढ़ोतरी हुई। वर्ष 2019 में प्रति एक लाख की आबादी पर महिलाओं के खिलाफ अपराधों की दर 62.4 फीसदी रही। जबकि साल 2018 में यह दर 58.8 फीसदी थी।
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इसके अलावा राष्ट्रीय महिला आयोग की सालाना रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2020 में जुलाई तक स्त्रियों के खिलाफ हिंसा की कुल 2,914 रिपोर्ट दर्ज हुई थी। इसमें घरेलू हिंसा, रेप, अपहरण और दहेज हत्या के मामले शामिल थे। वहीं अकेले जून महीने में ही रेप के 78 मामले दर्ज हुए थे। अगर बच्चों के खिलाफ हुए अपराधों की बात की जाए तो इसमें भी काफी इज़ाफा देखने को मिला है। वर्ष 2018 के मुकाबले 2019 में बच्चों के खिलाफ अपराध के मामले 4.5 फीसदी तक बढ़े। साल 2019 में बच्चों के खिलाफ अपराध के 1.48 लाख मामले दर्ज किए गए थे। इनमें से 46.6 फीसदी मामले अपहरण के थे और 35.3 फीसदी मामले यौन अपराधों के थे।
दलित और आदिवासियों के खिलाफ भी बढ़े हैं अपराध
एनसीआरबी का कहना है कि साल 2020 में दलितों और आदिवासियों के खिलाफ अपराध में बढ़ोतरी हुई है। इन दो समुदायों के खिलाफ यूपी और मध्य प्रदेश में अपराध के सबसे ज्यादा मामले सामने आए हैं। वहीं, अनुसूचित जनजातियों (एसटी) के खिलाफ अपराध के कुल 8,272 मामले दर्ज किए गए। साल 2019 में ऐसे मामलों की संख्या 7,570 थी। मतलब 2019 और 2020 की तुलना में ऐसे मामलों में 9.3 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई।
साल 2020 में क्राइम रेट 22.8 प्रति लाख जनसंख्या से बढ़कर 25 प्रति लाख जनसंख्या हो गई थी
- देशभर में प्रतिदिन इतने अपराध होने के बावजूद भी अपराधी निडर और स्वतंत्र हैं बल्कि ऐसा लग रहा है कि नए अपराधी पुराने अपराधियों को देखकर और निडरता से अपराध कर रहे हैं क्योंकि देश की कानून व्यवस्था इतनी लचर हालत में है कि अपराधी निडर होकर चलता है और जिसके ऊपर और साथ अत्याचार हुआ है वह असहाय और डर के साए में जीवन जीता है। सरकार और प्रशासन द्वारा सख्त कानूनी कार्यवाही और दंडसंहिता का पालन न होने के कारण ही अपराधी बेखौफ हैं।
- समाज में हर व्यक्ति बैखौफ होकर सांस ले सके और सभी के साथ न्याय हो,अपराधियों को सख्त सजा दी जाए ताकि अपराधों की पुनरावृति न हो सके । और भारत की अस्मिता भी बरकरार रहे। तो आखिर कैसे इन अपराधों को होने से रोका जा सकता है? ऐसा क्या करें कि मानव समाज सुरक्षित और शांत माहौल में जी सकें? बहन, बेटियां ,बच्चे , बूढ़े और पूरे विश्व में शांति व भाईचारा कायम किया जा सके तो चलिए आध्यात्मिक दृष्टिकोण से जानते हैं-
दोस्तों! पूर्ण परमात्मा का संविधान हमें बताता है की प्रत्येक प्राणी इस जीवन में जैसा कर्म करेगा उसके प्रतिफल में वह वैसा ही फल भोगेगा। इसी विषय में पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी अपनी अमृतमय वाणी में कहते हैं,.
मन तू पावेगा अपना किया रे, भोगेगा अपना किया रे ।।
जैसे भारत तथा अन्य देशों के संविधान में अलग अलग अपराधों के लिए अलग अलग सज़ाओं का प्रावधान है वैसे ही ईश्वर के संविधान में भी अलग अलग अपराधों के लिए अलग अलग सज़ाओं का प्रावधान है। हत्या, चोरी, ठगी, मिलावट, बलात्कार आदि अपराध करने की सज़ा के दंड रूप में मृत्यु के बाद प्राणी को नरक में हजारों लाखों वर्षों तक भंयकर सजाएं भुगतनी पड़ती हैं। नरक में यम के दूत प्राणी को घोर कष्ट देते हैं। नरक की यातनाएं इतनी भयावह होती हैं की हम कल्पना भी नहीं कर सकते। जो व्यक्ति अपराध करते हैं, अन्यों को दुख,तकलीफ़, शारीरक कष्ट ,हत्या, बलात्कार करते हैं नरक में अपने किए पाप कर्मों को भोगने के बाद उन प्राणियों को 84 लाख प्रकार के प्राणियों के शरीर जैसे कि कुत्ता, सुअर, गधा, गीदड़, चमगादड़, बिल्ली, हाथी,छिपकली आदि बनकर कष्ट पर कष्ट उठाने पड़ते हैं। पशु के शरीर में भी ऐसे प्राणियों को रोग व बीमारियों का कष्ट झेलने पड़ते हैं व दो समय का खाना भी ठीक से प्राप्त नहीं होता।
अब कुछ लोग अपने स्वभाव वश ऐसा सोच रहे होंगे कि यह सब बनावटी बाते है, ऐसा कुछ नही होता, किसने देखा है की मृत्यु के पश्चात क्या होगा..? तो इसका उत्तर देते हुए आदरणीय संत गरीबदास जी महाराज अपनी अमृत वाणी में कहते है,
तुमने उस दर्गेह का महल नही देखा, और यम राज के तिल तिल का लेखा ।।
यम राज के पास प्राणी के सर्व कर्मो का पाई पाई का हिसाब होता है जिसे उसे मृत्यु के बाद भोगना पड़ता है। आदरणीय संत गरीबदास जी महाराज पूर्ण परमात्मा को साक्षी रखते हुए कहते है की वे जो कह रहे है वह सौ की सौ सत्य है।
आइए अब यह जानते है की इन अपराधों को समाज से किस प्रकार मिटाया जा सकता है और पृथ्वी को स्वर्ग समान कैसे बनाया जा सकता है?
दोस्तों! जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी के पदचिन्हों पर चलकर आज उनके लाखों अनुयाई समाज में व्याप्त बुराइयां जैसे बीड़ी, तंबाखू, सिगरेट आदि नशीली वस्तुओ का सेवन करना, भ्रष्टाचार, दहेज प्रथा, भात प्रथा, नाच–गाना, अश्लीलता, फिल्म–सीरियल देखना, चोरी, जारी, ठगी, मिलावट, हत्या, स्त्री गमन, बहन बेटियों के साथ अभद्रता
आदि को त्यागकर समाज को एक विशेष संदेश दे रहे हैं।
संत रामपाल जी महाराज जी के विचारों पर चलने से समाज में व्याप्त सभी बुराइयों को जड़ से समाप्त किया जा सकता है। सभी बुराइयों के समापन के बाद ही समाज में हो रहे अपराध पूरी तरह से खत्म होंगे। इसके लिए पूरे विश्व के प्राणियों को चाहिए के संत रामपाल जी महाराज जी के मंगल प्रवचनों को सुनें व उन से नामदीक्षा लेकर उनके द्वारा बताए गए भक्तिमार्ग पर चलें। ऐसा करने से पृथ्वी स्वत: स्वर्ग समान हो जायेगी और पुनः सतयुग जैसा माहौल पूरे विश्व में होगा। समाज में किसी भी प्रकार की बुराइयां नहीं रहेंगी और लोग प्रेम व भाईचारे से आपस में रहा करेंगे। तो इस वीडियो को देखने वाले सभी भाईबहनों से निवेदन है की आज ही संत रामपाल जी महाराज जी से जुडें और अपराध मुक्त समाज बनाने में तथा मानव कल्याण के इस महान परोपकारी कार्य में अपना सहयोग दें।
धन्यवाद।