Manipur news today: मणिपुर के चुराचंदपुर में शनिवार 13 अप्रैल की रात एक बार फिर हिंसा भड़क गई। इस हिंसा में एसडीएम कार्यालय और जिला कलेक्टर के आवास को जला दिया गया। सुबह 8 बजे से शाम तक लगातार फायरिंग हुई। दो लोग मारे गए और दर्जनों के घायल होने की सूचना है।
मणिपुर हिंसा: मुख्य बिंदु
- पहले से ही अशांत मणिपुर में पुनः भड़की हिंसा
- सरकारी दफ्तरों पर बोला गया धावा
- हिंसा में 2 कुकी समुदाय के लोग मृत और कई घायल
- जानें हिंसा का पूरा मामला
- कैसे होगी समाज में शांति स्थापित
मणिपुर में पुनः भड़की हिंसा।
मणिपुर न्यूज़ today: मणिपुर में शनिवार 13 अप्रैल को हिंसा भड़कने के कारण 2 लोगों की मौत हो गई। यह हंसा मणिपुर की राजधानी इंफाल के पूर्वी हिस्से में और कांगकोपकी जिले के बीच हुई है। सुबह 8 से देर शाम तक चली फायरिंग में 2 लोगों की मृत्यु हुई तथा दर्जनों घायल हुए। इस हिंसा के चलते भीड़ ने सरकारी दफ्तरों को भी आग के हवाले कर दिया। मणिपुर हिंसा के चलते अभी चुराचांदपुर जिले में प्रशासन द्वारा इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गईं हैं। 2024 के चुनाव के चलते आचार संहिता के बाद भी हिंसा हुई है। ग्रस्त इलाके में भारी फोर्स तैनात की गई है।
मणिपुर में इंटरनेट सेवाएं हुईं बंद!
Manipur Internet news: चुराचांदपर इलाके में इंटरनेट सेवाओं पर रोक लगा दी गई है। सोशल मीडिया के माध्यम से असामाजिक तत्वों द्वारा भावनाएं भड़काई जा सकती हैं और इसी कारण लगभग पांच दिन के लिए इंटरनेट सेवाएं अस्थाई रूप से बंद कर दी गईं हैं। किसी भी हिंसा में सार्वजनिक या निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाना एक बड़ी हानि साबित होती है। सांप्रदायिक तनाव की स्थिति को देखते हुए इंटरनेट सेवाएं अस्थाई रूप से प्रशासन द्वारा बंद कर दी गईं हैं।
आखिरकार क्या है मणिपुर हिंसा का कारण?
मणिपुर हिंसा का कारण: मणिपुर की आबादी करीब 38 लाख की है। इस इलाके में नागा, कुकी और मैतेई समुदाय रहते हैं। मैतेई समुदाय के लोग अधिकांश हिंदू हैं जबकि नागा और कुकी ईसाई धर्म को मानने वालों में से हैं और ये अनुसूचित जनजाति के अंतर्गत आते हैं। मैतेई समुदाय चाहता है कि उन्हें भी जनजाति में शामिल किया जाए जिसके लिए उन्होंने सरकार से सिफारिश भी लगाई। आरक्षण को ध्यान में रखते हुए कुकी और नागा समुदाय इसका विरोध करते हैं क्योंकि वे नहीं चाहते उनके अधिकारों में बंटवारा हो। अगर आरक्षण के हिसाब से देखा जाए तो मणिपुर राज्य की 60 में से 40 विधानसभा सीट पहले ही मैतेई समुदाय के लिए आरक्षित है।
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अशांत मणिपुर, दुखी मणिपुर
मणिपुर में लगातार हिंसाएं होती रहती हैं। इन हिंसाओं और झड़पों के अवसर पर घर दफ्तर जला दिए जाते हैं। हिंसा और लड़ाईयां न तो आयु देखती हैं और न ही दोषी और ना ही निर्दोष का ख़्याल करती हैं। एक वर्ष से होती इस अशांति ने मणिपुर को दस साल पीछे कर दिया है। अब तक लगभग 65 हजार लोग मणिपुर से विस्थापित हो चुके हैं। तमाम कोशिशों के बाद भी सरकार इस पर काबू नहीं कर पाई है। इस दौरान पढ़ाई से लेकर व्यापार तक सब ठप हो गया है। चुनावी दौर में सब ओर घबराहट ओर टेंशन का माहौल है। शांति स्थापित कर पाने में सरकार नाकाम रही है।
कैसे होगी शांति स्थापित?
अतृप्ति मनुष्य का स्वभाव बन चुका है। धन, संपत्ति और वैभव या कहें प्रसिद्धि की होड़ में हिंसा करने से भी मनुष्य बाज नहीं आता। इसके अनेकों उदाहरण इतिहास में मौजूद हैं। तत्वज्ञान एकमात्र उपाय है जिसके माध्यम से समाज में शांति स्थापित की जा सकती है। एक बार विचार करके देखें जो देश शांति का दूत है, जिस देश में वेद ज्ञान की गंगा बहती है और जिस देश के बारे में विश्वगुरु बनने की भविष्यवाणी की जाती है और जिस देश में अनेकों धर्मगुरु ज्ञान प्रचार कर रहे हों, ऐसे देश में हिंसा? ऐसे देश में युद्ध? ऐसे देश में दंगे शोभा नहीं देते।
कहीं न कहीं ऐसे नकली धर्मगुरु समाज में कैंसर का कारण हैं। वे केवल स्वार्थसिद्धि में मग्न हैं और उन्हें जनता के दुख दर्द से कोई सारोकार नहीं। अमानवता पर विजय पाना सरकार के वश की बात है भी नहीं। किंतु एक मसीहा ऐसा है जिसका ज्ञान बड़े बड़े युद्धों को टाल सकता है। वह हैं संत रामपाल जी महाराज। संत रामपाल जी महाराज वे एकमात्र तत्वदर्शी संत हैं जिन्होंने समाज से दहेज का, नशे का पूरी तरह उन्मूलन किया है।
एक सच्चा संत वही होता है जो आध्यात्मिक ज्ञान के साथ साथ समाज में सुधार और शांति स्थापना भी करवाए। संत रामपाल जी महाराज के विषय में अनेकों भविष्यवाणियां की गईं हैं। समाज सुधार के लिए केवल उनका ज्ञान ही पर्याप्त है। अधिक जानकारी के लिए देखें साधना टीवी प्रतिदिन शाम 7:30 बजे।