वैश्विक प्लास्टिक प्रदूषण बढ़ाने में कोका – कोला सबसे आगे

वैश्विक प्लास्टिक प्रदूषण बढ़ाने में कोका - कोला सबसे आगे

एकल-उपयोग प्लास्टिक प्रदूषण में कोका-कोला दुनिया में सबसे आगे है। कोका-कोला ने लंबे समय से शीर्ष प्लास्टिक प्रदूषक के रूप में खिताब हासिल किया है। दरअसल, 2022 के एक सर्वेक्षण के अनुसार, कोका-कोला को लगातार पांच वर्षों तक सबसे खराब प्लास्टिक प्रदूषकों में शामिल किया गया है और 2023 ग्लोबल ब्रांड ऑडिट में कोका-कोला कंपनी एक बार फिर शीर्ष वैश्विक प्लास्टिक प्रदूषक के रूप में सामने आई है।

ब्रेक फ्री फ्रॉम प्लास्टिक मूवमेंट ने 2023 ग्लोबल ब्रांड ऑडिट के नतीजों का खुलासा किया, जिसमें कोका-कोला कंपनी ने एक बार फिर शीर्ष वैश्विक प्लास्टिक प्रदूषक का खिताब हासिल किया जिसका अर्थ है कि इसके उत्पाद सबसे अधिक अपशिष्ट वाले देशों को प्रदूषित करते हैं।

कोका कोला भारत ही नहीं बल्कि विश्व भर में प्रयोग होने वाला पेय पदार्थ है। लोगों का मानना है कि यह टेस्टी होने के साथ – साथ अच्छा, ठंडा, कोल्डड्रिंक है इसलिये लोगों को यह आरामदायक पेय पदार्थ महसूस होता है और इसका प्रयोग जनसमुदाय द्वारा बहुत ही शौंक से किया जाता है ।

कोका कोला कंपनी कोल्ड्रिंकस की पैकिंग प्लास्टिक की बोतलों में करती है। बतां दें कि अकेले कोका कोला सबसे ज्यादा वैश्विक ब्रांडेड प्लास्टिक प्रदूषण करने वाली कंपनी बन चुका है जो 11%  प्रदूषण का स्रोत इकट्ठा करती है। इसके अतिरिक्त चार कंपनी ऐसी हैं जो सबसे ज्यादा प्रदूषण जनरेट करती हैं  जैसे पेप्सिको, नेस्ले, डेनोन और यूनिलीवर। प्लास्टिक विश्व में जीव समुदाय तथा पर्यावरण के लिए बहुत बड़ी समस्या बन गई है। आइए इस लेख के माध्यम से शीर्षक के बारे में विस्तार से जानते हैं:

वैश्विक प्लास्टिक प्रदूषण बढ़ाने में कोका – कोला सबसे आगे मुख्य बिंदु : 

  • डॉ. जॉन पेम्बर्टन ने कोका – कोला की शुरुआत अटलांटा शहर के जैकब्स फार्मेसी में दवाई के रूप में की थी जो कोका कोला की शुरुआत थी।
  • कोका कोला में 90% कार्बोनेट पानी है जो स्वास्थ के लिए हानिकारक है।
  • कोका कोला कंपनी एक वर्ष में 100 बिलियन से अधिक एकल उपयोग प्लास्टिक की बोतलें बेचता है।
  • प्लास्टिक समस्या के निपटान पर विचार करना मानव समाज के लिए है अति आवश्यक।

कोका – कोला कंपनी की शुरुआत कब और कैसे हुई?

कोका – कोला की शुरुआत अमेरिका में अटलांटा शहर के जैकब्स फार्मेसी में डॉ. जॉन पेम्बर्टन ने मई 1887 में कोका-कोला का पहला ग्लास बेचकर की थी, बताया जाता है कि इसका प्रयोग पहले दवाई के रूप में किया जाता था। इस कंपनी का मुख्यालय अटलांटा एवं जॉर्जिया शहर में है। इसके 200 से अधिक देशों में 500 से भी अधिक ब्रांड होने के कारण यह कंपनी पेय पदार्थ के निर्यात में लगभग विश्व भर में फैली हुई है।

पेय पदार्थ कोका – कोला कैसे बनाई जाती है?

कोका कोला का लगभग 90% भाग कार्बोनेटेड पानी होता है तथा चीनी, कारमेल रंग, फॉस्फोरिक एसिड, कैफीन आदि मिलाए जाते हैं। इनके प्राकृतिक स्वाद का सार गुप्त फॉर्मूला है।

कंपनी जब पहली बार पेय पदार्थ को मार्केट में लाई तब इसमें कोक की पत्तियों से कोकीन निकालकर मिलाया गया था, जिसकी मात्रा शुरुआत में 3.5 ग्राम थी। इसके अलावा कोला नट से कोकीन निकालकर मिलाया गया था। इसके कारण कोका-कोला नाम रखा गया।

सेहत के लिए हानिकारक है कोका – कोला का उपयोग 

कोका – कोला में कैफिन एवं शुगर की मात्रा काफी अधिक होती है, अधिक मात्रा में इनका सेवन उच्च रक्त चाप, मधुमेह, दिल की बीमारी, मोटापा जैसे खतरनाक रोगों का कारण बन सकता है।

विश्व प्लास्टिक प्रदूषण में कोका – कोला आगे है, कंपनी के कुछ आंकड़ें:

  • कोका कोला कंपनी ने पेय पदार्थ के उत्पादन के साथ- साथ विश्व प्लास्टिक प्रदूषण में बहुत बड़ा स्थान लिया हुआ है। पिछले पांच वर्षों से प्लास्टिक प्रदूषण के नाम पर कंपनी सबसे आगे है।
  • कोका कोला कंपनी प्रत्येक वर्ष एकल उपयोग प्लास्टिक की 100 बिलियन से अधिक बोतलें बेचता है, इनके व्यापक उपयोग ने वैश्विक प्लास्टिक प्रदूषण संकट में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
  • वास्तव में कोका-कोला का प्लास्टिक उत्पादन में पैमाना बहुत बड़ा है। कंपनी ने 2022 में प्लास्टिक उत्पादन में बढ़ोतरी की।
  • प्लास्टिक पैकेजिंग का उपयोग 6% से अधिक कर, अतिरिक्त 454 मिलियन पाउंड (लगभग 206,000 मीट्रिक टन) जिससे इसकी कुल संख्या 3.43 मिलियन मीट्रिक टन हो गई थी। 
  • चौंकाने वाली बात यह है कि ब्रेक फ्री फ्रॉम प्लास्टिक ब्रांड ऑडिट 2023 की रिपोर्ट में यह पाया गया है कि अगले दो वर्षों की तुलना में कोका- कोला कंपनी ने अधिक ब्रांडेड आइटम एकत्रित किए थे।
  •  2023 ब्रांड ऑडिट में 250 ब्रांडों से प्लास्टिक कचरा एकत्र किया गया था। जिन्हें 41 देशों के 8,804 स्वयंसेवकों द्वारा ऑडिट किया गया। उन्होनें मिलकर प्लास्टिक कचरे के 537,719 टुकड़े एकत्रित किए और उनका ऑडिट किया।

कोका कोला अकेले कितना प्रदूषण पैदा करता है?

कोका कोला की वैश्विक विनिर्माण साइटों ने 2022 में लगभग 5.56 मिलियन मिट्रिक टन ग्रीन हाउस गैस (GHG) उत्सर्जन किया, जिसमें 2021 की अपेक्षा 1.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

क्या कोका कोला प्लास्टिक की बोतलें रीसाइक्लिंग करने योग्य हैं?

कंपनी ने 2022 में वैश्विक प्लास्टिक प्रदूषण में अपने महत्वपूर्ण योगदान को स्वीकारा है। कंपनी दावा करती है कि हमारी 90% पैकेजिंग विश्व स्तर पर पुनर्चक्रण योग्य है। कंपनी का कहना है 2025 तक वह अपने सभी पैकेजिंग को रीसाइकल करने योग्य बनाना चाहते हैं तथा 2030 तक उपयोग की जाने वाली आधी सामग्री को पुनर्नविनीकरण सामग्री बनाई जायेगी।

प्लास्टिक प्रदूषण से जुड़े कुछ आंकड़ें:

  • अनुमान के मुताबिक 2019 तक लोग हर मिनट में 10 लाख प्लास्टिक की बोतलें तथा एक दिन में 1.5 बिलियन एवं एक वर्ष में 500 बिलियन से भी अधिक प्लास्टिक की बोतलें खरीदते थे।
  • ऐसे ग्रह पर हम रहते हैं , जो लगभग 7.8 बिलियन लोगों का घर है। दिए गए आंकड़े बता रहें है कि पृथ्वी पर मनुष्यों की तुलना में 64 गुणा अधिक प्लास्टिक की बोतलें हैं।
  • कंपनियों द्वारा उत्पादित प्लास्टिक बोतलों का लगभग 75% भाग अनुपयुक्त है, जिनमें से अधिकांश लैंडफिल में तथा बड़ी संख्या में महासागरों में चला जाता है।

पर्यावरण विशेषज्ञों के लाख प्रयासों के बावजूद प्लास्टिक प्रदूषण कम होने की अपेक्षा बढ़ता ही जा रहा है। प्लास्टिक उत्पादन जलवायु संकट का एक महत्वपूर्ण चालक भी है। वैज्ञानिकों ने शोध में कहा कि “यदि प्लास्टिक का जीवन चक्र एक देश में होता तो यह चीन, संयुक्त राज्य अमेरिका, भारत और रूस के बाद दुनिया में ग्रीन हाउस गैसों का पांचवा सबसे बड़ा उत्सर्जक होता।” 

विश्व के लिए प्लास्टिक का निपटान करना एक बहुत बड़ी समस्या है। यह सस्ता होने के साथ ही उससे कहीं अधिक हानिकारक भी है। ठीक उसी प्रकार कोका – कोला जिनका प्रयोग हम मुंह के स्वाद के लिए तो करते है किंतु लाभ 1% का नहीं होता। केवल एक वैज्ञानिक फार्मूले को मिलाकर बनाए गए कोका कोला रस पर लोग इतने आसक्त हो चुके हैं कि स्वास्थ्यवर्धक प्राकृतिक वस्तुओं का प्रयोग करना भूल गए हैं। 

स्वास्थ्य के लिए प्राकृतिक आहार लेने की है आवश्यकता और कोका कोला जैसे उत्पादों का प्रयोग करना चाहिए बंद

तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी बताते हैं, परमात्मा ने प्रकृति में हमारे खाने पीने की अनेकों वस्तुएं दी हैं जिनका प्रयोग हम मौसम अनुसार कर सकते हैं जैसे फलों के रस तथा गन्ना आदि का रस, मौसमी फल , सब्जियां इत्यादि।

सन्त रामपाल जी महाराज जी बताते हैं परमात्मा की दी गई वैज्ञानिक बुद्धि से मनुष्यों ने कई प्रकार की अप्राकृतिक खाद्य सामग्री बनाई है जो सस्ती, सुंदर, टिकाऊ और टेस्टी तो है परंतु उससे कहीं अधिक हानिकारक है, प्लास्टिक तथा कोका कोला उसका सबसे बड़ा उदाहरण है। जो व्यापक रूप से जीव तथा वातावरण को प्रभावित कर रहा है, इनका परहेज करना आवश्यक है। यह केवल प्राकृतिक वस्तुओं के प्रयोग से ही संभव है जिससे हमारे वातावरण तथा जीवन शैली में  आ रही विभिन्न बिमारियों और प्राकृतिक असंतुलन को ठीक करने में मदद मिलेगी। हम जितना प्लास्टिक के सामान, सिंगल यूज़ प्लास्टिक और कोका कोला जैसे वैश्विक उत्पादों का प्रयोग कम करते जाएंगे उतना ही मानव शरीर और वातावरण के लिए उपयोगी होगा।

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