Rabindranath Tagore Jayanti 2024: आज रबीन्द्रनाथ टैगोर का 163वां जन्मदिवस मनाया जा रहा है. रबीन्द्रनाथ टैगोर को जन्म 7 मई 1861 में कोलकाता में हुआ था. रबीन्द्र जी ने ही भारत के राष्ट्रगान ‘जन-गन-मन’ की रचना की. महात्मा गांधी ने रबीन्द्र जी को ‘गुरूदेव’ की उपाधि दी थी.
रबीन्द्रनाथ ने एक लेखक के साथ ही संगीतकार, नाटककार, गीतकार, चित्रकार और कवि के तौर पर इतिहास में युगपुरुष के रूप में अपनी पहचान बनाई. रबीन्द्रनाथ टैगोर को जन्म 7 मई 1861 में कोलकाता में हुआ था. रबीन्द्र जी ने ही भारत के राष्ट्रगान ‘जन-गन-मन’ की रचना की. इसके साथ ही उनका गीत ‘आमार सोनार बांग्ला’ बांग्लादेश का राष्ट्रीय गीत भी है. महात्मा गांधी ने रबीन्द्र जी को ‘गुरूदेव’ की उपाधि दी थी. उनकी मौत 7 अगस्त 1941 को हुई थी.
रविन्द्रनाथ टैगोर के प्रेरक कथन (Rabindranath Tagore Quotes in Hindi)
- किसी बच्चे के ज्ञान को अपने ज्ञान तक सीमित मत रखिये क्योंकि वह किसी और समय में पैदा हुआ है.
- मौत प्रकाश को ख़त्म करना नहीं है; ये सिर्फ भोर होने पर दीपक बुझाना है.
- कलाकार प्रकृति का प्रेमी है अत: वह उसका दास भी है और स्वामी भी.
- केवल खड़े होकर पानी को ताकते रहने से आप नदी को पार नहीं कर सकते हो.
- प्यार अधिकार का दावा नहीं करता बल्कि यह आजादी देता है.
- हम दुनिया में तब जीते हैं जब हम इस दुनिया से प्रेम करते हैं.
- यदि आप सभी गलतियों के लिए दरवाजे बंद कर देंगे तो सच बाहर रह जायेगा.
- जब हम विनम्र होते हैं, तब हम महानता के सबसे करीब होते हैं.
- फूल की पंखुड़ियों को तोड़ कर आप उसकी सुंदरता को इकठ्ठा नहीं करते.
- मैंने स्वप्न देखा कि जीवन आनंद है. मैं जागा और पाया कि जीवन सेवा है. मैंने सेवा की और पाया कि सेवा में ही आनंद है.
Rabindranath Tagore Jayanti Essay in Hindi
बचपन से ही उनकी कविता, छन्द और भाषा में अद्भुत प्रतिभा का आभास लोगों को मिलने लगा था। उन्होंने पहली कविता आठ वर्ष की आयु में लिखी थी और सन् १८७७ में केवल सोलह वर्ष की आयु में उनकी प्रथम लघुकथा प्रकाशित हुई थी।
Rabindranath Tagore Jayanti | टैगोर ने अपने जीवनकाल में कई उपन्यास, निबंध, लघु कथाएँ, यात्रावृन्त, नाटक और सहस्रो गाने भी लिखे हैं। वे अधिकतम अपनी पद्य कविताओं के लिए जाने जाते हैं। गद्य में लिखी उनकी छोटी कहानियाँ बहुत लोकप्रिय रही हैं। टैगोर ने इतिहास, भाषाविज्ञान और आध्यात्मिकता से जुड़ी पुस्तकें भी लिखी थीं। टैगोर के यात्रावृन्त, निबंध, और व्याख्यान कई खंडों में संकलित किए गए थे, जिनमें यूरोप के जटरिर पत्रों (यूरोप से पत्र) और ‘मनुशर धर्म’ (मनुष्य का धर्म) शामिल थे। अल्बर्ट आइंस्टीन के साथ उनकी संक्षिप्त बातचीत, “वास्तविकता की प्रकृति पर नोट”, बाद के उत्तरार्धों के एक परिशिष्ट के रूप में सम्मिलित किया गया है.
रबीन्द्रनाथ टैगोर का वैवाहिक जीवन (Marriage Life of Rabindranath Tagore in Hindi)
इंग्लैंड से लौटकर रबीन्द्रनाथ जी का विवाह ब्राह्मण समाज की रीति रिवाज के अनुसार बेनिमाधोब रॉय चौधरी की 9 वर्षीय पुत्री मृणालिनी जी से 9 दिसंबर 1883 को हुआ। हालाकि इनका वैवाहिक जीवन इतना सुखमय नही था। मृणालिनी जी से रबीन्द्रनाथ ठाकुर की पांच संताने थी जिनमें की दो पुत्र रथींद्रनाथ ठाकुर, शमींद्र नाथ ठाकुर और तीन पुत्रियां मधुरिका देवी, रेणुका देवी और मीरा देवी ठाकुर जी थी । विवाह के 19 वर्ष पश्चात , मात्र 28 वर्ष की उम्र में मृणालिनी जी की मृत्यु हो गई। मृणालिनी जी की मृत्यु के बाद रबीन्द्रनाथ जी ने कोई विवाह नहीं किया।
मानवता को सर्वोपरि रखते थे रबीन्द्रनाथ
रबीन्द्रनाथ ठाकुर ने कट्टर राष्ट्रवाद का सदा ही विरोध किया। उन्होंने स्पष्ट रूप से यह कहा था कि वे मानवता के ऊपर देशभक्ति की जीत हावी नहीं होने देंगे। आज से सौ बरस पहले ही वे खुलकर स्पष्ट कहने की ताक़त रखते थे। अपने निबंध नेशनलिज़्म इन इंडिया में रवींद्र राष्ट्रवाद की आलोचना करते हैं क्योंकि इससे उत्पन साम्राज्यवाद अंततः मानवता का संहार करता है। रबीन्द्रनाथ पूरे विश्व को एकसाथ देखने वाले विश्व नागरिक थे। इस पर रबीन्द्रनाथ टैगोर ने अपने निबंध नेशनलिज़्म इन इंडिया में भी निशाना साधा है। भारत में जातिवाद खत्म करने की कड़ी में उन्होंने परम आदरणीय सन्त कबीर साहेब एवं नानक, चैतन्य आदि संतों का नाम लिया है।
रबींद्रनाथ टैगोर जी की शिक्षा
उनकी पारंपरिक शिक्षा ब्राइटन, ईस्ट ससेक्स, इंग्लैंड में एक पब्लिक स्कूल में शुरू हुई। 1878 में, वह अपने पिता की इच्छा को पूरा करने के लिए बैरिस्टर बनने के लिए इंग्लैंड गए। उन्हें स्कूल लर्निंग में ज्यादा दिलचस्पी नहीं थी और बाद में उन्होंने कानून सीखने के लिए लंदन के यूनिवर्सिटी कॉलेज में दाखिला लिया लेकिन उन्होंने इसे छोड़ दिया और शेक्सपियर के विभिन्न कार्यों को खुद ही सीखा। उन्होंने अंग्रेजी, आयरिश और स्कॉटिश साहित्य और संगीत का सार भी सीखा, उन्होंने भारत लौटकर मृणालिनी देवी से शादी की।
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Rabindranath Tagore Jayanti Speech in Hindi
नोबल पुरस्कार विजेता महान भारतीय कवि रबिन्द्रनाथ टैगोर की जन्म की वर्षगांठ को प्रत्येक वर्ष ‘रबिन्द्रनाथ टैगोर जयंती’ के रूप मेँ मनाया जाता है। टैगोर जयंती हिन्दू कैलेण्डर के अनुसार प्रति वर्ष बैसाख माह के 25वें दिन पड़ती है। अंग्रेज़ी तिथि के अनुसार यह प्रति वर्ष 7 मई को मनायी जाती है। रबिन्द्रनाथ टैगोर का जन्म 7 मई, 1861 को कलकत्ता के जोड़ासाँको ठाकुरबाड़ी में हुआ था। उनके पिता का नाम देवेन्द्रनाथ टैगोर तथा माता का नाम शारदा देवी था।
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ये देवेन्द्रनाथ टैगोर के सबसे छोटे पुत्र थे। इनके परिवार के लोग सुशिक्षित और कला-प्रेमी थे। रबिन्द्रनाथ टैगोर की शिक्षा अधिकाँश घर पर हुई थी। इनको वकालत पढने के लिए इंग्लैंड भेजा गया। वहाँ एक साल ठहरने के पश्चात वह भारत वापस आ गए। घर के शांतपूर्ण वातावरण में इन्होने बँगला भाषा में लिखने का कार्य आरम्भ कर दिया और शीघ्र ही प्रसिद्धि प्राप्त कर ली।
रबिन्द्रनाथ टैगोर ने अनेक कवितायें, लघु कहानियाँ, उपन्यास, नाटक और निबंध लिखे। उनकी रचनाएं सर्वप्रिय हो गयीं। साहित्य के क्षेत्र में उन्होंने अपूर्व योगदान दिया और उनकी रचना गीतांजलि के लिए उन्हें साहित्य के नोबल पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था। उनकी अनेक रचनाओं का अनुवाद अंग्रेजी भाषा में किया जा चुका है। टैगोर एक दार्शनिक, कलाकार और समाज-सुधारक भी थे। कलकत्ता के निकट इन्होने एक स्कूल स्थापित किया जो अब ‘विश्व भारती’ के नाम से प्रसिद्द है।
रबिन्द्रनाथ टैगोर ने साहित्य, शिक्षा, संगीत, कला, रंगमंच और शिक्षा के क्षेत्र में अपनी अनूठी प्रतिभा का परिचय दिया। अपने मानवतावादी दृष्टिकोण के कारण वह सही मायनों में विश्वकवि थे। वे ‘गुरुदेव’ के नाम से लोकप्रिय हुए। गुरुदेव के काव्य के मानवतावाद ने उन्हें दुनिया भर में पहचान दिलाई। दुनिया की तमाम भाषाओं में आज भी टैगोर की रचनाओं को पसंद किया जाता है। वे चाहते थे कि विद्यार्थियों को प्रकृति के सानिध्य में अध्ययन करना चाहिए। उन्होंने इसी सोच को मूर्त रूप देने के लिए शांतिनिकेतन की स्थापना की।
Rabindranath Tagore Jayanti [Hindi] | इस डर की वजह से पहली किताब मैथिली में लिखी
रबीन्द्रनाथ टैगोर के घरवाले चाहते थे कि उनका बेटा लंदन में उच्च शिक्षा प्राप्त कर बैरिस्टर बने। इसके लिए उन्हें इंग्लैंड भेजा गया, लेकिन वहां उनका दिल नहीं लगा। इसके बाद वो पढ़ाई बीच में ही छोड़कर भारत लौट आए। चूंकि उन्होंने अपनी पढ़ाई बीच में छोड़ी थी, इसलिए उन्हें डर था कि कविताएं लिखने का शौक घरवालों को अच्छा नहीं लगेगा। यही वजह थी कि रबीन्द्रनाथ ने अपनी पहली किताब बांग्ला नहीं बल्कि मैथिली भाषा में लिखी थी। खास बात ये है कि इसमें उन्होंने अपने नाम की जगह किसी और नाम का इस्तेमाल किया था। बाद में जब उन्होंने इस किताब की रचनाएं घरवालों को सुनाईं तो भी खुश हुए। इसके बाद से उन्होंने अपनी रचनाएं बांग्ला भाषा में लिखनी शुरू कीं।
इनसे हुआ था रबीन्द्रनाथ टैगोर का विवाह (Rabindranath Tagore Wife)
रबीन्द्रनाथ टैगोर का विवाह 1883 में मृणालिनी देवी से हुआ। हालांकि, 1902 में महज 25 साल की उम्र में बीमारी के चलते मृणालिनी देवी की मौत हो गई। रबीन्द्रनाथ टैगोर को उनकी रचना ‘गीतांजलि’ के लिए 1913 में साहित्य का नोबेल पुरस्कार मिला। गीतांजलि बांग्ला भाषा में थी, लेकिन बाद में उन्होंने इसका अंग्रेजी में अनुवाद किया। रबीन्द्रनाथ टैगोर को कविगुरू और विश्वकवि के नाम से भी जाना जाता है। रबीन्द्रनाथ टैगोर ने 1901 में शांति निकेतन की स्थापना की। यहां पारंपरिक तरीके से गुरु-शिष्य परपंरा का पालन करते हुए शिक्षा दी जाती थी। बता दें कि 7 अगस्त, 1941 को उनका निधन हो गया था।